262 मैं इतना कुछ पाता हूँ परमेश्वर की ताड़ना और न्याय से

1

जब परमेश्वर करुणा से पेश आते हो,

तो मुझे दिलासा और ख़ुशी मिलती है।

मेरा आनंद और दिलासा दुगने हो जाते हैं,

जब तुम ताड़ना देते हो मुझे।

हालाँकि मैं दुर्बल हूँ, अनकहे दर्द सहता हूँ,

हालाँकि मैं दुखी हूँ, आँसुओं में डूबा हूँ,

तुम तो जानते हो मेरी व्यथा

मेरी कमज़ोरी, नाफ़रमानी से आती है परमेश्वर।

ना कर पाता हूँ पूरी इच्छा ना अनुरोध मैं तुम्हारा,

मुझे दुख और अफ़सोस होता है।

मगर मैं तुम्हारी ख़ुशी और इस मकाम तक

पहुँचने के लिये, सब-कुछ करूँगा परमेश्वर।

तुम्हारी ताड़ना की सुरक्षा में हूँ मैं।

सर्वोत्तम उद्धार है ये जो पाया मैंने।

तुम्हारा न्याय पार कर जाता है तुम्हारी सहनशक्ति को।

तुम्हारी दया का आनंद उठाने में मदद मिलती है मुझे इससे।


2

आज देखता हूँ मैं प्रेम तुम्हारा

स्वर्ग से भी बढ़कर है, सबसे बेहतर है।

महज़ दया नहीं है प्रेम तुम्हारा,

ताड़ना और न्याय है प्रेम तुम्हारा।

बहुत कुछ मिला है इनसे मुझे।

हो नहीं सकता इनके बिना निर्मल कोई,

कर नहीं सकता सृष्टिकर्ता के प्रेम की अनुभूति कोई।

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