706 परमेश्वर लोगों के स्वभावों में बदलाव को कैसे मापता है

1 स्वभाव में रूपांतरण कोई रातोंरात नहीं होता, और न ही इसका मतलब यह है कि सत्य को समझकर तुम प्रत्येक वातावरण में सत्य को अभ्यास में ला पाओगे। इससे मनुष्य की प्रकृति जुड़ी हुई है। ऐसा लग सकता है जैसे तुम सत्य को अभ्यास में ला रहे हो, लेकिन वास्तव में, तुम्हारे कृत्यों की प्रकृति यह नहीं दर्शाती कि तुम सत्य को अभ्यास में ला रहे हो। कई लोगों के बाह्य रूप से व्यवहार करने के निश्चित तरीके होते हैं, जैसे अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए, अपने परिवार और काम-धंधे का त्याग करना, इसलिए वो मानते हैं कि उन्होंने सत्य का अभ्यास कर लिया है। लेकिन परमेश्वर नहीं मानता कि वो सत्य का अभ्यास कर रहे हैं। अगर तुम्हारे हर काम के पीछे व्यक्तिगत इरादे हों और यह दूषित हो, तो तुम सत्य का अभ्यास नहीं कर रहे हो। सच कहें, तो परमेश्वर तुम्हारे आचरण की निंदा करेगा; वह इसकी प्रशंसा नहीं करेगा या इसे याद नहीं रखेगा। इसका आगे विश्लेषण करें तो, तुम दुष्टता कर रहे हो, तुम्हारा व्यवहार परमेश्वर के विरोध में है।

2 बाहर से देखने पर तो तुम किसी चीज़ में अवरोध या व्यवधान नहीं डाल रहे हो और तुमने वास्तविक क्षति नहीं पहुंचाई है या किसी सत्य का उल्लंघन नहीं किया है। यह न्यायसंगत और उचित लगता है, मगर तुम्हारे कृत्यों का सार दुष्टता करने और परमेश्वर का विरोध करने से संबंधित है। इसलिए परमेश्वर के वचनों के प्रकाश में अपने कृत्यों के पीछे के अभिप्रायों को देखकर तुम्हें निश्चित करना चाहिए कि क्या तुम्हारे स्वभाव में कोई परिवर्तन हुआ है, क्या तुम सत्य को अभ्यास में ला रहे हो। यह इस इंसानी नज़रिए पर निर्भर नहीं करता कि तुम्हारे कृत्य इंसानी कल्पनाओं और इरादों के अनुरूप हैं या नहीं या वो तुम्हारी रुचि के उपयुक्त हैं या नहीं। बल्कि, यह इस बात पर आधारित है कि परमेश्वर की नज़रों में तुम उसकी इच्छा के अनुरूप चल रहे हो या नहीं, तुम्हारे कृत्यों में सत्य-वास्तविकता है या नहीं, और वे उसकी अपेक्षाओं और मानकों को पूरा करते हैं या नहीं। केवल परमेश्वर की अपेक्षाओं से तुलना करके अपने आपको मापना ही सही है।

—वचन, खंड 3, अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन, स्वभाव बदलने के बारे में क्या जानना चाहिए से रूपांतरित

पिछला: 705 केवल स्वभावगत बदलाव ही सच्चे बदलाव हैं

अगला: 707 स्वभाव में बदलाव वास्तविक जीवन से अलग नहीं हो सकता

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

संबंधित सामग्री

420 सच्ची प्रार्थना का प्रभाव

1ईमानदारी से चलो,और प्रार्थना करो कि तुम अपने दिल में बैठे, गहरे छल से छुटकारा पाओगे।प्रार्थना करो, खुद को शुद्ध करने के लिए;प्रार्थना करो,...

418 प्रार्थना के मायने

1प्रार्थनाएँ वह मार्ग होती हैं जो जोड़ें मानव को परमेश्वर से,जिससे वह पुकारे पवित्र आत्मा को और प्राप्त करे स्पर्श परमेश्वर का।जितनी करोगे...

परमेश्वर का प्रकटन और कार्य परमेश्वर को जानने के बारे में अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन मसीह-विरोधियों को उजागर करना अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ सत्य के अनुसरण के बारे में I सत्य के अनुसरण के बारे में न्याय परमेश्वर के घर से शुरू होता है अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अत्यावश्यक वचन परमेश्वर के दैनिक वचन सत्य वास्तविकताएं जिनमें परमेश्वर के विश्वासियों को जरूर प्रवेश करना चाहिए मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ राज्य का सुसमाचार फ़ैलाने के लिए दिशानिर्देश परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की आवाज को सुनती हैं परमेश्वर की आवाज़ सुनो परमेश्वर के प्रकटन को देखो राज्य के सुसमाचार पर अत्यावश्यक प्रश्न और उत्तर मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 1) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 2) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 3) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 4) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 5) मैं वापस सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास कैसे गया

सेटिंग

  • इबारत
  • कथ्य

ठोस रंग

कथ्य

फ़ॉन्ट

फ़ॉन्ट आकार

लाइन स्पेस

लाइन स्पेस

पृष्ठ की चौड़ाई

विषय-वस्तु

खोज

  • यह पाठ चुनें
  • यह किताब चुनें

WhatsApp पर हमसे संपर्क करें