बुरे कर्म क्या हैं? बुरे कर्मों की अभिव्यक्तियाँ क्या हैं?

12 मार्च, 2021

बुरे कर्म क्या हैं? बुरे कर्मों की अभिव्यक्तियाँ क्या हैं

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

वह मानक क्या है जिसके द्वारा किसी व्यक्ति के कर्मों का न्याय अच्छे या बुरे के रूप में किया जाता है? यह इस बात पर निर्भर करता है कि अपने विचारों, अभिव्यक्तियों और कार्यों में तुममें सत्य को व्यवहार में लाने और सत्य-वास्तविकता को जीने की गवाही है या नहीं। यदि तुम्हारे पास यह वास्तविकता नहीं है या तुम इसे नहीं जीते, तो इसमें कोई शक नहीं कि तुम कुकर्मी हो।

— "मसीह की बातचीत के अभिलेख" में 'अपना सच्चा हृदय परमेश्वर को दो, और तुम सत्य को प्राप्त कर सकते हो' से उद्धृत

यदि तू हमेशा देह के अनुसार जीता है, हमेशा अपनी स्वार्थी इच्छाओं को संतुष्ट करता है, तो ऐसे व्यक्ति में सत्य-वास्तविकता नहीं होती। यह परमेश्वर को लज्जित करने का चिह्न है। तुम कहते हो, "मैंने कुछ नहीं किया; मैंने परमेश्वर को कैसे लज्जित किया है?" तुम्हारे विचारों और ख्यालों में, तुम्हारे कार्यों के पीछे के इरादों, लक्ष्यों और मंशाओं में, और तुमने जो किया है उनके परिणामों में—हर तरीके से तुम शैतान को संतुष्ट कर रहे हो, उसके उपहास के पात्र बनकर उसे अपनी गुप्त बातें बता रहे हो जिसका वो तुम्हारे विरुद्ध इस्तेमाल कर सकता है। एक ईसाई के तौर पर तुम्हारे पास जो गवाही होनी चाहिए, वो दूर-दूर तक भी नहीं है। तुम सभी चीज़ों में परमेश्वर का नाम बदनाम करते हो और तुम्हारे पास सच्ची गवाही नहीं है। क्या परमेश्वर तुम्हारे द्वारा किए गए कृत्यों को याद रखेगा? अंत में, परमेश्वर तुम्हारे कृत्यों और कर्तव्य के बारे में क्या निष्कर्ष निकालेगा? क्या उसका कोई नतीजा नहीं निकलना चाहिए, किसी प्रकार का कोई वक्तव्य नहीं आना चाहिए? बाइबल में, प्रभु यीशु कहता है, "उस दिन बहुत से लोग मुझ से कहेंगे, 'हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हम ने तेरे नाम से भविष्यद्वाणी नहीं की, और तेरे नाम से दुष्‍टात्माओं को नहीं निकाला, और तेरे नाम से बहुत से आश्‍चर्यकर्म नहीं किए?' तब मैं उनसे खुलकर कह दूँगा, 'मैं ने तुम को कभी नहीं जाना। हे कुकर्म करनेवालो, मेरे पास से चले जाओ।'" प्रभु यीशु ने ऐसा क्यों कहा? जो लोग बीमारों को चंगा करते हैं और परमेश्वर के नाम पर दुष्टात्माओं को निकालते हैं, जो परमेश्वर के नाम पर उपदेश देने के लिए यात्रा करते हैं, वे कुकर्मी क्यों हो गए हैं? ये कुकर्मी कौन हैं? क्या ये वो लोग हैं जो परमेश्वर में विश्वास नहीं करते? वे सभी परमेश्वर में विश्वास करते हैं और परमेश्वर का अनुसरण करते हैं। वे परमेश्वर के लिए चीजों का त्याग भी करते हैं, स्वयं को परमेश्वर के लिए खपाकर कर्तव्य निभाते हैं। लेकिन अपना कर्तव्य निभाते समय उनमें भक्ति और गवाही का अभाव होता है, इसलिए यह दुष्टता करना बन गया है। इसलिए प्रभु यीशु कहता है, "हे कुकर्म करनेवालो, मेरे पास से चले जाओ।"

— "मसीह की बातचीत के अभिलेख" में 'अपना सच्चा हृदय परमेश्वर को दो, और तुम सत्य को प्राप्त कर सकते हो' से उद्धृत

