190 न्याय ने जगा दिया दिल को मेरे
1
क्या तलाश करूँ मैं अपनी आस्था में?
अब जाग चुका हूँ मैं।
पहले, महज़ आशीषों के लिये विश्वास करता था प्रभु में मैं।
लालची होकर आनंद लेता था परमेश्वर के अनुग्रह का मैं।
मगर न्याय ने जगा दिया मेरे दिल को।
मगर न्याय ने जगा दिया मेरे दिल को।
प्रार्थना में तो सबकुछ सही कहता था मैं,
मगर अमल वही करता था जो चाहता था मैं।
अपने भविष्य और नियति की ख़ातिर,
परमेश्वर के लिये कार्य करता था मैं।
सत्य पर अमल नहीं करता था मैं।
तब न्याय ने जगा दिया मेरे दिल को।
तब न्याय ने जगा दिया मेरे दिल को।
महज़ धार्मिक रस्मों में परमेश्वर की आराधना करता था मैं,
मगर दिल मेरा भरा नहीं था, ख़ाली था मैं।
शुद्ध नहीं हुआ था भ्रष्ट स्वभाव मेरा।
कैसे पूरा करता परमेश्वर की इच्छा को मैं?
वचन परमेश्वर के दुधारी तलवार की तरह हैं,
मेरे हृदय, मेरी आत्मा को भेदते हैं।
मैंने परीक्षण और शुद्धिकरण बहुत सहे हैं,
भ्रष्टता मेरी शुद्ध की जा रही है।
आनंद लिया है परमेश्वर के प्रेम का मैंने,
सत्य को खोजूँगा, हासिल करूँगा निश्चय किया है मैंने।
परमेश्वर के प्रेम के प्रतिदान के लिये,
निष्ठा से फ़र्ज़ निभाऊँगा, उसका सच्चा गवाह बनूँगा।
2
परमेश्वर के अनुग्रह का आनंद लिया है अपनी आस्था में मैंने,
इसके मायने ये नहीं मगर, जीवन हासिल किया है मैंने।
बिन सत्य के जी नहीं सकता वास्तविकता को मैं,
झूठ था ये कहना परमेश्वर को प्रेम किया मैंने।
मगर न्याय ने जगा दिया मेरे दिल को।
मगर न्याय ने जगा दिया मेरे दिल को।
कितना भी समर्पित रहा,
कितने भी नेक काम किये,
दरअसल पाखण्डी था मैं।
कर्तव्य में सौदे किए परमेश्वर से मैंने,
सचमुच धोखा दिया, विरोध किया उसका मैंने।
तब न्याय ने जगा दिया मेरे दिल को।
तब न्याय ने जगा दिया मेरे दिल को।
देखा है कितनी गहराई तक भ्रष्ट हो चुका हूँ मैं।
उसका न्याय और शुद्धिकरण चाहता हूँ मैं।
मसीह के आसन के सामने न्याय हुआ है मेरा।
और जाग चुका है दिल मेरा।
वचन परमेश्वर के दुधारी तलवार की तरह हैं,
मेरे हृदय, मेरी आत्मा को भेदते हैं।
मैंने परीक्षण और शुद्धिकरण बहुत सहे हैं,
भ्रष्टता मेरी शुद्ध की जा रही है।
आनंद लिया है परमेश्वर के प्रेम का मैंने,
सत्य को खोजूँगा, हासिल करूँगा निश्चय किया है मैंने।
परमेश्वर के प्रेम के प्रतिदान के लिये,
निष्ठा से फ़र्ज़ निभाऊँगा, उसका सच्चा गवाह बनूँगा।