1. बाइबल कहती है: "तब हम जो जीवित और बचे रहेंगे उनके साथ बादलों पर उठा लिये जाएँगे कि हवा में प्रभु से मिलें; और इस रीति से हम सदा प्रभु के साथ रहेंगे" (1 थिस्सलुनीकियों 4:17)। हम मानते हैं कि एक बार जब परमेश्वर आ जाता है, तो बादलों में उससे मिलने हेतु, हमारा सीधे आकाश में स्वर्गारोहण हो जाएगा। आप गवाही देते हैं कि प्रभु वापस लौट आया है, तो हमारा स्वर्गारोहण क्यों नहीं हुआ है?

उत्तर :

हमें प्रभु की वापसी का स्वागत प्रभु यीशु की भविष्यवाणियों के आधार पर करना चाहिए—यही सबसे सही होगा। तुम किसके शब्दों का जिक्र कर रहे हो? प्रभु के वचन, या मनुष्य के शब्द? "तब हम जो जीवित और बचे रहेंगे उनके साथ बादलों पर उठा लिये जाएँगे कि हवा में प्रभु से मिलें" ऐसा पौलुस के द्वारा कहा गया था; न तो प्रभु यीशु और न ही पवित्र आत्मा ने कभी ऐसे वचन कहे। क्या पौलुस प्रभु यीशु की ओर से बोलता है? क्या उसके शब्द परमेश्वर के वचनों का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं? केवल परमेश्वर ही यह रहस्य जानता है कि कैसे प्रभु अंत के दिनों के दौरान विश्वासियों को स्वर्गिक राज्य में ले जाएगा। अगर हम भ्रष्ट इंसान, आँख बंद करके ऐसी व्याख्या करने और निष्कर्ष निकालने की हिम्मत करते हैं, तो यह एक गंभीर समस्या है। पौलुस मसीह नहीं था, वह बस एक भ्रष्ट इंसान था। उसने जो कहा उसका परमेश्वर के वचनों में कोई आधार नहीं था, इसलिए इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह मनुष्य के कलंक और कल्पनाओं से भरा हुआ था। इस प्रकार, पौलुस के वचन सत्य नहीं हैं, और वे किसी भी प्रकार का आधार नहीं हो सकते हैं; प्रभु के आगमन का स्वागत करने का एकमात्र सही तरीका बाइबल में दर्ज परमेश्वर के वचनों के अनुसार चलना है।

