829 क्या तुम सचमुच परमेश्वर की गवाही देने का आत्मविश्वास रखते हो?

1

हालाँकि तुम्हारा विश्वास बहुत सच्चा है पर कोई ईश्वर की व्याख्या न कर सके,

जो असलियत दिखे तुम्हें उसकी गवाही तुममें से कोई दे न सके।

इस वक्त, तुममें से अधिकतर अनदेखा करते अपने फर्ज़ को,

भागते देह की चीज़ों के पीछे, संतुष्ट करते, मज़ा लेते देह का।

बस ज़रा-सा सत्य है तुममें।

जो कुछ देखा उसकी गवाही कैसे दोगे?

क्या तुम्हें भरोसा है, तुम ईश्वर के गवाह बन सकते हो?


2

गर एक दिन आता है, जब तुम गवाही न दे पाओ

उन सारी चीज़ों की जो आज देखीं तुमने,

तो तुम सृजित प्राणी का कार्य खो चुके होगे;

तुम अपने जीने की वजह खो दोगे।

तुम इंसान होने के लायक नहीं होगे।

कह सकते हैं तुम अब इंसान नहीं रहे हो।


3

ईश्वर ने अपार काम किया है तुम पर,

चूँकि तुम सीख नहीं रहे अभी, कुछ जानते नहीं, काम बेकार में करते,

जब ईश-कार्य को फैलाने का वक्त आएगा,

तुम ताकोगे अवाक, बेकार होकर।

क्या तुम सदा के लिए पापी नहीं बन जाओगे?

जब ऐसा होगा, तो क्या तुम बुरी तरह नहीं पछताओगे?


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर के बारे में तुम्हारी समझ क्या है? से रूपांतरित

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