वर्तमान में तुम परमेश्वर के बहुत-से क्रिया-कलाप को देख रहे हो, मगर तब भी तुम प्रतिरोध करते हो और विद्रोही हो, और समर्पण नहीं करते हो; तुम अपने भीतर बहुत सी चीज़ों को आश्रय देते हो, और वही करते हो जो तुम चाहते हो; तुम अपनी वासनाओं और अपनी पसंद का अनुसरण करते हो; यह विद्रोहीपन और प्रतिरोध है। परमेश्वर पर वह विश्वास जो देह के लिए, वासनाओं के लिए, अपनी खुद की पसंद के लिए, संसार के लिए, और शैतान के लिए किया जाता है, वह कलुषित है; वह प्रकृति से प्रतिरोधी व विद्रोही है। आज सभी भिन्न-भिन्न प्रकार के विश्वास हैं : कुछ आपदा से बचने के लिए आश्रय खोजते हैं, अन्य आशीषें प्राप्त करने के लिए प्रयास करते हैं; जबकि कुछ रहस्यों को समझना चाहते हैं, और कुछ अन्य कुछ धन पाने का प्रयास करते हैं; ये सभी प्रतिरोध के रूप हैं; ये सब ईशनिंदा के प्रतीक हैं! यह कहना कि कोई व्यक्ति प्रतिरोध या विद्रोह करता है—क्या यह इन व्यवहारों के संदर्भ में नहीं है? बहुत-से लोग आजकल बड़बड़ाते हैं, शिकायतें करते हैं या आलोचनाएँ करते हैं। ये सभी चीजें दुष्टों के द्वारा की जाती हैं; वे मानव प्रतिरोध और विद्रोहीपन के उदाहरण हैं; ऐसे व्यक्ति शैतान के अधिकार और नियंत्रण में होते हैं।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, तुम्हें पता होना चाहिए कि समस्त मानवजाति आज के दिन तक कैसे विकसित हुई

भाइयों और बहनों के बीच जो लोग हमेशा अपनी नकारात्मकता का गुबार निकालते रहते हैं, वे शैतान के अनुचर हैं और वे कलीसिया को परेशान करते हैं। ऐसे लोगों को अवश्य ही एक दिन निकाल और हटा दिया जाना चाहिए। परमेश्वर में अपने विश्वास में, अगर लोगों के अंदर परमेश्वर के प्रति श्रद्धा-भाव से भरा दिल नहीं है, अगर ऐसा दिल नहीं है जो परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारी हो, तो ऐसे लोग न सिर्फ परमेश्वर के लिये कोई कार्य कर पाने में असमर्थ होंगे, बल्कि वे परमेश्वर के कार्य में बाधा उपस्थित करने वाले और उसकी उपेक्षा करने वाले लोग बन जाएंगे। परमेश्वर में विश्वास करना किन्तु उसकी आज्ञा का पालन नहीं करना या उसका आदर नहीं करना और उसका प्रतिरोध करना, किसी भी विश्वासी के लिए सबसे बड़ा कलंक है। यदि विश्वासी वाणी और आचरण में हमेशा ठीक उसी तरह लापरवाह और असंयमित हों जैसे अविश्वासी होते हैं, तो ऐसे लोग अविश्वासी से भी अधिक दुष्ट होते हैं; ये मूल रूप से राक्षस हैं। जो लोग कलीसिया के भीतर विषैली, दुर्भावनापूर्ण बातों का गुबार निकालते हैं, भाइयों और बहनों के बीच अफवाहें व अशांति फैलाते हैं और गुटबाजी करते हैं, तो ऐसे सभी लोगों को कलीसिया से निकाल दिया जाना चाहिए था। अब चूँकि यह परमेश्वर के कार्य का एक भिन्न युग है, इसलिए ऐसे लोग नियंत्रित हैं, क्योंकि उन पर बाहर निकाले जाने का खतरा मंडरा रहा है। शैतान द्वारा भ्रष्ट ऐसे सभी लोगों के स्वभाव भ्रष्ट हैं। कुछ के स्वभाव पूरी तरह से भ्रष्ट हैं, जबकि अन्य लोग इनसे भिन्न हैं : न केवल उनके स्वभाव शैतानी हैं, बल्कि उनकी प्रकृति भी बेहद विद्वेषपूर्ण है। उनके शब्द और कृत्य न केवल उनके भ्रष्ट, शैतानी स्वभाव को प्रकट करते हैं, बल्कि ये लोग असली पैशाचिक शैतान हैं।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, जो सत्य का अभ्यास नहीं करते हैं उनके लिए एक चेतावनी

