175 केवल देहधारी परमेश्वर ही मानवजाति को बचा सकता है
1
भ्रष्ट इंसान की ज़रूरतों के लिए ही
ईश्वर देह बनकर आया।
बचाए जाने वालों के लिए आत्मा का मोल
ईश्वर के देह के मोल से बहुत कम है।
केवल देहधारी ईश्वर ही इंसान को बचा सके।
आत्मा का काम समेटे
ब्रह्मांड, पहाड़, समंदर, नदियों और झीलों को।
जबकि देह का काम बेहतर ढंग से जुड़ा है
हर उस इंसान से जिससे वो जुड़े।
केवल देहधारी ईश्वर ही इंसान को बचा सके।
और तो और, ईश्वर के मूर्त देह को इंसान
बेहतर ढंग से समझ सके, भरोसा कर सके।
वो देह ईश्वर के बारे में
इंसान के ज्ञान को गहराई दे सके,
उसके कर्मों की कहीं गहन छाप छोड़ सके।
केवल देहधारी ईश्वर ही इंसान को बचा सके,
केवल देहधारी ईश्वर ही इंसान को बचा सके,
इंसान को उसके पहले के
भ्रष्ट और पतित स्वभाव से बचा सके।
देहधारी ईश्वर ही इंसान का उद्धार करेगा।
2
आत्मा का काम रहस्यमय है,
जो समझना इंसां के लिए मुश्किल है,
तो वे बस कल्पनाओं के भरोसे रह सकते।
जबकि देह का काम सामान्य है,
उसमें समृद्ध बुद्धि है,
वो वास्तविकता पर आधारित है।
वो तथ्य है जो इंसान की आँखें देख सकें,
और ईश्वर की बुद्धि खुद अनुभव की जा सके।
इंसान को कल्पना करने की ज़रूरत नहीं।
देह में ईश्वर के कार्य की ये सटीकता, ये मूल्य है।
केवल देहधारी ईश्वर ही इंसान को बचा सके,
केवल देहधारी ईश्वर ही इंसान को बचा सके।
इंसान के लिए असल काम
और समय से मिला मार्गदर्शन सही है।
देहधारी ईश्वर ही इंसान का उद्धार करेगा।
3
आत्मा बस दे सके प्रेरणा या अस्पष्ट अर्थ।
आत्मा वचन और साफ निर्देश न दे सके।
आत्मा बस ऐसे काम करे जिन्हें इंसान देख न सके।
इंसान आत्मा के काम की कल्पना न कर सके।
देह में ईश्वर का कार्य बहुत अलग है।
इसमें स्पष्ट इच्छा, मार्गदर्शन,
इंसान के लिए लक्ष्य हैं।
वो देख सके ऐसे सटीक वचन हैं।
भ्रष्ट इंसान के लिए ये सबसे मूल्यवान है।
केवल देहधारी ईश्वर ही इंसान को बचा सके,
केवल देहधारी ईश्वर ही इंसान को बचा सके।
बस असल काम इंसान को बचा सके
उसके भ्रष्ट और पतित स्वभाव से।
देहधारी ईश्वर ही इंसान का उद्धार करेगा।
केवल देहधारी ईश्वर ही इंसान को बचा सके।
बस असल काम इंसान को बचा सके
उसके भ्रष्ट और पतित स्वभाव से।
देहधारी ईश्वर ही इंसान का उद्धार करेगा।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, भ्रष्ट मनुष्यजाति को देहधारी परमेश्वर द्वारा उद्धार की अधिक आवश्यकता है से रूपांतरित