आओ प्रभु यीशु ने जो कहा है उसे देखें : "हे हमारे पिता, तू जो स्वर्ग में है; तेरा नाम पवित्र माना जाए। तेरा राज्य आए। तेरी इच्छा जैसी स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे पृथ्वी पर भी हो" (मत्ती 6:9-10)। प्रभु यीशु हमें स्पष्ट रूप से बता रहा है कि परमेश्वर का राज्य पृथ्वी पर है, आकाश में नहीं, और परमेश्वर की इच्छा स्वर्ग के समान पृथ्वी पर भी पूरी होगी। आओ, अब हम प्रकाशितवाक्य 21:2-3 देखें : "फिर मैं ने पवित्र नगर नये यरूशलेम को स्वर्ग से परमेश्‍वर के पास से उतरते देखा। वह उस दुल्हिन के समान थी जो अपने पति के लिये सिंगार किए हो। फिर मैं ने सिंहासन में से किसी को ऊँचे शब्द से यह कहते हुए सुना, 'देख, परमेश्‍वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है। वह उनके साथ डेरा करेगा, और वे उसके लोग होंगे, और परमेश्‍वर आप उनके साथ रहेगा और उनका परमेश्‍वर होगा।'" और प्रकाशितवाक्य 11:15 में कहा गया है : "जगत का राज्य हमारे प्रभु का और उसके मसीह का हो गया, और वह युगानुयुग राज्य करेगा।" इन भविष्यवाणियों में, यह उल्लेख कि "परमेश्‍वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है," "फिर मैं ने पवित्र नगर नये यरूशलेम को स्वर्ग से परमेश्‍वर के पास से उतरते देखा," और "जगत का राज्य हमारे प्रभु का और उसके मसीह का हो गया" पर्याप्त रूप से साबित करता है कि परमेश्वर का राज्य पृथ्वी पर है। वह मनुष्य के साथ पृथ्वी पर रहेगा, और संसार के राज्य, सदा-सर्वदा के लिए मसीह का राज्य बन जाएँगे। हमारी धारणाओं और कल्पनाओं के अनुसार, परमेश्वर का राज्य स्वर्ग में है, और जब प्रभु आएगा, तो वह हमें स्वर्ग में उठा ले जाएगा। यदि ऐसा हो, तो परमेश्वर के वचन कैसे पूरे होंगे? वास्तव में, मानव जाति के उद्धार के लिए परमेश्वर की प्रबंधन योजना की अंतिम उपलब्धि, पृथ्वी पर परमेश्वर के राज्य की रचना है। अंत के दिनों का मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर, पृथ्वी पर विजेताओं का एक समूह बनाने के लिए, मनुष्य का न्याय करने और उसे शुद्ध करने का कार्य करता है; ये विजेता, जो परमेश्वर द्वारा बचाए गए और पूरे किए गए हैं, वे लोग हैं जो परमेश्वर के वचनों का अभ्यास करते हैं और पृथ्वी पर परमेश्वर के मार्ग का अनुसरण करते हैं—वे परमेश्वर के राज्य के लोग हैं। जब इन विजेताओं को पूरा किया जाएगा, तो पृथ्वी पर परमेश्वर की इच्छा पूरी होगी, जिसके बाद पृथ्वी पर मसीह का राज्य साकार होगा, और परमेश्वर पूर्ण रूप से महिमामंडित होगा। अंततः परमेश्वर प्रकाशितवाक्य की पुस्तक की भविष्यवाणियों को पूरा करना चाहता है—क्या तुम वास्तव में यह तथ्य नहीं देख पाते?

शायद कुछ लोग पूछें, यदि राज्य पृथ्वी पर है, तो प्रभु यीशु ने क्यों कहा, "मैं तुम्हारे लिये जगह तैयार करने जाता हूँ। और यदि मैं जाकर तुम्हारे लिये जगह तैयार करूँ, तो फिर आकर तुम्हें अपने यहाँ ले जाऊँगा कि जहाँ मैं रहूँ वहाँ तुम भी रहो" (यूहन्ना 14:2-3)? प्रभु यीशु पुनरुत्थान के बाद स्वर्ग में हमारे लिए स्थान तैयार करने के लिए आरोहित हुआ था, तर्क तो यही कहता है कि यह स्थान भी स्वर्ग में होना चाहिए—इन वचनों को कैसे समझा जाए? यह कहना उचित है कि कोई भी प्रभु की भविष्यवाणियों की थाह नहीं ले सकता। प्रभु यीशु के वचन वास्तव में किसे संदर्भित कर रहे हैं, यह हम तभी समझ पाते हैं जब हम सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को स्वीकार लेते हैं और उसके कार्य की पूर्णता के तथ्यों को देख लेते हैं। प्रभु का हमारे लिए स्थान तैयार करना, परमेश्वर के अंत के दिनों में पृथ्वी पर बोलने और कार्य करने के लिए देहधारी होने को संदर्भित करता है। उसने यह भी पूर्वनिर्धारित किया था कि हम अंत के दिनों के दौरान पैदा होंगे, और जब वह प्रकट होकर अपना कार्य करेगा तो हमें परमेश्वर के सिंहासन के सामने उठाया जाएगा, ताकि हम परमेश्वर के वचनों के न्याय और शुद्धिकरण को स्वीकार करें, और आपदाओं के आने से पहले विजेता बनाए जाएँ। प्रभु द्वारा हमें लेने आने की प्रक्रिया, हमें शुद्ध करने और पूर्ण करने की प्रक्रिया है। हम परमेश्वर के वचन खाते-पीते हैं, और उनका आनंद लेते हैं, हम परमेश्वर के कार्य का अनुभव करते हैं, और परमेश्वर के साथ भोज में शामिल होते हैं—क्या यह हमारा प्रभु से मिलना नहीं है? जब परमेश्वर के कार्य के समाप्त होने का दिन आएगा, और हम शुद्ध और पूर्ण होंगे, तो हमें परमेश्वर के राज्य में लाया जाएगा। उस समय, पृथ्वी के राज्य मसीह का राज्य बन जाएँगे, मसीह इस राज्य में राज करेगा, और हम परमेश्वर के वे लोग होंगे जो उसके राज्य में उसकी आराधना करते हैं। क्या यह प्रभु के इन वचनों को पूरा नहीं करता है, "तो फिर आकर तुम्हें अपने यहाँ ले जाऊँगा कि जहाँ मैं रहूँ वहाँ तुम भी रहो"? परमेश्वर का राज्य पृथ्वी पर बना है, यह परमेश्वर का आदेश है कि हम पृथ्वी पर रहेंगे। क्या ऊपर स्वर्ग में जाने का हमारा हठ, परमेश्वर के कार्य और उसकी इच्छा के विपरीत नहीं है?

