एक धोखेबाज व्यक्ति क्या है? धोखेबाज़ लोगों को क्यों नहीं बचाया जा सकता है?
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
यदि तुम धोखेबाज हो, तो तुम सभी लोगों और मामलों के प्रति सतर्क और शंकित रहोगे, और इस प्रकार मुझमें तुम्हारा विश्वास संदेह की नींव पर निर्मित होगा। मैं इस तरह के विश्वास को कभी स्वीकार नहीं कर सकता। सच्चे विश्वास के अभाव में तुम सच्चे प्यार से और भी अधिक वंचित हो। और यदि तुम परमेश्वर पर इच्छानुसार संदेह करने और उसके बारे में अनुमान लगाने के आदी हो, तो तुम यकीनन सभी लोगों में सबसे अधिक धोखेबाज हो। तुम अनुमान लगाते हो कि क्या परमेश्वर मनुष्य जैसा हो सकता है : अक्षम्य रूप से पापी, क्षुद्र चरित्र का, निष्पक्षता और विवेक से विहीन, न्याय की भावना से रहित, शातिर चालबाज़ियों में प्रवृत्त, विश्वासघाती और चालाक, बुराई और अँधेरे से प्रसन्न रहने वाला, आदि-आदि। क्या लोगों के ऐसे विचारों का कारण यह नहीं है कि उन्हें परमेश्वर का थोड़ा-सा भी ज्ञान नहीं है? ऐसा विश्वास पाप से कम नहीं है! कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो मानते हैं कि जो लोग मुझे खुश करते हैं, वे बिल्कुल ऐसे लोग हैं जो चापलूसी और खुशामद करते हैं, और जिनमें ऐसे हुनर नहीं होंगे, वे परमेश्वर के घर में अवांछनीय होंगे और वे वहाँ अपना स्थान खो देंगे। क्या तुम लोगों ने इतने बरसों में बस यही ज्ञान हासिल किया है? क्या तुम लोगों ने यही प्राप्त किया है? और मेरे बारे में तुम लोगों का ज्ञान इन गलतफहमियों पर ही नहीं रुकता; परमेश्वर के आत्मा के खिलाफ तुम्हारी निंदा और स्वर्ग की बदनामी इससे भी बुरी बात है। इसीलिए मैं कहता हूँ कि ऐसा विश्वास तुम लोगों को केवल मुझसे दूर भटकाएगा और मेरे खिलाफ बड़े विरोध में खड़ा कर देगा।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, पृथ्वी के परमेश्वर को कैसे जानें
जो लोग परमेश्वर में विश्वास करते हैं लेकिन फिर भी सत्य का अनुसरण नहीं करते, वे शैतान के प्रभाव से किसी भी तरह नहीं बच सकते। जो लोग ईमानदारी से अपना जीवन नहीं जीते, जो लोगों के सामने एक तरह से और उनकी पीठ पीछे दूसरी तरह से व्यवहार करते हैं, जो नम्रता, धैर्य और प्रेम का दिखावा करते हैं, जबकि मूलत: उनका सार कपटी और धूर्त होता है और परमेश्वर के प्रति उनकी कोई निष्ठा नहीं होती, ऐसे लोग अंधकार के प्रभाव में रहने वाले लोगों के विशिष्ट नमूने हैं; वे सर्प के किस्म के लोग हैं। जो लोग हमेशा अपने ही लाभ के लिए परमेश्वर में विश्वास रखते हैं, जो अभिमानी और घमंडी हैं, जो दिखावा करते हैं, और जो हमेशा अपनी हैसियत की रक्षा करते हैं, वे ऐसे लोग होते हैं जो शैतान से प्यार करते हैं और सत्य का विरोध करते हैं। वे लोग परमेश्वर का विरोध करते हैं और पूरी तरह से शैतान के होते हैं। जो लोग परमेश्वर