7. बाइबल में यह लिखा हुआ है, "क्योंकि प्रभु आप ही स्वर्ग से उतरेगा; उस समय ललकार, और प्रधान दूत का शब्द सुनाई देगा, और परमेश्‍वर की तुरही फूँकी जाएगी; और जो मसीह में मरे हैं, वे पहले जी उठेंगे" (1 थिस्सलुनीकियों 4:16)। आप गवाही देते हैं कि प्रभु यीशु वापस आ गया है, लेकिन हमने न तो ललकार, न ही प्रधान दूत की आवाज़, और न ही परमेश्‍वर की तुरही फूँकने की आवाज़ सुनी है, और न ही हमने मृत संतों को फिर से जी उठते देखा है। तो यह कैसे सिद्ध हो सकता है कि प्रभु लौट आया है?

उत्तर :

क्या तुम्हारा बाइबल में लिखे पौलुस के इन शब्दों के आधार पर यह तय करना सही है कि प्रभु लौट आया है या नहीं, "क्योंकि प्रभु आप ही स्वर्ग से उतरेगा; उस समय ललकार, और प्रधान दूत का शब्द सुनाई देगा, और परमेश्‍वर की तुरही फूँकी जाएगी; और जो मसीह में मरे हैं, वे पहले जी उठेंगे" (1 थिस्सलुनीकियों 4:16)? यह एक स्पष्ट तथ्य है कि बाइबल में परमेश्वर के वचन, मनुष्य के शब्द, यहाँ तक कि दानव शैतान के भी शब्द हैं। जब प्रभु का स्वागत करने की बात आती है, तो तुम परमेश्वर के वचनों के अनुसार क्यों नहीं चलते, मनुष्य के शब्दों के अनुसार क्यों चलते हो? क्या तुम विश्वास करते हो कि मनुष्य के सभी शब्द सत्य हैं? और यह कि वे सभी सत्य के अनुरूप हैं? जिन शब्दों का तुम उल्लेख कर रहे हो, वे पौलुस द्वारा कहे गए थे। पौलुस एक मनुष्य था, वह परमेश्वर नहीं था, तो उसके शब्दों को प्रभु का स्वागत करने के आधार के रूप में कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है? केवल परमेश्वर के वचन ही प्रभु की वापसी से जुड़े मामलों के लिए एक आधार प्रदान कर सकते हैं। प्रभु यीशु द्वारा व्यक्तिगत रूप से कही गई भविष्यवाणियों से अधिक सटीक कोई आधार नहीं है, क्योंकि केवल परमेश्वर के वचन ही सत्य हैं। मनुष्य सत्य से रहित है, यहाँ तक कि जब उसके शब्द पवित्र आत्मा द्वारा प्रबुद्ध और रोशन होते हैं, तब भी वे सत्य नहीं होते, उन्हें सत्य के रूप में तो बिलकुल भी नहीं लिया जाना चाहिए और उनका पालन भी बिलकुल नहीं किया जाना चाहिए। तो प्रभु यीशु ने अपनी वापसी के बारे में क्या कहा था? प्रभु यीशु ने कहा था, "उस दिन और उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता, न स्वर्ग के दूत और न पुत्र, परन्तु केवल पिता" (मत्ती 24:36)। प्रभु यीशु ने यह बात पूरी तरह से स्पष्ट और सीधे तौर पर कही थी। कोई नहीं जानता कि प्रभु कब लौटेगा, यहाँ तक कि स्वर्गदूत या स्वयं मनुष्य का देहधारी पुत्र भी नहीं। केवल पिता—पवित्र आत्मा—जानता है। और ऐसा होने के कारण, प्रभु का स्वागत करने में सबसे सटीक बात यह है कि केवल प्रभु यीशु के वचनों के आधार पर खोज और जाँच-पड़ताल की जाए। मनुष्य की कोई भी भविष्यवाणियाँ सटीक नहीं हैं, किसी प्रकार के आधार का काम तो वे बिलकुल भी नहीं कर सकतीं। तो क्या प्रभु यीशु के वचन कहते हैं कि वह एक ललकार के साथ, प्रधान स्वर्गदूत की वाणी के साथ, और परमेश्वर की तुरही के साथ लौटेगा, और मरे हुए जी उठेंगे? नहीं। और इसलिए, पौलुस के शब्दों के आधार पर तुम्हारा यह निष्कर्ष, कि प्रभु नहीं लौटा है क्योंकि ये घटनाएँ नहीं घटी हैं—पूरी तरह से हास्यास्पद है।