तो आखिर स्वर्गारोहण का क्या मतलब है? ज्यादातर लोग इसे लेकर स्पष्ट नहीं थे। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के आने के बाद ही स्वर्गारोहण का यह रहस्य हमारे सामने यह कहते हुए प्रकाशित किया गया : "'उठाया जाना' निचले स्थान से किसी ऊँचे स्थान पर ले जाया जाना नहीं है जैसा कि लोग सोच सकते हैं; यह एक बहुत बड़ी मिथ्या धारणा है। 'उठाया जाना' मेरे द्वारा पूर्वनियत और फिर चयनित किए जाने को इंगित करता है। यह उन सभी के लिए है जिन्हें मैंने पूर्वनियत और चयनित किया है। उठाए गए लोग वे सभी लोग हैं जिन्होंने पहलौठे पुत्रों या पुत्रों का स्तर प्राप्त कर लिया है या जो परमेश्वर के लोग हैं। यह लोगों की धारणाओं के बिलकुल भी संगत नहीं है। वे सभी लोग जिन्हें भविष्य में मेरे घर में हिस्सा मिलेगा, ऐसे लोग हैं जो मेरे सामने उठाए जा चुके हैं। यह एक सम्पूर्ण सत्य है, कभी न बदलने वाला और जिसे झुठलाया नहीं जा सकता। यह शैतान के विरुद्ध एक जवाबी हमला है। जिस किसी को भी मैंने पूर्वनियत किया है, वह मेरे सामने उठाया जाएगा" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, आरंभ में मसीह के कथन, अध्याय 104)। सर्वशक्तिमान परमेश्वर स्पष्ट रूप से कहता है कि "स्वर्गारोहण" वैसा नहीं है जैसी हम कल्पना करते हैं—इसका मतलब यह नहीं है कि हम जमीन से ऊपर हैं और प्रभु से मिलने के लिए बादलों में उठाए गए हैं, इसका मतलब यह तो और भी नहीं है कि हम ऊपर स्वर्ग में उठाए गए हैं। इसके बजाय, यह हमारे द्वारा परमेश्वर की वाणी सुनने, परमेश्वर का अनुसरण करने, उसके अंत के दिनों के कार्य को स्वीकारने और उसका पालन करने, और उस समय मेमने के नक्शेकदम पर चलने को संदर्भित करता है जब अंत के दिनों में परमेश्वर प्रकट होने, बोलने और कार्य करने के लिए देहधारण करता है। परमेश्वर के सिंहासन के सामने उठाए जाने का सही अर्थ यही है। वे सभी जो परमेश्वर की वाणी को पहचानने में सक्षम हैं, और जो सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों के बीच, सत्य की खोज करके, उसे स्वीकार करके सर्वशक्तिमान परमेश्वर की ओर मुड़ सकते हैं, वे बुद्धिमान कुँवारियाँ हैं, वे सभी "सोना, चाँदी और कीमती रत्न" हैं, जिन्हें प्रभु द्वारा "चुराया गया" था और जिन्हें परमेश्वर के घर लौटा दिया गया है। ये सभी लोग सत्य को समझने और स्वीकारने में सक्षम हैं, और परमेश्वर की वाणी समझते हैं, और ये वे हैं जो वास्तव में परमेश्वर के सामने उठाए जाते हैं। जब से सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने अंत के दिनों का कार्य करना शुरू किया है, परमेश्वर के प्रकटन की वास्तव में लालसा करने वाले अधिक से अधिक लोगों ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों में परमेश्वर की वाणी को पहचान लिया है। उनमें से प्रत्येक ने परमेश्वर के अंत के दिनों के न्याय-कार्य को स्वीकार किया है, उन्हें परमेश्वर के आमने-सामने, उसके सिंहासन के समक्ष लाया गया है, उन्होंने परमेश्वर के वचनों का सिंचन और पोषण स्वीकार लिया है, उनके पास परमेश्वर का सच्चा ज्ञान है, उन्हें उनके भ्रष्ट स्वभावों से परिशुद्ध कर दिया गया है, और वे परमेश्वर के वचनों की वास्तविकता को जीते हैं। इन लोगों को आपदाओं से पहले विजेता बना दिया गया है, वे परमेश्वर द्वारा प्राप्त किए जाने वाले प्रथम फल बन गए हैं। जो लोग अपनी धारणाओं और कल्पनाओं से चिपके रहते हैं, जो मूर्खतापूर्वक प्रभु के आने और उसके द्वारा स्वर्ग में उठाए जाने की प्रतीक्षा करते हैं, और जो परमेश्वर के अंत के दिनों के न्याय-कार्य को स्वीकारने से इनकार करते हैं—वे मूर्ख कुंवारियाँ हैं, परमेश्वर उन्हें त्याग देगा, और उनका फूट-फूटकर रोते हुए और दाँत पीसते हुए तबाही के शिकार होना तय है। यह एक तथ्य है।

