धार्मिक पादरियों और प्राचीन लोगों की धार्मिक संसार में सत्ता बनी हुई है और ज्यादातर लोग उनका पालन और अनुसरण करते हैं—यह एक सच्चाई है। तुम कहते हो कि धार्मिक पादरी और प्राचीन लोग इस बात को स्वीकार नहीं करते हैं कि परमेश्वर ने देहधारण किया है, कि वे देहधारी परमेश्वर द्वारा प्रकट सत्य पर विश्वास नहीं करते और वे फरीसियों के मार्ग पर चल रहे हैं, और हम इस बात से सहमत हैं। लेकिन तुम यह क्यों कहते हो कि सारे धार्मिक पादरी और प्राचीन लोग पाखंडी फरीसी हैं, कि वे सभी मसीह-विरोधी हैं जो अंतिम दिनों में देहधारी परमेश्वर के कार्य से उघाड़ दिए गए हैं, और वे अंत में विनाश में डूब जाएँगे? हम इस समय इस बात को स्वीकार नहीं कर सकते। तुम अपना यह दावा कि इन लोगों को नहीं बचाया जा सकता है और उन सभी को विनाश में डूबना चाहिए, किस बात पर आधारित करते हो, इस पर कृपया सहभागिता करो।

14 मार्च, 2021

उत्तर: धार्मिक मंडलों के लोग परमेश्वर की अवहेलना कैसे करते हैं, इसका सार केवल देहधारी मसीह के आगमन के बाद ही प्रकट और विश्लेषित किया जा सकता है। कोई भी भ्रष्ट मनुष्य धार्मिक मंडलों द्वारा परमेश्वर की अवहेलना की सच्चाई और उसके सार को नहीं जान सकता है, क्योंकि भ्रष्ट मनुष्यों में कोई सत्य नहीं होता है। वे तो केवल झूठे चरवाहों और मसीह-विरोधी राक्षसों द्वारा नियंत्रित, भ्रमित किये जा सकते हैं, चालाकी से काम में लाये जा सकते हैं, ताकि बुराई करने में शामिल किये जायें और परमेश्वर की अवहेलना करने में शैतान के दास और साथी बनें। यह स्वाभाविक है। ... आओ, हम देखें कि धार्मिक मंडलों की मसीह-विरोधी बुरी ताक़तों ने हमेशा परमेश्वर की अवहेलना किस तरह की थी, इसके सत्य और सार को प्रभु यीशु ने अनुग्रह के युग के दौरान कैसे प्रकट किया था:

"हे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो, तुम पर हाय! तुम मनुष्यों के लिए स्वर्ग के राज्य का द्वार बन्द करते हो, न तो स्वयं ही उसमें प्रवेश करते हो और न उस में प्रवेश करनेवालों को प्रवेश करने देते हो। हे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो, तुम पर हाय! तुम विधवाओं के घरों को खा जाते हो, और दिखाने के लिए बड़ी देर तक प्रार्थना करते रहते हो: इसलिये तुम्हें अधिक दण्ड मिलेगा।

"हे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो, तुम पर हाय! तुम एक जन को अपने मत में लाने के लिये सारे जल और थल में फिरते हो, और जब वह मत में आ जाता है तो उसे अपने से दूना नारकीय बना देते हो।

"हे अंधे अगुवो, तुम पर हाय! जो कहते हो कि यदि कोई मन्दिर की शपथ खाए तो कुछ नहीं, परन्तु यदि कोई मन्दिर के सोने की सौगन्ध खाए तो उससे बंध जाएगा। हे मूर्खो और अंधो, कौन बड़ा है; सोना या वह मन्दिर जिससे सोना पवित्र होता है? फिर कहते हो कि यदि कोई वेदी की शपथ खाए तो कुछ नहीं, परन्तु जो भेंट उस पर है, यदि कोई उसकी शपथ खाए तो बंध जाएगा। हे अंधो, कौन बड़ा है; भेंट या वेदी जिससे भेंट पवित्र होती है? इसलिये जो वेदी की शपथ खाता है, वह उसकी और जो कुछ उस पर है, उसकी भी शपथ खाता है। जो मन्दिर की शपथ खाता है, वह उसकी और उसमें रहनेवाले की भी शपथ खाता है। जो स्वर्ग की शपथ खाता है, वह परमेश्‍वर के सिंहासन की और उस पर बैठनेवाले की भी शपथ खाता है।

"हे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो, तुम पर हाय! तुम पोदीने, और सौंफ, और जीरे का दसवाँ अंश तो देते हो, परन्तु तुम ने व्यवस्था की गम्भीर बातों को अर्थात् न्याय, और दया, और विश्‍वास को छोड़ दिया है; चाहिये था कि इन्हें भी करते रहते और उन्हें भी न छोड़ते। हे अंधे अगुवो, तुम मच्छर को तो छान डालते हो, परन्तु ऊँट को निगल जाते हो।

"हे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो, तुम पर हाय! तुम कटोरे और थाली को ऊपर ऊपर से तो मांजते हो परन्तु वे भीतर अन्धेर और असंयम से भरे हुए हैं। हे अंधे फरीसी, पहले कटोरे और थाली को भीतर से मांज कि वे बाहर से भी स्वच्छ हों।

"हे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो, तुम पर हाय! तुम चूना फिरी हुई कब्रों के समान हो जो ऊपर से तो सुन्दर दिखाई देती हैं, परन्तु भीतर मुर्दों की हड्डियों और सब प्रकार की मलिनता से भरी हैं। इसी रीति से तुम भी ऊपर से मनुष्यों को धर्मी दिखाई देते हो, परन्तु भीतर कपट और अधर्म से भरे हुए हो।

"हे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो, तुम पर हाय! तुम भविष्यद्वक्‍ताओं की कब्रें सँवारते और धर्मियों की कब्रें बनाते हो, और कहते हो, 'यदि हम अपने बापदादों के दिनों में होते तो भविष्यद्वक्‍ताओं की हत्या में उनके साझी न होते।' इससे तो तुम अपने पर आप ही गवाही देते हो कि तुम भविष्यद्वक्‍ताओं के हत्यारों की सन्तान हो। अत: तुम अपने बापदादों के पाप का घड़ा पूरी तरह भर दो। हे साँपो, हे करैतों के बच्‍चो, तुम नरक के दण्ड से कैसे बचोगे? इसलिये देखो, मैं तुम्हारे पास भविष्यद्वक्‍ताओं और बुद्धिमानों और शास्त्रियों को भेजता हूँ; और तुम उनमें से कुछ को मार डालोगे और क्रूस पर चढ़ाओगे, और कुछ को अपने आराधनालयों में कोड़े मारोगे और एक नगर से दूसरे नगर में खदेड़ते फिरोगे। जिससे धर्मी हाबिल से लेकर बिरिक्याह के पुत्र जकरयाह तक, जिसे तुम ने मन्दिर और वेदी के बीच में मार डाला था, जितने धर्मियों का लहू पृथ्वी पर बहाया गया है वह सब तुम्हारे सिर पर पड़ेगा। मैं तुम से सच कहता हूँ, ये सब बातें इस समय के लोगों पर आ पड़ेंगी" (मत्ती 23:13-36)

