प्रश्न 8: नर्क में जाने वाली तुम्हारी बात पर मैं विश्वास नहीं करता। किसने देखा है कि नरक कहाँ है? नरक दिखता कैसा है? मैं तो यह भी नहीं जानता कि परमेश्वर का कोई अस्तित्व है भी या नहीं। आखिर परमेश्वर कहाँ है? परमेश्वर को किसने देखा है? अगर सर्वशक्तिमान परमेश्वर सच्चे परमेश्वर हैं, जब चीनी कम्युनिस्ट सरकार सर्वशक्तिमान परमेश्वर की निंदा और आक्रमण करती है, तो परमेश्वर ने उनका विनाश क्यों नहीं किया? अगर परमेश्वर अपनी सर्वशक्तिमत्ता से कम्युनिस्ट पार्टी को नष्ट कर देते हैं, तो वे वाकई परमेश्वर हैं। इस प्रकार, सम्पूर्ण मनुष्य जाति को यह स्वीकार करना होगा कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही सच्चे परमेश्वर हैं। यहाँ तक कि सीसीपी सरकार को भी सच्चे परमेश्वर की पूजा करनी होगी। परमेश्वर के विरोध की हिम्मत किसकी होगी? लेकिन वाकई हुआ क्या? मैंने देखा था कि पुलिस परमेश्वर में विश्वास रखने वालों को हर जगह गिरफ़्तार कर रही थी। परमेश्वर में विश्वास करने वाले बहुत से लोगों को जेल में सताया गया और उन्हें अपाहिज बना दिया गया। उनमें से कई मारे गए। लेकिन क्या तुम्हारे परमेश्वर ने उन्हें बचाया? यह सब कैसे किसी को विश्वास दिला सकता है कि जिस परमेश्वर में तुम विश्वास करते हो वह सच है? मैं तो तुम्हें समझ ही नहीं पा रहा हूँ। जिस परमेश्वर में तुम विश्वास करते हो वह सच हैं या झूठ? मुझे तो लगता है कि तुम भी यह नहीं जानते। ऐसे में क्या तुम बेवकूफी नहीं कर रहे? जिस परमेश्वर में तुम विश्वास करते हो वही सच्चा परमेश्वर है, क्या तुम इसे समझा सकते हो?

उत्तर: आप अनुभवी हैं। परमेश्वर के अस्तित्व और प्रभुत्व के बारे में क्या आपको वाकई कुछ नहीं पता? परमेश्वर ने जब से दुनिया बनाई है, तब से इंसान के उद्धार के लिए तीन चरणों में कार्य किया है जिसे शैतान ने दूषित कर दिया। इस्त्राएल और यहूदिया में व्यवस्था के युग में और अनुग्रह के युग में कार्य किया गया था। परमेश्वर के कार्य के उन दो चरणों में, उनके बहुत से वचनों को नबियों के माध्यम से व्यक्त किया गया और पवित्र बाइबल में लिखा गया। अंत के दिनों में मनुष्य जाति की शुद्धि और उद्धार के लिए देहधारी परमेश्वर द्वारा अभिव्यक्त सभी सत्य वचन देह में प्रकट होता है में किए गए। कार्य के तीन चरणों में, मानव जाति के उद्धार का कार्य करने के लिए परमेश्वर दो बार देहधारी हुए। पहली बार, परमेश्वर ने प्रभु यीशु के रूप में देह धारण की जिन्हें छुटकारे के कार्य को पूरा करने के लिए सूली पर चढ़ा दिया गया था। इसने पूरी दुनिया में सनसनी मचा दी थी। प्रभु यीशु के सुसमाचार कोने-कोने में फैले हुए हैं, हर घर में पहुँच कर एक घरेलू नाम बन गए हैं। ईसाई धर्म ने सभी देशों और क्षेत्रों में कलीसियाओं की स्थापना की है। बहुत सारे लोग ईसाई धर्म में विश्वास करते हैं! अंत के दिनों में, परमेश्वर देहधारी बन गए, जो सर्वशक्तिमान परमेश्वर हैं, और उन्होंने न्याय कार्य किया है। इसने भी पूरी दुनिया में सनसनी फैला दी। वचन देह में प्रकट होता है में अभिव्यक्त सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन पूरी मानवता ने प्रशंसित और प्रमाणित किए हैं। जो भी सत्य से प्रेम करते हैं और परमेश्वर के प्रकटन और कार्य को खोजते हैं उन्होंने बाइबल और वचन देह में प्रकट होता है को पढ़कर परमेश्वर की वाणी को सुना है। परमेश्वर के प्रकटन और कार्य को देखकर, उन्होंने परमेश्वर के अस्तित्व और प्रभुत्व को निर्धारित किया है। क्योंकि आप परमेश्वर की मौज़ूदगी के बारे में नहीं जानते तो आप परमेश्वर की खोज और उनके कार्य का अध्ययन क्यों नहीं करते? पूरी ज़िंदगी जीकर, बहुत-से अविश्वासी तक ऐसी समझदारी की बात कह सकते हैं कि "मनुष्य का भाग्य स्वर्ग में निर्धारित होता है" और "जब मनुष्य कार्य करता है, स्वर्ग देखता है" और "वही होता है जो मंज़ूरे खुदा होता है।" जिसके पास भी ज़मीर होता है वह प्रतिकार स्वीकार करता है। हालांकि मनुष्य परमेश्वर को नहीं देख सका, लेकिन वो ऐसी अक्ल की बात कह पाया। वह परमेश्वर के अस्तित्व और प्रभुत्व की पूरी तरह से पुष्टि करने के काबिल था। वे लोग जो केवल पैसों से मतलब रखते हैं, वे परमेश्वर के प्रकटन और कार्य का अध्ययन नहीं करना चाहते। उन्हें सिर्फ पैसा, प्रसिद्धि और लाभ दिखता है। वे सबसे ऊपर, ओहदे और ताकत को देखते हैं। बाइबल में कहा गया है कि केवल मूर्ख कहेंगे कि कोई परमेश्वर नहीं है।

