बुद्धिमान कुंवारियाँ कौन हैं? मूर्ख कुंवारियाँ कौन हैं?
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
अतीत में कुछ लोगों ने "पाँच समझदार कुँआरियों और पाँच मूर्ख कुँआरियों" की भविष्यवाणी की है। यद्यपि भविष्यवाणी सटीक नहीं है, पर यह पूरी तरह से ग़लत भी नहीं है, इसलिए मैं तुम लोगों को कुछ स्पष्टीकरण दे सकता हूँ। ऐसा निश्चित रूप से नहीं है कि "पाँच समझदार कुँआरियाँ और पाँच मूर्ख कुँआरियाँ", दोनों लोगों की संख्या का प्रतिनिधित्व करती हैं, और न वे क्रमशः किसी एक प्रकार के लोगों का प्रतिनिधित्व करती हैं। "पाँच समझदार कुँआरियाँ" लोगों की संख्या को संदर्भित करती है, और "पाँच मूर्ख कुँआरियाँ" एक प्रकार के लोगों का प्रतिनिधित्व करती हैं, लेकिन इन दोनों में से कोई भी ज्येष्ठ पुत्रों को संदर्भित नहीं करती। इसके बजाय वे सृजन को दर्शाती हैं। यही कारण है कि उन्हें अंत के दिनों में तेल तैयार करने के लिए कहा गया है। (सृजन में मेरी गुणवत्ता नहीं होती; यदि वे समझदार बनना चाहते हैं, तो उन्हें तेल तैयार करने की आवश्यकता है, और इस प्रकार उन्हें मेरे वचनों से सुसज्जित होने की आवश्यकता है।) "पाँच समझदार कुँआरियाँ" मेरे द्वारा सृजित मनुष्यों के बीच में से मेरे पुत्रों और मेरे लोगों को दर्शाती हैं। उन्हें "कुँवारियाँ" इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे पृथ्वी पर पैदा होने पर भी मेरे द्वारा प्राप्त किए गए हैं; उन्हें पवित्र कहा जा सकता है, इसलिए उन्हें "कुँआरियाँ" कहा जाता है। पूर्वोक्त "पाँच" मेरे पुत्रों और मेरे लोगों की संख्या को दर्शाता है, जिन्हें मैंने पूर्वनियत किया है। "पाँच मूर्ख कुँआरियाँ" सेवा करने वालों को संदर्भित करता है। वे जीवन को जरा-सा भी महत्व दिए बिना केवल बाहरी चीज़ों का अनुसरण करते हुए मेरे लिए सेवा करते हैं (क्योंकि उनमें मेरी गुणवत्ता नहीं है, चाहे वे कुछ भी क्यों न करें, वह बाहरी चीज़ ही होती है), और वे मेरे सक्षम सहायक होने में असमर्थ हैं, इसलिए उन्हें "मूर्ख कुँआरियाँ" कहा जाता है। पूर्वोक्त "पाँच" शैतान का प्रतिनिधित्व करता है, और उन्हें "कुँआरियाँ" कहे जाने के तथ्य का अर्थ है कि वे मेरे द्वारा जीते जा चुके हैं और मेरे लिए सेवा करने में सक्षम हैं, किंतु इस तरह के व्यक्ति पवित्र नहीं हैं, इसलिए उन्हें सेवा करने वाले कहा जाता है।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, आरंभ में मसीह के कथन, अध्याय 116
