80. प्रभु का स्वागत करने की मेरी कहानी
बचपन में मेरे पैरों में इतना तेज दर्द होता था कि मैं चल भी नहीं पाती थी, तो मेरी माँ मुझे प्रभु यीशु के सामने लेकर आई। हैरानी की बात है, एक महीने में ही मेरे पैर चमत्कारी ढंग से ठीक हो गये। प्रभु के प्रेम का मूल्य चुकाने के लिए, 1997 में मैंने स्कूल छोड़ दिया और उत्साह के साथ खुद को प्रभु के लिए खपाने लगी। जल्दी ही, कलीसिया ने मुझे प्रशिक्षण के लिए एक अहम उम्मीदवार बनाया। एल्डर कू अक्सर मुझे अलग-अलग कलीसियाओं में प्रचार के लिए लेकर जाते। उस समय एल्डर और पादरी अक्सर कहते कि प्रभु का दिन आने वाला है, और हमें बुद्धिमान कुंवारियों की तरह मशाल तैयार कर प्रभु के आने का इंतजार करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा, “बाइबल में लिखा है, ‘देखो, वह बादलों के साथ आनेवाला है, और हर एक आँख उसे देखेगी, वरन् जिन्होंने उसे बेधा था वे भी उसे देखेंगे, और पृथ्वी के सारे कुल उसके कारण छाती पीटेंगे’ (प्रकाशितवाक्य 1:7)। अंत के दिनों में जब प्रभु लौटकर आयेगा तो वह बहुत भव्यता में बादलों के साथ आयेगा और हमें आकाश में लेकर जाएगा ताकि हम उससे मिल सकें। हम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर अनंत आशीष का आनंद उठाएंगे। अविश्वासी आपदाओं से घिरकर विलाप करेंगे और अपने दांत पीसेंगे।” एल्डर और पादरियों के जोशीले धर्मोपदेश सुनकर, मैंने फौरन यह कल्पना की कि हम सब खुशी से प्रभु के इर्द-गिर्द इकठ्ठा होंगे जब वह बहुत भव्यता में बादलों के साथ धरती पर उतरेगा। आप सोच सकते हैं ऐसे अद्भुत नजारे के ख्याल से ही मैं कितनी उत्साहित होती थी।
फिर, 1999 में एक दिन सुबह, एल्डर कू और पैरिश एल्डर ही ने सहकर्मियों को बुलाया और कहा : “‘चमकती पूर्वी बिजली’ नाम की एक नयी कलीसिया आई है जो कहती है कि प्रभु देह बनकर वापस आ चुका है, वह वचन व्यक्त करते हुए परमेश्वर के घर से शुरू होने वाला न्याय कार्य कर रहा है। पर ऐसा कैसे हो सकता है? बाइबल में स्पष्ट लिखा है कि प्रभु बादलों के साथ उतरेगा, फिर भी वे कहते हैं कि प्रभु देहधारण कर वापस आ चुका है। यह बाइबल के अनुरूप नहीं है, आपको उनके धर्मोपदेश सुनने या किताबें पढ़ने से बचना चाहिए, उनकी मेजबानी तो बिल्कुल नहीं करनी चाहिए। जो उनकी मेजबानी करेगा उसे कलीसिया से निष्कासित कर दिया जाएगा!” उनकी बातें सुनकर, मैंने सोचा : “एल्डर बरसों से विश्वासी रहे हैं और बाइबल के जानकार हैं, तो वे सही ही होंगे। जब बाइबल में स्पष्ट कहा गया है कि प्रभु बादलों पर उतरेगा, तो वह देहधारण करके कैसे आया होगा? मेरा आध्यात्मिक कद अभी छोटा है, तो मुझे चमकती पूर्वी बिजली के लोगों के संपर्क में नहीं आना चाहिए, वरना मैं भटक जाऊँगी।” मगर कुछ समय बाद ही, मेरे कई सहकर्मी और साथी विश्वासी चमकती पूर्वी बिजली से जुड़ गए। एल्डर ही ने कहा कि हमें इन सहकर्मियों और विश्वासियों से सारे संबंध तोड़ लेने