प्रश्न 2: अभी कई देशों के धार्मिक क्षेत्रों में झूठे मसीहों द्वारा लोगों को धोखा दिए जाने के कुछ मामले सामने आए हैं। कोरिया में ऐसे बहुत से लोग हैं जिनमें विवेक नहीं है, जिससे वे झूठे मसीहों का अनुसरण करके धोखा खा जाते हैं। इससे प्रभु यीशु की ये भविष्यवाणी पूरी होती है: "उस समय यदि कोई तुम से कहे, 'देखो, मसीह यहाँ है!' या 'वहाँ है!' तो विश्‍वास न करना। क्योंकि झूठे मसीह और झूठे भविष्यद्वक्‍ता उठ खड़े होंगे, और बड़े चिह्न, और अद्भुत काम दिखाएँगे कि यदि हो सके तो चुने हुओं को भी भरमा दें" (मत्ती 24:23-24)। मैं व्यक्तिगत तौर पर ऐसा मानता हूँ कि जहाँ कहीं भी ऐसा उपदेश दिया जाता है कि प्रभु देहधारण करके वापस आ गए हैं, वो बात निश्चित रूप से झूठी है। अगर ऐसा कहकर कोई हमें धोखा देता है तो हमें उस पर विश्वास नहीं करना चाहिए!

उत्तर: जब से सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने अंत के दिनों में अपना न्याय का कार्य करने के लिए सत्य व्यक्त करना शुरू किया है, मानवता पहले ही राज्य के युग में प्रवेश कर गई है और राज्य का युग शुरू हो गया है। अगर परमेश्वर पर हमारा विश्वास अनुग्रह के युग में ही अटककर रह जाता है, तो फिर हम पीछे छोड़ दिए गए हैं और परमेश्वर के कार्य के द्वारा दरकिनार कर दिए गए हैं। परमेश्वर के घर से न्याय का कार्य शुरू करने के लिये जब प्रभु गुप्त रूप से आएंगे, तो उसी समय परमेश्वर के कार्य का पीछा करने और उसके कार्य में बाधा डालने के लिए अपरिहार्य रूप से बहुत से झूठे मसीह और कपटी लोग भी प्रकट होंगे। इसलिए, जब झूठे मसीह प्रकट होते हैं, तो परमेश्वर पहले ही गुप्त रूप से आ चुके होते हैं। फ़र्क सिर्फ़ इतना है हमें इस बात की ख़बर नहीं होती। इस समय, हमें पूरी तत्परता से परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य की खोज और पड़ताल करनी चाहिए, लेकिन अब भी बहुत से लोग, जब प्रभु के दूसरे आगमन की बात आती है तो, बजाय इस बात पर ध्यान देने के कि किस तरह बुद्धिमान कुँवारियाँ बनकर परमेश्वर की आवाज़ को सुनें, और कैसे प्रभु के दूसरे आगमन की अगवानी करें, अभी भी झूठे मसीहों से सतर्क रहना अधिक महत्वपूर्ण मानते हैं। इसके बजाय वे लोग अपनी ही अवधारणाओं और कल्पनाओं से चिपके रहते हैं, उन्हें लगता है देहधारण के ज़रिये प्रभु यीशु के वापस आने की सारी गवाहियाँ झूठी हैं। क्या वे बिल्कुल वही मूर्ख कुँवारियाँ नहीं हैं जिनके बारे में प्रभु यीशु ने कहा था? क्या ये लौटकर आए प्रभु यीशु की निंदा नहीं है? क्या ये लोग प्रभु यीशु की वापसी में विश्वास करते भी हैं? क्या ये प्रभु यीशु के दूसरे आगमन को नकारना नहीं है?