ये अनुग्रह के युग के दौरान कहे गए प्रभु यीशु के सबसे प्रसिद्ध वचन हैं जो यहूदी धार्मिक मंडलों के मुख्य याजकों, शास्त्रियों और फरीसियों को उघाड़ते और उनका न्याय करते हैं।

इस तथ्य से कि प्रभु यीशु ने वो "सात विपत्तियां" घोषित कीं जो व्यवस्था के युग के दौरान धार्मिक मंडलों के मुख्य याजकों, शास्त्रियों और फरीसियों को उघाड़ती और विश्लेषित करती हैं, हम देख सकते हैं कि अधिकांश धार्मिक अगुवा पाखण्डी फरीसी हैं और वे लंबे समय से, परमेश्वर-विरोधी शैतानी बुरी ताकतें बनकर रहे हैं। यह पहले से ही एक निर्विवाद तथ्य है। ...

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प्रभु यीशु द्वारा फरीसियों के लिए प्रकट की गईं "सात विपत्तियों" ने पहले ही इस बात को प्रकट कर दिया था कि धार्मिक मंडलों का अज्ञान और उनकी भ्रष्टता धर्मनिरपेक्ष दुनिया के अज्ञान और भ्रष्टता से किसी भी तरह अलग नहीं हैं। इसलिए लोग पूरी तरह से देख सकते हैं कि धार्मिक मंडलों के मुख्य याजकों, शास्त्रियों और फरीसियों के कर्म परमेश्वर की सेवा करना बिल्कुल भी नहीं थे, बल्कि परमेश्वर की अवहेलना और उसका विरोध करना थे। वे परमेश्वर की सेवा करने के पदों पर याजकों और अगुवाओं के रूप में खड़े थे, फिर भी वे सत्य और धार्मिकता पर अमल नहीं करते थे। इसके बजाय, उन्होंने हर तरह के भयानक कृत्य किए, और यहाँ तक कि मसीह को प्रतिद्वंद्वी के रूप में माना, उसकी निंदा की और उसे सताया, फिर उसे क्रूस पर चढ़ा दिया। इन महान पापों को करने के बाद, वे परमेश्वर के क्रोध को कैसे नहीं पाते? यही कारण है कि परमेश्वर ने उनसे नफ़रत की और वह उनके प्रति क्रोधित हुआ, और इसीलिए उसने उन्हें बेनक़ाब कर दिया, उनका न्याय किया और उनकी निंदा की। यह पूरी तरह से स्वाभाविक है। इससे पता चलता है कि परमेश्वर किसी को भी अपने धर्मी स्वभाव का अपमान करने की अनुमति नहीं देता है। अनुग्रह के युग के दौरान, परमेश्वर ने पहले ही सत्य और स्वयं के खिलाफ़ धार्मिक मंडलों के मुख्य याजकों, शास्त्रियों और फरीसियों के द्वारा किये गए विभिन्न प्रकार के बुरे कर्मों से घृणा और नफ़रत की थी। परमेश्वर द्वारा उनके खिलाफ़ इस्तेमाल किए गए कठोर खुलासे और न्याय ने इसे स्पष्ट कर दिया है कि परमेश्वर धर्मी और पवित्र है। परमेश्वर ने कभी भी धार्मिक मंडलों के उन लोगों की सराहना नहीं की है, जो परमेश्वर की सेवा तो करते हैं मगर फिर भी उसकी अवहेलना करते हैं। परमेश्वर ने मानव जगत में आकर व्यक्तिगत रूप से अपनी भेड़ों को खोजने के लिए और सत्य से प्रेम करने वालों और परमेश्वर की वाणी सुन सकने वाले सभी को बचाने के लिए देह धारण किया। परमेश्वर उन सभी को चुनकर उठा लेता है जो दिलोजान से परमेश्वर को चाहते हैं, और सत्य को स्वीकार कर सकते हैं। प्रभु यीशु के उपदेश देने के समय, धार्मिक मंडलों के सारे मुख्य याजक, शास्त्री और फरीसी परमेश्वर की निंदा और उसके उन्मूलन के लक्ष्य बन गए थे। यह परमेश्वर की धार्मिकता और पवित्रता को दर्शाता है। केवल परमेश्वर प्रेम के योग्य, प्रिय, सम्माननीय और विश्वसनीय है, और धार्मिक मंडलों के सारे अगुवा, शास्त्री और फरीसी ढोंगी थे, वे झूठ, धोखा, पाप, और बुराई से भरे हुए थे। वे सभी काले साँपों की बिरादरी के लोग थे, जो लोगों को भ्रमित और नियंत्रित किया करते थे और परमेश्वर की अवहेलना करते थे। साफ़ तौर पर वे ऐसे लोग थे जिन्हें त्याग दिया जाना चाहिए। अनुग्रह के युग के दौरान, जब प्रभु यीशु अपने छुटकारे का कार्य कर रहा था, तब एक भी यहूदी मुख्य याजक, शास्त्री या फरीसी कभी प्रभु यीशु के सामने पश्चाताप करने नहीं आया था। न ही प्रभु यीशु को कीलों से क्रूस पर जड़ दिए जाने और उसके छुटकारे के कार्य को पूरा कर लेने के बाद, फरीसियों ने ईमानदारी से अपने बुरे कर्मों पर चिंतन और पश्चाताप किया था। अगर ऐसे व्यक्ति थे भी, तो वे केवल गिने-चुने ही थे। ये तथ्य इस बात को साबित करने के लिए पर्याप्त है कि सारे मुख्य याजक, शास्त्री और फरीसी राक्षस थे, जो सत्य से नफरत करते थे और परमेश्वर की अवहेलना करते थे। चाहे उन्होंने कितनी भी बुराई की, यहाँ तक कि प्रभु यीशु को कीलों से क्रूस पर जड़ दिया, उन्होंने कभी भी अपने कर्मों पर अफ़सोस नहीं किया। यह बात वास्तव में चिंतनीय है। यहाँ इसे समझना मुश्किल नहीं है कि धार्मिक मंडलों के ज्यादातर अगुवा झूठे चरवाहे हैं जो परमेश्वर की सेवा तो करते हैं, मगर फिर भी परमेश्वर की अवहेलना करते हैं। वे वास्तव में मसीह-विरोधी दानव—अर्थात शैतान—के प्रतीक हैं। फिर भी बहुत से लोग जो परमेश्वर में विश्वास करते हैं, उन लोगों का आदर करते हैं और उनका अनुसरण करते हैं। यह इसे दर्शाने के लिए पर्याप्त है कि मनुष्य पूरी तरह भ्रष्ट हैं, और वे पहले से ही झूठ और पाप से धोखा खा चुके हैं। शैतान ने उनकी आँखें अंधी कर दी हैं। हालांकि वे राक्षसों द्वारा बर्बाद किये जा चुके हैं, फिर भी वे बदलने से हठपूर्वक इनकार करते हैं, जैसे कि वे पहले से ही मर चुके हों। इस प्रकार, हम देख सकते हैं कि इन गहराई से भ्रष्ट हुए मनुष्यों को बचाने का परमेश्वर का कार्य कितना मुश्किल है! यह एक महत्वपूर्ण सवाल है, जिस पर सभी भ्रष्ट मनुष्यों को चिंतन करना चाहिए और जिसे पहचानना चाहिए।