चाहिए। उन्होंने हमसे सारी कलीसियाओं से यह बताने को कहा कि वे किसी को भी चमकती पूर्वी बिजली से न जुड़ने दें। इसके बाद, मैंने अपनी निगरानी में आने वाले सभी सभा स्थलों पर जाकर कलीसियाओं के दरवाजे बंद करने को कहा। मैंने बार-बार इस पर भी जोर दिया : “जब प्रभु आएगा, तो वह देह के रूप में नहीं, बल्कि बादलों पर आएगा। प्रभु देहधारण करके लौट आया है, ऐसे सभी संदेश झूठे हैं।” यह सुनकर, सभी विश्वासियों ने अपना सिर हिलाया और कहा कि अगर कोई उनके बीच सुसमाचार फैलाने आया तो वे उसे भगा देंगे। भाई-बहनों को चमकती पूर्वी बिजली के धर्मोपदेश सुनने से रोकने के लिए, मैंने कलीसियाओं के दरवाजे बंद करने के लिए लगातार काम किया। मगर इतनी मेहनत के बावजूद, कई सहकर्मी और विश्वासी अभी भी चमकती पूर्वी बिजली के साथ जुड़ते जा रहे थे।
एक दिन, जब मैं एक सहकर्मी के घर पर थी, तो उसने बताया कि सहकर्मी ली और अन्य विश्वासी चमकती पूर्वी बिजली की छानबीन कर रहे हैं। कुछ अन्य सहकर्मी और मैं फौरन उन्हें रोकने गए। मैंने उनसे कहा : “बाइबल के अनुसार प्रभु बादलों के साथ उतरेगा और सभी उसके उतरने का नजारा देखेंगे। हम चमकती पूर्वी बिजली के लोगों की इस बात पर यकीन नहीं कर सकते कि प्रभु देहधारण करके लौट आया है।” मैं हैरान रह गई जब मेरे ऐसा कहते ही उनमें से एक ने कहा : “उनके धर्मोपदेशों में गहरी अंतर्दृष्टि है और यह बाइबल के अनुरूप है! हम उनकी बातें क्यों नहीं सुन सकते? परमेश्वर के कार्य की थाह कौन पा सकता है? मुझे लगता है कि हमें छानबीन जारी रखनी चाहिए।” उनकी बात सुनकर मैं बेचैन हो गई, मैं उनका विरोध जारी रखना चाहती थी कि तभी अचानक मेरा गला जाम हो गया और मैं बुरी तरह खाँसने लगी। मेरा चेहरा लाल पड़ गया और आँखों से आँसू बहने लगे—मैं एक शब्द भी नहीं बोल पाई। सभी हैरानी से मुझे देख रहे थे। मेरे सहकर्मियों ने फौरन मुझे एक ग्लास पानी पिलाया, पर पानी पीने के बाद भी मैं खांसती रही। मैं बेहद घबराई हुई थी और प्रभु से मेरी खांसी रोकने की प्रार्थना करती रही। मेरी हालत देखकर, मेरी जगह दूसरे सहकर्मी ने बात करना जारी रखा, पर कुछ टिप्पणियों के बाद ही, उन्होंने झटपट बैठक खत्म कर दी। यह सब बेहद अटपटा था। इसके बाद, मैं सोचती रही : “मैं प्रभु के मार्ग और झुंड की रक्षा कर रही थी, तो ऐसे अहम मौके पर मुझे खाँसी का दौरा क्यों पड़ गया? प्रभु ने मेरी प्रार्थनाएँ क्यों नहीं सुनीं? कहीं ऐसा तो नहीं कि मेरे शब्द उसके इरादों के अनुरूप नहीं थे?” कुछ समय बाद ही, मैं बीमार पड़ गई। सिर में दर्द होने लगा, चक्कर आने लगे और पेट में असहज-सा महसूस होने लगा। अपने बिस्तर पर कमजोर और निढ़ाल पड़ी रहकर, मैंने बार-बार प्रभु को पुकारा। पर इतनी प्रार्थनाओं और विनती के बाद भी मेरी हालत नहीं सुधरी। मैंने सोचा : “क्या मैं प्रभु के प्रति पूरी तरह समर्पित नहीं हूँ? उसकी झुंड की रक्षा करने की भरसक कोशिश के बाद भी मैं बीमार क्यों पड़ी?” जवाब ढूँढने के लिए मैंने बहुत दिमाग लड़ाया, पर कुछ समझ नहीं आया।