हर कलीसिया में ऐसे लोग होते हैं जो कलीसिया के लिए मुसीबत पैदा करते हैं या परमेश्वर के कार्य में व्यवधान डालते हैं। ये सभी लोग शैतान के छ्द्म वेष में परमेश्वर के परिवार में घुस आए हैं। ऐसे लोग अभिनय कला में निपुण होते हैं : मेरे समक्ष विनीत भाव से आकर, नमन करते हुए, नत-मस्तक होते हैं, खुजली वाले कुत्ते की तरह व्यवहार करते हैं, अपने मकसद को पूरा करने के लिये अपना "सर्वस्व" न्योछावर करते हैं, लेकिन भाई-बहनों के सामने उनका बदसूरत चेहरा प्रकट हो जाता है। जब वे सत्य पर चलने वाले लोगों को देखते हैं तो उन पर आक्रमण कर देते हैं और उन्हें दर-किनार कर देते हैं; और जब वे ऐसे लोगों को देखते हैं जो उनसे भी अधिक भयंकर हैं, तो फिर वे उनकी चाटुकारिता करने लगते हैं, उनके आगे गिड़गिड़ाने लगते हैं। कलीसिया के भीतर वे आततायियों की तरह व्यवहार करते हैं। कह सकते हैं कि ऐसे "स्थानीय गुण्डे" और ऐसे "पालतू कुत्ते" ज़्यादातर कलीसियाओं में मौजूद हैं। ऐसे लोग मिलकर आस-पास मुखबिरी करते हैं, आँखे झपका कर, गुप्त संकेतों और इशारों से आपस में बात करते हैं, और इनमें से कोई भी सत्य का अभ्यास नहीं करता। जो सबसे ज़्यादा ज़हरीला होता है, वही "प्रधान राक्षस" होता है, और जो सबसे अधिक प्रतिष्ठित होता है, वह इनकी अगुवाई करता है और इनका परचम बुलंद रखता है। ऐसे लोग कलीसिया में उपद्रव मचाते हैं, नकारात्मकता फैलाते हुए मौत का तांडव करते हैं, मनमर्जी करते हैं, जो चाहे बकते हैं; किसी में इन्हें रोकने की हिम्मत नहीं होती है, ये शैतानी स्वभाव से भरे होते हैं। जैसे ही ये लोग व्यवधान पैदा करते हैं, कलीसिया में मुर्दनी छा जाती है। ... यदि किसी कलीसिया में कई स्थानीय गुण्डे हैं, और कुछ छोटी-मोटी "मक्खियों" द्वारा उनका अनुसरण किया जाता है जिनमें विवेक का पूर्णतः अभाव है, और यदि समागम के सदस्य, सच्चाई जान लेने के बाद भी, इन गुण्डों की जकड़न और तिकड़म को नकार नहीं पाते, तो उन सभी मूर्खों का अंत में सफाया कर दिया जायेगा। भले ही इन छोटी-छोटी मक्खियों ने कुछ खौफ़नाक न किया हो, लेकिन ये और भी धूर्त, ज़्यादा मक्कार और कपटी होती हैं, इस तरह के सभी लोगों को हटा दिया जाएगा। एक भी नहीं बचेगा!

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, जो सत्य का अभ्यास नहीं करते हैं उनके लिए एक चेतावनी

