15 परमेश्वर है लौटा जीत के साथ
1
परमेश्वर का व्यक्तित्व है ब्रम्हांड के सामने, प्रकट हुआ है पूरब में वो!
किसकी हिम्मत झुककर करे न उसकी आराधना?
किसकी हिम्मत न बुलाए उसे सच्चा परमेश्वर?
किसकी हिम्मत दिल में आदर से न देखे उसकी तरफ़?
किसकी हिम्मत जो करे न उसकी जय और न मनाए ख़ुशियाँ?
परमेश्वर के लोग सुनते हैं उसकी आवाज़।
ओ सिय्योन! ख़ुशी मनाओ और गाओ! जीत के साथ लौटा है परमेश्वर!
सभी लोग पंक्तिबद्ध हो जाओ! धरती के जीव स्थिर रहो!
2
सभी से जय और आदर चाहता है।
उसकी छह हज़ार सालों की प्रबंधन योजना का अंतिम उद्देश्य है यह।
यह उसका फ़ैसला है।
परमेश्वर के सभी लोग लौटें परमेश्वर के पर्वत की ओर, ख़ुद को अर्पित करें।
क्योंकि परमेश्वर प्रतापी है, न्याय और अधिकार से भरा है।
ओ सिय्योन! ख़ुशी मनाओ और गाओ! जीत के साथ लौटा है परमेश्वर!
सभी लोग पंक्तिबद्ध हो जाओ! धरती के जीव स्थिर रहो!
3
आसान है सब कुछ उसके लिए। तबाह या पूरा कर सकते हैं उसके वचन।
अधिकार और शक्ति परमेश्वर की यही है।
उसके कदम रोकने की हिम्मत नहीं करता कोई।
हर चीज़ को पार किया है परमेश्वर ने, हर बग़ावती बेटे को हरा दिया।
जीता आदर लोगों का परमेश्वर ने।
योजना यही है परमेश्वर की सृजन के समय से।
जय करती हैं ख़ुशी से पर्वत और नदियां।
नहीं किसी की हिम्मत पीछे हटने और चले जाने की।
नहीं किसी की हिम्मत विद्रोह करने की, लोग हों या अन्य कोई।
प्रभु का यह है कमाल और प्रताप!
ओ सिय्योन! ख़ुशी मनाओ और गाओ! जीत के साथ लौटा है परमेश्वर!
सभी लोग पंक्तिबद्ध हो जाओ! धरती के जीव स्थिर रहो!
ओ सिय्योन! ख़ुशी मनाओ और गाओ! जीत के साथ लौटा है परमेश्वर!
सभी लोग पंक्तिबद्ध हो जाओ! धरती के जीव स्थिर रहो!
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, आरंभ में मसीह के कथन, अध्याय 120 से रूपांतरित