आज वो सभी जो परमेश्वर के वर्तमान वचनों का पालन करते हैं, वो पवित्र आत्मा के प्रवाह में हैं; जो लोग आज परमेश्वर के वचनों से अनभिज्ञ हैं, वो पवित्र आत्मा के प्रवाह से बाहर हैं और ऐसे लोगों की परमेश्वर द्वारा सराहना नहीं की जाती। ... "पवित्र आत्मा के कार्य का अनुसरण" करने का मतलब है आज परमेश्वर की इच्छा को समझना, परमेश्वर की वर्तमान अपेक्षाओं के अनुसार कार्य करने में सक्षम होना, आज के परमेश्वर का अनुसरण और आज्ञापालन करने में सक्षम होना और परमेश्वर के नवीनतम कथनों के अनुसार प्रवेश करना। केवल यही ऐसा है, जो पवित्र आत्मा के कार्य का अनुसरण करता है और पवित्र आत्मा के प्रवाहमें है। ऐसे लोग न केवल परमेश्वर की सराहना प्राप्त करने और परमेश्वर को देखने में सक्षम हैं बल्कि परमेश्वर के नवीनतम कार्य से परमेश्वर के स्वभाव को भी जान सकते हैं और परमेश्वर के नवीनतम कार्य से मनुष्य की अवधारणाओं और अवज्ञा को, मनुष्य की प्रकृति और सार को जान सकते हैं; इसके अलावा, वो अपनी सेवा के दौरान धीरे-धीरे अपने स्वभाव में परिवर्तन हासिल करने में सक्षम होते हैं। केवल ऐसे लोग ही हैं, जो परमेश्वर को प्राप्त करने में सक्षम हैं और जो सचमुच में सच्चा मार्ग पा चुके हैं। जिन लोगों को पवित्र आत्मा के कार्य से हटा दिया गया है, वो लोग हैं, जो परमेश्वर के नवीनतम कार्य का अनुसरण करने में असमर्थ हैं और जो परमेश्वर के नवीनतम कार्य के विरुद्ध विद्रोह करते हैं। ऐसे लोग खुलेआम परमेश्वर का विरोध इसलिए करते हैं क्योंकि परमेश्वर ने नया कार्य किया है और क्योंकि परमेश्वर की छवि उनकी धारणाओं के अनुरूप नहीं है—जिसके परिणामस्वरूप वो परमेश्वर का खुलेआम विरोध करते हैं और परमेश्वर पर निर्णय देते हैं, जिसके नतीजे में परमेश्वर उनसे घृणा करता है और उन्हें अस्वीकार कर देता है। परमेश्वर के नवीनतम कार्य का ज्ञान रखना कोई आसान बात नहीं है, लेकिन अगर लोगों में परमेश्वर के कार्य का अनुसरण करने और परमेश्वर के कार्य की तलाश करने का ज्ञान है, तो उन्हें परमेश्वर को देखने का मौका मिलेगा, और उन्हें पवित्र आत्मा का नवीनतम मार्गदर्शन प्राप्त करने का मौका मिलेगा। जो जानबूझकर परमेश्वर के कार्य का विरोध करते हैं, वो पवित्र आत्मा के प्रबोधन या परमेश्वर के मार्गदर्शन को प्राप्त नहीं कर सकते; इस प्रकार, लोग परमेश्वर का नवीनतम कार्य प्राप्त कर पाते हैं या नहीं, यह परमेश्वर के अनुग्रह पर निर्भर करता है, यह उनके अनुसरण पर निर्भर करता है और यह उनके इरादोंपर निर्भर करता है।
वो सभी धन्य हैं जो पवित्र आत्मा के वर्तमान कथनों का पालन करने में सक्षम हैं। इस बात से कोई फ़र्कनहीं पड़ता कि वो कैसे हुआ करते थे या उनके भीतर पवित्र आत्मा कैसे कार्य कियाकरती थी—जिन्होंने परमेश्वर का नवीनतम कार्य प्राप्त किया है, वो सबसे अधिक धन्य हैं और जो लोग आज नवीनतम कार्य का अनुसरण नहीं कर पाते, हटा दिए जाते हैं। परमेश्वर उन्हें चाहता है जो नई रोशनी स्वीकार करने में सक्षम हैं और वह उन्हें चाहता है जो उसके नवीनतम कार्य को स्वीकार करते और जान लेते हैं। ऐसा क्यों कहा गया है कि तुम लोगों को पवित्र कुँवारी होना चाहिए? एक पवित्र कुँवारी पवित्र आत्मा के कार्य की तलाश करने में और नई चीज़ों को समझने में सक्षम होती है, और इसके अलावा, पुरानी धारणाओं को भुलाकर परमेश्वर के आज के कार्य का अनुसरण करने में सक्षम होती है।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर के सबसे नए कार्य को जानो और उसके पदचिह्नों का अनुसरण करो