तुम लोगों का छल, तुम लोगों का घमंड, तुम लोगों का लालच, तुम लोगों की फालतू इच्छाएँ, तुम लोगों का धोखा, तुम लोगों की अवज्ञा—इनमें से कौन-सी चीज़ मेरी नज़र से बच सकती है? तुम लोग मेरे प्रति असावधान हो, मुझे मूर्ख बनाते हो, मेरा अपमान करते हो, मुझे फुसलाते हो, मुझसे ज़बरन वसूली करते हो, बलिदानों के लिए मुझसे ज़बरदस्ती करते हो—ऐसे दुष्कर्म मेरी सज़ा से कैसे बचकर निकल सकते हैं? ये सब दुष्कर्म मेरे साथ तुम लोगों की शत्रुता का प्रमाण हैं, और तुम लोगों की मेरे साथ अनुकूलता न होने का प्रमाण हैं। तुम लोगों में से प्रत्येक अपने को मेरे साथ बहुत अनुकूल समझता है, परंतु यदि ऐसा होता, तो फिर यह अकाट्य प्रमाण किस पर लागू होगा? तुम लोगों को लगता है कि तुम्हारे अंदर मेरे प्रति बहुत ईमानदारी और निष्ठा है। तुम लोग सोचते हो कि तुम बहुत ही रहमदिल, बहुत ही करुणामय हो और तुमने मेरे प्रति बहुत समर्पण किया है। तुम लोग सोचते हो कि तुम लोगों ने मेरे लिए पर्याप्त से अधिक किया है। लेकिन क्या तुम लोगों ने कभी इसे अपने कामों से मिलाकर देखा है? मैं कहता हूँ, तुम लोग बहुत हीघमंडी, बहुत ही लालची, बहुत ही लापरवाह हो; और जिन चालबाज़ियों से तुम मुझे मूर्ख बनाते हो, वे बहुत शातिर हैं, और तुम्हारे इरादे और तरीके बहुत घृणित हैं। तुम लोगों की वफ़ादारी बहुत ही थोड़ी है, तुम्हारी ईमानदारी बहुत ही कम है, और तुम्हारी अंतरात्मा तो और अधिक क्षुद्र है। तुम लोगों के हृदय में बहुत ही अधिक द्वेष है, और तुम्हारे द्वेष से कोई नहीं बचा है, यहाँ तक कि मैं भी नहीं। तुम लोग अपने बच्चों या अपने पति या आत्म-रक्षा के लिए मुझे बाहर निकाल देते हो। मेरी चिंता करने के बजाय तुम लोग अपने परिवार, अपने बच्चों, अपनी हैसियत, अपने भविष्य और अपनी संतुष्टि की चिंता करते हो। तुम लोगों ने बातचीत या कार्य करते समय कभी मेरे बारे में सोचा है? ठंड के दिनों में तुम लोगों के विचार अपने बच्चों, अपने पति, अपनी पत्नी या अपने माता-पिता की तरफ मुड़ जाते हैं। गर्मी के दिनों में भी तुम सबके विचारों में मेरे लिए कोई स्थान नहीं होता। जब तुम अपना कर्तव्य निभाते हो, तब तुम अपने हितों, अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा, अपने परिवार के सदस्यों के बारे में ही सोच रहे होते हो। तुमने कब मेरे लिए क्या किया है? तुमने कब मेरे बारे में सोचा है? तुमने कब अपने आप को, हर कीमत पर, मेरे लिए और मेरे कार्य के लिए समर्पित किया है? मेरे साथ तुम्हारी अनुकूलता का प्रमाण कहाँ है? मेरे साथ तुम्हारी वफ़ादारी की वास्तविकता कहाँ है? मेरे साथ तुम्हारी आज्ञाकारिता की वास्तविकता कहाँ है? कब तुम्हारे इरादे केवल मेरे आशीष पाने के लिए नहीं रहे हैं? तुम लोग मुझे मूर्ख बनाते और धोखा देते हो, तुम लोग सत्य के साथ खेलते हो, तुम सत्य के अस्तित्व को छिपाते हो, और सत्य के सार को धोखा देते हो। इस तरह मेरे ख़िलाफ़ जाने से भविष्य में क्या चीज़ तुम लोगों की प्रतीक्षा कर रही है? तुम लोग केवल एक अज्ञात परमेश्वर के साथ अनुकूलता की खोज करते हो, और मात्र एक अज्ञात विश्वास की खोज करते हो, लेकिन तुम मसीह के साथ अनुकूल नहीं हो। क्या तुम्हारी दुष्टता के लिए भी वही प्रतिफल नहीं मिलेगा, जो दुष्ट को मिलता है?

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, तुम्हें मसीह के साथ अनुकूलता का तरीका खोजना चाहिए

हो सकता है कि परमेश्वर में अपने इतने वर्षों के विश्वास के कारण तुमने कभी किसी को कोसा न हो और न ही कोई बुरा कार्य किया हो, फिर भी अगर मसीह के साथ अपनी संगति में तुम सच नहीं बोल सकते, सच्चाई से कार्य नहीं कर सकते, या मसीह के वचन का पालन नहीं कर सकते; तो मैं कहूँगा कि तुम संसार में सबसे अधिक कुटिल और कपटी व्यक्ति। हो सकता है तुम अपने रिश्तेदारों, मित्रों, पत्नी (या पति), बेटों और बेटियों, और माता पिता के प्रति अत्यंत स्नेहपूर्ण और निष्ठावान हो, और कभी दूसरों का फायदा नहीं उठाते हो, लेकिन अगर तुम मसीह के अनुरूप नहीं पाते हो और उसके साथ समरसता के साथ व्यवहार नहीं कर पाते हो, तो भले ही तुम अपने पड़ोसियों की सहायता के लिए अपना सब कुछ खपा दो या अपने माता-पिता और घरवालों की अच्छी देखभाल करो, तब भी मैं कहूँगा कि तुम धूर्त हो, और साथ में चालाक भी हो। सिर्फ इसलिए कि तुम दूसरों के साथ अच्छा तालमेल बिठा लेते हो या कुछ अच्छे काम कर लेते हो, तो यह न सोचो कि तुम मसीह के अनुरूप हो। क्या तुम लोग सोचते हो कि तुम्हारी उदारता स्वर्ग की आशीष बटोर सकती है? क्या तुम सोचते हो कि थोड़े-से अच्छे काम कर लेना तुम्हारी आज्ञाकारिता का स्थान ले सकता है?