हम प्रभु के वचनों के आधार पर प्रभु की वापसी का स्वागत करते हैं। प्रभु ने कहा था, "देख, मैं चोर के समान आता हूँ" (प्रकाशितवाक्य 16:15)। "तुम भी तैयार रहो; क्योंकि जिस घड़ी तुम सोचते भी नहीं, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा" (लूका 12:40)। "देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूँ; यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूँगा और वह मेरे साथ" (प्रकाशितवाक्य 3:20)। "क्योंकि जैसे बिजली आकाश के एक छोर से कौंध कर आकाश के दूसरे छोर तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य का पुत्र भी अपने दिन में प्रगट होगा। परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दु:ख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ" (लूका 17:24-25)। प्रभु के वचन स्पष्ट हैं : वह ऐसे समय पर आता है जो मनुष्य द्वारा अप्रत्याशित है और किसी भी व्यक्ति या स्वर्गदूत के लिए अज्ञात परिस्थितियों में सत्य व्यक्त करता है, जिससे परमेश्वर के चुने हुए लोगों को परमेश्वर की वाणी सुनाई देती है। जब परमेश्वर के चुने हुए लोग परमेश्वर की वाणी सुनते हैं और प्रभु को पहचानते हैं, तब वे परमेश्वर के सिंहासन के सामने उन्नत किए जाते हैं। उन्नत किए गए ये लोग तब यह गवाही देना शुरू करते हैं कि प्रभु लौट आया है और उसने प्रकट होकर काम करना शुरू कर दिया है, और इस प्रकार प्रभु यीशु की यह भविष्यवाणी पूरी कर रहा है : "आधी रात को धूम मची: 'देखो, दूल्हा आ रहा है! उससे भेंट करने के लिये चलो'" (मत्ती 25:6)। प्रभु के आगमन का स्वागत करना इतना आसान है। यह पूरी तरह से प्रभु यीशु की भविष्यवाणियों पर आधारित है, और इसमें जरा-सी भी त्रुटि नहीं है; लोगों को ललकार, प्रधान स्वर्गदूत की आवाज, या परमेश्वर की तुरही सुनने या मरे हुओं के जी उठने पर ध्यान केंद्रित करने की कोई आवश्यकता नहीं है—यह सब हास्यास्पद है। प्रभु की वापसी के प्रमाण का केवल एक ही आधार है, वह है परमेश्वर की वाणी सुनना, और लोगों का यह देखना कि परमेश्वर द्वारा व्यक्त वचन सत्य हैं, और परमेश्वर की वाणी हैं—यह सबसे अच्छा प्रमाण है। यदि तुम उस पर विश्वास नहीं करते, तो सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्त किए गए सभी वचनों को अपनी आँखों से देखो। यदि तुम पहचानते हो कि वे परमेश्वर की वाणी हैं, और तुम उन्हें स्वीकार करते हो, तो तुम एक बुद्धिमान कुँवारी हो, जिसने प्रभु की आवाज सुनी है और प्रभु का स्वागत किया है। जैसा कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहता है, "जो देहधारी परमेश्वर है, उसके पास परमेश्वर का सार होगा और जो देहधारी परमेश्वर है, उसके पास परमेश्वर की अभिव्यक्ति होगी। चूँकि परमेश्वर ने देह धारण किया है, इसलिए वह उस कार्य को सामने लाएगा, जो वह करना चाहता है, और चूँकि परमेश्वर ने देह धारण किया है, इसलिए वह उसे अभिव्यक्त करेगा जो वह है और वह मनुष्य के लिए सत्य को लाने, उसे जीवन प्रदान करने और उसे मार्ग दिखाने में सक्षम होगा। जिस देह में परमेश्वर का सार नहीं है, वह निश्चित रूप से देहधारी परमेश्वर नहीं है; इसमें कोई संदेह नहीं। अगर मनुष्य यह पता करना चाहता है कि क्या यह देहधारी परमेश्वर है, तो इसकी पुष्टि उसे उसके द्वारा अभिव्यक्त स्वभाव और उसके द्वारा बोले गए वचनों से करनी चाहिए। इसे ऐसे कहें, व्यक्ति को इस बात का निश्चय कि यह देहधारी परमेश्वर है या नहीं और कि यह सही मार्ग है या नहीं, उसके सार से करना चाहिए। और इसलिए, यह निर्धारित करने की कुंजी कि यह देहधारी परमेश्वर की देह है या नहीं, उसके बाहरी स्वरूप के बजाय उसके सार (उसका कार्य, उसके कथन, उसका स्वभाव और कई अन्य पहलू) में निहित है" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, प्रस्तावना)। तुम तब तक प्रतीक्षा भी कर सकते हो, जब तक कि तुम परमेश्वर के कार्य द्वारा लोगों के एक समूह को विजेताओं के रूप में पूर्ण किए जाने और सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रत्येक वचन के पूरा होने का तथ्य न देख लो। लेकिन अगर तुम सर्वशक्तिमान परमेश्वर को स्वीकार करने के लिए उस दिन तक प्रतीक्षा करोगे, तो बहुत देर हो जाएगी, और परमेश्वर पहले ही खुले तौर पर प्रकट हो चुका होगा।