के बोझ के प्रति सजग नहीं हैं, जो पूरे दिल से परमेश्वर की सेवा नहीं करते, जो हमेशा अपने और अपने परिवार के हितों के लिए चिंतित रहते हैं, जो खुद को परमेश्वर की खातिर खपाने के लिए हर चीज़ का परित्याग करने में सक्षम नहीं हैं, और जो परमेश्वर के वचनों के अनुसार अपनी ज़िंदगी नहीं जीते, वे परमेश्वर के वचनों के बाहर जी रहे हैं। ऐसे लोगों को परमेश्वर की प्रशंसा प्राप्त नहीं हो सकती।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, अंधकार के प्रभाव से बच निकलो और तुम परमेश्वर द्वारा प्राप्त किए जाओगे
बाद में, आगे के मार्ग पर, तुम्हें चालाकी नहीं करनी चाहिए या धोखाधड़ी और कुटिलता में संलग्न नहीं होना चाहिए, अन्यथा परिणाम अकल्पनीय होंगे! तुम लोग अभी भी नहीं जानते कि धोखा और कुटिलता क्या होते हैं। कोई भी कार्य या व्यवहार जो तुम मुझे नहीं दिखा सकते, जिसे तुम खुले में नहीं ला सकते, वह धोखाधड़ी और कुटिलता है। अब तुम्हें यह समझ लेना चाहिए! यदि तुम भविष्य में धोखाधड़ी और कुटिलता में लिप्त होते हो, तो न समझने का ढोंग मत करना—यदि तुम ऐसा करते हो तो तुम जानबूझकर गलत कर रहे हो, और तुम दोगुने दोषी हो। यह तुम्हें केवल आग में जलाए जाने की ओर, या इससे भी बदतर, खुद को बरबाद कर देने की ओर ही ले जाएगा।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, आरंभ में मसीह के कथन, अध्याय 45
कुछ लोग हमेशा यह दावा करते हैं कि वे जो कुछ भी करते हैं, वह कलीसिया के लिए होता है; लेकिन वास्तव में वे अपने फायदे के लिए कार्य कर रहे हैं। ऐसे लोगों के इरादे गलत होते हैं। वे कुटिल और धोखेबाज हैं और वे जो अधिकांश चीज़ें करते हैं, वे उनके निजी लाभ के लिए होती हैं। इस तरह के व्यक्ति परमेश्वर से प्रेम करने का प्रयास नहीं करते; उनका हृदय अब भी शैतान का है और वह परमेश्वर की ओर नहीं मुड़ सकता। इसलिए, परमेश्वर के पास इस तरह के व्यक्ति को प्राप्त करने का कोई उपाय नहीं है।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर के लिए सच्चा प्रेम स्वाभाविक है
तुम लोगों को पता होना चाहिए कि परमेश्वर ईमानदार इंसान को पसंद करता है। मूल बात यह है कि परमेश्वर निष्ठावान है, अत: उसके वचनों पर हमेशा भरोसा किया जा सकता है; इसके अतिरिक्त, उसका कार्य दोषरहित और निर्विवाद है, यही कारण है कि परमेश्वर उन लोगों को पसंद करता है जो उसके साथ पूरी तरह से ईमानदार होते हैं। ... तुम्हें पता होना चाहिए कि क्या तुम्हारे भीतर सच्चा विश्वास और सच्ची वफादारी है, क्या परमेश्वर के लिए कष्ट उठाने का तुम्हारा कोई इतिहास है, और क्या तुमने परमेश्वर के प्रति पूरी तरह से समर्पण किया है। यदि तुममें इन बातों का अभाव है, तो तुम्हारे भीतर अवज्ञा, धोखा, लालच और शिकायत अभी शेष हैं। चूँकि तुम्हारा हृदय ईमानदार नहीं है, इसलिए तुमने कभी भी