806 परमेश्वर के स्वभाव को न जानने के नतीजे

1

अगर तुम नहीं समझते ईश-स्वभाव,

तो तुम ईश्वर के लिए वो नहीं कर सकते

जो करना चाहिए।

अगर तुम नहीं जानते ईश्वर का सार,

तो तुममें उसके लिए श्रद्धा और भय नहीं होगा।

होगी तो बस ईशनिंदा और लापरवाही।


अगर तुम लोग नहीं समझते ईश-स्वभाव

तो ईश्वर का अपमान कर सकते हो,

उसका क्रोध भड़का सकते हो,

और ऐसे उसके आदेशों का उल्लंघन कर सकते हो।


2

हालाँकि ईश्वर का स्वभाव और सार जानना जरूरी है,

लेकिन किसी ने इनकी गहराई से जाँच नहीं की।

स्पष्ट है तुमने ठुकरा दिए हैं ईश्वर के प्रशासनिक आदेश।


अगर तुम लोग नहीं समझते ईश-स्वभाव

तो ईश्वर का अपमान कर सकते हो,

उसका क्रोध भड़का सकते हो,

और ऐसे उसके आदेशों का उल्लंघन कर सकते हो।


3

ईश्वर चाहे कि तुम लोग उसके स्वभाव को जानो;

ये उसके काम के विरुद्ध नहीं है।

अक्सर उसके आदेशों के विरुद्ध जाओगे तो

जरूर दंड पाओगे तुम सब।

क्या उसका काम पूरी तरह व्यर्थ न हो जाएगा?

इसलिए ईश्वर माँग करे कि

अपनी हरकतों को लेकर सचेत रहो।

ये ईश्वर की बड़ी माँग है। इस पर पूरा ध्यान दो।

अगर तुम्हारी हरकतें ईश्वर का महान क्रोध भड़काएँ,

इसके नतीजे तुम सबको ही भुगतने होंगे;

तुम्हारी जगह कोई और सजा न पाएगा।


अगर तुम लोग नहीं समझते ईश-स्वभाव

तो ईश्वर का अपमान कर सकते हो,

उसका क्रोध भड़का सकते हो,

और ऐसे उसके आदेशों का उल्लंघन कर सकते हो।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर के स्वभाव को समझना बहुत महत्वपूर्ण है से रूपांतरित

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