प्रश्न 1: धार्मिक पादरी और एल्डर ऐसे लोग हैं जो कलीसिया में परमेश्वर की सेवा करते हैं। यह कहना उचित ही है कि, जब प्रभु के वापस आने की बात आती है, तो उन्हें चौकस रहकर प्रतीक्षा करनी चाहिए, और पूरी सावधानी बरतनी चाहिए। मगर क्या वजह है कि वे अंत के दिनों के सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य की खोज और जांच-पड़ताल नहीं करते, इसके बजाय उनके बारे में अफवाहें गढ़ने, राय बनाते और निंदा करने में लगे रहते हैं, वे विश्वासियों को धोखा देकर सच्चे मार्ग की खोजबीन करने से रोकते हैं?

उत्तर: ये कोई अजीब सवाल नहीं है। पहले जब प्रभु यीशु कार्य करने आये थे, तब उन्हें धार्मिक दुनिया के पादरियों, लेखकों और फरीसियों के भयंकर विरोध, रुकावट और निंदा का सामना करना पड़ा था, और अंत में उन लोगों ने उनको सूली पर चढ़ा दिया था। यह एक ऐतिहासिक सच्चाई है! तो आप सब ज़रा सोचिए, प्रभु यीशु को धार्मिक दुनिया ने क्यों सूली पर चढ़ा दिया था? अगर हमें इस सवाल का जवाब मिल जाए, तो इसका कारण समझना मुश्किल नहीं होगा कि अंत के दिनों के सर्वशक्तिमान परमेश्वर को धार्मिक दुनिया के लोगों ने सूली पर क्यों चढ़ा दिया था। अंत के दिनों के सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्त सभी कुछ सत्य है, और वे जो कुछ भी करते हैं, वह बिल्कुल परमेश्वर के अंत के दिनों का न्याय कार्य है, फिर भी उन्हें धार्मिक पादरियों और एल्डर्स की निंदा और तिरस्कार का सामना करना पड़ता है। यह वाकई बहुत विचारोत्तेजक बात है! परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य की इस तरह से निंदा करना पवित्र आत्मा का तिरस्कार करना है। यह मूलतः अंत के दिनों के मसीह को सूली पर चढ़ाने जैसा ही है। इस समस्या का सार बहुत ज़्यादा गंभीर है! बस इतना है कि कुछ लोग इसे समझ ही नहीं पाते, और कहते हैं सभी धार्मिक पादरी और एल्डर चर्च में परमेश्वर की सेवा करते हैं, परंतु वे सच्चे मार्ग को खोज कर उसकी जाँच-पड़ताल करने के बजाय उसकी निंदा क्यों करते हैं? यह बात उनके स्वभाव से जुड़ी हुई है। हम सब जानते हैं कि यहूदी मुख्य पादरी, लेखक और फरीसी आराधना-स्थलों के वे लोग थे, जो परमेश्वर की सेवा किया करते थे। जिस दौरान प्रभु यीशु ने उनके बीच कार्य किया, उस वक्त बहुत-से लोगों ने स्वीकार किया कि प्रभु यीशु के कार्य और वचनों में अधिकार और सामर्थ्य है। लेकिन फिर भी उन्होंने प्रभु यीशु को सूली पर क्यों चढ़ा दिया? बाइबल के अभिलेखों से हम जानते हैं कि उस ज़माने में प्रभु यीशु के कार्य और उपदेश ने पूरे यहूदी राज्य को हिला कर रख दिया था। प्रभु यीशु ने पांच रोटियों और दो मछलियों से 5,000 लोगों को खाना खिलाया, अपाहिजों को चलने और अंधों को देखने की शक्ति दी, मरे हुओं को जिंदा कर दिया, वगैरह-वगैरह, जिससे पूरे यहूदिया में हलचल मच गयी। बहुत-से लोग प्रभु यीशु के नाम और उनके कार्य की सच्चाइयों का प्रचार करने लगे। प्रभु यीशु के अनुयायियों की तादाद भी बढ़ती चली गयी। लेकिन जब उन मुख्य पादरियों, लेखकों और फरीसियों ने यह देखा, तो उन लोगों के दिलों में नफ़रत ने घर कर लिया। वे साफ तौर पर जानते थे कि अगर प्रभु यीशु अपना ये कार्य जारी रखेंगे, तो सारे यहूदी विश्वासी जल्दी ही प्रभु यीशु के अनुयायी बन जाएँगे और पूरे यहूदी धर्म के एकएक रुक जाने और बंद हो जाने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। इसलिए, यहूदी धर्म को बचाये रखने के लिए, बाइबल की पवित्रता की रक्षा करने के लिए, और दरअसल अपने ओहदों और रोजी-रोटी को बचाने के लिए, उन्होंने प्रभु यीशु की निंदा करने, अफवाहें गढ़ने और झूठे मामलों में फंसाने में कोई कसर नहीं छोड़ी, और अंत में रोमन सरकार के साथ सांठ-गांठ करके प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ा दिया। उसी तरह से, आज के धार्मिक पादरी और एल्डर समझते हैं कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्त सभी वचन बिल्कुल सत्य हैं और उनमें अधिकार और सामर्थ्य है। अगर ये वचन धार्मिक वर्गों के उन सभी लोगों के बीच प्रचारित किये जाएँ जो सत्य से प्रेम करते हैं, तो वे सभी स्वीकार करेंगे कि ये परमेश्वर के वचन हैं और परमेश्वर की वाणी हैं, और वे सब यह मान लेंगे कि प्रभु यीशु पहले ही वापस आ चुके हैं। इसलिए, पादरी और एल्डर इस बात से बेहद डरते हैं कि कहीं विश्वासी सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को देख न लें, और परमेश्वर की वाणी को सुन न लें। इससे भी ज़्यादा उन्हें ये डर है कि कहीं सारे विश्वासी सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अनुयायी न बन जाएं, क्योंकि इससे उनके ओहदे और उनकी रोजी-रोटी छिन जाएगी। यही वजह है कि वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर से घृणा करते हैं और सर्वशक्तिमान परमेश्वर के बारे में (गुस्से से) अफवाहें रचने, (उनको परखने,) उनका विरोध और निंदा करने, और विश्वासियों को सच्चे मार्ग की खोजबीन करने से रोकने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं। ये एक ऐसी सच्चाई है जिसे सभी समझदार लोग साफ तौर पर देख सकते हैं। यानी धार्मिक पादरियों और एल्डर्स द्वारा सर्वशक्तिमान परमेश्वर के विरोध और निंदा की जड़ बिल्कुल वही है जो यहूदी फरीसियों द्वारा प्रभु यीशु के विरोध में थी। यह सब उनके उस शैतानी स्वभाव की वजह से है, जो सत्य से परेशान है, उससे नफ़रत करता है और परमेश्वर का विरोध करता है! इससे साबित होता है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर का विरोध और निंदा करनेवाले धार्मिक एल्डर और पादरी दरअसल परमेश्वर की सेवा करने वाले लोग नहीं हैं और सबके-सब असली पाखंडी फरीसी हैं। सारे-के-सारे मसीह-विरोधी हैं!

