250 परमेश्वर का प्रेम कितना सच्चा है
1
हे परमेश्वर! तूने देहधारण किया, दीन बनकर, गुप्त रहकर, मानव जाति को बचाने के लिए सत्य व्यक्त किया,
फिर भी मैंने तुझे न जाना और अपनी धारणाओं के आधार पर झट-से तेरे बारे में निष्कर्ष निकाल लिया। मैं कितना मूर्ख और अंधा था!
हे परमेश्वर! मानव के उद्धार के लिए तूने भयंकर शर्मिंदगी उठाई, फिर भी मैं तेरी इच्छा से अनजान रहा।
हे परमेश्वर! तूने सत्य व्यक्त किया और इंसान को जीवन प्रदान किया, फिर भी मैंने न खोज की न जांच की।
मैं धार्मिक धारणाओं के चंगुल में फंसा हुआ था; मैं आंख मूंदकर धर्म के पादरियों की आराधना करता रहा और मनुष्य का अनुसरण करता रहा।
तूने सब देखा और इन बातों को दिल से लगा लिया; तू निरंतर बोलता रहा, तेरे वचन मेरे दिल को पुकारते रहे।
ओह! ऐसा क्यों हुआ कि मैं तुझमें विश्वास भी करता रहा और तेरी आराधना भी करता रहा, फिर भी मैं तेरी वाणी को पहचान नहीं पाया?
ओह! ऐसा क्यों हुआ कि मैं तुझमें विश्वास तो करता था, मगर फिर भी मैं तुझे दरकिनार करके इंसान का अनुसरण करता था?
तू मेरे प्रति धैर्यवान और सहिष्णुता था, मेरे नींद से जागने की प्रतीक्षा कर रहा था।
आखिरकार, तेरे वचनों ने मुझे जगा दिया; तेरी वाणी पहचान कर मैं तेरे पास लौट आया।
2
हे परमेश्वर! तेरे न्याय के वचनों ने मुझे जीत लिया और मैं तेरे आगे झुक गया।
तेरे न्याय और ताड़ना के वचनों के मध्य, मैंने अपनी भ्रष्टता की गहराई को देखा।
हे परमेश्वर! तूने मानवजाति के उद्धार के लिए निस्वार्थ भाव से त्याग किया, जबकि मेरा आत्म-त्याग और सेवा में खुद को खपाना केवल आशीष पाने के लिए थे।
हे परमेश्वर! तू सच्चे दिल से चाहता था कि मनुष्य सत्य की खोज करे, जबकि मैं केवल हैसियत और प्रतिष्ठा के पीछे भाग रहा था।
मैं तुझमें विश्वास करता था, फिर भी मुझे पता न था कि सत्य कितना कीमती है; मैं अपनी भ्रष्टता और शैतानी स्वभाव में ही जीता रहा।
मेरा स्वभाव अहंकारी, कपटी और घिनौना था; मैं सचमुच तेरे सामने जीने लायक नहीं था।
ओह! तेरे वचनों के प्रकाशन और न्याय के कारण मुझे आत्म-ज्ञान हुआ और मुझे अपने-आपसे घृणा होने लगी।
ओह! तेरे न्याय, परीक्षणों और शुद्धिकरण के कारण ही मैं अपनी भ्रष्टता से मुक्त हो पाया और मैंने एक नई शुरुआत की।
मैं भाग्यशाली हूं कि मैंने तेरे न्याय और ताड़ना का आनंद लिया; मेरा भ्रष्ट स्वभाव शुद्ध हो गया है।
सचमुच, यह तेरा परम प्रेम और उद्धार है। मैं अपना पूरा जीवन तुझे तेरे प्रेम का प्रतिदान देने में खपा दूंगा।