प्रश्न 2: पादरी और एल्डर अक्सर धर्मग्रंथों को पढ़ते हैं और लोगों को उपदेश देते हैं, भाई-बहनों के लिए प्रार्थना करते हैं, विश्वासियों से प्यार करते हैं और लोगों से बाइबल से जुड़े रहने का आग्रह करते हैं। अगर हम उन्हें पाखंडी फरीसी कहेंगे, तो ज़्यादातर विश्वासी ये बात समझ नहीं पायेंगे। तो कृपया हमें और विस्तार से बताइए।

उत्तर: उस ज़माने में, यहूदी फरीसी अक्सर धर्मग्रंथों की व्याख्या करते थे और आराधनालयों में विश्वासियों के लिए प्रार्थना करते थे। क्या वे भी लोगों को बहुत धर्मपरायण नहीं लगते थे? तो प्रभु यीशु ने यह कर कि पाखंडी फरीसियों को संताप मिले, फरीसियों को क्यों बेनकाब किया और उन्हें श्राप दिया? क्या प्रभु यीशु ने उनके साथ गलत किया? क्या लोग विश्वास नहीं करते कि प्रभु यीशु के वचन सत्य हैं? क्या लोग अभी भी शक करते हैं कि प्रभु यीशु ने गलत काम किया? पादरी और एल्डर पाखंडी फरीसी हैं या नहीं, वे मसीह-विरोधी हैं या नहीं, सिर्फ़ यह देखकर जाना जा सकता है कि वे बाहरी लोगों से कैसा व्यवहार करते हैं। ज़रूरी है यह देखना कि वे प्रभु और सत्य से कैसा बर्ताव करते हैं। बाहर से वे विश्वासियों से प्रेम करने वाले हो सकते हैं, लेकिन क्या उनके मन में प्रभु के लिए प्रेम है? अगर वे लोगों से प्रेम करते हैं, लेकिन प्रभु और सत्य से परेशान होकर नफ़रत से भरे हुए हैं, और अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर को परखते और उनकी निंदा करते हैं, तो क्या वे पाखंडी फरीसी नहीं हैं? क्या वे मसीह-विरोधी नहीं हैं? बाहर से देखने पर वे उपदेश देते और मेहनत करते हुए लगते हैं, लेकिन अगर ये ओहदा और इनाम पाने के लिए है, तो क्या इसका ये मतलब हो सकता है कि वे प्रभु की आज्ञा मानते हैं और उनके प्रति वफादार हैं? कोई इंसान पाखंडी है या नहीं, यह पहचानने के लिए, आपको उनके दिल में झांकना होगा और उनके इरादों को समझना होगा। किसी चीज़ की असलियत जानने के लिए यह सबसे ज़रूरी है। परमेश्वर लोगों के दिलों को परखते हैं। इसलिए कोई इंसान प्रभु से सच्चा प्रेम करता है या नहीं और उनकी आज्ञा मानता है या नहीं, यह जानने के लिए यह जानना ज़रूरी है कि क्या वे उनके वचन पर अमल करते हुए उनसे जुड़े रहते हैं या नहीं, उनके आदेशों पर चलते हैं या नहीं, यह देखना भी ज़रूरी है कि क्या वे प्रभु यीशु का गुणगान करते हैं और क्या उनकी गवाही देते हैं, और क्या वे परमेश्वर की इच्छा का पालन करते हैं। हम देखते हैं कि फरीसी अक्सर आराधनालयों में लोगों के सामने धर्मग्रंथों की व्याख्या किया करते थे, हर चीज़ के लिए बाइबल के नियमों से बंधे रहते थे और लोगों से प्रेमभाव भी रखते थे। लेकिन असलियत में, उनके हर काम में परमेश्वर के वचन का पालन नहीं होता था या परमेश्वर के आदेशों पर अमल नहीं होता था, बल्कि ऐसा