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यहूदी मुख्य याजकों, शास्त्रियों और फरीसियों द्वारा प्रभु यीशु की अवहेलना और निंदा के कई उदाहरणों का बाइबल में आलेख है। यहाँ लोग देख सकते हैं कि इन यहूदी मुख्य याजकों, शास्त्रियों और फरीसियों ने केवल धार्मिक संस्कार करने, और लोगों को नियमों का पालन करना और व्यवस्थाओं के मुताबिक़ चलना सिखाने पर ही अपना ध्यान केंद्रित किया था। यह इसे दर्शाने के लिए पर्याप्त है कि ये मुख्य याजक, शास्त्री और फरीसी किसी भी सत्य पर अमल नहीं करते थे और उनमें वास्तविकता बिल्कुल भी नहीं थी। उन्होंने बाइबल अच्छी तरह से पढ़ रखी थी और व्यवस्थाओं का भी अध्ययन किया था, लेकिन वे परमेश्वर को बिल्कुल ही नहीं जानते थे। सबसे घृणित बात यह है कि वे नबियों और धर्मी लोगों की हत्या भी कर सकते थे। न केवल उन्होंने देहधारण कर सत्य को व्यक्त करने वाले मसीह के सामने समर्पण नहीं किया, बल्कि उन्होंने उसकी निंदा की, उसे पकड़ा, फँसाया और उसकी हत्या भी कर दी, और खुद को परमेश्वर का शत्रु बना लिया। इस तरह, उनके लिए परमेश्वर की नफ़रत गहरी जड़ें लिए हुए थी, और परमेश्वर ने उन्हें उघाड़ दिया, उनका विश्लेषण किया और उनकी निंदा की। इससे भी ज्यादा, यह इसे उजागर करता है कि परमेश्वर एक धार्मिक और पवित्र परमेश्वर है। वह उन लोगों को पसंद करता है जो न्याय करते हैं, और उनसे नफ़रत करता है जो बुराई करते हैं। परमेश्वर ने कभी यहूदी धार्मिक मंडलों के मुख्य याजकों, शास्त्रियों और फरीसियों की सराहना नहीं की। परमेश्वर ने केवल उनको बेनक़ाब किया, उनका न्याय किया और उन्हें शाप दिया। जो प्रभु यीशु में विश्वास करते हैं, उन सभी लोगों के लिए यह एक सर्व-मान्य सच्चाई है। यदि लोग वास्तव में बाइबल को समझते हैं, तो वे धार्मिक मंडलों के समकालीन पादरियों और एल्डर्स के सचमुच ढोंगी और परमेश्वर-प्रतिकूल चेहरों की पहचान करने के लिए प्रभु यीशु के वचनों का उपयोग क्यों नहीं कर सकते? परमेश्वर की सेवा करते हुए भी उसकी अवज्ञा करने वाले काले साँपों की उस कृतघ्न नस्ल को पहचानने और त्यागने के लिए, लोग क्यों प्रभु यीशु के पक्ष में खड़े नहीं हो सकते हैं? अगर लोगों ने वास्तव में बाइबल को समझा होता, तो वे इससे और अधिक भयावह तथ्य को देखने में सक्षम होते कि धार्मिक मंडलों के अधिकांश अगुवा और पादरी आज उन मुख्य याजकों, शास्त्रियों और फरीसियों की ही भूमिका निभा रहे हैं, जिन्होंने अनुग्रह के युग में हमारे प्रभु यीशु की अवज्ञा की थी। वे अभी भी सर्वशक्तिमान परमेश्वर की अवज्ञा कर रहे हैं, जिसने अंत के दिनों में देहधारण किया है, और उनके पाप उन मुख्य याजकों, शास्त्रियों और फरीसियों से भी बड़े हैं जो कि प्रभु यीशु की निन्दा करते थे। वे सत्य से चरम सीमा तक नफ़रत करते हैं, और वे इस बात से काफ़ी भयभीत हैं कि वे तब अकेले पड़ जाएँगे जब परमेश्वर के चुने हुए लोग सही मार्ग को स्वीकार कर लेंगे, और परमेश्वर के प्रति समर्पित हो जाएँगे और परमेश्वर द्वारा प्राप्त कर लिये जाएँगे। इसलिए वे लोगों को धोखा देने के लिए झूठ और अफवाह गढ़ने में संकोच नहीं करते हैं। यहाँ तक कि वे सत्य को तोड़ते-मरोड़ते हैं, तथ्यों को बिगाड़ते हैं, झूठे आरोप लगाते और फँसाते हैं, बदनामी और निंदा करते हैं, वे मसीह का तिरस्कार करने और पवित्र आत्मा के कार्य और परमेश्वर के कथनों की निंदा करने के लिए निर्लज्जतापूर्वक, जान-बूझकर बाइबल की गलत व्याख्या करते हैं। अपनी स्वयं की पद-प्रतिष्ठा और आजीविका को बचाने के लिए, वे परमेश्वर को आँकने, परमेश्वर का तिरस्कार करने और परमेश्वर की अवज्ञा करने में हर तरह के छल-कपट का उपयोग करते हैं। उनकी हरक़तें पूरी तरह से वैसी ही हैं जैसी कि प्रभु यीशु की अवज्ञा करने में यहूदी मुख्य याजकों, शास्त्रियों और फरीसियों द्वारा इस्तेमाल की गई विभिन्न शैतानी चालें थीं। वे सभी परमेश्वर का प्रतिरोध करने के लिए मसीह-विरोधी रास्ते पर चल रहे हैं। धार्मिक मंडलों के अधिकांश अगुवाओं और पादरियों द्वारा बाहर से परमेश्वर की सेवा करने—फिर भी अन्दर से उसका विरोध करने—के विभिन्न रूपों का अवलोकन कर, हम यह समझ सकते हैं कि मुख्यतः ऐसे सात बुरे काम हैं जिन्होंने पहले से ही परमेश्वर को नाराज कर दिया है। वे लोग निश्चित रूप से दंडित किये जाएँगे। धार्मिक मंडलों के अधिकांश पादरियों और अगुवाओं द्वारा किये गए सात बुरे कृत्यों को यहाँ सूचीबद्ध किया गया है:

1. वे केवल धार्मिक अनुष्ठान करते हैं जो मानवजाति की विरासत और सिद्धांतों को बनाए रखते और घोषित करते हैं, लेकिन परमेश्वर की आज्ञाओं का परित्याग करते हैं। वे लोगों को कभी भी परमेश्वर के प्रति समर्पित होना, उसे जानना या उसके वचनों को सुनना नहीं सिखाते हैं। वे सत्य की वास्तविकता की बात बिलकुल भी नहीं करते हैं, और कभी भी धार्मिक मंडलों में फैले अज्ञान के अंधेरे को प्रकट करने के लिए परमेश्वर के वचनों का इस्तेमाल नहीं करते हैं, ताकि लोगों को बुराई के युग के बारे में पता चल सके।

2. वे परमेश्वर का सम्मान बिलकुल भी नहीं करते हैं। उनके दिलों में परमेश्वर के लिए कोई स्थान नहीं है, फिर भी वे लालच से और चोरी-छिपे, परमेश्वर को दिए गए चढ़ावे में से खाते हैं। वे दिल सेपरमेश्वर की सेवा नहीं कर सकते, लेकिन अपनी आजीविका के रूप में वे परमेश्वर को दिए गए चढ़ावे का उपयोग करते हैं, वे अक्सर लोगों से दान देने के लिए आग्रह करते हैं और उन पर दबाव डालते हैं ताकि वे खुद अधिक विलासी जीवन जी सकें, जो उनको असली पिशाच और परजीवी की तरह बनाता है।

3. वे लोगों को अपनी कलीसिया में लुभाने के लिए भूमि और समुद्र को घेरते हैं, और एक बार जब लोग आ जाते हैं, उन्हें गुलाम बनाने के लिए भ्रमित और नियंत्रित किया जाता है। वे लोगों को सच्चा मार्ग स्वतंत्र रूप से चुनने का विकल्प नहीं देते हैं, और लोगों को सच्चे मार्ग की जांच करने की अनुमति नहीं देते हैं, ताकि वे परमेश्वर के प्रकटन और कार्य की खोज कर सकें, और इस तरह वे लोगों को नरक की संतान बना देते हैं। यह तो एक अंधे द्वारा दूसरे अंधे को राह दिखाना है, अंत में वे सब गड्ढे में गिर पड़ेंगे।

4. अपने उपदेश में वे अक्सर अपना आडम्बर दिखाने और खुद की गवाही देने के लिए परमेश्वर की महिमा को चुराते हैं ताकि लोग उनकी नकल, प्रशंसा और अनुकरण कर सकें, लोग उनको अपना आदर्श मान सकें, जिससे वे उन लोगों को फँसा सकें और नियंत्रित कर सकें। लोग परमेश्वर के प्रति समर्पित हो सकें और उसकी आराधना कर सकें, इसकी खातिर वे कभी भी ईमानदारी से परमेश्वर के प्रति न तो गवाही देते हैं और न ही परमेश्वर को महान मानकर सम्मान देते हैं।

5. वे सत्य से नफ़रत करते हैं, और खास तौर पर उन लोगों से ईर्ष्या करते हैं जो सत्य का अनुसरण करते हैं और उसे समझते हैं: वे उनका दमन करते हैं, उन्हें अस्वीकार करते हैं और उन्हें दोषी मानते हैं। वे केवल लोगों को अपनी आराधना करने और अपना अनुसरण करने की अनुमति देते हैं, वे लोगों को मसीह को स्वीकार करने से रोकते हैं, और वे कलीसियाओं को बंद कर देते हैं क्योंकि वे डरते हैं कि लोग अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य के गवाह न बन जाएँ।

6. अपनी स्वयं की पद-प्रतिष्ठा और आजीविका को बचाने की खातिर, वे अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की बदनामी, तिरस्कार और निन्दा करने के लिए सभी प्रकार की अफवाहों और भ्रांतियों का जाल बिछाते हैं। वे हर चीज़ को अपने अज्ञान के अंधेरे से भर देते हैं, और यहाँ तक कि वे अंत तक परमेश्वर के खिलाफ़ जीवन और मृत्यु के संघर्ष को पसंद करते हैं। यह स्पष्ट है कि वे परमेश्वर की नहीं बल्कि अपनी पद-प्रतिष्ठा और आजीविका की सेवा करते हैं।

7. वे परमेश्वर के देहधारण के तथ्य को स्वीकार नहीं करते हैं, न ही वे अंत के दिनों के देहधारी परमेश्वर के वचन और कार्य पर विश्वास करते हैं। यह इसे साबित करने के लिए पर्याप्त है कि उन सभी के पास सत्य से नफ़रत करने वाले मसीह-विरोधियों की प्रकृति और सार है। वे परमेश्वर की सेवा करते हुए भी परमेश्वर की अवज्ञा और उनका विरोध करने वाले मसीह-विरोधी की राह पर चलते हैं।

धार्मिक मंडलों में परमेश्वर की अवज्ञा करने वाली मसीह-विरोधी ताक़तों द्वारा किये गए ये सात बुरे काम ऐसे तथ्य हैं जिन्हें परमेश्वर के सभी विश्वासी अच्छी तरह से पहचानते हैं। आज धार्मिक मंडलों में किए जाने वाले इन सात बुरे कामों के लगभग वही अभिलक्षण हैं जो उन "सात विपत्तियों" के हैं, जिनके द्वारा हमारे प्रभु यीशु ने फरीसियों को बेनक़ाब किया था और उनका न्याय किया था। यह इस बात को साबित करने के लिए पर्याप्त है कि एक लंबे समय से धार्मिक अगुवा हमेशा परमेश्वर की सेवा करते हुए नज़र तो आते हैं लेकिन वास्तव में वे परमेश्वर का विरोध करते रहे हैं और मसीह-विरोधियों के मार्ग पर चलते आए हैं। इन तथ्यों ने यह भी खुलासा किया है कि उनके पास सत्य से नफ़रत करने और परमेश्वर का विरोध करने वाली शैतानी प्रकृति और सार है। यही कारण है कि वे अंत के दिनों के मसीह के लिए शत्रुतापूर्ण ताक़त बन सकते हैं: वे धार्मिक मंडलों को अज्ञान के अंधेरे और बुराई की ओर ले जाते हैं। यह पूरी तरह से बाइबल में प्रकाशितवाक्य की पुस्तिका की इस भविष्यवाणी को पूरा करता है कि धार्मिक मंडलियां "बड़ी वेश्या" और "महान बेबीलोन" हैं। अब, कुछ लोगों ने जो परमेश्वर से प्यार करते हैं और परमेश्वर के प्रकटन के लिए तरसते हैं, पहले से ही आधुनिक फरीसियों के मसीह-विरोधी प्रकृति और सार को जान लिया है, और उन्होंने परमेश्वर के कार्य के पद-चिन्हों की तलाश में धार्मिक मंडलों को छोड़ना शुरू कर दिया है। हालांकि धार्मिक मंडलों के ये "फरीसी" स्पष्ट रूप से जानते हैं कि अंत के दिनों के मसीह द्वारा व्यक्त किए गए सभी वचन भ्रष्ट मनुष्यों के लिए सत्य, न्याय और ताड़ना हैं, फिर भी उन्होंने सत्य से अपनी नफ़रत की वजह से परमेश्वर के प्रति अवज्ञा, आकलन, निंदा और विरोध के दृष्टिकोण को चुना है। मुख्यतः, उन्होंने पवित्र आत्मा और परमेश्वर के कार्य की निंदा करने का एक घृणित पाप भी किया है। इस पाप के तीन मुख्य स्वरूपों को नीचे सूचीबद्ध किया गया है:

1. वे परमेश्वर के देह को बदनाम करने के लिए झूठ का जाल बुनते हैं। यह परमेश्वर का एक गंभीर तिरस्कार है।

2. वे परमेश्वर के वचनों को इंसानी शब्दों के रूप में मानते हैं, और वे कहते हैं कि परमेश्वर के वचनों में बुरी आत्माएं हैं जो नज़र पड़ते ही लोगों को सम्मोहित कर देती हैं। यह परमेश्वर का एक गंभीर तिरस्कार है।

3. वे अंत के दिनों के परमेश्वर के कार्य को बुरी आत्माओं का काम बताते हैं, जो यह कहने के बराबर है कि पवित्र आत्मा का कार्य बुरी आत्माओं का काम है। यह परमेश्वर का तिरस्कार है।

सभी धार्मिक मंडलों के लोग उपरोक्त तीनों तरीकों से परमेश्वर के प्रति गंभीर तिरस्कार फैला रहे हैं। अगर वे वास्तव में परमेश्वर का सम्मान करने वाले लोग होते, तो उन्होंने ऐसा कहने की हिम्मत बिल्कुल भी नहीं की होती। हमारे प्रभु यीशु के उपदेश के दिनों की याद करें तो, उस समय ऐसे धार्मिक लोग थे जिन्होंने कहा कि प्रभु यीशु ने राक्षसों को दूर करने के लिए राक्षसों के राजा, बालज़बूल का इस्तेमाल किया। यह वास्तव में पवित्र आत्मा के प्रति तिरस्कार करने का पाप है। प्रभु यीशु ने कहा था, "इसलिये मैं तुम से कहता हूँ कि मनुष्य का सब प्रकार का पाप और निन्दा क्षमा की जाएगी, परन्तु पवित्र आत्मा की निन्दा क्षमा न की जाएगी" (मत्ती 12:31)। आज के धार्मिक मंडलों में, अधिकांश अगुवा और पादरी बाहर जाकर पवित्र आत्मा के प्रति तिरस्कार करने वाली अफ़वाहें और बदनामी फैलाते हैं। चाहे उनके इरादे और लक्ष्य जो भी हों, उन्होंने पहले ही पवित्र आत्मा का तिरस्कार करने का पाप किया है। जो लोग वास्तव में परमेश्वर का सम्मान करते हैं, वे कभी भी सही मार्ग की विस्तृत जांच-पड़ताल किए बिना लापरवाही से बोलने की हिम्मत नहीं करते, फिर भी वे मनमाने ढ़ंग से यह तय कर लेते हैं कि "चमकती पूर्वी बिजली" बुरी आत्माओं का कार्य है, और जब लोग इसका संदेश सुनते हैं तो वे धोखे में पड़ जाते हैं। यह वास्तव में हास्यास्पद है! ... धार्मिक मंडलों के अधिकांश पादरियों और अगुवाओं को पहले से ही मसीह-विरोधी के रास्ते पर चलने वालों के रूप में प्रकट किया जा चुका है। अपने रुतबे और आजीविका को बनाये रखने के लिए, वे अंत तक मसीह के विरूद्ध अंधाधुंध संघर्ष करते हैं। उनके दिल कठोर हैं, उन्हें कोई पछतावा नहीं है, और उन्हें लगता है कि जिस तरह से प्रभु यीशु ने अनुग्रह के युग के दौरान पौलुस के साथ व्यवहार किया था, परमेश्वर भी अंततः उनके साथ समझौता कर लेगा। उन्हें लगता है कि परमेश्वर खुद को प्रकट करेगा और स्वर्ग से उन्हें पुकारेगा। क्रूस पर परमेश्वर को कीलों से जड़ देना और फिर परमेश्वर की दया प्राप्त करने की चाह रखना, यह तो पहले से ही हद दर्जे की बेशर्मी है। धार्मिक वंशों के "अधिनायकों" की तरह "नायकों वाले, अटल" रवैये को प्रदर्शित करते हुए, वे मौत तक मूर्ख और हठी बने रहते हैं। यह बात बाइबल में इब्रानियों की पुस्तिका की इस भविष्यवाणी को पूरा करती है: "क्योंकि सच्‍चाई की पहिचान प्राप्‍त करने के बाद यदि हम जान बूझकर पाप करते रहें, तो पापों के लिये फिर कोई बलिदान बाकी नहीं। हाँ, दण्ड का एक भयानक बाट जोहना और आग का ज्वलन बाकी है जो विरोधियों को भस्म कर देगा" (इब्रानियों 10:26-27)