हालांकि आप एक चीनी कम्युनिस्ट सरकार के सदस्य हैं, नास्तिक हैं, लेकिन क्या आप स्वर्ग की इच्छा में विश्वास नहीं करते? क्या आप नहीं मानते कि किसी व्यक्ति का भाग्य उसके जीवन को निर्धारित करता है? क्या आप "जैसा करोगे वैसा भरोगे" तथ्य को नहीं मानते? यह साबित करने के लिए पर्याप्त है कि परमेश्वर दुनिया और मनुष्य जाति पर शासन करते हैं। आज तक, जिन राष्ट्रों और जातियों ने परमेश्वर का विरोध किया, उनका हमेशा पतन हुआ है। किसी राष्ट्र या जाति का विनाश करना परमेश्वर के लिए बहुत आसान है। याद कीजिये जब प्रभु यीशु कार्य कर रहे थे, तो यहूदी धर्म के नेताओं ने रोमन सरकार के साथ हाथ मिलाकर प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ा दिया था। प्रभु के सत्तर वर्षों बाद, इस्त्राएल राष्ट्र को परमेश्वर ने सज़ा दी। इस्त्राएल का अस्तित्व खत्म होने के बाद, बहुत-से यहूदी मारे गए। रोमन शासन भी हुआ करता था जिसने परमेश्वर का विरोध किया और तीन सौ वर्षों तक क्रूरता के साथ ईसाइयों को सताया। अंत में, रोमन शासन पर दंड के रूप में विपत्तियाँ आयी। उसे परमेश्वर ने नष्ट कर दिया। इन ऐतिहासिक तथ्यों से हम देख सकते हैं कि परमेश्वर के विरोधियों ने खुद ही विनाश को बुलावा दिया था। परमेश्वर को तो उन्हें दंडित और नष्ट करना ही था। चीनी कम्युनिस्ट सरकार पागलों की तरह ईसाइयों की गिरफ्तारी और हत्या कर रही है। खासकर, अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकटन और चीन में उनके कार्य को चीनी कम्युनिस्ट सरकार के और अधिक उन्मादी निंदा और विरोध का सामना करना पड़ रहा है। चीनी कम्युनिस्ट सरकार ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के भयंकर दमन का, मसीह की खोज का और परमेश्वर के चुने हुए लोगों को क्रूरतापूर्वक सताने का एक जबर्दस्त और चंहुमुखी अभियान छेड़ रखा है। परमेश्वर को नकारने और उनसे दूर होने के लिए लोगों को उत्तेजित करने और धोखा देने के एक प्रयास के रूप में उन्होंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को बदनाम करने के लिए अफवाहें फैलाईं जिससे लोगों के लिए उद्धार प्राप्त करने के मौके खत्म हो जाए और लोग सज़ा के लिए नरक में घसीटे जाएं। सीसीपी सरकार के परमेश्वर के विरोध और कुकर्मों ने परमेश्वर के स्वभाव को बहुत पहले ही क्रोधित कर दिया है। अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य के समापन पर, परमेश्वर सभी बुरी ताकतों को नष्ट करने के लिए कई आपदाओं को नीचे भेजेंगे, और एक शैतानी शासन और परमेश्वर की सबसे ज्‍़यादा विरोधी चीनी कम्युनिस्ट सरकार को, परमेश्वर का धार्मिक और पवित्र स्वभाव दिखाने के लिए नष्ट करेंगे। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "जहाँ कहीं भी देहधारण प्रकट होता है, उस जगह से दुश्मन पूर्णतया विनष्ट किया जाता है। सबसे पहले चीन का सर्वनाश होगा; यह परमेश्वर के हाथों बर्बाद कर दिया जाएगा। परमेश्वर वहाँ कोई भी दया बिलकुल नहीं दिखाएगा" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, “संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचनों” के रहस्यों की व्याख्या, अध्याय 10)। "जो परमेश्वर के कार्य की अवहेलना करता है, उसे नरक भेजा जाएगा; जो कोई राष्ट्र परमेश्वर के कार्य का विरोध करता है, उसे नष्ट कर दिया जाएगा; जो कोई राष्ट्र परमेश्वर के कार्य को अस्वीकार करने के लिए उठता है, उसे इस पृथ्वी से मिटा दिया जाएगा, और उसका अस्तित्व समाप्त हो जाएगा" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परिशिष्ट 2: परमेश्वर संपूर्ण मानवजाति के भाग्य का नियंता है)। परमेश्वर के सभी वचन पूरे होंगे। चीनी कम्युनिस्ट सरकार ने परमेश्वर का विरोध किया है, उनके बहुत से विश्वासियों को नुकसान पहुँचाया है, चीनी लोगों पर इतनी विपदायें लाने के लिए इतने कुकर्म किये हैं, परमेश्वर उसे शाप देकर तबाह क्यों न करेंगे? चीन में अक्सर हो रही भयंकर आपदाओं को देखो, ये परमेश्वर का विरोध करने की प्रतिक्रिया है। जैसा कि कहा जाता है "अन्याय का अंत तबाही है।" जब प्रलय आयेगा और चीनी कम्युनिस्ट सरकार नष्ट हो जाएगी, तब तक बहुत देर हो चुकी होगी। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "मेरी दया उन पर होती है जो मुझसे प्रेम करते हैं और स्वयं को नकारते हैं। दुष्टों को मिला दण्ड निश्चित रूप से मेरे धार्मिक स्वभाव का प्रमाण है, और उससे भी बढ़कर, मेरे क्रोध का प्रमाण है। जब आपदा आएगी, तो उन सभी पर अकाल और महामारी आ पड़ेगी जो मेरा विरोध करते हैं और वे विलाप करेंगे" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, अपनी मंजिल के लिए पर्याप्त अच्छे कर्म तैयार करो)। "यदि मानवजाति अच्छा भाग्य पाना चाहती है, यदि कोई देश अच्छा भाग्य पाना चाहता है, तो मनुष्य को परमेश्वर की आराधना में झुकना होगा, पश्चात्ताप करना होगा और परमेश्वर के सामने अपने पाप स्वीकार करने होंगे, अन्यथा मनुष्य का भाग्य और गंतव्य एक अपरिहार्य विभीषिका बन जाएँगे" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परिशिष्ट 2: परमेश्वर संपूर्ण मानवजाति के भाग्य का नियंता है)। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन बहुत स्पष्ट हैं। केवल परमेश्वर में विश्वास और उनकी आराधना से ही परमेश्वर की कृपा और संरक्षण प्राप्त हो सकता है, और वे बड़ी से बड़ी प्रलय में भी जीवित बच जाएंगे!