पिछला: 2. हमने हमेशा यह माना है कि प्रभु यीशु में हमारे विश्वास के माध्यम से हमारे पापों के लिए क्षमा पाना, उद्धार की कृपा को प्राप्त करना है, फिर भी आप कहते हैं कि "बचाए जाने" का अर्थ सच्चा उद्धार नहीं है। तो फिर बचाए जाने का क्या अर्थ है, और पूरी तरह से बचाए जाने का क्या मतलब है? बचाए जाने और पूरी तरह से बचाए जाने के बीच सारभूत अंतर क्या है?

अगला: 2. पहले, पादरी लोग अक्सर उपदेश देते थे कि जब प्रभु आएगा, तो आपदाओं से पहले ही हमारा स्वर्गारोहण हो जाएगा, लेकिन अब हम हर तरह की बड़ी आपदा को धरती पर आते हुए देख रहे हैं और हमारा स्वर्गारोहण नहीं हुआ है। पादरियों का कहना है कि हमारे स्वर्गारोहण के नहीं होने का मतलब है कि प्रभु अभी तक लौटा नहीं है, कि आपदाओं के बीच प्रभु हमारे सामने प्रकट होगा, और हम आपदाओं के दौरान स्वर्गारोहण करेंगे। मुझे समझ में नहीं आता: क्या हमारा स्वर्गारोहण आपदाओं से पहले किया जाएगा, या उनके दौरान?

