516 गहन अनुभव के लिए परमेश्वर के वचन को स्वीकारो
जो जितना ज़्यादा स्वीकारें ईश-वचनों को, उतना ही वे प्रबुद्ध हों,
ईश्वर-ज्ञान पाने की उनकी भूख-प्यास उतनी ही बढ़े।
जो ईश-वचन हासिल करते, केवल वही गहरा, समृद्ध अनुभव पाते।
जो ईश-वचन हासिल करते, केवल वही अधिक फलते-फूलते।
1
जो जीवन का अनुसरण करें, वे इसे अपना काम समझें।
उन्हें ऐसा लगना चाहिए, वे जी न सकें ईश्वर के बिना,
कोई सफलता नहीं उसकी मौजूदगी के बिना,
हर चीज़ खोखली है ईश्वर के बिना।
जो जितना ज़्यादा स्वीकारें ईश-वचनों को, उतना ही वे प्रबुद्ध हों,
ईश्वर-ज्ञान पाने की उनकी भूख-प्यास उतनी ही बढ़े।
जो ईश-वचन हासिल करते, केवल वही गहरा, समृद्ध अनुभव पाते।
जो ईश-वचन हासिल करते, केवल वही अधिक फलते-फूलते।
2
जो जीवन का अनुसरण करें,
वे कुछ न करें पवित्र आत्मा की मौजूदगी के बिना।
ईश्वर-वचनों को पढ़कर कोई फल न मिले,
तो वे कुछ करने को तैयार न हों।
उन्हें ढीला नहीं पड़ना चाहिए।
जो जितना ज़्यादा स्वीकारें ईश-वचनों को, उतना ही वे प्रबुद्ध हों,
ईश्वर-ज्ञान पाने की उनकी भूख-प्यास उतनी ही बढ़े।
जो ईश-वचन हासिल करते, केवल वही गहरा, समृद्ध अनुभव पाते।
जो ईश-वचन हासिल करते, केवल वही अधिक फलते-फूलते।
3
जीवन-अनुभव आते ईश्वर के प्रबोधन, मार्गदर्शन से।
वे फल हैं तुम लोगों के निजी प्रयासों के।
उनमें अपने लिए बहाने न बनाओ।
जो जितना ज़्यादा स्वीकारें ईश-वचनों को, उतना ही वे प्रबुद्ध हों,
ईश्वर-ज्ञान पाने की उनकी भूख-प्यास उतनी ही बढ़े।
जो ईश-वचन हासिल करते, केवल वही गहरा, समृद्ध अनुभव पाते।
जो ईश-वचन हासिल करते, केवल वही अधिक फलते-फूलते।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, एक सामान्य अवस्था में प्रवेश कैसे करें से रूपांतरित