परमेश्वर से सकारात्मक स्वीकृति प्राप्त नहीं की है और प्रकाश में जीवन नहीं बिताया है। अंत में किसी व्यक्ति की नियति कैसे काम करती है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि क्या उसके अंदर एक ईमानदार और भावुक हृदय है, और क्या उसके पास एक शुद्ध आत्मा है। यदि तुम ऐसे इंसान हो जो बहुत बेईमान है, जिसका हृदय दुर्भावना से भरा है, जिसकी आत्मा अशुद्ध है, तो तुम अंत में निश्चित रूप से ऐसी जगह जाओगे जहाँ इंसान को दंड दिया जाता है, जैसाकि तुम्हारी नियति में लिखा है। यदि तुम बहुत ईमानदार होने का दावा करते हो, मगर तुमने कभी सत्य के अनुसार कार्य नहीं किया है या सत्य का एक शब्द भी नहीं बोला है, तो क्या तुम तब भी परमेश्वर से पुरस्कृत किए जाने की प्रतीक्षा कर रहे हो? क्या तुम तब भी परमेश्वर से आशा करते हो कि वह तुम्हें अपनी आँख का तारा समझे? क्या यह सोचने का बेहूदा तरीका नहीं है? तुम हर बात में परमेश्वर को धोखा देते हो; तो परमेश्वर का घर तुम जैसे इंसान को, जिसके हाथ अशुद्ध हैं, जगह कैसे दे सकता है?
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, तीन चेतावनियाँ
"यदि तुम अपने रहस्यों को—कहने का अर्थ है, अपनी कठिनाइयों को—दूसरों के सामने प्रकट करने के अत्यधिक अनिच्छुक हो ताकि प्रकाश का मार्ग खोजा जा सके, तो मैं कहता हूँ कि तुम ऐसे व्यक्ति हो जिसे आसानी से उद्धार प्राप्त नहीं होगा और जो आसानी से अंधकार से नहीं निकलेगा।" यहाँ परमेश्वर ने मनुष्यों को अभ्यास का एक मार्ग प्रदान किया है, और यदि तू इस तरह से अभ्यास नहीं करता है, और केवल चिल्लाकर नारे और सिद्धांत बोलता है, तो तू ऐसा व्यक्ति है जिसे आसानी से उद्धार प्राप्त नहीं होगा। यह वास्तव में उद्धार से जुड़ा हुआ है। बचाया जाना प्रत्येक व्यक्ति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। क्या परमेश्वर ने इसका कहीं और उल्लेख किया है? अन्यत्र, वह शायद ही कभी बचाए जाने की कठिनाई का उल्लेख करता है, लेकिन वह ईमानदार होने की बात करते समय इसके बारे में बात करता है: यदि तू इस तरह से कार्य नहीं करता है, तो तू कोई ऐसा व्यक्ति है जिसे बचाया जाना बहुत मुश्किल है। "आसानी से उद्धार प्राप्त न करने" का अर्थ है कि तेरा बचाया जाना मुश्किल है और तू उद्धार के लिए सही मार्ग अपनाने में असमर्थ है, और इसलिए तुझे बचाना असंभव है। लोगों को कुछ गुंजाइश देने के लिए परमेश्वर ऐसा कहता है; कहने का तात्पर्य है कि, तुझे बचाना आसान नहीं है, लेकिन दूसरी ओर, यदि तू परमेश्वर के वचनों को व्यवहार में लाता है, तो तेरे लिए आशा होगी और तुझे बचाया जा सकता है। यदि तू परमेश्वर के वचनों को व्यवहार में नहीं लाता है, और यदि तू अपने रहस्यों या कठिनाइयों का कभी भी विश्लेषण नहीं करता है, या कभी भी उन निजी बातों को किसी को नहीं बताता है या उनके बारे