856 मानवजाति पर परमेश्वर की दया
निम्नलिखित वचन को योना की पुस्तक 4:10-11 में दर्ज किया गया है:
"तब यहोवा ने कहा, 'जिस रेंड़ के पेड़ के लिये
तू ने कुछ परिश्रम नहीं किया, न उसको बढ़ाया,
जो एक ही रात में हुआ, और एक ही रात में नष्ट भी हुआ;
उस पर तू ने तरस खाई है।
फिर यह बड़ा नगर नीनवे,
जिसमें एक लाख बीस हज़ार से अधिक मनुष्य हैं
जो अपने दाहिने बाएँ हाथों का भेद नहीं पहिचानते,
और बहुत से घरेलू पशु भी उसमें रहते हैं,
तो क्या मैं उस पर तरस न खाऊँ?'"
1
दया का अर्थ हो सकता है, दिल से प्रेम करना।
दया का अर्थ हो सकता है, प्रेम और रक्षा करना।
दया का अर्थ हो सकता है, चोट न देना चाहना।
दया का अर्थ हो सकता है, कोमलता महसूस करना।
दया दिखा सकती है कोमल प्रेम और अनुराग।
दया का अर्थ हो सकता है हार मानना न चाहना।
दया है इन्सान के प्रति परमेश्वर की कृपा और सहनशीलता।
यह शब्द परमेश्वर के दिल और रवैये को उजागर करता है।
2
सोदोम के लोगों के समान ही नीनवे के लोग भी भ्रष्ट और हिंसक थे,
पर बदल दिया परमेश्वर के दिल को उनके पछतावे ने।
इसलिए उसने लिया फैसला, वो नष्ट न करेगा उन्हें।
सच्चे समर्पण और पापों के लिए पछतावे के साथ,
सच्चे और दिल से किये गये कर्मों के साथ,
नीनवे के लोगों ने गले लगाया परमेश्वर के आदेशों को।
इसलिए परमेश्वर ने उन पर बरसाई दया अपनी।
3
परमेश्वर के दिए प्रतिफल की,
इन्सान के लिए उसकी दया की कोई भी नकल नहीं कर सकता है।
परमेश्वर की कृपा या सहनशीलता को,
इन्सां के प्रति उसकी सच्ची भावना को, कोई धारण नहीं कर सकता है।
केवल सृष्टिकर्ता दिखाता है दया इंसान पर,
केवल सृष्टिकर्ता को है उससे असीम अनुराग।
केवल सृष्टिकर्ता बरसा सकता है कृपा इन्सान पर
और अपनी सारी सृष्टि को संजो सकता है।
—वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है II से रूपांतरित