सिर्फ लोगों को दिखाने के लिए किया जाता था। उसी तरह जैसे कि प्रभु यीशु ने उनको बेनकाब करते वक्त कहा था: "वे अपने सब काम लोगों को दिखाने के लिये करते हैं: वे अपने ताबीजों को चौड़ा करते और अपने वस्त्रों की कोरें बढ़ाते हैं" (मत्ती 23:5)। वे जान-बूझकर आराधनालयों और सड़कों पर लंबी कतारों में प्रार्थना के लिए खड़े हो जाते। उपवास के दौरान वे जान-बूझकर अपने चेहरों को उदास बना लेते, ताकि लोग जान सकें कि वे उपवास कर रहे हैं। वे जान-बूझकर सड़कों पर अच्छे काम करते ताकि लोगों की नज़र उन पर पड़े। उन्होंने प्राचीन परंपराओं और धार्मिक रिवाजों को भी जारी रखा जैसे कि "अच्छी तरह से हाथ धोये बिना खाना न खायें।" लोगों को धोखा देकर उनको अपना साथ देने और अपनी आराधना करवाने के लिए, फरीसी राई का पहाड़ बनाकर खुद को छिपाने की कोशिश करते, वे लोगों को धार्मिक आराधना, गायन और स्तुति में उलझाकर रखते या कुछ प्राचीन परंपराओं से चिपके रहने के लिए ही लोगों की अगुवाई करते, लेकिन उन्होंने परमेश्वर के वचन पर चलने, उनके आदेशों का पालन करने और सत्य की वास्तविकता को जानने में लोगों की अगुवाई नहीं की। यही नहीं, उन्होंने सत्य पर चलने, परमेश्वर की आज्ञा का पालन करने और उनकी आराधना करने में भी लोगों की अगुवाई नहीं की। उन लोगों ने सिर्फ विश्वासियों को भरमाने और धोखा देने के लिए कुछ बाहरी कारनामों का इस्तेमाल किया! जब प्रभु यीशु उपदेश देने और कार्य करने आये, धर्मपरायण होने का नाटक कर रहे इन फरीसियों ने अपने ओहदों और रोजी-रोटी को बचाने के लिए दरअसल "बाइबल की रक्षा करने" के बहाने परमेश्वर के नियमों और आदेशों का खुले आम त्याग कर दिया। उन लोगों ने अफवाहें गढ़ीं, झूठी गवाहियां दीं, और प्रभु यीशु का घोर विरोध कर उनको झूठे मामलों में फंसाया, विश्वासियों को प्रभु यीशु का अनुसरण करने से रोकने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया। अंत में, उन लोगों ने सत्ताधारियों के साथ सांठ-गांठ करके प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ा दिया! इस तरह से, फरीसियों का पाखंडी और सत्य से नफ़रत करनेवाला स्वभाव पूरी तरह से उजागर हो गया। इससे उनके मसीह-विरोधी सार का पूरी तरह से खुलासा हो गया। इससे पता चलता है कि फरीसियों का सार पाखंडी, बईमान, धोखेबाज और दुर्भावनापूर्ण था। वे सभी झूठे अगुआ थे, जिन्होंने परमेश्वर का मार्ग छोड़ दिया, लोगों को धोखा दिया और उन्हें पिंजड़ों में बंद कर दिया! उन्होंने विश्वासियों को धोखा देकर अपने चंगुल में फंसाया, धार्मिक दुनिया को काबू में करके परमेश्वर का विरोध करने के लिए उकसाया, उन्होंने देहधारी मसीह को बुरी तरह से नकारते हुए उनकी निंदा की और उनसे नफ़रत किया। यानी वे ऐसे मसीह-विरोधी थे, जो अपना खुद का स्वतंत्र राज्य बनाना चाहते थे!

