127 परमेश्वर ने अंतिम दिनों में अपना पूरा स्वभाव प्रकट किया है
1
परमेश्वर के आत्मा ने किए महान काम जब से बनाई गई यह दुनिया।
विभिन्न देशों में, विभिन्न युगों में, उसने किए हैं विभिन्न कार्य।
हर युग के लोग देखते हैं उसके विभिन्न स्वभाव
जो होते हैं प्राकृतिक रूप से प्रकट सभी लोगों के देखने के लिए
और नज़र आते हैं उसके विभिन्न कार्यों में।
वो है परमेश्वर, दया से भरपूर, स्नेह भरी करूणा से भरपूर।
वो है मनुष्य की पापबलि और उसका चरवाहा भी।
फिर भी, वो देता है न्याय, शाप, और ताड़ना।
मनुष्य पर एक अभिशाप।
फिर भी, वो देता है न्याय, शाप, और ताड़ना।
मनुष्य पर एक अभिशाप।
2
दो हज़ार वर्षों से भी ज़्यादा
वो पृथ्वी पर मनुष्य की कर सकता अगुवाई
और पाप से कर सकता दूषित मनुष्य को मुक्त।
वह विजय प्राप्त कर सकता है सभी मनुष्य पर, जो नहीं जानते उसे।
वो कर सकता है उन्हें अधीन, ताकि सब झुके उसके समक्ष।
अंत में, वो जला देगा मैल और अधार्मिकता को दुनिया के हर मनुष्य में।
फिर, देख पाएगा मनुष्य उसकी पवित्रता और चमत्कार को,
वो है परमेश्वर जो करता है हर मनुष्य का न्याय।
वो है परमेश्वर, दया से भरपूर, स्नेह भरी करूणा से भरपूर।
वो है मनुष्य की पापबलि और उसका चरवाहा भी।
फिर भी, वो देता है न्याय, शाप, और ताड़ना।
मनुष्य पर एक अभिशाप।
फिर भी, वो देता है न्याय, शाप, और ताड़ना।
मनुष्य पर एक अभिशाप।
3
मानवता की दुष्टता के लिए वो है एक जलती आग,
वो है मनुष्य के पापों के लिए न्याय, और दे सकता है सज़ा।
जिन्हें किया जाना है पूर्ण, उन्हें देता है वो क्लेश और परिक्षण,
संभालता और अनावश्यक हिस्सा हटाता हुआ,
साथ ही वो है सांत्वना, संपोषण और वचन का प्रदाता।
जिन्हें हटा दिया गया है,
उनके लिए है वो दंड और उनके गुनाहों की सज़ा।
वो है परमेश्वर, दया से भरपूर, स्नेह भरी करूणा से भरपूर।
वो है मनुष्य की पापबलि और उसका चरवाहा भी।
फिर भी, वो देता है न्याय, शाप, और ताड़ना।
मनुष्य पर एक अभिशाप।
फिर भी, वो देता है न्याय, शाप, और ताड़ना।
मनुष्य पर एक अभिशाप।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, दो देहधारण पूरा करते हैं देहधारण के मायने से रूपांतरित