563 व्यक्ति की प्रकृति सुधारने के मूलभूत सिद्धांत

मनुष्य के स्वभाव का समाधान देहसुख त्यागने से प्रारम्भ होता है, साथ ही देहसुख त्यागने के लिए सिद्धांतों का होना भी आवश्यक है। क्या कोई उलझन भरे मन से देहसुख त्याग सकता है? जैसे ही कोई समस्या आती है, तुम देहसुख के आगे समर्पण कर देते हो। एक सिद्धान्त है जो काफी महत्वपूर्ण है, और वह यह है कि जब कोई समस्या आए, तो तुम्हें और भी अधिक खोज करनी चाहिए; उस समस्या को तुम्हें परमेश्वर के सामने लाना चाहिए और उस पर देर तक विचार करना चाहिए। उसके अलावा, हर शाम तुम्हें अपनी स्थितियों की जाँच करनी चाहिए और अपने व्यवहार का सूक्ष्म निरीक्षण करना चाहिए : तुम्हारे कौन-से कृत्य सत्य के अनुरूप किए गए थे और किन कृत्यों से सिद्धान्तों का उल्लंघन हुआ था? यह एक और सिद्धांत है। ये दो बिन्दु बहुत महत्वपूर्ण हैं : एक तो यह कि जब कोई समस्या आए, तो उसकी जाँच करो, और दूसरा यह कि उसके बाद आत्म-मंथन करो। तीसरा सिद्धान्त यह है कि इस बारे में तुम्हें एकदम स्पष्ट होना चाहिए कि सत्य का अभ्यास करने का क्या अर्थ होता है और सैद्धान्तिक रीति से मामलों को संभालना क्या सूचित करता है। एक बार जब तुम इस पर बिलकुल स्पष्ट हो जाते हो, तो तुम मुद्दों को सही रीति से संभाल लोगे। इन तीन सिद्धान्तों को अपनाकर तुम स्वयं को नियंत्रित करने में सक्षम हो जाओगे। तुम्हारी भ्रष्ट प्रकृति उजागर नहीं होगी या पुन: सिर नहीं उठाएगी। ये इंसानी प्रकृति को सुधारने के मूल सिद्धान्त भी हैं।

—वचन, खंड 3, अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन, भाग तीन से रूपांतरित

पिछला: 562 अपने विचारों और दृष्टिकोण को जानना महत्वपूर्ण है

अगला: 564 यह तरीका आत्मचिंतन की कुंजी है

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

संबंधित सामग्री

610 प्रभु यीशु का अनुकरण करो

1पूरा किया परमेश्वर के आदेश को यीशु ने, हर इंसान के छुटकारे के काम को,क्योंकि उसने परमेश्वर की इच्छा की परवाह की,इसमें न उसका स्वार्थ था, न...

सेटिंग

  • इबारत
  • कथ्य

ठोस रंग

कथ्य

फ़ॉन्ट

फ़ॉन्ट आकार

लाइन स्पेस

लाइन स्पेस

पृष्ठ की चौड़ाई

विषय-वस्तु

खोज

  • यह पाठ चुनें
  • यह किताब चुनें

WhatsApp पर हमसे संपर्क करें