में लोगों के सामने स्पष्ट नहीं होता है, उनके बारे में कभी भी लोगों के साथ संगति नहीं करता है, या अपने आप को स्पष्ट करने के लिए लोगों के साथ उनका विश्लेषण नहीं करता है, तब तेरे बचाए जाने की कोई संभावना नहीं है। और ऐसा क्यों है? यदि तू इस तरह से अपने आप को उजागर नहीं करता है या विश्लेषण नहीं करता है, तो तेरा भ्रष्ट स्वभाव कभी नहीं बदलेगा। और यदि तू बदलने में असमर्थ है, तो भूल जा कि तुझे बचाया जा सकता है। इन वचनों को कहने में परमेश्वर का यही अर्थ है, और यह परमेश्वर की इच्छा है।
परमेश्वर ने हमेशा इस बात पर ज़ोर क्यों दिया है कि लोगों को ईमानदार होना चाहिए? क्योंकि यह बहुत महत्वपूर्ण है, और यह सीधे तौर पर इस बात से संबंधित है कि तुझे बचाया जा सकता है या नहीं। ... परमेश्वर जिन्हें चाहता है वे हैं ईमानदार लोग। यदि तू झूठ और धोखे में सक्षम है, तो तू एक विश्वासघाती, कुटिल और कपटी व्यक्ति है, और एक ईमानदार व्यक्ति नहीं है। और यदि तू एक ईमानदार व्यक्ति नहीं है, तो कोई अवसर नहीं है कि परमेश्वर तुझे बचाएगा, ना ही तू संभवतः बचाया जा सकता है।
— "मसीह की बातचीत के अभिलेख" में 'एक ईमानदार व्यक्ति होने का सबसे बुनियादी अभ्यास' से उद्धृत
मुझमें सब कुछ धार्मिक है, कोई अधार्मिकता, कोई धोखेबाज़ी और कोई कुटिलता नहीं है; जो कोई भी कुटिल और धोखेबाज़ है, वह अवश्य ही अधोलोक में पैदा हुआ नरक का पुत्र होगा। मुझमें सब कुछ प्रत्यक्ष है; जो कुछ भी मैं कहता हूँ कि पूरा होगा, वह यकीनन पूरा होगा; जो कुछ भी मैं कहता हूँ कि स्थापित होगा, वह ज़रूर स्थापित होगा, और कोई भी इन चीज़ों को बदल नहीं सकता या इनकी नकल नहीं कर सकता, क्योंकि मैं ही एकमात्र स्वयं परमेश्वर हूँ।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, आरंभ में मसीह के कथन, अध्याय 96
संदर्भ के लिए धर्मोपदेश और संगति के उद्धरण:
धोखेबाज़ लोग न केवल दूसरे लोगों को धोखा देते हैं, बल्कि वे परमेश्वर के साथ भी धोखेबाज़ी से पेश आते हैं, क्योंकि यह उनकी फ़ितरत है। हम उनकी धोखेबाज फ़ितरत को उस प्रवृत्ति से देख सकते हैं जो धोखेबाज लोग परमेश्वर के वचन के प्रति रखते हैं: वे हमेशा परमेश्वर के वचन के प्रति संदेहपूर्ण होते हैं, और वे इस पर विश्वास नहीं करते हैं। इस बात पर, धोखेबाज़ लोग और ईमानदार लोग पूरी तरह से भिन्न होते हैं। ईमानदार लोग विशेष रूप से निष्कपट होते हैं। परमेश्वर जो भी कहता है वे उस पर विश्वास करते हैं, परमेश्वर जो भी कहता है उसका आज्ञापालन करते हैं, और ठीक वही करते हैं जो परमेश्वर अपेक्षा करता है। इसलिए परमेश्वर ईमानदार लोगों को पसंद करता है, और वह ईमानदार लोगों को आशीष देता है। पवित्र आत्मा का कार्य प्राप्त करना ईमानदार लोगों के लिए सबसे आसान है। एक धोखेबाज़ व्यक्ति पूरी तरह से इसके विपरीत होता है। इस बात की परवाह किए