जो शैतान से संबंधित होते हैं वे परमेश्वर के वचनों को नहीं समझते हैं और जो परमेश्वर से संबंधित होते हैं वे परमेश्वर की आवाज़ को सुन सकते हैं। वे सभी लोग जो मेरे द्वारा बोले गए वचनों को महसूस करते और समझते हैं ऐसे लोग हैं जो बचा लिए जाएँगे, और परमेश्वर की गवाही देंगे; वे सभी लोग जो मेरे द्वारा बोले गए वचनों को नहीं समझते हैं, परमेश्वर की गवाही नहीं दे सकते हैं, वे ऐसे लोग हैं जो निकाल दिए जाएँगे।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों को जानना ही परमेश्वर को जानने का मार्ग है
किसी भी रूप या राष्ट्र की बाध्यताओं से मुक्त, परमेश्वर के प्रकटन का लक्ष्य उसे अपनी योजना के अनुसार कार्य पूरा करने में सक्षम बनाना है। यह वैसा ही है जैसे, जब परमेश्वर यहूदिया में देह बना, तब उसका लक्ष्य समस्त मानवजाति के छुटकारे के लिए सलीब पर चढ़ने का कार्य पूरा करना था। फिर भी यहूदियों का मानना था कि परमेश्वर के लिए ऐसा करना असंभव है, और उन्हें यह असंभव लगता था कि परमेश्वर देह बन सकता है और प्रभु यीशु का रूप ग्रहण कर सकता है। उनका "असंभव" वह आधार बन गया, जिस पर उन्होंने परमेश्वर की निंदा और उसका विरोध किया, और जो अंततः इस्राएल को विनाश की ओर ले गया। आज कई लोगों ने उसी तरह की ग़लती की है। वे अपनी समस्त शक्ति के साथ परमेश्वर के आसन्न प्रकटन की घोषणा करते हैं, मगर साथ ही उसके प्रकटन की निंदा भी करते हैं; उनका "असंभव" परमेश्वर के प्रकटन को एक बार फिर उनकी कल्पना की सीमाओं के भीतर कैद कर देता है। और इसलिए मैंने कई लोगों को परमेश्वर के वचनों के आने के बाद जँगली और कर्कश हँसी का ठहाका लगाते देखा है। लेकिन क्या यह हँसी यहूदियों के तिरस्कार और ईशनिंदा से किसी भी तरह से भिन्न है? तुम लोग सत्य की उपस्थिति में श्रद्धावान नहीं हो, और सत्य के लिए तरसने की प्रवृत्ति तो तुम लोगों में बिलकुल भी नहीं है। तुम बस इतना ही करते हो कि अंधाधुंध अध्ययन करते हो और पुलक भरी उदासीनता के साथ प्रतीक्षा करते हो। इस तरह से अध्ययन और प्रतीक्षा करने से तुम क्या हासिल कर सकते हो? क्या तुम्हें लगता है कि तुम्हें परमेश्वर से व्यक्तिगत मार्गदर्शन मिलेगा? यदि तुम परमेश्वर के कथनों को नहीं समझ सकते, तो तुम किस तरह से परमेश्वर के प्रकटन को देखने के योग्य हो? जहाँ कहीं भी परमेश्वर प्रकट होता है, वहाँ सत्य व्यक्त होता है, और वहाँ परमेश्वर की वाणी होगी। केवल वे लोग ही परमेश्वर की वाणी सुन पाएँगे, जो सत्य को स्वीकार कर सकते हैं, और केवल इस तरह के लोग ही परमेश्वर के प्रकटन को देखने के योग्य हैं।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परिशिष्ट 1: परमेश्वर के प्रकटन ने एक नए युग का सूत्रपात किया है