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, जो मसीह के साथ असंगत हैं वे निश्चित ही परमेश्वर के विरोधी हैं

मैं उन लोगों पर अब और दया नहीं करूँगा जिन्होंने गहरी पीड़ा के दिनों में मेरे प्रति रत्ती भर भी निष्ठा नहीं दिखाई है, क्योंकि मेरी दया का विस्तार केवल इतनी ही दूर तक है। इसके अतिरिक्त, मुझे ऐसा कोई इंसान पसंद नहीं है जिसने कभी मेरे साथ विश्वासघात किया हो, ऐसे लोगों के साथ जुड़ना तो मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं है जो अपने मित्रों के हितों को बेच देते हैं। चाहे व्यक्ति जो भी हो, मेरा स्वभाव यही है।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, अपनी मंजिल के लिए पर्याप्त अच्छे कर्म तैयार करो

तुम लोगों में से हर एक अधिकता के शिखर तक उठ चुका है; तुम लोग बहुतायत के पितरों के रूप में आरोहण कर चुके हो। तुम लोग अत्यंत स्वेच्छाचारी हो, और आराम के स्थान की तलाश करते हुए और अपने से छोटे भुनगों को निगलने का प्रयास करते हुए उन सभी भुनगों के बीच पगलाकर दौड़ते हो। अपने हृदयों में तुम लोग द्वेषपूर्ण और कुटिल हो, और समुद्र-तल में डूबे हुए भूतों को भी पीछे छोड़ चुके हो। तुम गोबर की तली में रहते हो और ऊपर से नीचे तक भुनगों को तब तक परेशान करते हो, जब तक कि वे बिलकुल अशांत न हो जाएँ, और थोड़ी देर एक-दूसरे से लड़ने-झगड़ने के बाद शांत होते हो। तुम लोगों को अपनी जगह का पता नहीं है, फिर भी तुम लोग गोबर में एक-दूसरे के साथ लड़ाई करते हो। इस तरह की लड़ाई से तुम क्या हासिल कर सकते हो? यदि तुम लोगों के हृदय में वास्तव में मेरे लिए आदर होता, तो तुम लोग मेरी पीठ पीछे एक-दूसरे के साथ कैसे लड़ सकते थे? तुम्हारी हैसियत कितनी भी ऊँची क्यों न हो, क्या तुम फिर भी गोबर में एक बदबूदार छोटा-सा कीड़ा ही नहीं हो? क्या तुम पंख उगाकर आकाश में उड़ने वाला कबूतर बन पाओगे? बदबूदार छोटे कीड़ो, तुम लोग मुझ यहोवा की वेदी के चढ़ावे चुराते हो; ऐसा करके क्या तुम लोग अपनी बरबाद, असफल प्रतिष्ठा बचा सकते हो और इस्राएल के चुने हुए लोग बन सकते हो? तुम लोग बेशर्म कमीने हो!

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, जब झड़ते हुए पत्ते अपनी जड़ों की ओर लौटेंगे, तो तुम्हें अपनी की हुई सभी बुराइयों पर पछतावा होगा

संदर्भ के लिए धर्मोपदेश और संगति के उद्धरण:

