71 परमेश्वर को सच्चा प्रेम करना ही सबसे बड़ी ख़ुशी है
1
आखिर हमने सुनी वाणी ईश्वर की
उठाये गए उसके सिंहासन के सामने।
खाते-पीते, आनंद लेते उसके वचनों का,
रहते उसकी रोशनी में हम।
सत्य पर सहभागिता में,
अनुभव सांझा करने में,
मिलती है बेहद ख़ुशी दिल को हमारे।
अनुभव लेकर परमेश्वर के वचनों का,
जानकर सत्य को,
रूहें हमारी मुक्त होतीं,
महसूस करते प्रसन्नता हम।
परमेश्वर के वचनों के न्याय से गुज़रकर,
शुद्ध होकर, बन गये नये इंसान हम।
पाने को नया जीवन, खोजते सत्य को हम।
करना सच्चा प्रेम परमेश्वर को, है ख़ुशी सबसे बड़ी।
2
मसीह के आसन के सम्मुख गुज़रकर न्याय से,
देख चुके इंसान की भ्रष्टता के सत्य को हम।
दुधारी तलवार हैं वचन परमेश्वर के,
भेदते हैं आत्मा और हृदय हमारे।
समझकर सत्य को, जानकर ख़ुद को,
जीवन में प्रवेश का मार्ग है पास हमारे।
देखकर शैतानी प्रकृति और सार अपना,
लिया है संकल्प हमने पश्चाताप का,
नये आरंभ का।
परमेश्वर के वचनों के न्याय से गुज़रकर,
शुद्ध होकर, बन गये नये इंसान हम।
पाने को नया जीवन, खोजते सत्य को हम।
करना सच्चा प्रेम परमेश्वर को, है ख़ुशी सबसे बड़ी।
3
परमेश्वर से सच्चा प्रेम करके,
अपना कर्तव्य निभा कर,
पाएँगे आशीष यकीनन परमेश्वर से हम।
सब त्याग देते उसके अनुसरण की ख़ातिर
और उसकी ज़ोरदार गवाही देते हम।
लेते संकल्प परमेश्वर के सम्मुख हम,
रहेंगे निष्ठावान आख़िरी साँस तक, लेते शपथ हम।
उपहास, निंदा, दमन या मुश्किलें,
रोक न पाएँगी विकास को हमारे।
परमेश्वर के वचनों के न्याय से गुज़रकर,
शुद्ध होकर, बन गये नये इंसान हम।
पाने को नया जीवन, खोजते सत्य को हम।
करना सच्चा प्रेम परमेश्वर को, है ख़ुशी सबसे बड़ी।
करना सच्चा प्रेम परमेश्वर को, है ख़ुशी सबसे बड़ी।
करना सच्चा प्रेम परमेश्वर को, है ख़ुशी सबसे बड़ी।