कोई सच्चे मसीह और झूठे मसीह में किस तरह अंतर करता है, उसी से सही मायने में पता चलता है कि उसमें सत्य है या नहीं, और यही बेहतरीन तरीका है ये पता करने का कि वह बुद्धिमान कुँवारी है या मूर्ख कुँवारी। कुछ लोग धर्मशास्त्र के इस अंश का इस्तेमाल देहधारी मसीह को परखने और उनकी निंदा करने और मसीह के आगमन को नकारने के लिए करते हैं। "ये लोग ख़ुद को बेवकूफ साबित कर रहे हैं।" सच्चे मसीह और झूठे मसीहों में भेद करने के लिए ज़रूरी है कि पहले, मसीह के सार का ज्ञान हासिल किया जाए। हर कोई जानता है कि प्रभु यीशु देह में मसीह हैं और मसीह देहधारी परमेश्वर हैं, यानी इंसानों के बीच कार्य करने के लिये स्वर्ग के परमेश्वर मनुष्य के पुत्र बने हैं। मसीह परमेश्वर के आत्मा का देहधारण हैं और उनमें दिव्य तत्व है। परमेश्वर की सर्वशक्तिमत्ता और बुद्धि, परमेश्वर का स्वभाव, और परमेश्वर के पास जो है और जो वे हैं और जो परमेश्वर के आत्मा के पास है, वो सब मसीह में साकार हो गया है। मसीह सत्य, मार्ग और जीवन हैं। इस तरह हम यकीन से कह सकते हैं कि मसीह कोई अस्पष्ट परमेश्वर नहीं हैं, वे काल्पनिक या अलौकिक नहीं हैं। मसीह वास्तविक और व्यवहारिक हैं; इंसान उस पर निर्भर हो सकता है, उस पर भरोसा कर सकता है। मसीह व्यवहारिक परमेश्वर हैं जिनका अनुसरण किया जा सकता है, उन्हें जाना जा सकता है। ये उसी तरह है जैसे प्रभु यीशु इंसानों के बीच सजीव रूप में रह रहे हैं, कार्य कर रहे हैं, लोगों की अगुवाई कर रहे हैं, उनकी रखवाली कर रहे हैं। अब जबकि हम मसीह का सार जानते हैं, तो सच्चे मसीह और झूठे मसीहों में भेद करना बहुत आसान हो जाता है। आइए सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन के एक अंश पर नज़र डालें। "ऐसी चीज़ की जाँच-पड़ताल करना कठिन नहीं है, परंतु इसके लिए हममें से प्रत्येक को इस सत्य को जानने की ज़रूरत है: जो देहधारी परमेश्वर है, उसके पास परमेश्वर का सार होगा और जो देहधारी परमेश्वर है, उसके पास परमेश्वर की अभिव्यक्ति होगी। चूँकि परमेश्वर ने देह धारण किया है, इसलिए वह उस कार्य को सामने लाएगा, जो वह करना चाहता है, और चूँकि परमेश्वर ने देह धारण किया है, इसलिए वह उसे अभिव्यक्त करेगा जो वह है और वह मनुष्य के लिए सत्य को लाने, उसे जीवन प्रदान करने और उसे मार्ग दिखाने में सक्षम होगा। जिस देह में परमेश्वर का सार नहीं है, वह निश्चित रूप से देहधारी परमेश्वर नहीं है; इसमें कोई संदेह नहीं। अगर मनुष्य यह पता करना चाहता है कि क्या यह देहधारी परमेश्वर है, तो इसकी पुष्टि उसे उसके द्वारा अभिव्यक्त स्वभाव और उसके द्वारा बोले गए वचनों से करनी चाहिए। इसे ऐसे कहें, व्यक्ति को इस बात का निश्चय कि यह देहधारी परमेश्वर है या नहीं और कि यह सही मार्ग है या नहीं, उसके सार से करना चाहिए। और इसलिए, यह निर्धारित करने की कुंजी कि यह देहधारी परमेश्वर की देह है या नहीं, उसके बाहरी स्वरूप के बजाय उसके सार (उसका कार्य, उसके कथन, उसका स्वभाव और कई अन्य पहलू) में निहित है। यदि मनुष्य केवल उसके बाहरी स्वरूप की ही जाँच करता है, और परिणामस्वरूप उसके सार की अनदेखी करता है, तो इससे उसके अनाड़ी और अज्ञानी होने का पता चलता है" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, प्रस्तावना)