उस ज़माने के यहूदी फरीसी प्रभु यीशु के कार्य की वजह से मसीह-विरोधियों के रूप में बेनकाब हो गये थे। आजकल के धार्मिक पादरी और एल्डर भी अंत के दिनों के सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य के चलते मसीह-विरोधियों के रूप में बेनकाब हो चुके हैं। उनका सत्य से नफ़रत करनेवाला सार भी बिल्कुल वही है। वे सब देहधारी परमेश्वर को नकारने वाले मसीह-विरोधी हैं। ठीक जैसे कि बाइबल में कहा गया है, "क्योंकि बहुत से ऐसे भरमानेवाले जगत में निकल आए हैं, जो यह नहीं मानते कि यीशु मसीह शरीर में होकर आया; भरमानेवाला और मसीह-विरोधी यही है" (2 यूहन्ना 1:7)। "परमेश्‍वर का आत्मा तुम इस रीति से पहचान सकते हो: जो आत्मा मान लेती है कि यीशु मसीह शरीर में होकर आया है वह परमेश्‍वर की ओर से है, और जो आत्मा यीशु को नहीं मानती, वह परमेश्‍वर की ओर से नहीं; और वही तो मसीह के विरोधी की आत्मा है, जिसकी चर्चा तुम सुन चुके हो कि वह आनेवाला है, और अब भी जगत में है" (1 यूहन्ना 4:2-3)। इससे यह साफ हो जाता है कि वे मसीह-विरोधी हैं जो ये स्वीकार नहीं करते कि परमेश्वर देहधारी हुए हैं। वे सभी लोग मसीह-विरोधी हैं जो देहधारी परमेश्वर को अस्वीकार करते हैं, उनकी निंदा और विरोध करते हैं। जो लोग परमेश्वर में सच्चा विश्वास करते हैं और उनको जानते हैं, वे देहधारी परमेश्वर के कार्य को अवश्य स्वीकार करेंगे। जो परमेश्वर में सच्चा विश्वास नहीं करते, उनको नहीं जानते, वे देहधारी परमेश्वर का विरोध और निंदा ज़रूर करेंगे। अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य ने तमाम मसीह-विरोधियों और अविश्वासियों को बेनकाब कर दिया है इसने भेड़ों को बकरियों से और अच्छों को बुरे से अलग किया है। इस तरह, मनुष्य को उसके स्वभाव के हिसाब से अलग-अलग कर दिया गया है। इसलिए, अगर विश्वासी मसीह-विरोधियों को नहीं पहचान पाते, तो वे आसानी से धोखा खा जाएंगे और उनके वश में आ जाएंगे, जिससे उनका परमेश्वर के सिंहासन के सामने वापस आना मुश्किल हो जाएगा!

