324 परमेश्वर में विश्वास करने के पीछे मनुष्य के घृणित इरादे
1
समुद्र किनारे फैले रेत
के कणों से ज़्यादा हैं कर्म ईश्वर के,
उसकी बुद्धि सुलैमान के
सभी पुत्रों की बुद्धि से ज़्यादा है,
फिर भी लोग उसे समझें छोटा-मोटा चिकित्सक,
इंसान का अनजान शिक्षक।
बहुत लोग रखते आस्था, वो उन्हें कर सके चंगा,
या कि वो भगा दे अशुद्ध आत्माओं को शरीर से,
कई लोग उससे पाना चाहें शांति और आनंद,
और भी कई करें विश्वास कि
माँग पाएँ बड़ी दौलत उससे।
बहुत से रखते आस्था, ताकि शांति से बीते जीवन,
वे रहें महफ़ूज़ आने वाली दुनिया में।
इसलिए परमेश्वर कहे, इंसान करे उसमें विश्वास
क्योंकि वो बहुत अनुग्रह करे,
ईश्वर कहे इंसान का है उसमें विश्वास
क्योंकि पाने को बहुत-कुछ है।
2
बहुतों का विश्वास है बस
नरक की आग से बचने के लिए,
स्वर्ग के आशीष पाने के लिए।
कइयों का उसमें विश्वास है पल भर आराम के लिए,
आने वाली दुनिया में वे कुछ नहीं पाना चाहते।
इसलिए परमेश्वर कहे, इंसान करे उसमें विश्वास
क्योंकि वो बहुत अनुग्रह करे,
ईश्वर कहे इंसान का है उसमें विश्वास
क्योंकि पाने को बहुत-कुछ है।
3
जब परमेश्वर ने इंसान पर अपना क्रोध बरसाया,
उसका सारा सुख-चैन छीना, इंसान को हुआ संदेह।
जब ईश्वर ने इंसान को नर्क के दुख दिये,
छीन लिये आशीष स्वर्ग के,
इंसान की शर्म बदल गई गुस्से में।
इसलिए परमेश्वर कहे, इंसान करे उसमें विश्वास
क्योंकि वो बहुत अनुग्रह करे,
ईश्वर कहे इंसान का है उसमें विश्वास
क्योंकि पाने को बहुत-कुछ है।
4
जब इंसान ने ईश्वर से अपनी चंगाई माँगी,
ईश्वर ने की घृणा उससे, ध्यान न दिया,
तब इंसान उसे छोड़ जादू-टोने,
गलत दवा के भरोसे हो लिया।
जब ईश्वर ने वो सब ले लिया,
जो इंसान ने उससे माँगा था,
तो इंसान झट से गायब हुआ।
इसलिए परमेश्वर कहे, इंसान करे उसमें विश्वास
क्योंकि वो बहुत अनुग्रह करे,
ईश्वर कहे इंसान का है उसमें विश्वास
क्योंकि पाने को बहुत-कुछ है।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, तुम विश्वास के बारे में क्या जानते हो? से रूपांतरित