जब प्रभु यीशु अनुग्रह के युग में आये, तो उन्होंने कहा: "मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूँ" (यूहन्ना 14:6)। प्रभु यीशु ने बहुत से सत्य व्यक्त किए, दया और करुणा जैसा मुख्य स्वभाव व्यक्त किया, और पूरी मानवजाति के छुटकारे का कार्य पूरा किया। प्रभु यीशु का कार्य, कथन और उनका व्यक्त स्वभाव पूरी तरह से प्रमाणित करते हैं कि मसीह सच्चाई, मार्ग और जीवन हैं। अंत के दिनों में, सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने आकर कहा: "मैं सत्य, मार्ग और जीवन हूं।" सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने कई लाख वचन व्यक्त किए और पुस्तक को खोला, अपना मुख्यत: धार्मिक स्वभाव व्यक्त किया और अंत के दिनों का अपना न्याय का कार्य किया। सर्वशक्तिमान परमेश्वर का दूषित इंसान का न्याय करने, उसे ताड़ना देने और बचाने का कार्य एक बार फिर प्रमाणित करता है कि मसीह सत्य, मार्ग और जीवन हैं। प्रभु यीशु ने बहुत पहले भविष्यवाणी कर दी थी कि वे अंत के दिनों में न्याय का कार्य करने के लिए वापस आएंगे, और वे मनुष्य के पुत्र के रूप में देहधारण कर इस कार्य को करेंगे, मनुष्य के पुत्र के रूप में देह में करेगा। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य ने प्रभु यीशु के दूसरे आगमन की भविष्यवाणी पूरी कर दी है। इसने हमें यह जानने दिया कि सच्चे मसीह देहधारण कर सत्य और परमेश्वर के स्वभाव को व्यक्त करने के लिए आ सकते हैं, और परमेश्वर का अंत के दिनों का न्याय का कार्य कर सकते हैं और मनुष्य को जीत सकते हैं, बचा सकते हैं और उसे शुद्ध कर सकते हैं, साथ ही परमेश्वर की इच्छा पूरी कर सकते हैं और उनकी गवाही दे सकते हैं। मसीह सत्य, मार्ग और जीवन हैं। उनके द्वारा व्यक्त सभी सत्य यकीनी तौर पर और पूरी तरह से भ्रष्ट मानवजाति को जीत लेंगे, और परमेश्वर में सच्चा विश्वास रखने वाले सभी लोगों को परमेश्वर के सिंहासन के सामने ला सकते हैं। मसीह निश्चित रूप से परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को पूरा करेंगे। इसमें कोई शक नहीं है।