अब हम फरीसियों के पाखंड के तरह-तरह के रूप देख सकते हैं, जब हम उनकी तुलना आजकल के धार्मिक पादरियों और एल्डर्स से करेंगे, तो क्या हमें पता नहीं चलेगा कि वे बिल्कुल फरीसियों जैसे ही हैं, और ये सब वैसे लोग हैं, जो प्रभु के वचन पर नहीं चलते और प्रभु के आदेशों का पालन नहीं करते, इतना ही नहीं, वे ऐसे लोग भी नहीं हैं, जो प्रभु का गुणगान करें और प्रभु की गवाही दें? वे सिर्फ ऐसे लोग हैं, जो आँखें बंद करके बाइबल में विश्वास करते हैं, बाइबल की आराधना करते हैं और बाइबल का बखान करते हैं। वे तरह-तरह के धार्मिक रीति-रिवाजों से चिपके रहते हैं, जैसे कि नियमित सेवाओं में भाग लेना, सुबह की रखवाली करना, रोटी के टुकड़े करना, पवित्र भोज ग्रहण करना, वगैरह-वगैरह। वे बस लोगों के विनम्र होने, सब्र रखने, धर्मपरायण बनने और स्नेही होने की बात पर ही ध्यान देते हैं, लेकिन वे परमेश्वर से दिल से प्रेम नहीं करते, इतना ही नहीं, वे परमेश्वर की आज्ञा का पालन भी नहीं करते और उनके दिल में परमेश्वर का भय बिल्कुल भी नहीं है। उनके कार्य और उपदेशों में सिर्फ बाइबल के ज्ञान और धर्माशास्त्र के सिद्धांत से चिपके रहने और उनकी व्याख्या करने पर ध्यान रहता है। लेकिन जब बात आती है प्रभु के वचन का पालन और अनुभव करने के तरीके की, प्रभु के आदेशों का पालन करने, प्रभु के वचन का प्रचार करने और उनकी गवाही देने के तरीके की, स्वर्गिक पिता की इच्छा का पालन करने, परमेश्वर से सही मायनों में प्रेम करने, उनकी आज्ञा का पालन करने और उनकी आराधना करने की, उन सारी बातों की, जो प्रभु यीशु मानवजाति से चाहते हैं, वे उनके बारे में खोज नहीं करते, जांच-पड़ताल नहीं करते और प्रभु के इरादों को जानने की कोशिश नहीं करते, इतना ही नहीं, वे उनका पालन करने या उन्हें अपनाने में लोगों की अगुवाई भी नहीं करते। घूम-घूमकर बाइबल के ज्ञान और धर्मशास्त्र के सिद्धांत पर उपदेश देने का उनका मकसद अपनी शेखी बघारना और खुद को बड़ा दिखाना होता है, उनकी कोशिश होती है कि लोग उनकी ओर खिंचे चले आएं और उनकी आराधना करें। इसलिए, जब सर्वशक्तिमान परमेश्वर, अंत के दिनों में सत्य व्यक्त करने और अपना न्याय कार्य करने आये, तो इन पादरियों और एल्डर्स ने, धार्मिक दुनिया में स्थाई सत्ता पाने, विश्वासियों को वश में करने और अपना स्वतंत्र राज्य बनाने की महत्वाकांक्षा में, प्रभु यीशु के वचन का उल्लंघन किया, उन पर खुले आम हमला किया। और उनका तिरस्कार करके, और लोगों के सच्चे मार्ग को खोजने और उसकी जाँच-पड़ताल करने से रोकने के लिए पुरजोर कोशिश करके, उन्हें सच्चा मार्ग खोजने-जाँचने से रोकने की पूरी कोशिश की। मिसाल के तौर पर, प्रभु यीशु ने लोगों को बुद्धिमान कुंवारियां बनना सिखाया: जब कोई किसी को चिल्लाता हुआ सुने "देखो, दूल्हा आ रहा है!" तो उन्हें बाहर जा कर उनका स्वागत करना चाहिए। लेकिन जब पादरियों और एल्डर्स ने प्रभु यीशु के दोबारा आने की खबर सुनी, तो उन्होंने ऐसा करने के बजाय कलीसिया पर ताला लगा दिया और विश्वासियों को सच्चे मार्ग की खोज और जाँच-पड़ताल करने से रोकने की भरसक कोशिश की! प्रभु यीशु ने कहा था, "एक दूसरे से अपने ही समान प्रेम रखना।" यही नहीं, उन्‍होंने विश्वासियों को उकसाया कि वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य की गवाही देनेवाले भाई-बहनों को बदनाम करें और