1. पिछले कुछ वर्षों में हमारी कलीसिया में चीज़ें अधिकाधिक उजाड़ हो गई हैं। भाई-बहन अपना विश्वास और अपना प्रेम खो रहे हैं, वे अधिकाधिक नकारात्मक और कमज़ोर होते जा रहे हैं, और प्रचारक आध्यात्मिक रूप से बंजर हो गए हैं; उनके पास प्रचार करने के लिए कुछ नहीं है। हम सभी को लगता है कि हमने पवित्र आत्मा के कार्य को खो दिया है। हमने एक ऐसी कलीसिया की हर जगह खोज की है जिसमें पवित्र आत्मा का कार्य हो, लेकिन हम जिसे पाते हैं, वह अगले के समान ही उजाड़ होती है। ऐसे अकाल से हर संप्रदाय आक्रान्त क्यों है?
उत्तर :
आज, धर्म का संसार वीरान हो गया है, और इसमें पवित्र आत्मा का कार्य नहीं है, बहुत-से लोगों का विश्वास और प्रेम क्षीण हो रहा है। ये माने हुए तथ्य हैं। तो इस वीरानी का मूल कारण क्या है? हम सभी जानते हैं कि अब हम अंत के दिनों के अंतिम चरण में हैं। प्रभु यीशु ने भविष्यवाणी की थी, "अधर्म के बढ़ने से बहुतों का प्रेम ठण्डा पड़ जाएगा" (मत्ती 24:12)। आज, धार्मिक समुदाय में अधर्म के मामले और अधिक बढ़ते जा रहे हैं। कलीसियाओं में, पादरी और एल्डर अपना दिखावा करने, खुद को स्थापित करने तथा दूसरों की प्रशंसा पाने के लिए बाइबल और धर्मशास्त्रीय सिद्धांत के ज्ञान का प्रतिपादन करने के अलावा और कुछ नहीं करते। उन्होंने कभी भी प्रभु यीशु की आज्ञाओं का पालन नहीं किया है, न ही उनके पास प्रभु के वचनों को व्यवहार में लाने के अनुभव की कोई गवाही है। वे जीवन-प्रवेश के बारे में कोई उपदेश नहीं दे सकते, न ही उन्होंने कभी प्रभु के वचनों का अभ्यास और अनुभव करने में लोगों की अगुआई की है। कई पादरी और एल्डर भी बाहरी दुनिया की प्रवृत्तियों का अनुसरण करते हैं, और धन का लालच करते हैं और सत्ता और अपने हितों के लिए लड़ते हैं—वे पूरी तरह से प्रभु के मार्ग से भटक गए हैं। वर्षों तक धर्म के बीच प्रभु में विश्वास करने के बाद, वे केवल धर्मशास्त्रीय सिद्धांत और बाइबल का ज्ञान समझते हैं; वे सत्य के बारे में कुछ भी नहीं समझते, वे प्रभु को थोड़ा-भी नहीं जानते, और उनमें कोई श्रद्धा या आज्ञाकारिता नहीं है। वे सब वे लोग बन गए हैं जो प्रभु पर विश्वास तो करते हैं, परंतु प्रभु को जानते नहीं हैं और उसका विरोध करते हैं। इससे पता चलता है कि धर्म की दुनिया के अगुआ पूरी तरह से प्रभु के मार्ग से भटक गए हैं, जिसके कारण वे पवित्र आत्मा के कार्य और परमेश्वर के आशीष खो चुके हैं—यह धर्म की दुनिया की वीरानी का प्राथमिक कारण है। दूसरा कारण यह है कि परमेश्वर नया कार्य कर रहा है और पवित्र आत्मा का कार्य स्थानांतरित हो गया है। प्रभु यीशु लौट आया है, वह देहधारी सर्वशक्तिमान परमेश्वर है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर प्रभु यीशु के छुटकारे के कार्य की नींव पर परमेश्वर के घर से शुरू होने वाले न्याय-कार्य को अंजाम दे रहा है, राज्य के युग की शुरुआत कर रहा है और अनुग्रह का युग समाप्त कर रहा है। केवल वे जो सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों का कार्य स्वीकारते हैं, उन्हीं के पास पवित्र आत्मा का कार्य होता है, और केवल वे ही सिंहासन से बहने वाले जीवन के जीवंत जल के प्रावधान का आनंद लेते हैं। जिन्होंने परमेश्वर के वर्तमान कार्य के साथ तालमेल नहीं बिठाया है और जो सर्वशक्तिमान परमेश्वर को स्वीकार करने से इनकार करते हैं, उन्हें परमेश्वर द्वारा त्याग दिया जाएगा, और उन्हें हटाकर अंधकार में फेंक दिया जाएगा। धर्म की दुनिया के पादरी और एल्डर, विशेष रूप से, न केवल सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य की खोज या जाँच नहीं करते हैं, बल्कि कट्टरता से उसका विरोध और निंदा भी करते हैं, लोगों को धोखा देने के लिए सभी प्रकार के झूठ और भ्रम फैलाते हैं और उन्हें सच्चे