967 परमेश्वर का सार पवित्र है
1
परमेश्वर में न कोई झूठ है, न कपट है कोई।
उसमें केवल सच्चाई और निष्ठा है।
इंसान उसमें शैतान के भ्रष्ट स्वभाव का नामोनिशाँ नहीं देख सकता।
शैतान की कोई बुराई प्रकट नहीं होती परमेश्वर में।
परमेश्वर का सार पवित्र है। उसमें इंसान की कोई भ्रष्टता नहीं है।
परमेश्वर का सार पवित्र है। उसमें इंसान के भ्रष्ट स्वभाव जैसा कुछ नहीं है।
परमेश्वर का सार पवित्र है। उसमें शैतान के सार जैसा भ्रष्ट कुछ नहीं है।
परमेश्वर का सार पवित्र है, परमेश्वर पवित्र है।
2
परमेश्वर सब-कुछ इंसान को पोषण देने के लिये करता है।
वो सब-कुछ इंसान की मदद, फ़ायदे के लिए प्रकट करता है।
ये जीवन से भरपूर है, ये इंसान को मार्ग देता है,
जिसका अनुसरण करे, सही दिशा में चले इंसान।
परमेश्वर का सार पवित्र है। उसमें इंसान की कोई भ्रष्टता नहीं है।
परमेश्वर का सार पवित्र है। उसमें इंसान के भ्रष्ट स्वभाव जैसा कुछ नहीं है।
परमेश्वर का सार पवित्र है। उसमें शैतान के सार जैसा भ्रष्ट कुछ नहीं है।
परमेश्वर का सार पवित्र है, परमेश्वर पवित्र है।
3
परमेश्वर के पवित्र सार को जानो। परमेश्वर में कोई भ्रष्ट स्वभाव नहीं है।
परमेश्वर के पवित्र सार को जानो। परमेश्वर का सार पूरी तरह सकारात्मक है।
इंसान पर उसके काम से ये ज़ाहिर है।
क्योंकि उसका सारा काम सकारात्मकता लाता है।
परमेश्वर के पवित्र सार को जानो। इन दो पहलुओं से तुम इसे जानो।
परमेश्वर का सार पवित्र है। उसमें इंसान की कोई भ्रष्टता नहीं है।
परमेश्वर का सार पवित्र है। उसमें इंसान के भ्रष्ट स्वभाव जैसा कुछ नहीं है।
परमेश्वर का सार पवित्र है। उसमें शैतान के सार जैसा भ्रष्ट कुछ नहीं है।
परमेश्वर का सार पवित्र है, परमेश्वर पवित्र है।
परमेश्वर भ्रष्टता नहीं, अपना सार प्रकट करता है।
परमेश्वर भ्रष्टता नहीं, अपना सार प्रकट करता है।
ये जानने के लिए कि परमेश्वर स्वयं पवित्र है,
बस उसके काम में स्वयं उसके सार को जानना है।
—वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है VI से रूपांतरित