441 परमेश्वर के साथ सामान्य रिश्ता कैसे स्थापित करें
1
परमेश्वर से सामान्य रिश्ते की
शुरुआत होती है परमेश्वर के सामने अपना दिल करके शांत।
अगर तुम्हें समझ न आए परमेश्वर की इच्छा,
तो भी पूरे करो उसके प्रति अपने कर्तव्य।
परमेश्वर की इच्छा प्रकट होने और अभ्यास में लाने के लिए
इंतज़ार करने में बहुत देर नहीं हुई।
जब परमेश्वर से तुम्हारा रिश्ता होगा सही,
तो अपने आस-पास के लोगों के साथ भी रिश्ता होगा सही।
परमेश्वर से सामान्य रिश्ता होता है संदेह से मुक्त,
परमेश्वर के कार्य का करता है पालन।
सही इरादों के साथ आओ सिंहासन के सामने, ख़ुद को रख दो अलग।
परमेश्वर की खोज करो स्वीकार, परमेश्वर के सामने हो समर्पित,
उसके परिवार के हितों को रखो आगे।
अगर तुम करते हो ऐसे अभ्यास,
तो परमेश्वर से तुम्हारा रिश्ता होगा सामान्य। ओह, सामान्य। ओह, सामान्य।
2
परमेश्वर के वचन खाओ-पीओ, यही है वह चट्टान जिस पर सब कुछ है बना।
परमेश्वर की इच्छा के अनुसार करो काम, विरोध न करो, रुकावट न डालो।
ऐसी बातें न करो या बोलो,
जो पहुंचाते नहीं हैं लाभ तुम्हारे भाइयों और बहनों को।
शर्मसारी के काम न कर, न्यायी और ईमानदार बन,
सब कुछ परमेश्वर के योग्य बना।
परमेश्वर से सामान्य रिश्ता होता है संदेह से मुक्त,
परमेश्वर के कार्य का करता है पालन।
सही इरादों के साथ आओ सिंहासन के सामने, ख़ुद को रख दो अलग।
परमेश्वर की खोज करो स्वीकार, परमेश्वर के सामने हो समर्पित,
उसके परिवार के हितों को रखो आगे।
अगर तुम करते हो ऐसे अभ्यास,
तो परमेश्वर से तुम्हारा रिश्ता होगा सामान्य। ओह, सामान्य। ओह, सामान्य।
3
हालांकि देह है कमज़ोर, किसी भी नुकसान को अनदेखा करते हुए
तुम सेवा कर सकते हो परमेश्वर की ऐसे जैसे है वह सबसे महत्वपूर्ण।
अपने लिए लालसा न करो, धार्मिकता में कार्य करो।
अपने लिए लालसा न करो, धार्मिकता में कार्य करो।
(सामान्य। सामान्य। सामान्य। सामान्य।)
परमेश्वर से सामान्य रिश्ता होता है संदेह से मुक्त,
परमेश्वर के कार्य का करता है पालन।
सही इरादों के साथ आओ सिंहासन के सामने, ख़ुद को रख दो अलग।
परमेश्वर की खोज करो स्वीकार, परमेश्वर के सामने हो समर्पित,
उसके परिवार के हितों को रखो आगे।
अगर तुम करते हो ऐसे अभ्यास,
तो परमेश्वर से तुम्हारा रिश्ता होगा सामान्य। ओह, सामान्य। ओह, सामान्य।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर के साथ तुम्हारा संबंध कैसा है? से रूपांतरित