मार्ग की खोज और जाँच करने से रोकते हैं, और परमेश्वर की भेड़ों को चुराकर अपना बनाने की कोशिश करते हैं। उन्होंने लंबे समय से परमेश्वर के स्वभाव को भड़काया है, और परमेश्वर उनसे घृणा करता है और उन्हें श्राप देता है। उन्हें परमेश्वर के द्वारा कैसे त्यागा और हटाया नहीं जा सकता? आज, धर्म का लगभग पूरा संसार धर्म के अगुआओं द्वारा नियंत्रित है जो सत्य से घृणा करते हैं और परमेश्वर के प्रति शत्रुतापूर्ण हैं। यह पवित्र आत्मा का कार्य कैसे प्राप्त कर सकता है? और यह एक बंजर भूमि कैसे नहीं बन सकती है? धर्म की दुनिया की वीरानी के पीछे यही मूल कारण है। यह वीरानी बाइबल की भविष्यवाणी को भी पूर्णतया साकार करती है : "परमेश्वर यहोवा की यह वाणी है, 'देखो, ऐसे दिन आते हैं, जब मैं इस देश में महँगी करूँगा; उस में न तो अन्न की भूख और न पानी की प्यास होगी, परन्तु यहोवा के वचनों के सुनने ही की भूख प्यास होगी'" (आमोस 8:11)। "'जब कटनी के तीन महीने रह गए, तब मैं ने तुम्हारे लिये वर्षा न की; मैं ने एक नगर में जल बरसाकर दूसरे में न बरसाया; एक खेत में जल बरसा, और दूसरा खेत जिस में न बरसा, वह सूख गया। इसलिये दो तीन नगरों के लोग पानी पीने को मारे मारे फिरते हुए एक ही नगर में आए, परन्तु तृप्त न हुए; तौभी तुम मेरी ओर न फिरे,' यहोवा की यही वाणी है" (आमोस 4:7-8)। इस अंश में उल्लखित "एक खेत में जल बरसा" का तात्पर्य उन कलीसियाओं से है जो सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों का न्याय-कार्य स्वीकार करती हैं और उसका पालन करती हैं; चूँकि वे उसके वर्तमान कथनों को स्वीकार करती हैं, इसलिए वे सिंहासन से बहने वाले जीवन के जीवंत जल के प्रावधान और सिंचन का आनंद लेती हैं। "और दूसरा खेत जिस में न बरसा, वह सूख गया" धर्म की दुनिया के पादरियों और अगुआओं को संदर्भित करता है जो प्रभु के वचनों को व्यवहार में नहीं लाते, जो प्रभु की आज्ञाओं का पालन नहीं करते, और जो सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य का विरोध और निंदा करते हैं, जिसके कारण परमेश्वर धर्म की दुनिया से घृणा करता है, उसे अस्वीकार करता है और शाप देता है। धर्म की दुनिया पूरी तरह से पवित्र आत्मा के कार्य से रहित है, वह परमेश्वर के वर्तमान कथनों के प्रावधान को प्राप्त करने में असमर्थ है, और वीरानी में डूब गई है। व्यवस्था के युग के अंत में, जो मंदिर पहले यहोवा की महिमा से भरा हुआ था, उजाड़ हो गया, विश्वासियों ने व्यवस्थाओं का पालन नहीं किया, याजकों ने तुच्छ बलिदान चढ़ाए, और मंदिर चोरों का अड्डा बन गया, यह सब मुख्यतः इसलिए हुआ क्योंकि यहूदी अगुआओं ने केवल मनुष्य की परंपराओं का पालन किया और परमेश्वर की आज्ञाएँ त्याग दीं; वे पूरी तरह से परमेश्वर के मार्ग से भटक गए थे, और परिणामस्वरूप, परमेश्वर द्वारा शापित थे। इसके अतिरिक्त, ऐसा इसलिए भी था क्योंकि अनुग्रह के युग में प्रभु यीशु ने मंदिर के बाहर मानव-जाति को छुटकारा दिलाने का कार्य शुरू कर दिया था। परमेश्वर का कार्य स्थानांतरित हो गया था, और प्रभु यीशु का कार्य स्वीकारने वाले सभी लोगों ने पवित्र आत्मा का कार्य प्राप्त कर लिया था, जबकि जिन लोगों ने प्रभु यीशु को अस्वीकार करके उसका विरोध किया था, उन्हें परमेश्वर के कार्य द्वारा हटा दिया गया और वे अंधकार और वीरानी में डूब गए।