झूठे मसीह ऐसी दुष्ट आत्माएँ हैं जो नकली मसीह हैं। वे लोग धोखेबाज हैं। अधिकांश झूठे मसीहों पर दुष्ट आत्माओं का कब्ज़ा है। अगर उन पर दुष्ट आत्माओं का कब्ज़ा नहीं भी है, तो भी वे बेहद घमंडी और उल्टी बुद्धि के शैतान हैं। इसी वजह से वे लोग नकली मसीह बनते हैं। नकली मसीह पवित्र आत्मा के प्रति ईश-निन्दा का पाप कर रहे हैं और ऐसे लोग पक्के तौर पर शाप के भागी बनेंगे। क्योंकि झूठे मसीहों का सार दुष्ट आत्मा है, झूठे मसीहों में किसी भी तरह की कोई सच्चाई नहीं है और वे शैतान का ही रूप हैं। इसलिए, झूठे मसीह जो कुछ भी कहते हैं वो झूठ और धोखा है, उनकी बात लोगों को आश्वस्त नहीं कर सकती। जो कुछ झूठे मसीहों ने कहा और किया है, वो जांच की कसौटी पर ठहर नहीं सकता, और न ही लोगों की छान-बीन के लिये वे लोग उसे ऑनलाइन डालने की हिम्मत करेंगे। क्योंकि झूठे मसीह और दुष्ट आत्माओं का संबंध अंधेरे और बुराई से है जो दिन की रोशनी का सामना नहीं कर सकती। वे लोग सिर्फ कुछ सरल से संकेत और चमत्कार दिखाकर हर जगह अंधेरे कोनों में मूर्ख और अज्ञानी लोगों को धोखा दे सकते हैं। इसलिए, हमें यकीन है कि जो कोई भी मसीह होने का दावा करता है और लोगों को धोखा देने के लिये सिर्फ कुछ संकेत और चमत्कार दिखाता है, वो झूठा मसीह है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर, अंत के दिनों के मसीह ने जो कुछ कहा है वो सारा सत्य, ऑनलाइन डाल दिया गया है, ताकि हर इंसान उसे देख सके। जो लोग सच्चे मन से परमेश्वर में विश्वास करते हैं और सत्य को प्रेम करते हैं, वे सच्चे मार्ग की खोज और जाँच कर रहे हैं, वे सभी लोग एक-एक करके परमेश्वर के वचन के न्याय, शुद्धिकरण और पूर्ण होने को स्वीकार करने के लिये सर्वशक्तिमान परमेश्वर के सिंहासन के सामने आ रहे हैं। ये एक ऐसा सच है जिसे मान लिया गया है। झूठे मसीह जो कुछ कहते और करते हैं, वह देहधारी मसीह के कहे से बिल्कुल अलग है। सत्य की समझ वाले लोगों के लिए इसे समझना बहुत आसान है। इसलिए, मसीह के सत्य, मार्ग और जीवन होने के सिद्धांत के आधार पर सच्चे मसीह और झूठे मसीहों में भेद करना सबसे सटीक तरीका है। प्रभु यीशु ने एक बार कहा था कि परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। बुद्धिमान कुंवारियाँ परमेश्वर की आवाज़ सुन सकती हैं, और बुद्धिमान कुंवारियाँ दुल्हन की आवाज़ में सत्य की खोज कर पाएँगी, परमेश्वर के वचन में परमेश्वर के स्वभाव की, परमेश्वर के पास क्या है और परमेश्वर क्या हैं, उसकी खोज कर पाएंगी, और परमेश्वर के इरादे देख पाएंगी, और इस प्रकार वे परमेश्वर के कार्य को स्वीकार कर परमेश्वर के सिंहासन के सामने लौट पाएंगी। बेवकूफ कुँवारियाँ दुल्हन की आवाज़ क्यों नहीं सुन सकतीं? मूर्ख कुंवारियाँ मूर्ख हैं क्योंकि वे सत्य को नहीं समझ सकतीं। वे परमेश्वर की आवाज़ में अंतर नहीं कर सकतीं और सिर्फ नियमों का पालन करना जानती हैं। इसलिए वे परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य से उजागर हो जाएंगी और हटा दी जाएंगी।

