246 परमेश्वर चाहे ज़्यादा लोग उससे उद्धार पाएँ
1
परमेश्वर चाहे जब सामना हो परमेश्वर के वचन से और काम से,
तो ज़्यादा लोग पड़ताल करें उसकी पूरे ध्यान से,
और इन अहम वचनों को देखें पवित्र हृदय से।
न चलें उनके कदमोंनिशाँ पर जो सज़ा पा चुके हैं।
न बनें पौलुस जैसे जो जानता था मार्ग सच्चा,
मगर जानबूझकर जिसने अवहेलना की और जो गँवा बैठा पापबलि।
नया कार्य उसका स्वीकार कर लो, सत्य को उसके तुम ग्रहण कर लो।
तब पा सकते हो तुम परमेश्वर के उद्धार को!
2
नहीं चाहता परमेश्वर और लोग सज़ा पाएँ,
बल्कि वो चाहता है ज़्यादा लोगों को बचाना,
ज़्यादा लोग अनुसरण करें, उसके पदचिन्हों पर चलें,
ज़्यादा लोग प्रवेश करें परमेश्वर के राज्य में।
नया कार्य उसका स्वीकार कर लो,
सत्य को उसके तुम ग्रहण कर लो।
तब पा सकते हो तुम परमेश्वर के उद्धार को!
3
तुम्हारी उम्र हो कितनी भी, कितने भी बड़े हो,
या दुख कितने भी सहे हों, होता है धार्मिक बर्ताव परमेश्वर का सबके साथ।
धार्मिक रहता है, उसका स्वभाव नहीं बदलता इन बातों से कभी।
वो करता नहीं पक्षपात किसी के संग,
मगर रखता है नज़र कि इंसान छोड़कर सबकुछ,
स्वीकार करता है या नहीं उसके सत्य को, नए काम को।
नया कार्य उसका स्वीकार कर लो, सत्य को उसके तुम ग्रहण कर लो।
तब पा सकते हो तुम परमेश्वर के उद्धार को!
नया कार्य उसका स्वीकार कर लो, सत्य को उसके तुम ग्रहण कर लो।
तब पा सकते हो तुम परमेश्वर के उद्धार को!
—सर्वशक्तिमान परमेश्वर के विरोध हेतु दण्ड के विशिष्ट उदाहरण, अंतभाषण से रूपांतरित