145 परमेश्वर की बुद्धि, शैतान की साज़िशों का सामना करने में प्रकट होती है
1
इंसान चाहे कितना भी भ्रष्ट हुआ, या उसे सर्प ने कितना भी ललचाया,
यहोवा फिर भी बुद्धिमान था; इसलिए,
जब से दुनिया रची उसने, नया काम किया है उसने,
एक भी चरण दोहराया नहीं है उसने।
एक भी चरण दोहराया नहीं है उसने।
परमेश्वर शैतान से लड़कर कभी हारा नहीं है।
बुद्धिमान परमेश्वर कभी हारा नहीं है।
वो शैतान के सारे षडयंत्र देख सकता है,
जैसे शैतान करे फ़रेब, वैसे परमेश्वर की बुद्धि चले।
2
शैतान ने निरंतर चालें चली हैं।
शैतान के काम से इंसान निरंतर भ्रष्ट और तबाह हुआ है,
मगर यहोवा परमेश्वर ने निरंतर बुद्धिमान परमेश्वर के रूप में कार्य किया है।
वो कभी नाकाम नहीं हुआ, न कभी अपना काम बंद किया।
सृजन से लेकर अब तक, उसने कभी अपना काम बंद नहीं किया।
परमेश्वर शैतान से लड़कर कभी हारा नहीं है।
बुद्धिमान परमेश्वर कभी हारा नहीं है।
वो शैतान के सारे षडयंत्र देख सकता है,
जैसे शैतान करे फ़रेब, वैसे परमेश्वर की बुद्धि चले।
3
अपना काम करते हुए,
इंसान की भ्रष्टता के बावजूद, उसने न सिर्फ़ इंसान का उद्धार किया है,
अपनी बुद्धिमत्ता, अधिकार और सामर्थ्य दिखाया है,
बल्कि अंत में इंसान को वो अपना धार्मिक स्वभाव भी दिखाएगा:
दुष्टों को सज़ा और अच्छों को इनाम देगा। उसका धार्मिक स्वभाव!
परमेश्वर शैतान से लड़कर कभी हारा नहीं है।
बुद्धिमान परमेश्वर कभी हारा नहीं है।
वो शैतान के सारे षडयंत्र देख सकता है,
जैसे शैतान करे फ़रेब, वैसे परमेश्वर की बुद्धि चले।
वो अपने अधिकार के आगे स्वर्ग की हर चीज़ को झुकाता है,
धरती की हर चीज़ को अपने पैरों तले रखवाता है।
इंसान को सताने वाले दुष्ट उसकी ताड़ना के अधीन आएँगे।
तब धरती-आकाश उसकी सर्वशक्तिमत्ता, बुद्धि को,
और उसकी वास्तविकता को देखेंगे!
परमेश्वर शैतान से लड़कर कभी हारा नहीं है।
बुद्धिमान परमेश्वर कभी हारा नहीं है।
वो शैतान के सारे षडयंत्र देख सकता है,
जैसे शैतान करे फ़रेब, वैसे परमेश्वर की बुद्धि चले।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, तुम्हें पता होना चाहिए कि समस्त मानवजाति आज के दिन तक कैसे विकसित हुई से रूपांतरित