इसके अलावा, सच्चे मसीह और झूठे मसीहों में भेद करने का एक और पहलू है, यानी, "परमेश्वर अपना कार्य कभी दोहराते नहीं।" क्योंकि परमेश्वर हमेशा नए रहते हैं, कभी पुराने नहीं होते। आइए सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों पर एक नज़र डालें। "यदि अंत के दिनों में यीशु के जैसा ही कोई 'परमेश्वर' प्रकट हो जाता, जो बीमार को चंगा करता और दुष्टात्माओं को निकालता, और मनुष्य के लिए सलीब पर चढ़ाया जाता, तो वह 'परमेश्वर', बाइबल में वर्णित परमेश्वर के समरूप तो अवश्य होता और उसे मनुष्य के लिए स्वीकार करना भी आसान होता, लेकिन तब वह अपने सार रूप में, परमेश्वर के आत्मा द्वारा नहीं, बल्कि एक दुष्टात्मा द्वारा धारण किया गया देह होता। क्योंकि जो परमेश्वर ने पहले ही पूरा कर लिया है, उसे कभी नहीं दोहराना, यह परमेश्वर के कार्य का सिद्धांत है" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर द्वारा धारण किये गए देह का सार)। "यदि अंत के दिनों के दौरान, परमेश्वर अब भी चिह्नों और चमत्कारों को प्रदर्शित करे, और अब भी दुष्टात्माओं को निकाले और बीमारों को चंगा करे—यदि वह बिल्कुल यीशु की तरह करे—तो परमेश्वर वही कार्य दोहरा रहा होगा, और यीशु के कार्य का कोई महत्व या मूल्य नहीं रह जाएगा। इसलिए परमेश्वर प्रत्येक युग में कार्य का एक चरण पूरा करता है। ज्यों ही उसके कार्य का प्रत्येक चरण पूरा होता है, बुरी आत्माएँ शीघ्र ही उसकी नकल करने लगती हैं, और जब शैतान परमेश्वर के बिल्कुल पीछे-पीछे चलने लगता है, तब परमेश्वर तरीक़ा बदलकर भिन्न तरीक़ा अपना लेता है। ज्यों ही परमेश्वर ने अपने कार्य का एक चरण पूरा किया, बुरी आत्माएँ उसकी नकल कर लेती हैं। तुम लोगों को इस बारे में स्पष्ट होना चाहिए" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, आज परमेश्वर के कार्य को जानना)। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन बहुत स्पष्ट हैं: परमेश्वर उसी कार्य को दोहराते नहीं। जैसे कि जब प्रभु यीशु कार्य करने आए, तो उन्होंने व्यवस्था के युग में कार्य को दोहराया नहीं, बल्कि उन्होंने व्यवस्था के युग में किये गए अपने कार्य की बुनियाद पर मानवजाति के छुटकारे का अगले चरण का अपना कार्य किया, व्यवस्था के युग का समापन और अनुग्रह के युग का आरंभ किया। अंत के दिनों के सर्वशक्तिमान परमेश्वर का आगमन अनुग्रह के युग का समापन और राज्य के युग का आरंभ करता है। छुटकारे के प्रभु यीशु के कार्य की नींव पर, उन्होंने लोगों के न्याय और शुद्धिकरण के अपने कार्य का अगला चरण सम्पादित किया, और लोगों को उद्धार के लिए आवश्यक सभी सत्य प्रदान किये, उनके भ्रष्ट स्वभाव और पापी प्रकृति का समाधान किया, उन्हें शैतान के प्रभाव से पूरी तरह बचाया, लोगों को पवित्र बनाया ताकि वे पूरी तरह परमेश्वर को प्राप्त हों। तब परमेश्वर का मानवजाति को बचाने का प्रबंधन कार्य पूरी तरह से सम्पन्न होगा। इससे पता चलता है कि परमेश्वर का कार्य हमेशा हर चरण के साथ आगे बढ़ रहा है, ऊपर उठ रहा है और गहन होता जा रहा है। उनके कार्य का एक भी चरण दोहराया नहीं जाता है, जबकि झूठे मसीह लोगों को धोखा देने के लिए प्रभु यीशु द्वारा दिखाए गए सरल संकेतों और चमत्कारों की केवल नकल कर सकते हैं, प्रमुख संकेत और प्रभु यीशु द्वारा मृतकों को पुनर्जीवित किया जाना और पांच रोटी और दो मछलियों से पाँच हज़ार लोगों को खिलाने (खिलाना) जैसे चमत्कार झूठे मसीहों और बुरी आत्माओं द्वारा कभी नहीं किये जा सकते। इसके अलावा, जिन सच्चाइयों को परमेश्वर ने व्यक्त किया है, उनका अनुकरण झूठे मसीह कभी नहीं कर सकते, क्योंकि झूठे मसीहों का सार बुरी आत्माएं और शैतान हैं। झूठे मसीहों के पास सत्य नहीं है, वे सिर्फ झूठ बोल सकते हैं, लोगों को धोखा दे सकते हैं और भ्रमित कर सकते हैं।