... अब राज्य के सुसमाचार को फैलाने के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है। बहुत से लोग जब सच्चे मार्ग का सर्वेक्षण करते हैं, तो धार्मिक मंडलों के मसीह-विरोधी राक्षसों की झूठी बातों और अफ़वाहों से घबरा जाते हैं और भ्रमित हो जाते हैं। वे बड़े लाल अजगर के भुलावे और पाखंडों से भ्रमित हो जाते हैं जिससे वे सही मार्ग को स्वीकार करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। बहुत से लोग, सच्चे मार्ग का सर्वेक्षण करते समय, धार्मिक मंडलों के अगुवाओं और पादरियों द्वारा बाधित और भ्रमित हुए हैं, इसलिए वे परमेश्वर के सामने नहीं आ सकते। तब उनके जीवन धार्मिक अगुवाओं, पादरियों और बड़े लाल अजगर द्वारा बर्बाद हो जाते हैं और वे घुट कर रह जाते हैं। धार्मिक मंडलों के पादरियों और अगुवाओं के लिए परमेश्वर के चुने हुए लोगों को लेकर उनसे लड़ना, परमेश्वर के शत्रु होने की हद तक भ्रष्ट हो जाना है। वे परमेश्वर के चुने हुए लोगों को सच्चे मार्ग की तलाश करने या स्वतंत्र रूप से चयन करने का अधिकार नहीं देते। यह बुरी बात यह समझाने के लिए पर्याप्त है कि वे, बड़े लाल अजगर की तरह, ऐसे राक्षस हैं जो जीवनों को नष्ट कर देते हैं और मानवीय आत्माओं को हड़प कर जाते हैं। परमेश्वर का अपमान करने का यह घिनौना पाप तो वे पहले ही कर चुके हैं। क्या यह तथ्य कि वे लोगों को सच्चे मार्ग को स्वीकार करने और परमेश्वर के पास लौट आने से इस तरह बेतहाशा रोक सकते हैं, उन्हें शैतान के सह-अपराधियों और सहयोगियों के रूप में बेनकाब नहीं करता है? मनुष्यों के प्रति जो खून का क़र्ज़ है, वह उन्हें पूर्ण रूप से चुकाना ही होगा। परमेश्वर उन्हें अपने स्वयं के व्यक्तिगत कर्मों के आधार पर प्रतिफल देगा, और यही मूल कारण है कि क्यों परमेश्वर अंत के दिनों के अपने देहधारण में, धार्मिक मंडलों में खुद को प्रकट नहीं करता और न ही कार्य करता है। जिस तरह प्रभु यीशु ने धार्मिक मंडलों के मुख्य याजकों, शास्त्रियों और फरीसियों से घृणा की, उनको बेनक़ाब किया, उनका न्याय किया और उनकी निंदा की, अंत के दिनों का सर्वशक्तिमान परमेश्वर उसी तरह मसीह-विरोधी मार्ग पर चलने वाले, आधुनिक धार्मिक मंडलों के पादरियों और एल्डर्स से, नफ़रत करता है, उन्हें उघाड़ता है, उनका न्याय करता है और उनकी निंदा करता है। तुम देख सकते हो कि जब परमेश्वर फिर से कार्य करने के लिए देह में प्रकट हुआ है, हालांकि उसका नाम बदल गया है, मगर उसका स्वभाव और उसका सार नहीं बदला है। परमेश्वर हमेशा से परमेश्वर है, इंसान हमेशा से इंसान है, और शैतान हमेशा से परमेश्वर का दुश्मन है। ये अपरिवर्तनीय सत्य हैं। लोगों को धार्मिक मंडलों के सार और सच्चाई को स्पष्ट रूप से देखना चाहिए जो कि परमेश्वर की सेवा करते हैं फिर भी उसका विरोध करते हैं, ताकि वे सच्चे मार्ग को स्वीकार कर सकें, अंत के दिनों के परमेश्वर के कार्य का अनुपालन कर सकें, और परमेश्वर के उद्धार को प्राप्त कर सकें। यह अत्यावश्यक बात है और इसमें देर नहीं की जा सकती, क्योंकि परमेश्वर का दिन आ रहा है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहता है: "तुम लोगों को जो समझना चाहिए, वह यह है : परमेश्वर का कार्य ऐसे किसी शख्स का इंतज़ार नहीं करता, जो उसके साथ कदमताल नहीं कर सकता, और परमेश्वर का धार्मिक स्वभाव किसी भी मनुष्य के प्रति कोई दया नहीं दिखाता" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, मसीह न्याय का कार्य सत्य के साथ करता है)