सभी प्रकार के बुरे कर्म करने की क्या अभिव्यक्तियाँ हैं? पहली अभिव्यक्ति परमेश्वर के घर में होती है, जब कोई परमेश्वर को आँकता है और परमेश्वर के कार्य को आँकता है। इसमें अक्सर परमेश्वर और पवित्र आत्मा द्वारा उपयोग किए जाने वाले मनुष्य के बारे में धारणाएँ शामिल होती हैं। कुछ लोग यहाँ तक कि शत्रुता भी रखते हैं, हर जगह परमेश्वर के बारे में नकारात्मकता और गलत धारणाएँ फैलाते हैं, परमेश्वर के चुने हुए लोगों को धोखा देने और परमेश्वर के घर के कार्य में विघ्न डालने के लिए परमेश्वर और पवित्र आत्मा द्वारा उपयोग किए गए मनुष्य के बारे में अफ़वाहें फैलाते हैं। ये सबसे बड़ी बुराइयाँ हैं। ये ही वे चीजें हैं जो परमेश्वर के चुने हुए लोगों के जीवन प्रवेश में और परमेश्वर के घर के कार्य में सबसे अधिक विघ्न डालती हैं और क्षति पहुँचाती हैं। यही कारण है कि ये सबसे बड़ी बुराइयां हैं। वे सभी लोग जो इस प्रकार के बुरे कर्मों को करने में सक्षम हैं, वे सभी प्रकार के बुरे कर्म करने वाले कुकर्मी हैं। दूसरी अभिव्यक्ति यह है कि परमेश्वर के घर के कुछ अगुवा परमेश्वर के इरादों के प्रति विचारशील नहीं हैं और उस महत्वपूर्ण काम को नहीं करते हैं जो परमेश्वर ने उन्हें सौंपा है। इसके बजाय, वे स्वयं के लिए गवाही देते हैं और अपनी हैसियत को बनाए रखने के लिए कार्य करते हैं। परमेश्वर के घर में सभी तरह की अगुवाई वाले पदों को वे अपने भरोसेमंद सहयोगियों और बंधुओं के लिए निश्चित करते हैं। इस तरह का व्यक्ति भी सभी प्रकार के बुरे कर्म करने वाला एक कुकर्मी है। वे अगुवाई वाले पद उन लोगों के लिए निश्चित नहीं करते हैं जो सत्य का अनुसरण करते हैं और जिनमें पवित्र आत्मा का कार्य है; इसके बजाय, वे अपने सह-अपराधियों, भरोसेमंद सहयोगियों, और चाटुकारों को महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त करते हैं। क्या यह परमेश्वर के चुने हुए लोगों के जीवन प्रवेश में बाधाएँ और कठिनाइयाँ पैदा करना नहीं है? इसलिए, ऐसे लोग भी सभी प्रकार के बुरे कर्म करने वाले कुकर्मी हैं। परमेश्वर का घर उन्हें ऊँचा उठाता है और उन्हें अगुवा बनने देता है, फिर भी वे स्वयं की ही गवाही देते हैं, स्वयं का ही दिखावा करते हैं और परमेश्वर या परमेश्वर के स्वरूप की गवाही नहीं देते हैं। वे परमेश्वर के वचन के सत्य का संवाद नहीं करते हैं और वे सत्य में प्रवेश करने में लोगों का मार्गदर्शन नहीं करते हैं। वे हमेशा अपने कार्य में अपनी हैसियत की रक्षा करने का प्रयास करते हैं। वे हमेशा अपनी हैसियत और अपनी प्रतिष्ठा के लिए बोलते हैं। वे परमेश्वर के चुने हुए लोगों के बीच अपनी स्वयं की हैसियत की रक्षा करते हैं और वे ऊपर के लोगों के हृदयों में अपनी हैसियत का बचाव करते हैं। इस तरह का व्यक्ति मसीह का शत्रु है। जो लोग मसीह के शत्रु हैं, वे सब सभी प्रकार के बुरे कर्म करने वाला कुकर्मी हैं। एक और अभिव्यक्ति है। कुछ लोग अपने कर्तव्यों को तो पूरा करते हैं लेकिन परमेश्वर के लिए उनमें कोई श्रद्धा नहीं होती है। वे सिर्फ बिना रुचि के ऐसा करते हैं। जब वे कार्य करते हैं तो वे अपनी देह की इच्छाओं और अपनी निजी पसंदों का अनुसरण करते हैं। परिणाम यह होता है कि वे परमेश्वर के घर के लिए बहुत सी परेशानियाँ लाते हैं और वे परमेश्वर के घर के लिए एक बड़ी वित्तीय हानि का कारण बनते हैं। इस तरह का व्यक्ति सभी प्रकार के बुरे कर्म करने वाला एक कुकर्मी है। इसके अलावा, वे सभी लोग जो सत्य का अनुसरण नहीं करते हैं, मगर जब दूसरे सत्य का अनुसरण करते हैं तो उन्हें परेशान करते हैं, जो हमेशा नकारात्मकता फैलाते हैं, जो हमेशा अविश्वासियों या धार्मिक लोगों के भ्रामक दृष्टिकोणों को फैलाकर परमेश्वर के चुने हुए लोगों को परेशान करते हैं, वे भी सभी प्रकार के बुरे कर्म करने वाले कुकर्मियों की श्रेणी में आते हैं।

