393 अपने विश्वास में उस मार्ग का अनुसरण करो जिस पर पवित्र आत्मा अगुआई करता है

1

तुम विश्वासी के पथ पर अभी थोड़ा ही चले हो,

अभी सही राह पर नहीं हो, ईश-मानकों से बहुत दूर हो।

तुम्हारा आत्मिक कद ईश-अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं।

योग्यता कम और प्रकृति भ्रष्ट है तुम्हारी।

ईश-कार्य के प्रति लापरवाह हो तुम। यही खामी और बड़ी नाकामी है तुम्हारी।


पवित्रात्मा जो राह दिखाए उसमें,

ईश-वचनों की साफ़ समझ है, कोई गलत धारणाएँ नहीं।

इसे हासिल करने के लिए ईश्वर से तालमेल रखो,

अभ्यास का सही मार्ग खोजो, आत्मा के दिखाए पथ पर चलो।

तभी ईश-अपेक्षाओं को पूरा कर पाओगे,

ईश-आस्था में सही राह पर चल पाओगे।


2

कोई न जाने पवित्रात्मा जिस पथ पर चले।

तुम में से ज़्यादातर इसे साफ़ न देख पाएँ।

ज़्यादातर ध्यान नहीं देते, न इसे गंभीरता से लेते।

अगर पवित्रात्मा के कार्य से अनजान रहोगे,

तो आस्था का मार्ग बेकार जाएगा।

क्योंकि ईश-इच्छा पूरी करने, सहयोग देने के लिए

जो कर सकते हो वो करते नहीं तुम।


पवित्रात्मा जो राह दिखाए उसमें,

ईश-वचनों की साफ़ समझ है, कोई गलत धारणाएँ नहीं।

इसे हासिल करने के लिए ईश्वर से तालमेल रखो,

अभ्यास का सही मार्ग खोजो, आत्मा के दिखाए पथ पर चलो।


3

ईश्वर ने काम किया तुम पर, प्रेरित किया आत्मा ने तुम्हें,

फिर भी गंभीरता से नहीं लेते उसके कार्य को तुम।

तुम्हें मुड़कर उस मार्ग पर चलना चाहिए

जिस पर पवित्रात्मा इंसान को राह दिखाए।

पवित्रात्मा जो राह दिखाए उसके मायने हैं आत्मा में प्रबोधन पाना,

ईश-वचनों का ज्ञान होना, आगे की राह साफ़ देखना,

और अधिक ईश-ज्ञान के साथ सत्य में प्रवेश करना।


पवित्रात्मा जो राह दिखाए उसमें,

ईश-वचनों की साफ़ समझ है, कोई गलत धारणाएँ नहीं।

इसे हासिल करने के लिए ईश्वर से तालमेल रखो,

अभ्यास का सही मार्ग खोजो, आत्मा के दिखाए पथ पर चलो।

तभी ईश-अपेक्षाओं को पूरा कर पाओगे,

ईश-आस्था में सही राह पर चल पाओगे।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, एक सामान्य आध्यात्मिक जीवन लोगों को सही मार्ग पर ले जाता है से रूपांतरित

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