153 परमेश्वर द्वारा उद्धार से आनंदित हैं हम
1
सत्य के अनुसरण की ख़ातिर, ख़ुद को जगाते हैं हम,
हम अब नकारात्मक नहीं होंगे।
हमारे दिल और आत्मा आज़ादी पाते हैं।
ताल के साथ हम खोलते हैं दिल हमारे।
दिल से दिल मिले हैं, हाथों में हैं हाथ हमारे।
चाहते हम महसूस करो हमारी ख़ुशियों को तुम,
अब और दुख नहीं देना चाहते तुम्हें हम।
उठाकर खुली बाहें, नाचते हम।
नाचते-गाते हैं हम! बहुत आनंद में हैं हम!
पाकर उद्धार तुम से, अर्पित करते अपने दिल को हम।
ऊँचे सुर में तुम्हारी स्तुति करते, तुम्हारे लिये ख़ुशी से नाचते हम।
2
क्यों भावुक होता दिल हमारा, क्यों आँसू बहाते हैं हम?
शुद्ध करता हमें न्याय तुम्हारा,
भावुक होता दिल हमारा, इसलिये रोते हैं हम।
खुली बाहों से करते स्वागत उम्मीदों का हम।
तुम्हें प्यार करना और तुम्हारे लिये जीना चाहते हैं हम।
दूर होता है ग़म हमारा।
दयालु हो तुम; प्रेम के बीज बोते हो तुम।
माटी और पंक से सुंदर फल बनता है इंसान।
मेहरबानी हुई है भ्रष्ट इंसान पर। बचा लिये गये हैं, आनंदित हैं हम।
नाचते-गाते हैं हम! बहुत आनंद में हैं हम!
पाकर उद्धार तुम से, अर्पित करते अपने दिल को हम।
ऊँचे सुर में तुम्हारी स्तुति करते, तुम्हारे लिये ख़ुशी से नाचते हम।
3
हे सर्वशक्तिमान परमेश्वर! हम से बहुत प्यार करते हो तुम!
हालाँकि इम्तहान देते दर्द हमें,
तुम्हारा प्यार है साथ, अंत तक तुम्हारा अनुसरण करेंगे हम,
समर्पित रहेंगे तुम्हारे लिये आख़िरी साँस तक हम।
सत्य पर अमल करते हैं, पालन करते हैं निष्ठा से हम।
इस जीवन में, जीते हैं सिर्फ़ तुम्हारे लिये हम।
नहीं चाहते हमारी फ़िक्र करो तुम।
गाते तुम्हारे लिये गीत निराले, सिर्फ़ तुम्हारे लिये आनंद से नाचते हम।
नाचते-गाते हैं हम! बहुत आनंद में हैं हम!
पाकर उद्धार तुम से, अर्पित करते अपने दिल को हम।
ऊँचे सुर में तुम्हारी स्तुति करते, तुम्हारे लिये ख़ुशी से नाचते हम।
तुम्हारे लिये ख़ुशी से नाचते हम।
तुम्हारे लिये ख़ुशी से नाचते हम। तुम्हारे लिये ख़ुशी से नाचते हम।
तुम्हारे लिये ख़ुशी से नाचते हम।