हम बाइबल से एक सत्य को देख सकते हैं कि अनुग्रह के युग के दौरान, न केवल प्रभु यीशु ने धार्मिक मंडलों के मुख्य याजकों, शास्त्रियों और फरीसियों को नहीं बुलाया था, बल्कि इसके विपरीत, उसने उनको बेनक़ाब किया और उनका न्याय किया। विशेष रूप से, प्रभु यीशु को क्रूस पर चढ़ाने में शामिल हर व्यक्ति को गंभीर रूप से दंडित किया गया था, और उन सभी को भयानक नतीजों का सामना करना पड़ा। यह एक ऐसा तथ्य है जिसे सभी लोग जानते हैं। क्या किसी को ऐसा लगता है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर, जो राज्य के युग में आता है, वह धार्मिक मंडलों की मसीह-विरोधी शक्तियों के साथ दया और क्षमा का व्यवहार कर सकता है? बिल्कुल नहीं, क्योंकि परमेश्वर धार्मिक और पवित्र है, और परमेश्वर किसी को भी अपने स्वभाव का अपमान करने की अनुमति नहीं देता। सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने पहले ही उनके अंत का फैसला कर रखा है, और स्पष्ट रूप से इस पापी तथ्य को उजागर किया है कि धार्मिक मंडलों के अधिकांश पादरी और अगुवा आज परमेश्वर का विरोध करते हैं। आओ, देखें कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर क्या कहता है: "क्या तुम लोग कारण जानना चाहते हो कि फरीसियों ने यीशु का विरोध क्यों किया? क्या तुम फरीसियों के सार को जानना चाहते हो? वे मसीहा के बारे में कल्पनाओं से भरे हुए थे। इससे भी ज़्यादा, उन्होंने केवल इस पर विश्वास किया कि मसीहा आएगा, फिर भी जीवन-सत्य की खोज नहीं की। इसलिए, वे आज भी मसीहा की प्रतीक्षा करते हैं क्योंकि उन्हें जीवन के मार्ग के बारे में कोई ज्ञान नहीं है, और नहीं जानते कि सत्य का मार्ग क्या है? तुम लोग क्या कहते हो, ऐसे मूर्ख, हठधर्मी और अज्ञानी लोग परमेश्वर का आशीष कैसे प्राप्त करेंगे? वे मसीहा को कैसे देख सकते हैं? उन्होंने यीशु का विरोध किया क्योंकि वे पवित्र आत्मा के कार्य की दिशा नहीं जानते थे, क्योंकि वे यीशु द्वारा बताए गए सत्य के मार्ग को नहीं जानते थे और इसके अलावा क्योंकि उन्होंने मसीहा को नहीं समझा था। और चूँकि उन्होंने मसीहा को कभी नहीं देखा था और कभी मसीहा के साथ नहीं रहे थे, उन्होंने मसीहा के नाम के साथ व्यर्थ ही चिपके रहने की ग़लती की, जबकि हर मुमकिन ढंग से मसीहा के सार का विरोध करते रहे। ये फरीसी सार रूप से हठधर्मी एवं अभिमानी थे और सत्य का पालन नहीं करते थे। परमेश्वर में उनके विश्वास का सिद्धांत था : इससे फ़र्क नहीं पड़ता कि तुम्हारा उपदेश कितना गहरा है, इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि तुम्हारा अधिकार कितना ऊँचा है, जब तक तुम्हें मसीहा नहीं कहा जाता, तुम मसीह नहीं हो। क्या ये दृष्टिकोण हास्यास्पद और बेतुके नहीं हैं? मैं तुम लोगों से आगे पूछता हूँ : क्या तुम लोगों के लिए वो ग़लतियां करना बेहद आसान नहीं, जो बिल्कुल आरंभ के फरीसियों ने की थीं, क्योंकि तुम लोगों के पास यीशु की थोड़ी-भी समझ नहीं है? क्या तुम सत्य का मार्ग जानने योग्य हो? क्या तुम सचमुच विश्वास दिला सकते हो कि तुम मसीह का विरोध नहीं करोगे? क्या तुम पवित्र आत्मा के कार्य का अनुसरण करने योग्य हो? यदि तुम नहीं जानते कि तुम मसीह का विरोध करोगे या नहीं, तो मेरा कहना है कि तुम पहले ही मौत की कगार पर जी रहे हो। जो लोग मसीहा को नहीं जानते थे, वे सभी यीशु का विरोध करने, यीशु को अस्वीकार करने, उसे बदनाम करने में सक्षम थे। जो लोग यीशु को नहीं समझते, वे सब उसे अस्वीकार करने एवं उसे बुरा-भला कहने में सक्षम हैं। इसके अलावा, वे यीशु के लौटने को शैतान द्वारा किए गए धोखे की तरह देखने में सक्षम हैं और अधिकांश लोग देह में लौटे यीशु की निंदा करेंगे। क्या इस सबसे तुम लोगों को डर नहीं लगता? जिसका तुम लोग सामना करते हो, वह पवित्र आत्मा के ख़िलाफ़ निंदा होगी, कलीसियाओं के लिए कहे गए पवित्र आत्मा के वचनों का विनाश होगा और यीशु द्वारा व्यक्त किए गए समस्त वचनों को ठुकराना होगा। यदि तुम लोग इतने संभ्रमित हो, तो यीशु से क्या प्राप्त कर सकते हो? यदि तुम हठपूर्वक अपनी ग़लतियां मानने से इनकार करते हो, तो श्वेत बादल पर यीशु के देह में लौटने पर तुम लोग उसके कार्य को कैसे समझ सकते हो? मैं तुम लोगों को यह बताता हूँ : जो लोग सत्य स्वीकार नहीं करते, फिर भी अंधों की तरह श्वेत बादलों पर यीशु के आगमन का इंतज़ार करते हैं, निश्चित रूप से पवित्र आत्मा के ख़िलाफ़ निंदा करेंगे और ये वे वर्ग हैं, जो नष्ट किए जाएँगे। तुम लोग सिर्फ़ यीशु के अनुग्रह की कामना करते हो और सिर्फ़ स्वर्ग के सुखद क्षेत्र का आनंद लेना चाहते हो, जब यीशु देह में लौटा, तो तुमने यीशु के कहे वचनों का कभी पालन नहीं किया और यीशु द्वारा व्यक्त किए सत्य को कभी ग्रहण नहीं किया। यीशु के एक श्वेत बादल पर लौटने के तथ्य के बदले तुम लोग क्या दोगे? क्या यह वही ईमानदारी है, जिसमें तुम लोग बार-बार पाप करते हो और फिर बार-बार उनकी स्वीकारोक्ति करते हो? श्वेत बादल पर लौटने वाले यीशु को तुम बलिदान में क्या अर्पण करोगे? क्या ये कार्य के वे वर्ष हैं, जिनके ज़रिए तुम स्वयं अपनी बढ़ाई करते हो? लौटकर आए यीशु को तुम लोगों पर विश्वास कराने के लिए तुम लोग किस चीज को थामकर रखोगे? क्या वह तुम लोगों का अभिमानी स्वभाव है, जो किसी भी सत्य का पालन नहीं करता?" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, जब तक तुम यीशु के आध्यात्मिक शरीर को देखोगे, परमेश्वर स्वर्ग और पृथ्वी को नया बना चुका होगा)

"उनमें से कितने सत्य की खोज करते हैं और धार्मिकता का पालन करते हैं? वे सभी जानवर हैं, जो सूअरों और कुत्तों से बेहतर नहीं हैं, वे गोबर के एक ढेर के बीच में बदबूदार मक्खियों के एक समूह के ऊपर दंभपूर्ण आत्म-बधाई में अपने सिर हिलाते हैं और हर तरह का उपद्रव भड़काते[1] हैं। उनका मानना है कि नरक का उनका राजा सबसे बड़ा राजा है, और इतना भी नहीं जानते कि वे खुद बदबूदार मक्खियों से ज्यादा कुछ नहीं हैं। और फिर भी, वे अपने माता-पिता रूपी सूअरों और कुत्तों की ताकत का लाभ उठाकर परमेश्वर के अस्तित्व को बदनाम करते हैं। वे तुच्छ मक्खियाँ मानती हैं कि उनके माता-पिता बड़े-बड़े दाँतों वाली व्हेल[2] की तरह विशाल हैं। वे इतना भी नहीं जानते कि वे खुद बहुत छोटे हैं, और उनके माता-पिता उनसे लाखों गुना बड़े गंदे सूअर और कुत्ते हैं। अपनी नीचता से अनजान वे अंधाधुंध दौड़ने के लिए उन सूअरों और कुत्तों द्वारा छोड़ी गई सड़न की बदबू पर भरोसा करते हैं और शर्मिंदगी से बेखबर वे व्यर्थ ही भविष्य की पीढ़ियों को पैदा करने के बारे में सोचते हैं! अपनी पीठ पर हरे पंख लगाए (जो उनके परमेश्वर पर विश्वास करने के दावे का सूचक है), वे आत्मतुष्ट हैं और हर जगह अपनी सुंदरता और आकर्षण की डींग हाँकते हैं, जबकि वे चुपके से अपने शरीर की मलिनताओं को मनुष्य पर फेंक देते हैं। इतना ही नहीं, वे स्वयं से अत्यधिक प्रसन्न होते हैं, मानो वे इंद्रधनुष के रंगों वाले एक जोड़ी पंखों का इस्तेमाल कर अपनी मलिनताएँ छिपा सकते हों, और इस तरह वे सच्चे परमेश्वर के अस्तित्व पर अपना कहर बरपाते हैं (यह धार्मिक दुनिया में परदे के पीछे चलने वाली हकीकत बताता है)। मनुष्य को कैसे पता चलेगा कि मक्खी के पंख कितने भी खूबसूरत और आकर्षक हों, मक्खी एक अत्यंत छोटे प्राणी से बढ़कर कुछ नहीं है, जिसका पेट गंदगी से भरा हुआ और शरीर रोगाणुओं से ढका हुआ है? अपने माता-पिता रूपी सूअर और कुत्तों के बल पर वे देश-भर में हैवानियत में निरंकुश होकर अंधाधुंध दौड़ते हैं (यह उस तरीके को संदर्भित करता है, जिससे परमेश्वर को सताने वाले धार्मिक अधिकारी सच्चे परमेश्वर और सत्य से विद्रोह करने के लिए राष्ट्र की सरकार से मिले मजबूत समर्थन पर भरोसा करते हैं)। ऐसा लगता है, मानो यहूदी फरीसियों के भूत परमेश्वर के साथ बड़े लाल अजगर के देश में, अपने पुराने घोंसले में लौट आए हों। उन्होंने हजारों साल पहले का अपना काम फिर करते हुए उत्पीड़न का दूसरा दौर शुरू कर दिया है। पतितों के इस समूह का अंततः पृथ्वी पर नष्ट हो जाना निश्चित है! ऐसा प्रतीत होता है कि कई सहस्राब्दियों के बाद अशुद्ध आत्माएँ और भी चालाक और धूर्त हो गई हैं। वे गुप्त रूप से लगातार परमेश्वर के काम को क्षीण करने के तरीकों के बारे में सोच रही हैं। प्रचुर छल-कपट के साथ वे अपनी मातृभूमि में कई हजार साल पहले की त्रासदी की पुनरावृत्ति करना चाहती हैं और परमेश्वर को लगभग पुकार उठने की कगार तक ले आती हैं। परमेश्वर उन्हें नष्ट करने के लिए तीसरे स्वर्ग में लौट जाने से खुद को मुश्किल से रोक पाता है" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, कार्य और प्रवेश (7))

