261 मैं अपना पूरा जीवन परमेश्वर को समर्पित करना चाहता हूँ
1
हे परमेश्वर, वक्त बिताया हमने संग-संग,
वक्त बिताया हमने जुदा-जुदा।
फिर भी प्रेम करते तुम मुझसे सबसे ज़्यादा।
हे परमेश्वर, विद्रोह किया तुमसे मैंने बार-बार,
दुखी किया है मैंने तुमको बार-बार।
कैसे भूल सकता हूँ मैं? कैसे भूल सकता हूँ?
हे परमेश्वर, है ख़बर मुझे
जो काम किया मुझ पर तुमने, जो काम मुझे सौंपा तुमने।
अपने पर किये कार्य संग, भरसक प्रयास किया मैंने।
है पता तुम्हें जो कर सकता मैं, जो भूमिका निभा सकता मैं।
पूरा जीवन अपना तुमको मैं चाहता अर्पित करना।
न कुछ चाहूँ, न अन्य कोई उम्मीद है न योजना।
मैं बस चाहूँ तुम्हारी योजना के मुताबिक काम करना।
पी लूँगा तुम्हारे कटु-प्याले से, चाहूँ तुम्हारी इच्छा पूरी करना,
चाहूँ तुम्हारी इच्छा पूरी करना।
तुम्हारा हूँ मैं, पालन करूँगा तुम्हारे आदेश का मैं।
2
हे परमेश्वर, तुम्हारी इच्छा है हुक्म मेरे लिये,
जो कुछ मेरे पास है सब तुमको अर्पित कर दूँगा।
हे परमेश्वर, जानते हो तुम, मैं तुम्हारे किस काबिल हूँ
क्या भूमिका निभा सकता हूँ।
हे परमेश्वर, मैं तुम्हारी दया पर हूँ।
भले ही शैतान ने बेफकूफ़ बनाया है मुझे बार-बार,
भले ही अपने विद्रोह से मैंने तुम्हें दुखी किया है बार-बार,
तुम्हें दुखी किया है बार-बार,
याद नहीं रखते तुम मेरे वो आज्ञालंघन,
या बर्ताव नहीं करते तुम मुझसे उस आधार पर, उस आधार पर।
पूरा जीवन अपना तुमको मैं चाहता अर्पित करना।
न कुछ चाहूँ, न अन्य कोई उम्मीद है न योजना।
मैं बस चाहूँ तुम्हारी योजना के मुताबिक काम करना।
पी लूँगा तुम्हारे कटु-प्याले से, चाहूँ तुम्हारी इच्छा पूरी करना,
चाहूँ तुम्हारी इच्छा पूरी करना।
तुम्हारा हूँ मैं, पालन करूँगा तुम्हारे आदेश का मैं।