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

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5. पुराने और नए दोनों नियमों के युगों में, परमेश्वर ने इस्राएल में काम किया। प्रभु यीशु ने भविष्यवाणी की कि वह अंतिम दिनों के दौरान लौटेगा, इसलिए जब भी वह लौटता है, तो उसे इस्राएल में आना चाहिए। फिर भी आप गवाही देते हैं कि प्रभु यीशु पहले ही लौट चुका है, कि वह देह में प्रकट हुआ है और चीन में अपना कार्य कर रहा है। चीन एक नास्तिक राजनीतिक दल द्वारा शासित राष्ट्र है। किसी भी (अन्य) देश में परमेश्वर के प्रति इससे अधिक विरोध और ईसाइयों का इससे अधिक उत्पीड़न नहीं है। परमेश्वर की वापसी चीन में कैसे हो सकती है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद :"क्योंकि उदयाचल से लेकर अस्ताचल तक जाति-जाति में मेरा नाम महान् है, और हर कहीं मेरे नाम पर धूप और शुद्ध भेंट...

प्रश्न: प्रभु यीशु कहते हैं: "मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं" (यूहन्ना 10:27)। तब समझ आया कि प्रभु अपनी भेड़ों को बुलाने के लिए वचन बोलने को लौटते हैं। प्रभु के आगमन की प्रतीक्षा से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण बात है, प्रभु की वाणी सुनने की कोशिश करना। लेकिन अब, सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि हमें नहीं पता कि प्रभु की वाणी कैसे सुनें। हम परमेश्वर की वाणी और मनुष्य की आवाज़ के बीच भी अंतर नहीं कर पाते हैं। कृपया हमें बताइये कि हम प्रभु की वाणी की पक्की पहचान कैसे करें।

उत्तर: हम परमेश्वर की वाणी कैसे सुनते हैं? हममें कितने भी गुण हों, हमें कितना भी अनुभव हो, उससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। प्रभु यीशु में विश्वास...

प्रश्न 1: सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "केवल अंत के दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दे सकता है," तो मुझे वह याद आया जो प्रभु यीशु ने एक बार कहा था, "परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूँगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा; वरन् जो जल मैं उसे दूँगा, वह उसमें एक सोता बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा" (यूहन्ना 4:14)। हम पहले से ही जानते हैं कि प्रभु यीशु जीवन के सजीव जल का स्रोत हैं, और अनन्‍त जीवन का मार्ग हैं। क्या ऐसा हो सकता है कि सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर और प्रभु यीशु समान स्रोत हों? क्या उनके कार्य और वचन दोनों पवित्र आत्मा के कार्य और वचन हैं? क्या उनका कार्य एक ही परमेश्‍वर करते हैं?

उत्तर: दोनों बार जब परमेश्‍वर ने देह धारण की तो अपने कार्य में, उन्होंने यह गवाही दी कि वे सत्‍य, मार्ग, जीवन और अनन्‍त जीवन के मार्ग हैं।...

परमेश्वर का प्रकटन और कार्य परमेश्वर को जानने के बारे में अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन मसीह-विरोधियों को उजागर करना अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ सत्य के अनुसरण के बारे में I सत्य के अनुसरण के बारे में न्याय परमेश्वर के घर से शुरू होता है अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अत्यावश्यक वचन परमेश्वर के दैनिक वचन सत्य वास्तविकताएं जिनमें परमेश्वर के विश्वासियों को जरूर प्रवेश करना चाहिए मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ राज्य का सुसमाचार फ़ैलाने के लिए दिशानिर्देश परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की आवाज को सुनती हैं परमेश्वर की आवाज़ सुनो परमेश्वर के प्रकटन को देखो राज्य के सुसमाचार पर अत्यावश्यक प्रश्न और उत्तर मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 1) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 2) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 3) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 4) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 5) मैं वापस सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास कैसे गया

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