पिछला: 6. हमने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कई वचन पढ़े हैं। उनमें अधिकार और शक्ति हैं, और वे वास्तव में परमेश्वर की आवाज़ हैं। फिर भी पादरी और एल्डर्स कहते हैं कि बाइबल में यह लिखा है, "मुझे आश्‍चर्य होता है कि जिसने तुम्हें मसीह के अनुग्रह में बुलाया उससे तुम इतनी जल्दी फिर कर और ही प्रकार के सुसमाचार की ओर झुकने लगे। परन्तु वह दूसरा सुसमाचार है ही नहीं: पर बात यह है कि कितने ऐसे हैं जो तुम्हें घबरा देते, और मसीह के सुसमाचार को बिगाड़ना चाहते हैं। परन्तु यदि हम, या स्वर्ग से कोई दूत भी उस सुसमाचार को छोड़ जो हम ने तुम को सुनाया है, कोई और सुसमाचार तुम्हें सुनाए, तो शापित हो" (गलातियों 1:6-8)। पौलुस द्वारा बोले गए इन शब्दों के कारण, पादरी और एल्डर्स कहते हैं कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर में हमारा विश्वास प्रभु यीशु के नाम से, और प्रभु यीशु के रास्ते से, भटक जाता है। वे कहते हैं कि हम दूसरे सुसमाचार में विश्वास करते हैं, और यह धर्मत्याग है, प्रभु के प्रति विश्वासघात है। हालाँकि हमें यह तो लगता है कि वे जो कहते हैं वह ग़लत है, (फिर भी) हम यह सुनिश्चित रूप से नहीं कह सकते हैं कि वे किस तरह ग़लत हैं। कृपया इस बारे में हमारे साथ सहभागिता करें।

अगला: 8. हम मानते हैं कि बुद्धिमान कुँवारियों द्वारा तेल तैयार करने का अर्थ है प्रार्थना में अचल होना, धर्मशास्त्रों का पढ़ना, और सभा में उपस्थित होना, प्रभु के लिए यत्नपूर्वक काम करना, और सतर्कता से प्रभु की वापसी की प्रतीक्षा करना। एक बुद्धिमान कुँवारी होने का मतलब यही है, और जब परमेश्वर लौटता है, तो हम दूल्हे का स्वागत करेंगे और मेम्ने की दावत में भाग लेंगे।

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

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5. पुराने और नए दोनों नियमों के युगों में, परमेश्वर ने इस्राएल में काम किया। प्रभु यीशु ने भविष्यवाणी की कि वह अंतिम दिनों के दौरान लौटेगा, इसलिए जब भी वह लौटता है, तो उसे इस्राएल में आना चाहिए। फिर भी आप गवाही देते हैं कि प्रभु यीशु पहले ही लौट चुका है, कि वह देह में प्रकट हुआ है और चीन में अपना कार्य कर रहा है। चीन एक नास्तिक राजनीतिक दल द्वारा शासित राष्ट्र है। किसी भी (अन्य) देश में परमेश्वर के प्रति इससे अधिक विरोध और ईसाइयों का इससे अधिक उत्पीड़न नहीं है। परमेश्वर की वापसी चीन में कैसे हो सकती है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद :"क्योंकि उदयाचल से लेकर अस्ताचल तक जाति-जाति में मेरा नाम महान् है, और हर कहीं मेरे नाम पर धूप और शुद्ध भेंट...

प्रश्न: प्रभु यीशु कहते हैं: "मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं" (यूहन्ना 10:27)। तब समझ आया कि प्रभु अपनी भेड़ों को बुलाने के लिए वचन बोलने को लौटते हैं। प्रभु के आगमन की प्रतीक्षा से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण बात है, प्रभु की वाणी सुनने की कोशिश करना। लेकिन अब, सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि हमें नहीं पता कि प्रभु की वाणी कैसे सुनें। हम परमेश्वर की वाणी और मनुष्य की आवाज़ के बीच भी अंतर नहीं कर पाते हैं। कृपया हमें बताइये कि हम प्रभु की वाणी की पक्की पहचान कैसे करें।

उत्तर: हम परमेश्वर की वाणी कैसे सुनते हैं? हममें कितने भी गुण हों, हमें कितना भी अनुभव हो, उससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। प्रभु यीशु में विश्वास...

परमेश्वर का प्रकटन और कार्य परमेश्वर को जानने के बारे में अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन मसीह-विरोधियों को उजागर करना अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ सत्य के अनुसरण के बारे में I सत्य के अनुसरण के बारे में न्याय परमेश्वर के घर से शुरू होता है अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अत्यावश्यक वचन परमेश्वर के दैनिक वचन सत्य वास्तविकताएं जिनमें परमेश्वर के विश्वासियों को जरूर प्रवेश करना चाहिए मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ राज्य का सुसमाचार फ़ैलाने के लिए दिशानिर्देश परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की आवाज को सुनती हैं परमेश्वर की आवाज़ सुनो परमेश्वर के प्रकटन को देखो राज्य के सुसमाचार पर अत्यावश्यक प्रश्न और उत्तर मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 1) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 2) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 3) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 4) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 5) मैं वापस सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास कैसे गया

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