182 परमेश्वर के देहधारण का अधिकार

जब ईश्वर देह बने,

तो वो दूसरे इंसानों-सा दिखे,

लेकिन उसके वचनों के नतीजे दिखाएं

कि वो अधिकारमय स्वयं परमेश्वर है,

उसके वचन स्वयं परमेश्वर की अभिव्यक्ति हैं।


1

इंसान सीखे ईश्वर को नाराज़ न करना,

उसके वचन के न्याय से परे कुछ न जा सके,

कोई अंधेरी शक्ति उसके

सामर्थ्य को काबू न कर सके।

ईश्वर वचन बना देह है, इस कारण, उसके अधिकार

और वचनों के न्याय के कारण,

इंसान उसे समर्पित होता।


ईश्वर-धारित देह द्वारा किया गया काम

उसका अधिकार है।

उसके देह में भी अधिकार है,

इंसानों के बीच रहते हुए

वो व्यावहारिक काम कर सके,

जिसे देखा और छुआ जा सके;

इसीलिए ईश्वर देहधारण करे।


2

सारे अधिकार से संपन्न

ईश्वर के आत्मा द्वारा किए गए काम से

अधिक असल है देहधारी ईश्वर का काम,

उसके काम के नतीजे अधिक स्पष्ट दिखें,

क्योंकि देहधारी ईश्वर व्यावहारिक

ढंग से बोले और काम करे।


उसके देह के बाहरी रूप में कोई अधिकार नहीं,

इंसान उसके पास आ सके,

जबकि उसके सार में उसका अधिकार हमेशा रहे।

ये अधिकार किसी को दिखाई न दे।

देह रूप में जब वो बोले और काम करे

तो इंसान उसके अधिकार का पता न लगा पाए,

इसलिए वो व्यावहारिक काम कर पाए।


3

और देहधारी ईश्वर का ये व्यावहारिक काम

अपेक्षित परिणाम हासिल करे।

कोई न जाने कि उसके पास ये अधिकार है,

न जाने कि उसका अपमान नहीं करना,

इंसान उसका रोष न देख पाए,

लेकिन उसका वचन सब कुछ हासिल करे

उसके छिपे रोष और अधिकार से।


ईश्वर-धारित देह द्वारा किया गया काम

उसका अधिकार है।

उसके देह में भी अधिकार है,

इंसानों के बीच रहते हुए

वो व्यावहारिक काम कर सके,

जिसे देखा और छुआ जा सके;

इसीलिए ईश्वर देहधारण करे।


4

उसके स्वर के लहजे से, बुद्धि के वचनों से,

उसकी बातों की कड़ाई से,

इंसान पूरी तरह आश्वस्त हो जाता।

इस तरह इंसान वचनों को समर्पित होता

देहधारी ईश्वर के, जिसमें कोई अधिकार न दिखे।

ये ईश्वर का लक्ष्य पूरा करे, जो है—

इंसान का उद्धार।


ईश्वर के देहधारण के लक्ष्यों में एक है:

कि उसकी बातें वास्तविक हों,

उसके वचनों की वास्तविकता इंसान पर प्रभाव डाले,

ताकि इंसान, देख सके सामर्थ्य ईश-वचनों का।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, देहधारण का रहस्य (4) से रूपांतरित

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