2. पहले, पादरी लोग अक्सर उपदेश देते थे कि जब प्रभु आएगा, तो आपदाओं से पहले ही हमारा स्वर्गारोहण हो जाएगा, लेकिन अब हम हर तरह की बड़ी आपदा को धरती पर आते हुए देख रहे हैं और हमारा स्वर्गारोहण नहीं हुआ है। पादरियों का कहना है कि हमारे स्वर्गारोहण के नहीं होने का मतलब है कि प्रभु अभी तक लौटा नहीं है, कि आपदाओं के बीच प्रभु हमारे सामने प्रकट होगा, और हम आपदाओं के दौरान स्वर्गारोहण करेंगे। मुझे समझ में नहीं आता: क्या हमारा स्वर्गारोहण आपदाओं से पहले किया जाएगा, या उनके दौरान?

उत्तर :

प्रभु के आने पर विश्वासियों के स्वर्गारोहण के सवाल पर कई पादरियों और बाइबल के व्याख्याताओं ने यह निर्धारित किया है कि प्रभु आएगा और आपदाएँ आने से पहले विश्वासी स्वर्गारोहित होंगे। लेकिन आज, बड़ी-बड़ी आपदाएँ आ चुकी हैं और धार्मिक जगत के लोग स्वर्गारोहित नहीं हुए हैं; इसने कई लोगों को भ्रमित कर दिया है, और इस मामले में धार्मिक पादरी कहते हैं, "आपदाओं से पहले हमारा स्वर्गारोहित न होना दर्शाता है कि प्रभु आपदाओं से पहले नहीं आया है। हम दृढ़तापूर्वक कहते हैं कि आपदाओं के दौरान प्रभु निश्चित रूप से हमारे सामने आएगा, इसलिए हम आपदाओं के दौरान स्वर्गारोहित किए जाने की प्रतीक्षा करेंगे।" यह धर्म में सबसे आम तर्क है। क्या ऐसे विचार सही हैं? क्या उनका परमेश्वर के वचनों में कोई आधार है? क्या ऐसा हो सकता है कि चूँकि धार्मिक जगत के लोग आपदाओं से पहले स्वर्गारोहित नहीं किए गए हैं, और उन्होंने प्रभु को सफेद बादल पर उतरते नहीं देखा है, इसलिए इससे यह साबित होता है कि प्रभु नहीं आया है? जब प्रभु यीशु ने प्रकट होकर अपना कार्य किया, तो यहूदी धर्म के मुख्य याजकों, शास्त्रियों और फरीसियों ने उन्हें नहीं पहचाना, और उन्होंने उसके प्रकटन और कार्य को नकार दिया; उन्होंने मसीहा का स्वागत नहीं किया, इसलिए उन्होंने कहा कि वह अभी तक नहीं आया है। क्या ये धार्मिक पादरी वही गलती नहीं कर रहे, जो वर्षों पहले फरीसियों ने की थी? क्या सनक में आकर पवित्रशास्त्र के एक या दो पदों के आधार पर यह तय करके कि प्रभु कब आएगा, वे बाइबल की गलत व्याख्या नहीं कर रहे? आज, आपदाएँ पहले ही आ चुकी हैं, प्रभु निस्संदेह एक सफेद बादल पर खुले तौर पर नहीं आया है—यह तथ्य है। लेकिन हमने देखा है कि पूर्व में ऐसे लोग हैं, जो सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकटन और कार्य की गवाही देते हैं, जो सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्त किए गए सभी सत्यों की गवाही देते हैं और उनका प्रसार करते हैं, और कि एक महान प्रकाश की तरह, वे पूरब से पूरे पश्चिम तक तेजी से फैल गए हैं, और ऐसा करके उन्होंने सीसीपी शासन के घोर दमन और उत्पीड़न को भड़का दिया है, और दुनिया भर को झकझोर दिया है। क्या धार्मिक जगत में वास्तव में ऐसा कोई नहीं है, जो यह तथ्य देख सके? यह प्रभु यीशु की इस भविष्यवाणी को सटीकता से पूरा करता है : "क्योंकि जैसे बिजली पूर्व से निकलकर पश्‍चिम तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य के पुत्र का भी आना होगा" (मत्ती 24:27)