परमेश्वर धार्मिक समुदाय को अकाल से घिरने देता है, इसके पीछे परमेश्वर की इच्छा होती है। आओ सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों के दो अंशों पर नजर डालें : "परमेश्वर इस तथ्य को पूर्ण करेगा : वह संपूर्ण ब्रह्मांड के लोगों को अपने सामने आने के लिए बाध्य करेगा, और पृथ्वी पर परमेश्वर की आराधना करवाएगा, और अन्य स्थानों पर उसका कार्य समाप्त हो जाएगा, और लोगों को सच्चा मार्ग तलाशने के लिए मजबूर किया जाएगा। यह यूसुफ की तरह होगा : हर कोई भोजन के लिए उसके पास आया, और उसके सामने झुका, क्योंकि उसके पास खाने की चीज़ें थीं। अकाल से बचने के लिए लोग सच्चा मार्ग तलाशने के लिए बाध्य होंगे। संपूर्ण धार्मिक समुदाय गंभीर अकाल से ग्रस्त होगा, और केवल आज का परमेश्वर ही मनुष्य के आनंद के लिए हमेशा बहने वाले स्रोत से युक्त, जीवन के जल का स्रोत है, और लोग आकर उस पर निर्भर हो जाएँगे" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, सहस्राब्दि राज्य आ चुका है)। "परमेश्वर ने लोगों के इस समूह को समस्त ब्रह्माण्ड भर में अपने कार्य का एकमात्र केंद्रबिंदु बनाया है। उसने तुम लोगों के लिए अपने हृदय का रक्त तक निचोड़कर दे दिया है; उसने ब्रह्माण्ड भर में पवित्रात्मा का समस्त कार्य पुनः प्राप्त करके तुम लोगों को दे दिया है। इसी कारण से तुम लोग सौभाग्यशाली हो। इतना ही नहीं, वह अपनी महिमा इस्राएल, उसके चुने हुए लोगों से हटाकर तुम लोगों के ऊपर ले आया है, और वह इस समूह के माध्यम से अपनी योजना का उद्देश्य पूर्ण रूप से प्रत्यक्ष करेगा। इसलिए तुम लोग ही वह हो जो परमेश्वर की विरासत प्राप्त करोगे, और इससे भी अधिक, तुम परमेश्वर की महिमा के वारिस हो" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, क्या परमेश्वर का कार्य उतना सरल है जितना मनुष्य कल्पना करता है?)।
सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन हमें स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि परमेश्वर ने उन लोगों को कभी नहीं छोड़ा है जो वास्तव में उस पर विश्वास करते हैं और उसके प्रकट होने की लालसा करते हैं। परमेश्वर धार्मिक समुदाय को इसलिए उजड़ने देता है ताकि धर्म के भीतर मौजूद सत्य से प्यार करने वाले लोग धर्म छोड़ने के लिए, उसके मसीह-विरोधियों और दुष्ट लोगों के बंधनों और नियंत्रण से मुक्त होने के लिए मजबूर हो जाएँ, और परमेश्वर के वचनों द्वारा उनका न्याय और शुद्धिकरण करने और उन्हें पूर्ण बनाने के लिए उन्हें परमेश्वर के सिंहासन के सामने उठाया जा सके। अंत के दिनों का सर्वशक्तिमान परमेश्वर न्याय-कार्य करता है, और मानव-जाति के शुद्धिकरण और उद्धार के लिए सभी सत्य व्यक्त करता है, ताकि आपदाओं के आने से पहले विजेताओं का एक समूह बनाया जा सके, जो प्रथम फल होते हैं। यह प्रकाशितवाक्य की पुस्तक की भविष्यवाणी को पूरा करता है : "ये वे हैं जो स्त्रियों के साथ अशुद्ध नहीं हुए, पर कुँवारे हैं; ये वे ही हैं कि जहाँ कहीं मेम्ना जाता है, वे उसके पीछे हो लेते हैं; ये तो परमेश्वर के निमित्त पहले फल होने के लिये मनुष्यों में से मोल लिए गए हैं" (प्रकाशितवाक्य 14:4)। जब इन विजेताओं को परमेश्वर द्वारा पूरा कर लिया जाएगा, तब परमेश्वर भलाई को पुरस्कृत करने और बुराई को दंडित करने के लिए बड़ी आपदाओं की बारिश करेगा। अगर हम धर्म छोड़ दें, मेमने के नक्शेकदम पर चलें, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों का कार्य स्वीकारें और उसका पालन करें, और मसीह के आसन के सामने न्याय और शुद्धिकरण का अनुभव करें, केवल तभी हम परमेश्वर द्वारा विजेताओं के रूप में पूर्ण बनाए जा सकते हैं, और दुनिया की परीक्षा के समय परमेश्वर के परीक्षणों से बच सकते हैं। केवल ये विजेता—ये प्रथम फल—जो परमेश्वर के द्वारा पूर्ण किए गए हैं, परमेश्वर की प्रतिज्ञा और आशीषों को प्राप्त करने के हकदार हैं। वे लोग जो सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों का कार्य कभी स्वीकार नहीं करते, उनसे परमेश्वर घृणा करेगा, और उन्हें अस्वीकार करके हटा दिया जाएगा। उनका आपदा में घिरना और दंडित होना निश्चित है, और वे उद्धार पाने का मौका हमेशा के लिए खो देंगे। इसमें कोई संदेह नहीं है!