1999 की शरद ऋतु में, जब एल्डर ही एक कलीसिया को बंद करके वापस लौट रहे थे, तो वे एक कार दुर्घटना के शिकार हो गये। इस दुर्घटना में वे बेहोश हो गये, उनके सिर पर गहरी चोट आई, कई दिनों तक नाजुक हालत में रहने के बाद थोड़ा सुधार हुआ। यह सुनकर मुझे बहुत हैरानी हुई : एल्डर ही हर मुश्किल हालात में बरसों से प्रभु के लिए काम करते आ रहे थे, उन्होंने झुंड की रक्षा करने और विश्वासियों को चमकती पूर्वी बिजली को स्वीकारने से दूर रखने के लिए दूर-दूर तक यात्राएँ कीं और कष्टों का सामना किया था। उनके साथ ऐसा कुछ क्यों हुआ? मगर मैंने केवल संक्षिप्त रूप से ही विचार किया और फिर इस विचार को दरकिनार कर दिया। कुछ महीनों बाद एक दिन, मैंने सुना कि कुछ और विश्वासी चमकती पूर्वी बिजली की छानबीन कर रहे हैं, तो कुछ बहनें और मैं फौरन अपनी बाइक से उनके पास गये, उन्हें डराने और रोकने के लिए बहुत-सी अफवाहें और झूठी बातें कहीं। इससे वे डर गये और कहा कि अब वे चमकती पूर्वी बिजली के धर्मोपदेश नहीं सुनेंगे। यह सुनकर मुझे थोड़ी राहत मिली। मगर फिर, साइकिल से घर जाते वक्त एक ढलान से गुजरते हुए मैंने अपना संतुलन खो दिया, आँखों के सामने अँधेरा छा गया और मैं अपनी बाइक के साथ दो मीटर दूर जमीन पर जा गिरी। मुझे तुरंत चक्कर आने लगे और पूरा बदन दर्द कर रहा था। गिरने से मेरी गर्दन के पास की हड्डी टूट गयी और अचानक हुई इस दुर्घटना से मैं हैरान रह गई और उलझन में पड़ गई : “क्या प्रभु यीशु हमें शांति और खुशी नहीं देता? जब मैं प्रभु के मार्ग की रक्षा कर रही थी और उसकी झुंड को बचा रही थी, तो मेरे साथ ऐसा कुछ क्यों हुआ? मैं जिस चमकती पूर्वी बिजली का विरोध कर रही हूँ क्या वह असल में प्रभु की वापसी हो सकती है? मगर बाइबल स्पष्ट कहती है कि प्रभु बादलों पर उतरेगा, और चमकती पूर्वी बिजली यह गवाही देती है कि वह देहधारी होकर लौट आया है। सच्चा मार्ग नहीं हो सकती! क्या प्रभु के प्रति पूरी तरह समर्पित न होने के कारण वह मेरी परीक्षा ले रहा है? या फिर, कहीं मैंने उसे नाराज तो नहीं कर दिया?” मैं बहुत घबराई हुई थी और प्रभु का इरादा समझ नहीं पाई। इसके बाद, मैं अँधेरे में डूबने लगी और अंदर से कमजोर हो गई। बाइबल पढ़ने पर भी मुझे कोई अंतर्दृष्टि नहीं मिली और अपने धर्मोंपदेशों में कुछ नहीं कह पा रही थी। यहाँ तक कि मेरी प्रार्थनाएं भी फीकी और नीरस थीं। मुझे लगा जैसे अब प्रभु मेरे साथ नहीं है। हमारे कई विश्वासियों की आस्था भी कमजोर पड़ती जा रही थी। सभाओं में, ज्यादातर लोग छोटी-मोटी करते या ऊँघने लगते, कई सहकर्मी और विश्वासी तो कलीसिया छोड़कर सांसारिक जीवन में लौट गये थे। मेरे लिए सबसे अधिक निराशा की बात थी मेरे सहकर्मियों के बीच ईर्ष्या और कलह बढ़ जाना। सभाओं में, एल्डर और सहकर्मी छोटी-छोटी बातों पर एक दूसरे से भिड़ जाते, उनके बीच मतभेद और असंतोष पैदा हो जाता। यह सब देखकर, मैं समझ नहीं पा रही थी कि कलीसिया ऐसी क्यों हो गई है। मैं सभाओं से तंग आने लगी थी और सांसारिक जीवन में लौट जाना चाहती थी।
