34 पूरी कायनात में पहुँचे परमेश्वर का धार्मिक न्याय
1
कायनात में आये धार्मिक न्याय। डर और घबरा जाता हर इंसान,
क्योंकि जिस दुनिया में रहता इंसान वो धार्मिकता से है अनजान।
जब धार्मिकता का सूर्य उदित होगा, रोशन होगा पूरब, रोशन होगी कायनात।
अगर इंसान ईश्वर की धार्मिकता का पालन करे, तो कोई कारण नहीं कि वो डरे।
आख़िरकार समय आ गया है।
अपना काम शुरू करेगा वो, इंसानों पर राज करेगा ईश्वर।
लौटने के मुकाम पर है वो, रवाना होने को है ईश्वर,
सबने इसी की आशा-कामना की ईश्वर के दिन का आगमन सब देखेंगे,
ख़ुशी से इस दिन का स्वागत करेंगे।
2
ईश्वर-जन उसके दिन की कामना करते।
वो प्रतीक्षा करते ईश्वर प्रतिफल लाएगा,
और धार्मिकता के सूर्य के रूप में वो इंसान की नियति तय करेगा।
कायनात के ऊपर ईश्वर का राज्य आकार ले रहा है,
लाखों के दिलों पर उसके सिंहासन का प्रभुत्व है।
स्वर्गदूतों की मदद से, जल्द पूरा होगा ईश्वर का कार्य।
आख़िरकार समय आ गया है।
अपना काम शुरू करेगा वो, इंसानों पर राज करेगा ईश्वर।
लौटने के मुकाम पर है वो, रवाना होने को है ईश्वर,
सबने इसी की आशा-कामना की ईश्वर के दिन का आगमन सब देखेंगे,
ख़ुशी से इस दिन का स्वागत करेंगे।
3
सभी ईश-पुत्रों, ईश-जनों को इंतज़ार है, उससे पुनर्मिलन की उनमें तड़प है।
फिर कभी न बिछड़ने के लिए, दम साधे उसके लौटने का इंतज़ार है।
ईश-राज्य के असंख्य जन
इक-दूजे की ओर दौड़कर उत्सव कैसे न मनाएँ जब ईश्वर उनके साथ है?
क्या बिना कीमत के हो सकता है ये पुनर्मिलन?
आख़िरकार समय आ गया है।
अपना काम शुरू करेगा वो, इंसानों पर राज करेगा ईश्वर।
लौटने के मुकाम पर है वो, रवाना होने को है ईश्वर,
सबने इसी की आशा-कामना की ईश्वर के दिन का आगमन सब देखेंगे,
ख़ुशी से इस दिन का स्वागत करेंगे।
नेक है ईश्वर हर इंसान की नज़र में। उसका ऐलान होता उनके शब्दों में।
ईश्वर जब लौटकर आएगा, बैरी-ताकतों पर वो विजय पाएगा।
आख़िरकार समय आ गया है।
अपना काम शुरू करेगा वो, इंसानों पर राज करेगा ईश्वर।
लौटने के मुकाम पर है वो, रवाना होने को है ईश्वर,
सबने इसी की आशा-कामना की ईश्वर के दिन का आगमन सब देखेंगे,
ख़ुशी से इस दिन का स्वागत करेंगे। आख़िरकार समय आ गया, आ गया।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन, अध्याय 27 से रूपांतरित