मारे-पीटें। प्रभु यीशु ने मनुष्य से झूठ न बोलने और झूठी गवाही न देने को कहा था, लेकिन पादरियों और एल्डर्स ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर को बदनाम करने के लिए हर तरह की झूठी कहानियां गढ़ीं, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य का विरोध करने, उसको बदनाम करने और उनकी कलीसिया को दाग़दार करने के लिए शैतान सीसीपी के साथ सांठ-गांठ भी की। इससे हमें पता चलता है कि धार्मिक पादरियों और एल्डर्स ने जो कहा और किया है, वह प्रभु के उपदेशों का पूरा उल्लंघन है। वे बिल्कुल पाखंडी फरीसियों जैसे ही हैं। वे सब ऐसे लोग हैं, जो आँखें बंद करके अगुवाई करते हैं, परमेश्वर का विरोध करते हैं, और लोगों को धोखा देते हैं। कृपया मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन का एक अंश पढ़ने दें। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "यदि तुम्हारी मंशा परमेश्वर के आज्ञापालन की नहीं है और तुम्हारे उद्देश्य दूसरे हैं, तो जो कुछ भी तुम कहते और करते हो—परमेश्वर के सामने तुम्हारी प्रार्थनाएँ, यहाँ तक कि तुम्हारा प्रत्येक कार्यकलाप भी परमेश्वर के विरोध में होगा। तुम भले ही मृदुभाषी और सौम्य हो, तुम्हारा हर कार्यकलाप और अभिव्यक्ति उचित दिखायी दे, और तुम भले ही आज्ञाकारी प्रतीत होते हो, किन्तु जब परमेश्वर में विश्वास के बारे में तुम्हारी मंशाओं और विचारों की बात आती है, तो जो भी तुम करते हो वह परमेश्वर के विरोध में होता है, वह बुरा होता है। जो लोग भेड़ों के समान आज्ञाकारी प्रतीत होते हैं, परन्तु जिनके हृदय बुरे इरादों को आश्रय देते हैं, वे भेड़ की खाल में भेड़िए हैं। वे सीधे-सीधे परमेश्वर का अपमान करते हैं, और परमेश्वर उन में से एक को भी नहीं छोड़ेगा। पवित्र आत्मा उन में से एक-एक को प्रकट करेगा और सबको दिखाएगा कि पवित्र आत्मा उन सभी से, जो पाखण्डी हैं, निश्चित रूप से घृणा करेगा और उन्हें ठुकरा देगा। चिंता नहीं : परमेश्वर बारी-बारी से उनमें से एक-एक से निपटेगा और उनका हिसाब करेगा" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर में अपने विश्वास में तुम्हें परमेश्वर का आज्ञापालन करना चाहिए)। ये धार्मिक पादरी और एल्डर्स बाहर से विनम्र, धैर्यवान और स्नेही दिखाई देते हैं, लेकिन उनके दिल कपट, धोखेबाजी और द्वेष से भरे हुए हैं। "सच्चे मार्ग की रक्षा करें, झुंड को बचायें" के बहाने, वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर का विरोध और निंदा करते हैं विश्वासियों को अपने वश में करना चाहते हैं ताकि वे धार्मिक दुनिया में स्थाई सत्ता हासिल कर खुद का स्वतंत्र राज्य बना पायें। ये पाखंडी फरीसी जो सत्य और परमेश्वर से नफ़रत करते हैं, वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य द्वारा उजागर किये गए परमेश्वर-विरोधी मसीह-विरोधी लोगों का समूह हैं। सच्चे मन से परमेश्वर में विश्वास करने वालों को इनके पाखंडी सार और शैतानी, मसीह-विरोधी स्वभाव को पहचानने का तरीका सीख लेना चाहिए। अब उन लोगों से धोखा न खायें, उलझन में न पड़ें और उनके वश में आकर पिंजड़ों में बंद न हो जाएं। आपको सच्चे मार्ग की खोज और जाँच-पड़ताल करनी चाहिए, आपको सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को स्वीकार करना चाहिए, और परमेश्वर के सिंहासन के सामने वापस आना चाहिए!