फिर, 2002 में एक दिन, मेरी माँ ने उत्साहित होकर कहा : “जिस प्रभु यीशु की हमें लंबे समय से प्रतीक्षा थी वह लौट आया है। वह वचन व्यक्त करने और न्याय का कार्य करने के लिए देह बन गया है।” यह सुनकर मैं हैरान हो गयी। चमकती पूर्वी बिजली यही धर्मोपदेश दे रही थी न? क्या मेरी माँ चमकती पूर्वी बिजली से जुड़ गई थी? उनकी बात पूरी होने से पहले ही, मैंने उनसे पूछा : “आपसे किसने कहा कि प्रभु यीशु लौट आया है? क्या आप भूल गईं, बाइबल में स्पष्ट लिखा है कि जब प्रभु आएगा, तो वह भव्यता से बादलों पर उतरेगा, इससे स्वर्ग और धरती हिलने लगेंगे? आप कहती हैं प्रभु लौट आया है, तो फिर हमें इनमें से एक भी संकेत क्यों नहीं दिखा? आप कहती हैं कि प्रभु न्याय कार्य करने के लिए देह बना है, पर यह कैसे हो सकता है? आप बस सुनी-सुनाई बातों पर यकीन नहीं कर सकतीं।” मेरी जिद देखकर, माँ अपने कमरे में गईं और एक खास सज्जा वाली किताब के साथ बाहर आईं। उन्होंने उत्साहित होकर कहा : “सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही लौटकर आया प्रभु यीशु है। ये उसके व्यक्त किए गए नये वचन हैं। इसे पढ़ो तो पता चलेगा।” वह किताब एकदम नई थी और उसके कवर पर बड़े-बड़े सुनहरे अक्षरों में लिखा था, “वचन देह में प्रकट होता है”। मैंने फौरन पादरी वर्ग की चेतावनी याद की : “उनकी किताब मत पढ़ना। अगर पढ़ी, तो भटक जाओगी।” तो मैंने कहा : “माँ, आपको इसमें यकीन नहीं करना चाहिए। आपने पूरी बाइबल नहीं पढ़ी है, पर मुझे उसकी पूरी समझ है, मैंने कई जागरण बैठकों में भी भाग लिया है। क्या सच में आपको लगता है आप मुझसे बेहतर जानती हैं? अगर आप आस्था में भटकेंगी, तो क्या कलीसिया में बिताये आपके इतने साल बर्बाद नहीं हो जाएंगे?” मैंने अपनी माँ को चमकती पूर्वी बिजली से दूर रहने के लिए मनाने की बहुत कोशिश की। मेरे कुछ भी कहने पर, माँ कमजोर नहीं पड़ी या न ही उन्होंने अपना मन बदला। उन्होंने मुझसे जोर देकर कहा : “सर्वशक्तिमान परमेश्वर वाकई वही प्रभु यीशु है जिसका हमें लंबे समय से इंतजार था। वह एक बार फिर से देह बनकर वचन बोलने और कार्य करने आया परमेश्वर का आत्मा है। ‘वचन देह में प्रकट होता है,’ वही वचन हैं जो अंत के दिनों में स्वयं परमेश्वर ने बोले हैं, और यह बाइबल के सभी रहस्यों को उजागर करता है। तुमने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन कभी नहीं पढ़े, तो तुम कैसे कह सकती हो कि ये लौटकर आये प्रभु के वचन नहीं हैं? बाइबल कहती है : ‘विश्वास सुनने से होता है’ (रोमियों 10:17)। तुमने अपने आँख-कान बंद कर रखे हैं, तो प्रभु का स्वागत कैसे करोगी? सोचो जरा : अगर प्रभु वाकई लौट आया है, और तुमने उसका स्वागत नहीं किया, तो तुम्हें यह मौका गंवाने का