183 देह में प्रकट हुआ परमेश्वर का अधिकार और सामर्थ्य
1
"वचन के देहधारी होने" के सच को पूरा करने, धरती पर आया परमेश्वर।
यानी, परमेश्वर के वचन प्रकट होते हैं देह से।
पूर्व विधान से अलग, मूसा के ज़माने में,
जब परमेश्वर सीधे आसमाँ से बोलता था।
तब वे सारे होंगे पूरे, हज़ार साल के राज्य के युग में,
और बनेंगे ऐसा सच जो, सारे इंसाँ देख पाएंगे।
देख पाएगा ख़ुद अपनी आँखों से हर जन
पूरी तरह पूरा होते, हर एक वचन।
2
परमेश्वर के देहधारण का गहरा अर्थ यही है।
इसके मायने, काम आत्मा का निष्पादित होता है,
होता है वचन से और देह से।
"वचन के देहधारी होने" का सच्चा अर्थ यही है।
वचन के देह में प्रकट होने का सच्चा अर्थ यही है।
परमेश्वर ही व्यक्त कर पाता है, आत्मा के मन को।
है देहधारी परमेश्वर ही जो बोल सके, आत्मा की तरफ़ से।
देहधारी परमेश्वर में होते, वचन प्रकट परमेश्वर के।
यह सबको राह दिखाएगा, हर कोई इसकी सीमा में ही रहता है,
कोई इसकी हद को पार नहीं कर पाएगा।
इसी कथन से लोगों में आएगा ज्ञान।
इस उक्ति के बिना, स्वर्ग से मिल जाएगा कथन,
सपने में भी सोच नहीं कोई पाएगा।
ये ही है अधिकार जिसे, देहधारी परमेश्वर दिखलाता है,
इसकी वजह से, सबको यकीन हो जाएगा,
इसकी वजह से, सबको यकीं हो जाएगा।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, सहस्राब्दि राज्य आ चुका है से रूपांतरित