598 परमेश्वर की जाँच को तुझे हर चीज़ में स्वीकर करना चाहिए
1 जो लोग सत्य को व्यवहार में लाने में सक्षम हैं, वे अपने कार्यों में परमेश्वर की जाँच को स्वीकार कर सकते हैं। जब तुम परमेश्वर की जाँच को स्वीकार करते हो, तो तुम्हें गलती का एहसास होता है। यदि तुम हमेशा दूसरों को दिखाने के लिए ही काम करते हो और परमेश्वर की जाँच को स्वीकार नहीं करते, तो क्या तुम्हारे हृदय में परमेश्वर है? इस तरह के लोगों के हृदय में परमेश्वर के प्रति श्रद्धा नहीं होती। हमेशा अपने लिए कार्य मत कर, हमेशा अपने हितों की मत सोच, और अपनी स्वयं की हैसियत, प्रतिष्ठा और साख पर विचार मत कर। तुझे सबसे पहले परमेश्वर के घर के हितों पर विचार करना चाहिए और उसे अपनी पहली प्राथमिकता बनाना चाहिए। तुझे परमेश्वर की इच्छा के बारे में मननशील होना चाहिए, और इस पर चिंतन करना चाहिए कि तू परमेश्वर के घर के कार्य के बारे में सोच रहा है या नहीं, तूने अपने कर्तव्य का निर्वहन किया है या नहीं।
2 अगर तू हमेशा परमेश्वर के घर के कार्य और भाई-बहनों के जीवन-प्रवेश पर विचार करता है, तो तू अपने कर्तव्य-निर्वहन में सफल हो सकता है। यह सच है जब तक कि तेरी क्षमता कमज़ोर न हो, तेरा अनुभव उथला न हो, या तू अपने पेशे में दक्ष न हो, तब सारी ताकत लगा देने के बावजूद तेरे कार्य में कुछ गलतियाँ या कमियाँ हो सकती हैं, और शायद परिणाम बहुत अच्छे न हों। हालाँकि तूने बेहतरीन प्रयास किए होंगे। जब तू कार्य करते हुए अपनी स्वार्थी इच्छाओं या अपने स्वयं के हितों के बारे में विचार नहीं करता है, और इसके बजाय हर समय परमेश्वर के घर के कार्य पर विचार करता है, परमेश्वर के घर के हितों के बारे में लगातार सोचता रहता है, और अपने कर्तव्य को अच्छी तरह से निभाता है, तब तू परमेश्वर के समक्ष अच्छे कर्मों का संचय करेगा। जो लोग ये अच्छे कर्म करते हैं, ये वे लोग हैं जिनमें सत्य-वास्तविकता होती है; इन्होंने गवाही दी है।
—वचन, खंड 3, अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन, अपने भ्रष्ट स्वभाव को त्यागकर ही आजादी और मुक्ति पाई जा सकती है से रूपांतरित