— 'जीवन में प्रवेश पर धर्मोपदेश और संगति' से उद्धृत

परमेश्वर के कार्य में बाधा डालने, उसे उलट-पुलट करने और सीधे परमेश्वर के खिलाफ जाने के तीस बुरे कर्म:

1. ईमानदारी से कलीसिया में अपने कर्तव्य को पूरा नहीं करना और ईर्ष्यापूर्ण विवादों में, ओहदे के संघर्षों में, शामिल होना जिसके परिणामस्वरूप कलीसियाई जीवन में अव्यवस्था होती है, यह एक बुरा कर्म है।

2. विवाद के बीज बोना, गुटबंदी करना और गड़बड़ी पैदा करना जिसके परिणामस्वरूप कलीसिया में मतभेद और कलीसिया के काम में गंभीर गड़बड़ी हो, एक बुरा कर्म है।

3. सत्य से प्रेम नहीं करना, दुष्टता करना और टकराव पैदा करना, लोगों के बीच संघर्ष को भड़काना और कलीसियाई जीवन को अस्त-व्यस्त करना, एक बुरा कर्म है।

4. झूठ बोलना, लोगों को धोखा और झांसा देना, तथ्यों को अक्सर विकृत करना और अव्यवस्था पैदा करने के लिए सत्य-असत्य का मिश्रण करना, एक बुरा कर्म है।

5. लोगों को भ्रमित करने के लिए भ्रांतियाँ और विधर्म फैलाना ताकि लोग सत्य का अनुसरण करने में नाकाम रहें, उनके पास कोई भी मार्ग शेष न रहे और वे शैतान और राक्षसों से खुद को जोड़ लें, यह एक बुरा कर्म है।

6. नकारात्मकता और मृत्यु के संदेश को फैलाना, लोगों को धोखा देने के लिए धारणाएँ फैलाना, कलीसिया के जीवन को उलट-पुलट करना, लोगों को सुस्त बनाना और परमेश्वर से दूर करना एक बुरा कर्म है।

7. यदि तुम स्पष्ट रूप से जानते हो कि तुम्हारे अंदर सत्य की वास्तविकता नहीं है और तुम्हारे अंदर एक बुरी मानवता है और फिर भी अगुवा के ओहदे के लिए तुम लगातार प्रतिस्पर्धा करते हो, जिसके परिणामस्वरूप अव्यवस्था फैलती है, तो यह एक बुरा कर्म है।

8. लोगों के सामने एक प्रकार का और उनके पीछे दूसरे प्रकार का आचरण करना, पक्ष में होने का दिखावा करते हुए विपक्ष में काम करना, अपने वरिष्ठ अधिकारियों को धोखा देना और अपने अधीनस्थों को भ्रमित करना, और इस तरह के दोगलेपन से लोगों से छल करना, एक बुरा कर्म है।

9. समस्याओं को हल करने के लिए सत्य के बारे में सहभागिता करने में असमर्थ होने के कारण, हमेशा लोगों को दबोचने और उनसे प्रतिशोध लेने का मौका देखते रहना और लोगों को झिड़कने के लिए अपनी बात पर अड़े रहना, एक बुरा कर्म है।

10. अगुवाओं और कर्मचारियों की गलतियों को मुद्दा बनाना, उनसे उचित तरीके से पेश न आना और उनके सामान्य कामकाज पर असर डालना, एक बुरा कर्म है।

11. झूठे अगुवाओं और कर्मचारियों के खिलाफ़ कार्यवाही करते समय प्रतिशोध लेना और लोगों को ठिकाने लगाना, लोगों को बरबाद करना और उन्हें पश्चाताप करने का मौका न देना, आतंक पैदा करना, एक बुरा कर्म है।

12. ग़ैर-ज़िम्मेदार अगुवा या कर्मचारी बनना और दुष्ट लोग जब कलीसिया को परेशान करें तो आलसी बनकर बैठे रहना और कलीसिया के काम को कायम नहीं रखना, एक बुरा कर्म है।

13. कार्य-व्यवस्था के अनुसार व्यावहारिक समस्याओं को हल करने में अपने कर्तव्य का पालन नहीं करना और दुष्टों को कलीसिया को परेशान करने देना, एक बुरा कर्म है।

14. कार्य-व्यवस्था को गंभीरता से तोड़-मरोड़ देना और अपने ही तरीके से काम करना, सत्य के विरुद्ध जाना और अंत तक इसमें बने रहना, परमेश्वर के चुने हुए लोगों को नुकसान पहुंचाना, एक बुरा कर्म है।