— ऊपर से संगति से उद्धृत

अनुग्रह के युग के बारे में सोचो, जब बुरी तरह से भ्रष्ट मानवजाति ने यीशु मसीह को कीलों से क्रूस पर जड़ दिया था। उनकी कार्रवाई की वास्तविक प्रकृति क्या थी? जिसने स्वर्ग के राज्य के मार्ग को फैलाया, ऐसे प्रभु यीशु को शैतान को सौंप देना, और ऊपर से यह भी कहना कि प्रभु यीशु को क्रूस पर जड़ देना आवश्यक था, कि एक डाकू को छोड़ देना और प्रभु यीशु को क्रूस पर चढ़ाना उनके लिए बेहतर होगा: क्या इतनी भ्रष्ट मानवजाति असल में राक्षसी नहीं थी? केवल राक्षस ही परमेश्वर से इतनी घृणा कर सकते हैं कि वे परमेश्वर के साथ घातक शत्रुता रखें। मुख्य याजक, शास्त्री और इतने सारे अनुयायी—जो उस समय एकजुट होकर चीख रहे थे कि प्रभु यीशु को क्रूस पर चढ़ा दिया जाना चाहिए—केवल ऐसे राक्षसों की एक भीड़ हो सकती थी जो परमेश्वर से नफ़रत करते थे, क्या ऐसा नहीं है? अब क्या धार्मिक समुदाय के अधिकांश पादरी और अगुवा भी, अनेक विश्वासियों के साथ, एक आवाज़ में सर्वशक्तिमान परमेश्वर की निंदा नहीं करते हैं? क्या ये लोग राक्षस नहीं हैं जो परमेश्वर का विरोध कर रहे हैं? खासकर अब, जब बड़ा लाल अजगर परमेश्वर के कार्य की घोर निंदा और उसका विरोध करता है, तब धार्मिक समुदाय भी बड़े लाल अजगर का पक्ष लेता है, परमेश्वर का विरोध और निंदा करने में, और परमेश्वर पर दोष लगाने में भी, वह उसके साथ हो लेता है। इस प्रकार मानवजाति इस बात की साक्षी है कि धार्मिक समुदाय और बड़ा लाल अजगर, शैतान के शिविर में एकजुट हो गए हैं। धार्मिक समुदाय एक लम्बे समय से शैतान का एक सह-अपराधी बन गया है, जो अच्छी तरह से दर्शाता है कि धार्मिक समुदाय द्वारा परमेश्वर की सेवा का सार वास्तव में परमेश्वर का विरोध है, और यह प्रभु यीशु के उन वचनों को पूरी तरह से सच साबित करता है जो फरीसियों को बेनक़ाब कर उनका न्याय करते हैं। यह सटीक रूप में आज के धार्मिक समुदाय की भ्रष्टता और बुराई का सार है। आज धार्मिक समुदाय का परमेश्वर के लिए प्रतिरोध, प्रभु यीशु के समय में धार्मिक समुदाय के विरोध के बराबर या उससे भी बढ़कर है। वह एक मसीह-विरोधी राक्षसी समूह है जिसे परमेश्वर ने तिरस्कृत और निन्दित किया है, और वे पूरी तरह से शैतान की बुरी ताक़तों से जुड़े हुए हैं। इससे यह स्पष्ट है कि मानवजाति की भ्रष्टता एक पराकाष्ठा पर पहुँच गई है, जहाँ यह वास्तव में एक बार फिर उस मसीह को क्रूस पर चढ़ा सकती है, जो अंत के दिनों में सत्य को पेश कर रहा है और न्याय कर रहा है। यह इस बात को दिखाने के लिए पर्याप्त है कि मानवजाति शैतान के द्वारा इतनी भ्रष्ट हो गई है कि वह राक्षसों में बदल गई है। ... अंत के दिनों में परमेश्वर का न्याय और उसकी ताड़ना शैतान के भाग्य को समाप्त करने का कार्य है। क्या यह संभव है कि परमेश्वर धार्मिक समुदाय के इन राक्षसी मसीह-विरोधियों के प्रति कोई नरमी दिखाएगा, जो अंत के दिनों के असली देहधारी परमेश्वर के साथ घातक शत्रुता रखते हैं? हर कोई उस नज़ारे को देखने की प्रतीक्षा कर सकता है जिस समय दुनिया के राष्ट्र और लोग परमेश्वर के सार्वजनिक प्रकटन को देखेंगे। लोग क्यों विलाप करेंगे? तब सत्य को दिन के प्रकाश में उजागर कर दिया जाएगा!

— ऊपर से संगति से उद्धृत

फुटनोट:

1. "हर तरह का उपद्रव भड़काते" का मतलब है कि कैसे वे लोग, जो राक्षसी किस्म के होते हैं, दंगा फैलाते हैं और परमेश्वर के कार्य को बाधित करते हैं तथा उसका विरोध करते हैं।

2. "दाँतों वाली व्हेल" का इस्तेमाल उपहास के रूप में किया गया है। यह एक रूपक है, जो बताता है कि कैसे मक्खियाँ इतनी छोटी होती हैं कि सूअर और कुत्ते भी उन्हें व्हेल की तरह विशाल नज़र आते हैं।

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

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