227 परमेश्वर में आस्था के माध्यम से सत्य को प्राप्त करना अनमोल है
1 मैंने कुछ सालों तक प्रभु पर विश्वास रखा, उत्साह से काम किया, भाग-दौड़ और कड़ी मेहनत की। मैंने सोचा मैं स्वर्ग के राज्य में आरोहित किया जाऊँगा, पुरस्कार और आशीष पाऊँगा। परमेश्वर के वचनों के न्याय से मैंने देखा कि मैं कितना अधिक भ्रष्ट हूँ। मैंने जो दुख झेले, संघर्ष किया, उन सबका मकसद केवल आशीष पाना रहा है, वे सबपरमेश्वर से सौदेबाज़ी के लिए थे। मैं हर दिन पाप करता हूँ और फिर पाप-स्वीकार कर लेता हूँ, मैं अब भी अक्सर झूठ बोलता हूँ और परमेश्वर को धोखा देने की कोशिश करता हूँ। शैतानी स्वभाव से भरा, मैं परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने के योग्य कैसे हो सकता हूँ? परमेश्वर के न्याय से गुज़रने के दौरान, अंतत: मुझे झकझोर कर उठा दिया गया है। मैं समझता हूँ कि विश्वास में सबसे महत्वपूर्ण है सत्य और जीवन को प्राप्त करना। अब से, मैं अपने भविष्य और मंज़िल के लिए कभी प्रयास नहीं करूंगा। मैंने निश्चय कर लिया है कि मैं सत्य का अनुसरण करूँगा और परमेश्वर के वचनों के आधार पर जिऊँगा।
2 हालाँकि मैं अनेक कठिनाइयों, उतार-चढ़ावों से गुज़र चुका हूँ, लेकिन परमेश्वर के वचनों ने परीक्षणों के दौरान मेरा मार्गदर्शन किया है। हालाँकि मैंने शारीरिक कष्ट सहे हैं, लेकिन मेरा शैतानी स्वभाव बदल गया है। मैं अब अहंकारी या विद्रोही नहीं रहा, मैं अब परमेश्वर का आज्ञाकारी बन गया हूँ। परमेश्वर के कार्य से गुज़रते हुए, मैंने बहुत से सत्यों को समझा है। मैंने अच्छी तरह से समझ लिया कि दुनिया की अंधकार की जड़ में शैतान का प्रभुत्व है। बड़ा लाल अजगर परमेश्वर के चुने हुए लोगों को सताता है, यह परमेश्वर का दुश्मन है। मुझे शैतान से बेहद नफ़रत है, मैं बड़े लाल अजगर को पूरी तरह से त्याग दूँगा। मैं सब-कुछ छोड़ कर खुश हूँ, मैंने दृढ़ता से मसीह का अनुसरण करने का संकल्प लिया है। अपना कर्तव्य पूरा करना और सत्य हासिल करना, जीवन को व्यर्थ गँवाना नहीं है।