203 देहधारी परमेश्वर को नकारने वाले सभी नष्ट होंगे
1
एक अदृश्य, अमूर्त परमेश्वर से सब प्यार करते हैं।
अगर वह अदृश्य आत्मा हो,
तो इंसां के लिए विश्वास करना आसान है।
लोग खुद को खुश करने के लिए
ईश्वर की मनचाही कल्पना करें,
फिर बेहिचक वो करें जो उनका ईश्वर चाहे।
और तो और, सोचते हैं कि उनसे ज्यादा
ईश्वर के प्रति वफादार कोई नहीं।
इंसान अपने विश्वास में बेफिक्र है,
जैसे चाहे वैसे ईश्वर में विश्वास करता है।
ये इंसां का "हक और आजादी" है,
जिसे कोई बाधित नहीं कर सकता।
लोग अपने ही ईश्वर में विश्वास करते हैं,
किसी और के ईश्वर में नहीं।
ये उनकी अपनी संपत्ति है, और है सबके पास।
लोग इसे खजाना मानते हैं,
लेकिन ईश्वर के लिए ये बेकार है,
क्योंकि यह ईश्वर का सबसे ज्यादा विरोध करे।
2
देहधारी ईश्वर के काम की वजह से
वो बन जाता ऐसा देह जिसे इंसान छू सके;
वो निराकार आत्मा नहीं बल्कि
देह है जिसे इंसान देख-छू सके।
पर ज्यादातर लोग ऐसे देवताओं को मानें
जिनका देह या आकार नहीं,
वे किसी भी आकार के हो सकते हैं।
इस तरह देहधारी परमेश्वर
विश्वासियों का शत्रु बन जाता है।
देहधारण को स्वीकार न करने वाले
ईश्वर के शत्रु बन जाते हैं।
इंसान की धारणाएं उसकी सोच
या विद्रोह से नहीं आतीं।
ज्यादातर लोग अस्पष्ट, काल्पनिक ईश्वर में
विश्वास के कारण बर्बाद होते हैं।
इंसान के जीवन को देहधारी ईश्वर ने नहीं,
स्वर्गिक ईश्वर ने भी नहीं,
बल्कि इंसानी मन से उपजे ईश्वर ने छीना है।
ईश्वर देह बनकर आया है
भ्रष्ट इंसान की जरूरतों के लिए।
वो कष्ट सहता है और त्याग करता है
मानवजाति के लिए।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, भ्रष्ट मनुष्यजाति को देहधारी परमेश्वर द्वारा उद्धार की अधिक आवश्यकता है से रूपांतरित