"वे कौन हैं जो वापस आए हैं" फ़िल्म की स्क्रिप्ट से लिया गया अंश

पिछला: प्रश्न 1: मेरा मानना है कि यदि हम प्रभु यीशु के नाम और प्रभु के मार्ग के प्रति निष्ठावान रहेंगे और झूठे मसीहों और पैगम्बरों के छलावों को स्वीकार नहीं करेंगे, यदि हम प्रतीक्षा करते हुए सावधान रहेंगे, तो अपने आगमन पर प्रभु अवश्य हमें प्रकटीकरण देंगे। स्वर्गारोहण के लिए हमें प्रभु की आवाज सुनने की जरूरत नहीं है। प्रभु यीशु ने कहा है, "उस समय यदि कोई तुम से कहे, 'देखो, मसीह यहाँ है!' या 'वहाँ है!' तो विश्‍वास न करना। क्योंकि झूठे मसीह और झूठे भविष्यद्वक्‍ता उठ खड़े होंगे, और बड़े चिह्न, और अद्भुत काम दिखाएँगे कि यदि हो सके तो चुने हुओं को भी भरमा दें" (मत्ती 24:23-24)। क्या आप लोग झूठे मसीहों और झूठे पैगम्बरों के छलावों को नहीं मानते? और इसलिए, हम मानते हैं कि वे सब लोग जो प्रभु के आगमन की गवाही देते हैं निश्चित रूप से झूठे हैं। हमें खोजने या परखने की कोई जरूरत नहीं है। क्योंकि जब प्रभु आएँगे तो वे स्वयं को हम पर प्रकट करेंगे, और निश्चित रूप से वे हमें छोड़ नहीं देंगे। मेरा विश्वास है कि यह सही परिपालन है। आप सब क्या सोचते हैं?

अगला: प्रश्न 3: आपने यह प्रमाणित किया है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर लौटकर आए प्रभु यीशु हैं और उन्होंने बहुत से वचन व्यक्त किये हैं। परन्तु दक्षिण कोरिया में कुछ लोग ऐसे हैं जो लौटकर आए प्रभु यीशु की नकल करते हैं। उन्होंने कुछ वचन भी कहे हैं और कुछ किताबें भी लिखी हैं। कुछ को अनुयायी भी मिल गए हैं। मैं सुनना चाहता हूँ कि आपका इस बारे में क्या विचार है कि इन झूठे मसीहों के वचनों में भेद कैसे किया जाए।

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

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प्रश्न 1: सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "केवल अंत के दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दे सकता है," तो मुझे वह याद आया जो प्रभु यीशु ने एक बार कहा था, "परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूँगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा; वरन् जो जल मैं उसे दूँगा, वह उसमें एक सोता बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा" (यूहन्ना 4:14)। हम पहले से ही जानते हैं कि प्रभु यीशु जीवन के सजीव जल का स्रोत हैं, और अनन्‍त जीवन का मार्ग हैं। क्या ऐसा हो सकता है कि सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर और प्रभु यीशु समान स्रोत हों? क्या उनके कार्य और वचन दोनों पवित्र आत्मा के कार्य और वचन हैं? क्या उनका कार्य एक ही परमेश्‍वर करते हैं?

उत्तर: दोनों बार जब परमेश्‍वर ने देह धारण की तो अपने कार्य में, उन्होंने यह गवाही दी कि वे सत्‍य, मार्ग, जीवन और अनन्‍त जीवन के मार्ग हैं।...

प्रश्न: प्रभु यीशु कहते हैं: "मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं" (यूहन्ना 10:27)। तब समझ आया कि प्रभु अपनी भेड़ों को बुलाने के लिए वचन बोलने को लौटते हैं। प्रभु के आगमन की प्रतीक्षा से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण बात है, प्रभु की वाणी सुनने की कोशिश करना। लेकिन अब, सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि हमें नहीं पता कि प्रभु की वाणी कैसे सुनें। हम परमेश्वर की वाणी और मनुष्य की आवाज़ के बीच भी अंतर नहीं कर पाते हैं। कृपया हमें बताइये कि हम प्रभु की वाणी की पक्की पहचान कैसे करें।

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