"तोड़ डालो अफ़वाहों की ज़ंजीरें" फ़िल्म की स्क्रिप्ट से लिया गया अंश

पिछला: प्रश्न 4: अभी आपने जो संगति की है कि किस तरह लोगों को धोखा देने के लिए झूठे मसीह बाइबल की गलत व्याख्या करते हैं, संकेतों और चमत्कारों का इस्तेमाल करते हैं, मुझे इसका ये पहलू कुछ-कुछ समझ में आ रहा है। लेकिन मेरा अभी भी एक सवाल है जो मैं आपसे पूछना चाहती हूँ। कुछ झूठे मसीह दावा करते हैं कि परमेश्वर का आत्मा उन पर उतरा है। वे वापस आए प्रभु यीशु का छद्मवेष धारण करके कुछ लोगों को धोखा देते हैं। हम इसे कैसे पहचानें?

अगला: प्रश्न 2: पादरी और एल्डर अक्सर धर्मग्रंथों को पढ़ते हैं और लोगों को उपदेश देते हैं, भाई-बहनों के लिए प्रार्थना करते हैं, विश्वासियों से प्यार करते हैं और लोगों से बाइबल से जुड़े रहने का आग्रह करते हैं। अगर हम उन्हें पाखंडी फरीसी कहेंगे, तो ज़्यादातर विश्वासी ये बात समझ नहीं पायेंगे। तो कृपया हमें और विस्तार से बताइए।

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

संबंधित सामग्री

प्रश्न: प्रभु यीशु कहते हैं: "मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं" (यूहन्ना 10:27)। तब समझ आया कि प्रभु अपनी भेड़ों को बुलाने के लिए वचन बोलने को लौटते हैं। प्रभु के आगमन की प्रतीक्षा से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण बात है, प्रभु की वाणी सुनने की कोशिश करना। लेकिन अब, सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि हमें नहीं पता कि प्रभु की वाणी कैसे सुनें। हम परमेश्वर की वाणी और मनुष्य की आवाज़ के बीच भी अंतर नहीं कर पाते हैं। कृपया हमें बताइये कि हम प्रभु की वाणी की पक्की पहचान कैसे करें।

उत्तर: हम परमेश्वर की वाणी कैसे सुनते हैं? हममें कितने भी गुण हों, हमें कितना भी अनुभव हो, उससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। प्रभु यीशु में विश्वास...

प्रश्न 1: सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "केवल अंत के दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दे सकता है," तो मुझे वह याद आया जो प्रभु यीशु ने एक बार कहा था, "परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूँगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा; वरन् जो जल मैं उसे दूँगा, वह उसमें एक सोता बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा" (यूहन्ना 4:14)। हम पहले से ही जानते हैं कि प्रभु यीशु जीवन के सजीव जल का स्रोत हैं, और अनन्‍त जीवन का मार्ग हैं। क्या ऐसा हो सकता है कि सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर और प्रभु यीशु समान स्रोत हों? क्या उनके कार्य और वचन दोनों पवित्र आत्मा के कार्य और वचन हैं? क्या उनका कार्य एक ही परमेश्‍वर करते हैं?

उत्तर: दोनों बार जब परमेश्‍वर ने देह धारण की तो अपने कार्य में, उन्होंने यह गवाही दी कि वे सत्‍य, मार्ग, जीवन और अनन्‍त जीवन के मार्ग हैं।...

सेटिंग

  • इबारत
  • कथ्य

ठोस रंग

कथ्य

फ़ॉन्ट

फ़ॉन्ट आकार

लाइन स्पेस

लाइन स्पेस

पृष्ठ की चौड़ाई

विषय-वस्तु

खोज

  • यह पाठ चुनें
  • यह किताब चुनें

WhatsApp पर हमसे संपर्क करें