"परिवार में रक्तिम पुनर्शिक्षा" फ़िल्म की स्क्रिप्ट से लिया गया अंश

पिछला: प्रश्न 7: चीनी कम्युनिस्ट सरकार एक क्रांतिकारी पार्टी है। वह केवल झूठ और हिंसा में विश्वास करती है, यानी, हिंसा से सत्ता पर कब्ज़ा करने में! चीनी कम्युनिस्ट सरकार के तर्क से देखा जाये तो, "हज़ार बार दोहराये जाने पर कोई भी झूठ सच हो जाता है।" चाहे कितने ही लोग उस पर शक करें, उसे नकारें या उस पर अविश्वास करें, सरकार इसकी रत्ती भर भी परवाह नहीं करती, और वह उसी तरह झूठ बोलना और धोखा देना जारी रखती है। अपने तुरंत फायदे और उद्देश्य के लिये, उसे जो भी कीमत चुकानी पड़े, उसकी वो परवाह नहीं करती! अगर लोग उससे बगावत करते या उसके विरोध में जुलूस निकालते हैं, तो वह इससे निपटने के लिए टैंकों और मशीन गनों का उपयोग करेगी। ज़रूरत पड़ने पर वह विरोधी ताकतों का सामना करने के लिए एटम बम और मिसाइलों का उपयोग करेगी। चीनी कम्युनिस्ट सरकार सत्ता में टिके रहने के लिये किसी भी हद तक जा सकती है। जैसे ही शेंडोंग के झाओयुआन मामले की सार्वजनिक रूप से घोषणा की गयी, ईसाइयों को दबाने और किसी भी कीमत पर गिरफ़्तार करने के लिए चीनी कम्युनिस्ट सरकार ने सशस्त्र पुलिस इकाइयों की तैनाती शुरू कर दी थी। इसे कौन रोक सकता है? इसका विरोध करने की हिम्मत किस में है? विदेशी लोग चीनी कम्युनिस्ट सरकार के धोखे को देखकर भी क्या कर पाए? चीनी कम्युनिस्ट सरकार के पास पश्चिमी लोकतांत्रिक ताकतों की निंदा का मुकाबला करने के कई तरीके हैं, वह पैसों से सबकुछ निपटा लेती है। जैसा कि कहा जाता है, "भेंट पाना यानी अपनी आज़ादी बेच देना।" अब कम-से-कम देश चीनी कम्युनिस्ट सरकार की निंदा कर रहे हैं। विरोधी ताकतें अपनी आवाज़ उठाने से डर रही हैं। और चीनी कम्युनिस्ट सरकार अभी भी अपने शासन को बनाये रखने में सक्षम है। जब तक कम्युनिस्ट पार्टी सत्ता में है, तुम जैसे परमेश्वर के विश्वासी स्वतंत्र होने की उम्मीद नहीं कर सकते। चीन में परमेश्वर के प्रकटन और कार्य से सीसीपी सरकार ज़रूर उस पर बंदिश लगाएगी। चाहे चीनी कम्युनिस्ट सरकार चीन में एक नास्तिक अस्तित्व के लक्ष्य को प्राप्त करे या नहीं, यह तुम्हें गिरफ़्तार करना और दबाना कभी बंद नहीं करेगी! मुझे ये पहले से पता है। इसलिए मैं तुम्हारे सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास का ज़ोरदार विरोध करता हूँ। यह सब तुम्हारे लिए है, क्या तुम्हें समझ नहीं आता?

अगला: प्रश्न 9: पर सरकारी दस्तावेज़ों के अनुसार, जो लोग यीशु में विश्वास करते हैं, जो सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करते हैं, उन्होंने सुसमाचार का प्रचार करने के लिए अपने परिवार का त्याग कर दिया। कुछ लोग तो ज़िंदगी भर शादी नहीं करते। दस्तावेज़ भी यही कहते है कि सरकार उन लोगों के समूह को गिरफ़्तार करना चाहती है जो सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करते हैं, और दूसरे समूह को मार देना चाहती है। उन्हें मारना मतलब कुछ नहीं। ऐसा कुछ और भी है, जैसे "जब तक प्रतिबंध समाप्त नहीं हो जाता तब तक सैनिकों को नहीं हटाया जाएगा।" सर्वशक्तिमान परमेश्वर के बहुत-से विश्वासियों को बंदी बनाया गया, उन्हें घायल और अपंग बना दिया गया। कई लोगों को तो अपनी नौकरी तक खोनी पड़ी और उनके परिवार बर्बाद हो गए। इसकी बहुत आलोचना भी हुई कि परमेश्वर के विश्वासियों को अपने परिवार की चिंता नहीं होती। क्या तुम्हें यह सही लगता है? तुम न तो अपने परिवार को छोड़ सकते हो और न ही अपनी शादी को तोड़ सकते हो। अगर इस तरह से तुम परमेश्वर में विश्वास करते हो, तो मेरी सलाह है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास मत करो, ठीक है?

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

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