बिना कि परमेश्वर क्या बोलता है, धोखेबाज़ व्यक्ति हमेशा संदेहपूर्ण होता है कि यह कोई चाल है, यह कोई बुद्धि का खेल है, इसलिए वे आसानी से इसे स्वीकार और इसका अभ्यास नहीं कर पाते हैं। धोखेबाज़ लोगों को न केवल परमेश्वर के वचन के बारे में संदेह ही नहीं होता, बल्कि वे परमेश्वर के कार्य का अध्ययन करने में भी माहिर होते हैं। वे हमेशा परमेश्वर के वास्तविक इरादों को भाँपने की कोशिश करते हैं ताकि वे कोई लेन-देन कर सकें। यह स्पष्ट है कि धोखेबाज़ लोग अदला-बदली करने में सबसे अधिक कुशल होते हैं। उनका फ़लसफ़ा अदला-बदली का फ़लसफ़ा होता है; नुकसान उठाने का नहीं। उन्होंने यहाँ तक कि अपने विश्वास के बारे में भी परमेश्वर के साथ लेन-देन करने का प्रयास किया है। वे हमेशा विचारमग्न रहते हैं कि क्या उन्हें उनके विश्वास में उनको आशीष मिलेगा या वे शापित होंगे, और वे इस बारे में भी अधिक चिंतित होते हैं कि क्या वे परमेश्वर की प्रजा हैं, या वे सेवा करने वाले हैं। वे लगातार हिसाब-क़िताब करते रहते हैं और जिस किसी भी दिन वे इस मुद्दे के बारे में स्पष्ट नहीं हो पाते हैं वह ऐसा दिन होता है जब वे जीवन की खोज करने के लिए स्थिर नहीं होंगे। धोखेबाज़ लोग चालाक लोमड़ियाँ होते हैं, और सबसे चालाक लोग होते हैं। इस कारण से, परमेश्वर धोखेबाज़ लोगों से सबसे अधिक नफ़रत करता है, और वह उन पर अधिक प्रयास व्यय नहीं करना चाहता है, या उनसे अब और नहीं बोलना चाहता है। धोखेबाज़ लोग हमेशा परमेश्वर के वचनों के प्रति अपने द़ृष्टिकोण में छिद्रान्वेषी होते हैं, वे उसके वचनों में तर्क दोष और बहस के लिए आधार खोजने के लिए उसके वचनों की छानबीन करते हैं क्योंकि धोखेबाज़ लोग परमेश्वर के वचनों को संदेह, विद्रोह, प्रतिरोध और अविश्वास के दृष्टिकोण से देखते हैं, इसलिए उनमें पवित्र आत्मा के कार्य का पूरी तरह से अभाव होता है। परमेश्वर के वचन को पढ़ने से उन्हें लेशमात्र भी प्रबुद्धता प्राप्त नहीं होती है, वे असाधारण रूप से बेतुके और अनाड़ी दिखाई देते हैं। वास्तव में, परमेश्वर के वचनों में कहीं कोई भी विरोधाभास नहीं हैं, फिर भी वे विरोधाभास के कई स्थानों को खोज लेते हैं और खुद मुश्किल में पड़ जाते हैं। यह विशेष रूप से पवित्र आत्मा की उनकी प्रबुद्धता और आध्यात्मिक समझ के दयनीय अभाव को दर्शाता है। जो रवैया धोखेबाज़ लोग परमेश्वर के वचन के प्रति रखते हैं, उससे हम देख सकते हैं कि उनकी फ़ितरत स्पष्टतः शैतानी फ़ितरत है जो कि परमेश्वर का विरोध करती है। वे सभी लोग, जो संदेह और अविश्वास के दृष्टिकोण के साथ परमेश्वर के वचन के करीब आते हैं, वे दर असल धोखेबाज़ लोग हैं, जो निस्संदेह परमेश्वर के वचनों में सत्य को नहीं पाएँगे; और अंततः वे केवल हटा दिए जाएँगे।
— ऊपर से संगति से उद्धृत
परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?