"तोड़ डालो अफ़वाहों की ज़ंजीरें" फ़िल्म की स्क्रिप्ट से लिया गया अंश

पिछला: प्रश्न 1: धार्मिक पादरी और एल्डर ऐसे लोग हैं जो कलीसिया में परमेश्वर की सेवा करते हैं। यह कहना उचित ही है कि, जब प्रभु के वापस आने की बात आती है, तो उन्हें चौकस रहकर प्रतीक्षा करनी चाहिए, और पूरी सावधानी बरतनी चाहिए। मगर क्या वजह है कि वे अंत के दिनों के सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य की खोज और जांच-पड़ताल नहीं करते, इसके बजाय उनके बारे में अफवाहें गढ़ने, राय बनाते और निंदा करने में लगे रहते हैं, वे विश्वासियों को धोखा देकर सच्चे मार्ग की खोजबीन करने से रोकते हैं?

अगला: प्रश्न 3: जो भी हो, सारे पादरी और एल्डर तो बाइबल के आधार पर ही उपदेश देते हैं। क्या बाइबल की व्याख्या करना और लोगों को उससे जोड़े रखना, प्रभु का गुणगान करना और उनकी गवाही देना नहीं है? क्या पादरियों और एल्डर्स का बाइबल की व्याख्या करना गलत है? आप ऐसा कैसे कह सकती हैं कि वे पाखंडी फरीसी हैं?

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

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प्रश्न 1: सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "केवल अंत के दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दे सकता है," तो मुझे वह याद आया जो प्रभु यीशु ने एक बार कहा था, "परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूँगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा; वरन् जो जल मैं उसे दूँगा, वह उसमें एक सोता बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा" (यूहन्ना 4:14)। हम पहले से ही जानते हैं कि प्रभु यीशु जीवन के सजीव जल का स्रोत हैं, और अनन्‍त जीवन का मार्ग हैं। क्या ऐसा हो सकता है कि सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर और प्रभु यीशु समान स्रोत हों? क्या उनके कार्य और वचन दोनों पवित्र आत्मा के कार्य और वचन हैं? क्या उनका कार्य एक ही परमेश्‍वर करते हैं?

उत्तर: दोनों बार जब परमेश्‍वर ने देह धारण की तो अपने कार्य में, उन्होंने यह गवाही दी कि वे सत्‍य, मार्ग, जीवन और अनन्‍त जीवन के मार्ग हैं।...

प्रश्न: प्रभु यीशु कहते हैं: "मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं" (यूहन्ना 10:27)। तब समझ आया कि प्रभु अपनी भेड़ों को बुलाने के लिए वचन बोलने को लौटते हैं। प्रभु के आगमन की प्रतीक्षा से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण बात है, प्रभु की वाणी सुनने की कोशिश करना। लेकिन अब, सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि हमें नहीं पता कि प्रभु की वाणी कैसे सुनें। हम परमेश्वर की वाणी और मनुष्य की आवाज़ के बीच भी अंतर नहीं कर पाते हैं। कृपया हमें बताइये कि हम प्रभु की वाणी की पक्की पहचान कैसे करें।

उत्तर: हम परमेश्वर की वाणी कैसे सुनते हैं? हममें कितने भी गुण हों, हमें कितना भी अनुभव हो, उससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। प्रभु यीशु में विश्वास...

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