85 पूरे सफ़र में साथ तुम्हारे
1
खोया-खोया-सा अंदर से बेसहारा महसूस करता हुआ,
घूमता हूँ, भटकता हूँ जगत में मैं।
तुम्हारे कोमल वचनों से जागकर, देखता हूँ उभरती रोशनी मैं।
तुम्हारे वचनों का न्याय मुझे स्वीकार है।
देखता हूँ भीतर तक दूषित हूँ मैं।
अपने बर्ताव पर विचार करते हुए, वही स्वभाव अपने भीतर पाता हूँ मैं।
न शैतान के चोट पहुँचाने का भय है, न सूनेपन का जो रात लाती है,
जब तुम्हारे साथ होता हूँ मैं।
न ख़तरों से रूबरू होने का डर है,
न सफ़र की मुश्किलों का, जब तुम्हारे साथ होता हूँ मैं।
मुसीबतों की खुरदुरी राहों के बाद,
एक ख़ूबसूरत कल का स्वागत करता हूँ मैं, करता हूँ मैं, करता हूँ मैं।
2
अपने भीतर होता है मलाल मुझे,
एहसानमन्द हूँ कि बचा लिया गया हूँ मैं।
महान करुणा जो दिखाई तुमने, अपनी राह बना पाता हूँ मैं।
जब दूर होता हूँ तो वचन तुम्हारे पुकारते हैं मुझे।
तुम बचाते हो मुझे अनिष्ट से, महफ़ूज़ हूँ मैं।
मैं विद्रोह करता हूँ, तब छुप जाते हो तुम।
तब फिर असीम वेदना में चला जाता हूँ मैं।
3
तुम दया दिखाते हो, मुस्कराते हो, नज़दीक लाते हो, जब लौटता हूँ मैं।
जब शैतान ज़ख़्म देता है, कोड़े बरसाता है,
स्नेह तुम्हारा घाव भरता, दिलासा देता है मुझे।
मेरे दुख-दर्द को करते हो साझा,
शैतान की गिरफ़्त में जब आता हूँ मैं।
फिर सुबह होगी, आसमाँ फिर से नीला होगा,
है विश्वास मुझे, है विश्वास मुझे, है विश्वास मुझे।
न शैतान के चोट पहुँचाने का भय है, न सूनेपन का जो रात लाती है,
जब तुम्हारे साथ होता हूँ मैं।
न ख़तरों से रूबरू होने का डर है,
न सफ़र की मुश्किलों का, जब तुम्हारे साथ होता हूँ मैं।
मुसीबतों की खुरदुरी राहों के बाद,
एक ख़ूबसूरत कल का स्वागत करता हूँ मैं, करता हूँ मैं।
4
तुम्हारे वचन मेरा जीवन हैं मेरे प्रभु।
तुम्हारे वचनों का आनंद लेता हूँ हर दिन।
घेर लेता है जब शैतान मुझे,
तुम्हारे वचन देते हैं शक्ति और विवेक मुझे।
जब यातना सहता हूँ, नाकाम होता हूँ,
तो मुश्किल वक्त में तुम्हारे वचन राह दिखाते हैं मुझे।
जब होता हूँ मैं उदास या कमज़ोर,
वचन तुम्हारे देते हैं सहारा और आपूर्ति मुझे।
5
होता है जब इम्तहान मेरा, तो गवाही देने की ख़ातिर,
राह दिखाते हैं मुझे वचन तुम्हारे।
साथ रहता हूँ, बातें करता हूँ तुम से, कोई दूरी नहीं है बीच हमारे।
न शैतान के चोट पहुँचाने का भय है, न सूनेपन का जो रात लाती है,
जब तुम्हारे साथ होता हूँ मैं।
न ख़तरों से रूबरू होने का डर है,
न सफ़र की मुश्किलों का, जब तुम्हारे साथ होता हूँ मैं।
मुसीबतों की खुरदुरी राहों के बाद,
एक ख़ूबसूरत कल का स्वागत करता हूँ मैं, साथ तुम्हारे,
करता हूँ मैं, साथ तुम्हारे, करता हूँ मैं।