आपदाओं से पहले प्रभु प्रकट होते हैं और अपना कार्य करते हैं, इसमें कोई संदेह नहीं। प्रकाशितवाक्य की पुस्तक में कहा गया है, "फिलदिलफिया की कलीसिया के दूत को यह लिख : 'जो पवित्र और सत्य है, और जो दाऊद की कुंजी रखता है, जिसके खोले हुए को कोई बन्द नहीं कर सकता और बन्द किए हुए को कोई खोल नहीं सकता, वह यह कहता है कि मैं तेरे कामों को जानता हूँ; देख, मैं ने तेरे सामने एक द्वार खोल रखा है, जिसे कोई बन्द नहीं कर सकता; तेरी सामर्थ्य थोड़ी सी तो है, फिर भी तू ने मेरे वचन का पालन किया है और मेरे नाम का इन्कार नहीं किया। देख, मैं शैतान के उन सभावालों को तेरे वश में कर दूँगा जो यहूदी बन बैठे हैं, पर हैं नहीं वरन् झूठ बोलते हैं–देख, मैं ऐसा करूँगा कि वे आकर तेरे पैरों पर गिरेंगे, और यह जान लेंगे कि मैं ने तुझ से प्रेम रखा है। तू ने मेरे धीरज के वचन को थामा है, इसलिये मैं भी तुझे परीक्षा के उस समय बचा रखूँगा जो पृथ्वी पर रहनेवालों के परखने के लिये सारे संसार पर आनेवाला है। मैं शीघ्र ही आनेवाला हूँ; जो कुछ तेरे पास है उसे थामे रह कि कोई तेरा मुकुट छीन न ले। जो जय पाए उसे मैं अपने परमेश्‍वर के मन्दिर में एक खंभा बनाऊँगा, और वह फिर कभी बाहर न निकलेगा; और मैं अपने परमेश्‍वर का नाम और अपने परमेश्‍वर के नगर अर्थात् नये यरूशलेम का नाम, जो मेरे परमेश्‍वर के पास से स्वर्ग पर से उतरनेवाला है, और अपना नया नाम उस पर लिखूँगा।'" (प्रकाशितवाक्य 3:7-12)। ये सभी वचन पूरे हुए हैं। अंत के दिनों के दौरान, फिलाडेल्फिया की कलीसिया वह कलीसिया है, जो आपदाओं से पहले स्वर्गारोहित की जाती है, और वे सभी स्वर्गारोहित किए जाते हैं जो परमेश्वर के सामने लौटते हैं, क्योंकि उन्होंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के बहुत-से कथन पढ़े हैं और परमेश्वर की वाणी सुनी है। यह परमेश्वर के इन वचनों को पूरा करता है : "आधी रात को धूम मची: 'देखो, दूल्हा आ रहा है! उससे भेंट करने के लिये चलो'" (मत्ती 25:6)। "मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं; मैं उन्हें जानता हूँ, और वे मेरे पीछे पीछे चलती हैं" (यूहन्ना 10:27)। "देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूँ; यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूँगा और वह मेरे साथ" (प्रकाशितवाक्य 3:20)। सर्वशक्तिमान परमेश्वर को स्वीकार करने वाले ये लोग प्रतिदिन परमेश्वर के वचन खाते-पीते हैं और मेमने के विवाह-भोज में बैठते हैं। सत्य से प्रेम और उसका अनुसरण करने वाले सभी लोगों ने परमेश्वर के न्याय, ताड़ना, परीक्षणों और शोधन का अनुभव किया है, और उन्हें विजेता बनाया गया है—वे बुद्धिमान कुँवारियाँ हैं, जो प्रभु का स्वागत करती हैं। इस बीच, जो सर्वशक्तिमान परमेश्वर को स्वीकार करने से इनकार करते हैं, वे मूर्ख कुँवारियाँ हैं; वे परमेश्वर की वाणी नहीं पहचानते, उन्होंने प्रभु के आगमन का स्वागत करने का अपना मौका गँवा दिया है, और इसलिए वे त्याग दिए गए हैं और आपदाओं में डूब गए हैं। लेकिन जब बड़ी आपदाओं की बारिश शुरू हो जाती है, तो कुछ लोग आपदाओं के बीच परमेश्वर की वाणी सुनते हैं, वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकटन और कार्य की गवाही देखते हैं, और वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर को स्वीकार करते हैं। आज, कई धार्मिक लोग सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य की जाँच कर रहे हैं, वे मानते हैं कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन परमेश्वर की वाणी हैं, और अधिक से अधिक लोग सर्वशक्तिमान परमेश्वर को स्वीकार कर रहे हैं। ये वे लोग हैं, जो आपदाओं के दौरान स्वर्गारोहित किए जाते हैं।

पिछला: 1. बाइबल कहती है: "तब हम जो जीवित और बचे रहेंगे उनके साथ बादलों पर उठा लिये जाएँगे कि हवा में प्रभु से मिलें; और इस रीति से हम सदा प्रभु के साथ रहेंगे" (1 थिस्सलुनीकियों 4:17)। हम मानते हैं कि एक बार जब परमेश्वर आ जाता है, तो बादलों में उससे मिलने हेतु, हमारा सीधे आकाश में स्वर्गारोहण हो जाएगा। आप गवाही देते हैं कि प्रभु वापस लौट आया है, तो हमारा स्वर्गारोहण क्यों नहीं हुआ है?

