898 लोग गलतियां करना छोड़ देते हैं तो परमेश्वर को सुख मिलता है

1 कुछ लोगों को सांसारिक चीजों के मोह को न त्याग पाने के कारण निकाला जा चुका है। वे कुछ वर्ष भटकते रहने के बाद परमेश्वर के घर में वापस लौट आते हैं। उन्हें उद्धार प्राप्त करने की आशा रहती है। यह एक दुर्लभ और अनमोल बात होती है। चाहे परमेश्वर कैसा भी कदम उठाए, और चाहे वह लोगों के साथ कैसा भी व्यवहार करे, या उनसे घृणा करे या उन्हें नापसंद करे, अगर कोई ऐसा दिन आता है कि लोग खुद को बदल सकते हैं, तो मुझे बहुत खुशी होगी; क्योंकि इसका मतलब यह होगा कि लोगों के मन में अभी भी परमेश्वर के लिए थोड़ा-सा स्थान तो है, कि उन्होंने अपनी मानवीय समझ या अपनी मानवता पूरी तरह से नहीं खोई है, कि वे अभी भी परमेश्वर में विश्वास करना चाहते हैं, और उसके अस्तित्व को स्वीकार करके उसके सम्मुख लौटने का कम-से-कम थोड़ा-बहुत इरादा रखते हैं। चाहे कोई परमेश्वर को छोडकर चला गया हो, यदि वे वापस आते हैं, और परिवार के सदस्य की तरह महसूस करते हैं, तो मैं थोड़ा भावुक होकर कुछ सांत्वना पाऊँगा। लेकिन अगर वे कभी वापस नहीं लौटते, तो मैं इसे दयनीय समझूँगा। यदि वे वापस आकर परमेश्वर पर ईमानदारी से विश्वास करना शुरू कर सकते हैं, तो मेरा दिल विशेष रूप से संतुष्टि से भर जाएगा।

2 अनुग्रह के युग में, यीशु में लोगों के लिए रहम और अनुग्रह था। यदि सौ में से एक भेड़ खो जाए, तो वह निन्यानबे को छोड़कर एक को खोजता था। यह पंक्ति किसी यांत्रिक विधि को नहीं दर्शाती है, न ही यह कोई नियम है, बल्कि यह मानव जाति के उद्धार को लेकर परमेश्वर के गहरे इरादे, और मानव जाति के लिए परमेश्वर के गहरे प्रेम को दर्शाता है। यह कोई काम करने का तरीका नहीं है, बल्कि यह उसका स्वभाव है और उसकी मानसिकता है। इसलिए, लोगों में चाहे कितनी ही कमजोरियाँ और गलत धारणाएँ हों, अगर उन्हें अंतत: सत्य का अहसास हो जाता है, और वे ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं और उनमें बदलाव आ जाता है, तो मुझे विशेष रूप से खुशी होगी। आज के इस मौज-मस्ती और वैभवता के संसार में, और बुराई के इस युग में दृढ़ता से खड़े रहने के लिए सक्षम हो पाना, परमेश्वर को स्वीकार करने में सक्षम हो पाना, और सही रास्ते पर वापस लौट पाने में सक्षम हो पाना ऐसी चीजें हैं जो खुशी और रोमांच प्रदान करती हैं।

—वचन, खंड 3, अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन, भाग तीन से रूपांतरित

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परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

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