संदर्भ के लिए धर्मोपदेश और संगति के उद्धरण:
तथाकथित "बुद्धिमान कुंवारियों" का तात्पर्य उन लोगों से है जो परमेश्वर की वाणी को पहचान सकते हैं और "दूल्हे" की पुकार को सुन सकते हैं, और जो इस तरह मसीह को स्वीकार कर व्यावहारिक परमेश्वर को अपने घर ले जा सकते हैं। और चूँकि "मूर्ख कुंवारियां" "दूल्हे" की आवाज़ को नहीं जानती हैं और परमेश्वर की वाणी को नहीं पहचान सकती हैं, वे मसीह को अस्वीकार करती हैं। वैसे लोग अभी भी अस्पष्ट परमेश्वर की आशा में रहते हैं, इसलिए वे छोड़ दिए और हटा दिए जाते हैं। इस प्रकार हम देख सकते हैं कि परमेश्वर पर विश्वास करने में सच्ची निष्ठा रखे बिना मसीह को स्वीकार करना बहुत कठिन है। जो लोग मसीह को स्वीकार करने से इनकार करते हैं, वे "प्रियतम के विवाह-भोज" से वंचित रह जाएँगे, और वे स्वर्ग के राज्य में परमेश्वर द्वारा अपने घर में वापस नहीं लिए जा सकते, न ही वे उस जगह में प्रवेश कर सकते हैं जिसे परमेश्वर ने इंसानों के लिए तैयार किया है। इसलिए, लोग अंत के दिनों में मसीह को स्वीकार कर उसके कार्य के प्रति समार्पित हो सकते हैं या नहीं, यह लोगों के परमेश्वर पर विश्वास करने में सफल या विफल होने का एक महत्वपूर्ण निर्णायक घटक है।
— ऊपर से संगति से उद्धृत
प्रभु यीशु ने बाइबल में भविष्यवाणी की थी कि उसकी वापसी के समय दो प्रकार के लोग होंगे, उसने अनुग्रह के युग में सभी विश्वासियों के लिए बुद्धिमान कुंवारी और मूर्ख कुंवारी को एक दृष्टांत के रूप में प्रयोग किया: जो लोग परमेश्वर की वाणी सुन सकते हैं और उसे स्वीकार करके उसका पालन कर सकते हैं, तो वे बुद्धिमान कुंवारियाँ हैं; जो सभी परमेश्वर की वाणी सुनने में सक्षम नहीं हैं, जो सुनते तो हैं मगर फिर भी इंकार करते हैं और विश्वास नहीं करते हैं, वे मूर्ख कुंवारियाँ हैं। क्या मूर्ख कुंवारियाँ स्वर्गारोहित की जा सकती हैं? नहीं, नहीं की जा सकतीं। तो इन मूर्ख और बुद्धिमान कुंवारियों को कैसे उजागर किया जा सकता है? उन्हें परमेश्वर के वचन का उपयोग करके उजागर किया जा सकता है। "वचन देह में प्रकट होता है" नामक पुस्तक में दिए गए परमेश्वर के अन्य के दिनों के वचनों को पढने के बाद उनके व्यवहार से ऐसा किया जा सकता है। कुछ विश्वासी इसे पढ़ने के बाद कहते हैं, "वाह, ऐसे गहरे वचन, इन वचनों में सत्य है।" इसे फिर से ध्यान से पढ़ने के बाद, वे कहते हैं, "ये वचन किसी सामान्य व्यक्ति से नहीं आ सकते हैं; ऐसा लगता है कि ये परमेश्वर से आये हैं।" इसे फिर से ध्यान से पढने के बाद वे कहते हैं, "वाह, यह तो परमेश्वर की वाणी है, ऐसा हो ही नहीं सकता कि ये वचन किसी मनुष्य से आये हैं!" यह व्यक्ति धन्य है, यह एक बुद्धिमान कुंवारी है। जहाँ तक मूर्ख कुंवारियों की बात है, तो कुछ पादरी हैं, कुछ एल्डर हैं, कुछ प्रचारक हैं, और कुछ भ्रमित विश्वासी हैं, जो केवल पेट