15. यदि अगुवा और कर्मचारी सत्य का अभ्यास नहीं करते हैं, अंधाधुंध काम करते हैं और परमेश्वर के चुने हुए लोगों के पर्यवेक्षण और उनकी आलोचना को स्वीकार नहीं करते हैं, तो यह एक बुरा कर्म है।

16. यदि अगुवा और कर्मचारी मनमानी करते हैं और उन लोगों को चुनते और उनका इस्तेमाल करते हैं जिनमें सत्य की वास्तविकता नहीं है और जो व्यावहारिक कार्य नहीं कर पाते हैं, जिसका एक बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है, तो यह एक बुरा कर्म है।

17. किसी कर्तव्य को शुरुआत से अंत तक लापरवाही से, थोड़े-से भी प्रभाव के बिना करना जिससे लाभ से अधिक नुकसान हो रहा हो, और कलीसिया का काम गंभीर रूप से प्रभावित हो रहा हो, एक बुरा कर्म है।

18. खुद तो सत्य का अभ्यास न करना और दूसरों को भी अपने कर्तव्य को करने से और अच्छे कर्मों को तैयार करने से रोकना, एक बुरा कर्म है।

19. निपटने और काट-छाँट से इनकार करना, थोड़ा-सा भी आज्ञाकारी न होना, उग्रता से दबंग होकर मनमानी करते हुए कलीसिया को परेशान करना और निरंकुश होकर अपनी इच्छा से चलना, एक बुरा कर्म है।

20. लगातार अपनी ही गवाही देना और खुद को ऊँचा उठाना, झूठे बयान देना, दूसरों की प्रशंसा पाने के लिए आत्म-प्रदर्शन करना, इन्हें लोगों को धोखा देने के रूप में वर्गीकृत किया जाता है और यह एक बुरा कर्म है।

21. हमेशा बुरे और दुष्ट लोगों के साथ संपर्क करना और उनके साथ हिलना-मिलना, हमेशा बुरे और दुष्ट लोगों के हितों की बात करना और कलीसिया के काम में रुकावट डालना, एक बुरा कर्म है।

22. दुष्ट लोगों का अनुसरण करते हुए मुसीबतें खड़ी करना, कलीसिया के काम में रुकावट डालना और कलीसिया के जीवन को प्रभावित करना, अंत तक पश्चाताप न करना, यह एक बुरा कर्म है।

23. हमेशा महत्वाकांक्षी होना और ओहदे की तलाश करना, अक्सर दूसरों को धोखा देने के लिए धारणाओं को फैलाना और सत्ता के लिए प्रतिस्पर्धा करने में विभिन्न साधनों का उपयोग करना, यह एक बुरा कर्म है।

24. सुसमाचार का प्रचार करने के लिए गंदी चालें चलना, परमेश्वर के नाम का अपमान करना, लोगों पर सबसे खराब प्रभाव डालना और उनमें उकताहट पैदा करना, यह एक बुरा कर्म है।

25. उन लोगों की देखभाल नहीं करना जो धर्मान्तरित हो चुके हैं, लगभग पूरी तरह से ग़ैर-ज़िम्मेदार होना और सुसमाचार के काम को गंभीर रूप से प्रभावित करना, एक बुरा कर्म है।

26. चढ़ावे की चोरी करना, भोग-विलास में लिप्त रहना, व्यावहारिक काम को नहीं करना और कलीसिया के काम में बहुत अधिक विलम्ब पैदा करना, एक बुरा कर्म है।

27. कलीसिया की दान और राहत निधियों का गबन करना, परमेश्वर के घर के धन का दुरुपयोग करना, भ्रष्ट और पतित होकर सर्वाधिक बुरा प्रभाव डालना, एक बुरा कर्म है।

28. परमेश्वर के घर के चढ़ावे को सुरक्षित रखने में ग़ैर-ज़िम्मेदार होना, झूठे अगुवाओं, मसीह-विरोधियों और बड़े लाल अजगर को चढ़ावा देना, यह एक बुरा कर्म है।

29. कलीसिया तथा भाइयों और बहनों को धोखा देना, यहाँ तक कि शैतान की सेवा करना, अगुवाओं और कर्मचारियों पर नज़र रखना और उनका पीछा करना, यह एक बुरा कर्म है।

30. लगातार कामी और दुष्ट होना, विषमलैंगिक यौन-स्वच्छंदता या समलैंगिकता में शामिल होना, कलीसिया के जीवन को अस्त-व्यस्त करना और बहुत बुरा प्रभाव डालना, एक बुरा कर्म है।

— 'कार्य व्यवस्था' से उद्धृत

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