571 इंसान का दिल बहुत कपटी है
ईमानदारी माने अपना दिल ईश्वर को देना,
सभी बातों में सच्चा और
ईश्वर के साथ साफ़दिल होना।
1
साथ के लोगों को धोखा न दो।
ईश्वर से सिर्फ़ कृपा पाने को काम न करो।
वचन और कर्म में शुद्धता ईमानदारी है।
धोखा न दो ईश्वर को, न ही इंसान को।
कई लोग ईमानदारी से बोलने,
काम करने के बजाय
नरक में दंड पाना पसंद करेंगे।
इसमें कोई हैरानी नहीं कि ईश्वर
बेईमानों से अलग व्यवहार करे।
ईश्वर उनसे प्रेम करे, जो हैं पूरे ईमानदार।
ईश्वर विश्वसनीय है, उसके वचन
सदा भरोसे के लायक हैं।
उसके कर्मों में कोई दोष नहीं;
उससे सवाल न करो कभी।
ईश्वर उनसे प्रेम करे, जो हैं पूरे ईमानदार।
2
ईश्वर जाने तुम्हारे लिए ईमानदार होना कठिन है।
नीचता से दूसरों को मापने में तुम सयाने हो,
अपने राज़ छाती से चिपकाए रहते हो।
इससे ईश्वर का काम बड़ा आसान हो जाता है।
ईश्वर तुम्हें आपदा में भेजेगा।
फिर उसके वचनों पर तुम्हारा विश्वास पक्का होगा।
ईश्वर तुमसे ये कहलवाएगा,
"मुझे विश्वास है कि ईश्वर भरोसेमंद है।"
फिर तुम रोते हुए कहोगे,
"इंसान का दिल कपटी है!"
फिर भी क्या तुम विजयी महसूस करोगे?
तुम अब जितने गूढ़ और गहन न रहोगे!
3
कुछ लोग ईश्वर के सामने तो एकदम सलीके से रहें,
अपनी शिष्टता दिखाने को कष्ट सहें,
लेकिन आत्मा के सामने अपने ज़हरीले दाँत दिखाएँ।
क्या इन्हें ईमानदार कहा जाएगा?
ईश्वर उनसे प्रेम करे, जो हैं पूरे ईमानदार।
ईश्वर विश्वसनीय है, उसके वचन
सदा भरोसे के लायक हैं।
उसके कर्मों में कोई दोष नहीं;
उससे सवाल न करो कभी।
ईश्वर उनसे प्रेम करे, जो हैं पूरे ईमानदार।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, तीन चेतावनियाँ से रूपांतरित