भर खाना चाहते हैं। परमेश्वर के वचन को पढ़ने के बाद वे कैसा महसूस करते हैं? "हम्म, ये वचन मेरी धारणाओं और कल्पना के अनुरूप नहीं हैं, मैं इन्हें स्वीकार नहीं करता हूँ।" और इसे फिर से ध्यान से पढ़ने के बाद, वे कहते हैं: "हम्म, कुछ शब्दों में लगता है कि वे उचित हैं, लेकिन यह संभव नहीं है, यह परमेश्वर का कार्य नहीं हो सकता।" तो एक बार फिर यह उनकी धारणाओं और कल्पनाओं के अनुरूप नहीं है। अंत में, वे जितना अधिक इसे पढ़ते हैं, उतना ही कम यह उनकी धारणाओं के अनुरूप लगता है। तब, वे कहेंगे: "यह परमेश्वर का वचन नहीं है, मैं इसे स्वीकार नहीं कर सकता। यह नकली है। एक झूठा मसीह लोगों को भ्रमित करने की कोशिश कर रहा है, मैं इस पर विश्वास नहीं कर सकता!" यह किस तरह का व्यक्ति है? यह एक फरीसी है, एक मूर्ख कुंवारी है। बुद्धिमान कुंवारियों और मूर्ख कुंवारियों को प्रकाश में कैसे लाया जाता है? यह परमेश्वर का वचन है जो उन्हें प्रकाश में लाता है। अंत के दिनों में यह परमेश्वर का वचन है जो उन्हें वर्गीकृत करता है और उन्हें उन श्रेणियों में विभाजित करता है जिनसे वे संबंधित हैं, और फिर परमेश्वर भले को पुरस्कार देना शुरू करेगा और दुष्टों को दंडित करेगा।
— 'जीवन में प्रवेश पर धर्मोपदेश और संगति' से उद्धृत
बुद्धिमान कुँवारियाँ प्रभु की वाणी पर मुख्य रूप से इसलिए ध्यान देंगी, क्योंकि वे सत्य से प्रेम करती हैं और सत्य की तलाश करती हैं। वे परमेश्वर के प्रकटन के लिए प्यासी हैं; यही कारण है कि वे प्रभु के आगमन की तलाश और जाँच कर पाती हैं, और वे प्रभु की वाणी को समझ पाती हैं। चूँकि मूर्ख कुँवारियाँ सत्य से प्रेम नहीं करती हैं, इसलिए वे केवल हठपूर्वक नियमों से चिपके रहना जानती हैं और प्रभु के आने की तलाश या जाँच नहीं करती हैं। उनमें से कुछ तो इस बात पर जोर देती हैं कि वे ऐसे किसी भी प्रभु को स्वीकार या उसकी जाँच नहीं करेंगी जो बादल पर नहीं आता है। अन्य कुवाँरियाँ धार्मिक दुनिया के पादरियों और एल्डरों की चालबाजियों के प्रति पूरी तरह से समर्पित हो जाती हैं। जो कुछ भी पादरी और एल्डर्स कहेंगे, वे उसे ही सुनेंगी और उसी का पालन करेंगी। वे प्रभु के नाम में विश्वास करती हैं, किन्तु वास्तव में, वे इन पादरियों और एल्डरों का अनुसरण करती हैं और उनकी आज्ञा का पालन करती हैं। वे अपने लिए सच्चे मार्ग की जाँच नहीं करती हैं और वे प्रभु की वाणी को समझने में असमर्थ होती हैं। कुछ तो और भी अधिक मूर्ख होती हैं। चूँकि अंत के दिनों में झूठे मसीह भी प्रकट होते हैं, इसलिए वे सच्चे मसीह की तलाश या जाँच नहीं करती हैं और यहाँ तक कि उसे नकारने और उसकी निंदा करने में भी नहीं चूकती हैं। क्या यह अपने पैरों पर खुद कुल्हाड़ी मारना नहीं है? यह भी एक मूर्ख कुँवारी की पहचान है।
— 'पटकथा-प्रश्नों के उत्तर' से उद्धृत
परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?