899 मनुष्य को बचाने का परमेश्वर का इरादा बदलेगा नहीं
1
अब मानव को थोड़ा ज्ञान है ईश्वर के स्वभाव का,
ईश्वर के स्वरूप का, और उसके कार्यों का।
फिर भी अधिकतर समझ उनकी शब्दों या सिद्धांतों
और विचारों से ज़्यादा कुछ भी नहीं।
परमेश्वर नहीं चाहता कि समझे कोई खुद को त्यागा हुआ
या ठंड में अकेला छोड़ा गया।
वो देखना चाहता है एक अटल दिल जो बढ़े
सच की राह पे और ईश्वर को जानने।
2
लोगों में है कमी सच्चे ज्ञान की और उस सोच की जो मिले सच्चे अनुभव से।
ईश्वर करता है कोशिशें जगाने के लिए मानव का दिल,
पर तय है करना लम्बा सफर दिलों के जागने के लिए।
परमेश्वर नहीं चाहता कि समझे कोई खुद को त्यागा हुआ
या ठंड में अकेला छोड़ा गया।
वो देखना चाहता है एक अटल दिल जो बढ़े
सच की राह पे और ईश्वर को जानने।
वो चाहता है कि सभी आगे बढ़ें, बिन बोझ उठाये, बिन किसी संदेह के।
3
चाहे कितनी ही हद पार की हो तुमने,
चाहे कितने ही दूर गए तुम गुमराह हो के,
ईश्वर को जानने के लक्ष्य में तुम न रुको।
तुम्हें लगातार आगे बढ़ना चाहिए।
मानव को बचाने को ईश्वर का दिल न बदलेगा।
सबसे कीमती है यही ईश्वर की बात।
परमेश्वर नहीं चाहता कि समझे कोई खुद को त्यागा हुआ
या ठंड में अकेला छोड़ा गया।
वो देखना चाहता है एक अटल दिल जो बढ़े
सच की राह पे और ईश्वर को जानने।
वो चाहता है कि सभी आगे बढ़ें, बिन बोझ उठाये, बिन किसी संदेह के।
—वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है VI से रूपांतरित