अगला: 1. आप कहते हैं कि हमें अंतिम दिनों के परमेश्वर के न्याय के कार्य को स्वीकार करना चाहिए, क्योंकि केवल तभी हमारे भ्रष्ट शैतानी स्वभावों को शुद्ध और परिवर्तित किया जाएगा, और उसके बाद ही हम परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करेंगे। इसलिए, जैसा कि परमेश्वर द्वारा अपेक्षित है, हम विनम्र और सहनशील हैं, हम अपने शत्रुओं से प्रेम करते हैं, हम अपने क्रूस को सहन करते हैं, हम अपने शरीर को अनुशासित करते हैं, हम सांसारिक चीज़ों को त्यागते हैं, हम काम करते हैं और प्रभु के लिए प्रचार करते हैं, इत्यादि। क्या ये सभी वो परिवर्तन नहीं जो हमारे अंदर हुए हैं? क्या आप कह रहे हैं कि स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने के लिए यह फिर भी पर्याप्त नहीं है? मेरा मानना है कि जब तक हम इस तरह से प्रयास करते रहेंगे, हम पवित्र होने लगेंगे और स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करेंगे।

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

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5. पुराने और नए दोनों नियमों के युगों में, परमेश्वर ने इस्राएल में काम किया। प्रभु यीशु ने भविष्यवाणी की कि वह अंतिम दिनों के दौरान लौटेगा, इसलिए जब भी वह लौटता है, तो उसे इस्राएल में आना चाहिए। फिर भी आप गवाही देते हैं कि प्रभु यीशु पहले ही लौट चुका है, कि वह देह में प्रकट हुआ है और चीन में अपना कार्य कर रहा है। चीन एक नास्तिक राजनीतिक दल द्वारा शासित राष्ट्र है। किसी भी (अन्य) देश में परमेश्वर के प्रति इससे अधिक विरोध और ईसाइयों का इससे अधिक उत्पीड़न नहीं है। परमेश्वर की वापसी चीन में कैसे हो सकती है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद :"क्योंकि उदयाचल से लेकर अस्ताचल तक जाति-जाति में मेरा नाम महान् है, और हर कहीं मेरे नाम पर धूप और शुद्ध भेंट...

प्रश्न: प्रभु यीशु कहते हैं: "मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं" (यूहन्ना 10:27)। तब समझ आया कि प्रभु अपनी भेड़ों को बुलाने के लिए वचन बोलने को लौटते हैं। प्रभु के आगमन की प्रतीक्षा से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण बात है, प्रभु की वाणी सुनने की कोशिश करना। लेकिन अब, सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि हमें नहीं पता कि प्रभु की वाणी कैसे सुनें। हम परमेश्वर की वाणी और मनुष्य की आवाज़ के बीच भी अंतर नहीं कर पाते हैं। कृपया हमें बताइये कि हम प्रभु की वाणी की पक्की पहचान कैसे करें।

उत्तर: हम परमेश्वर की वाणी कैसे सुनते हैं? हममें कितने भी गुण हों, हमें कितना भी अनुभव हो, उससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। प्रभु यीशु में विश्वास...

प्रश्न 1: सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "केवल अंत के दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दे सकता है," तो मुझे वह याद आया जो प्रभु यीशु ने एक बार कहा था, "परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूँगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा; वरन् जो जल मैं उसे दूँगा, वह उसमें एक सोता बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा" (यूहन्ना 4:14)। हम पहले से ही जानते हैं कि प्रभु यीशु जीवन के सजीव जल का स्रोत हैं, और अनन्‍त जीवन का मार्ग हैं। क्या ऐसा हो सकता है कि सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर और प्रभु यीशु समान स्रोत हों? क्या उनके कार्य और वचन दोनों पवित्र आत्मा के कार्य और वचन हैं? क्या उनका कार्य एक ही परमेश्‍वर करते हैं?

उत्तर: दोनों बार जब परमेश्‍वर ने देह धारण की तो अपने कार्य में, उन्होंने यह गवाही दी कि वे सत्‍य, मार्ग, जीवन और अनन्‍त जीवन के मार्ग हैं।...

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