570 एक ईमानदार व्यक्ति बनने का अभ्यास कैसे करें

1 यदि तुम चाहते हो कि दूसरे तुम पर विश्वास करें, तो पहले तुमको ईमानदार बनना होगा। एक ईमानदार व्यक्ति होने के नाते तुम्हें अपना दिल खोलना चाहिए, ताकि हर कोई उसके अंदर देख सके, तुम्हारे विचारों को समझ सके, और तुम्हारा असली चेहरा देख सके; अच्छा दिखने के लिए तुम्हें तुम खुद भेष धारण करने या खुद को आकर्षक बनाने का प्रयास न करो। लोग तभी तुम पर विश्वास करेंगे और तुमको ईमानदार मानेंगे। यह ईमानदार होने का सबसे मूल अभ्यास और ईमानदार व्यक्ति होने की शर्त है। तू हमेशा पवित्रता, सदाचार, महानता का दिखावा करता है, नाटक करता है, और उच्च नैतिक गुणों के होने का नाटक करता है। तू लोगों को अपनी भ्रष्टता और विफलताओं को नहीं देखने देता है। तू लोगों के सामने एक झूठी छवि पेश करता है, ताकि वे मानें कि तू सच्चा, महान, आत्म-त्यागी, निष्पक्ष और निस्वार्थी है। यह धोखा है।

2 भेष धारण मत कर और खुद को आकर्षक ढंग से प्रस्तुत मत कर; इसके बजाय, अपने आप को स्पष्ट कर और दूसरों के देखने के लिए खुद को और अपने हृदय को पूरी तरह उजागर कर दे। यदि तू दूसरों के देखने के लिए अपने हृदय को उजागर कर सकता है और अपने विचारों और योजनाओं को—चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक—स्पष्ट कर सकता है तो क्या तू ईमानदार बन रहा है। यदि तू दूसरों के समक्ष अपने आप को उजागर कर सकता है, तो परमेश्वर भी तुझे देखेगा और कहेगा तू उसके सामने भी निश्चित रूप से ईमानदार है। यदि तू दूसरे लोगों की नज़र से दूर केवल परमेश्वर के सामने अपने आप को उजागर करता है, और उनके साथ रहते हुए हमेशा महान और गुणी या न्यायी और निःस्वार्थ होने का दिखावा करता है, तो कहेगा: "तू वास्तव में धोखेबाज़ है; तू विशुद्ध रूप से पाखंडी और क्षुद्र है; और तू ईमानदार व्यक्ति नहीं है।" परमेश्वर इस प्रकार से तेरी निंदा करेगा। यदि तू ईमानदार व्यक्ति होना चाहता है, तो तू परमेश्वर या दूसरों के सामने जो कुछ भी करता है उसकी परवाह किए बिना, तुझे अपने आप को उजागर करने में सक्षम होना चाहिए।

—वचन, खंड 3, अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन, एक ईमानदार व्यक्ति होने का सबसे बुनियादी अभ्यास से रूपांतरित

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