245 परमेश्वर आशा करता है कि लोग फरीसी न बनें

परमेश्वर के प्रकटन को तरसते भाइयो और बहनो,

परमेश्वर को है आशा कि नहीं दोहराओगे तुम त्रासदी इतिहास की।

न बनो तुम आज के फरीसी, क्रूस पर फिर से न चढ़ाओ ईश्वर को।


1

ईश्वर की वापसी का स्वागत कैसे करोगे, इस पर ध्यान से सोचो तुम,

सत्य का पालन करने वाले कैसे बनोगे, इस पर स्पष्ट रहो तुम।

ये है ज़िम्मेदारी सभी इंतज़ार करने वालों की,

बादलों पर यीशु के आने का इंतज़ार करने वालों की।


न बनो तुम आज के फरीसी,

ईश्वर को फिर से क्रूस पर न चढ़ाओ तुम।

न बनो तुम आज के फरीसी।


2

आत्मिक आँखों को हमें साफ़ करना होगा, ताकि स्पष्ट देख सकें वे,

निरंकुश, खोखली सोच के शब्दों में नहीं फँसना हमें।

ईश्वर के काम पर आओ मनन करें, उसके व्यावहारिक रूप पर सोचें।

खो न जाओ सपनों की दुनिया में, भावनाओं में न, खुद को बह जाने दो।


न बनो तुम आज के फरीसी,

ईश्वर को फिर से क्रूस पर न चढ़ाओ तुम।

न बनो तुम आज के फरीसी।


3

उस दिन के लिए ना तरसो जब बादलों पर सवार यीशु

अचानक आएगा तुम सबके बीच,

साथ ले जाएगा तुम्हें जो न उसे जानते, न देखा कभी

जिन्हें उसकी इच्छापूर्ति करना न आए।

यह तो सच में है कल्पना ही।

इससे तो ज्यादा अच्छा होगा, तुम ज्यादा व्यावहारिक बातें सोचो।


न बनो तुम आज के फरीसी, ईश्वर को फिर से क्रूस पर न चढ़ाओ तुम।

न बनो तुम आज के फरीसी, ईश्वर को फिर से क्रूस पर न चढ़ाओ तुम।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, प्रस्तावना से रूपांतरित

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