पछतावा नहीं होगा?” उनकी बात सुनकर, मैं उन्हें कोई ठोस जवाब नहीं दे पाई, और बस रूठ कर बोली : “मैं यह किताब नहीं पढ़ूँगी, मैं सिर्फ बाइबल पढ़ती हूँ। हमने प्रभु के अनुग्रह का इतना आनंद उठाया है—मैं कृतघ्न नहीं हो सकती! आप चाहे जो कहें, मैं प्रभु को धोखा नहीं दूँगी!” मेरा रवैया देखकर, उन्होंने निराशा से आह भरी और डिनर बनाने चली गईं। कुछ समय बाद ही, मैंने किचन से आती संगीत की हल्की-सी आवाज सुनी। गाने की धुन बहुत सुंदर थी, पर जब मैंने ध्यान से सूना तो एहसास हुआ कि यह उनमें से कोई भजन नहीं था जो पहले मैंने सीखा था। मैं जानती थी कि माँ वह भजन मुझे सुनाना चाहती है, तो मैं तुरंत वहाँ से निकल गई। इसके बाद, मेरी माँ घर पर बहुत-से भजन बजाने लगी, रात में, मैं अक्सर उन्हें मेरे लिए रोते हुए प्रार्थना करते सुनती थी। मैं सोचने लगी : “मेरी माँ मजबूत मनोबल वाली इंसान हैं, प्रभु का स्वागत करने के बारे में उन्होंने जरूर अच्छे से सत्य खोजा होगा। क्या चमकती पूर्वी बिजली सच में प्रभु यीशु की वापसी हो सकती है? वरना, माँ अपनी प्रार्थनाओं में मेरे लिए इतनी चिंतित और बेचैन क्यों होतीं?” मगर फिर मैंने एल्डर और पादरियों की बात याद कर प्रभु के मार्ग पर डटे रहने और कमजोर न पड़ने का फैसला लिया। इसके बाद, मैं अपनी माँ से और दूर हो गई।
एक दिन जब मैं लिविंग रूम में सोफे पर बैठी थी, तो माँ ने अपने कमरे में फिर से एक भजन लगाया। भजन के बोलों ने मेरा ध्यान खींचा :
1 इस बार परमेश्वर ने उस कार्य को करने के लिए देहधारण किया है जो उसने अभी तक पूरा नहीं किया है। वह इस युग का न्याय और समापन करेगा, मनुष्य को कष्टों के अंबार से बचाएगा, मानवता को पूरी तरह से जीतेगा और लोगों के जीवन-स्वभाव को बदलेगा। मनुष्य को दुखों और रात की तरह काली अंधेरी दुष्ट ताकतों से मुक्त कराने और इंसान की खातिर कार्य करने के लिए परमेश्वर ने कितनी ही रातें करवटें बदलते हुए बिताई हैं। इस इंसानी नरक में रहने और इंसान के साथ समय बिताने के लिए वह उच्चतम स्थान से निम्नतम स्थान पर अवतरित हुआ है। परमेश्वर ने मनुष्यों में फैली मलिनता को लेकर कभी भी शिकायत नहीं की है, न ही उसने कभी इंसान से बहुत अधिक अपेक्षा की है; बल्कि अपना कार्य करते हुए परमेश्वर ने बेहद अपमान झेला है। परमेश्वर ने मनुष्य जाति के सुख-चैन के लिए धरती पर आकर भयंकर अपमान सहा है और अन्याय झेला है, और इंसान को बचाने के लिए खुद शेर की माँद में प्रवेश किया है।
2 कितनी ही बार उसने सितारों का सामना किया है, कितनी ही बार उसने सुबह-सुबह प्रस्थान किया है और साँझ होते-होते वह लौट आया है; उसने चरम यंत्रणा सही है और लोगों के आक्रमणों और उनके द्वारा तोड़े-कुचले जाने के दंश को झेला है। परमेश्वर इस मलिन धरती पर आया है, और वह चुपचाप लोगों के विध्वंस और दमन को झेल रहा है, फिर भी उसने न तो कभी पलटकर वार किया है और न ही उसने लोगों से बहुत अधिक अपेक्षाएँ की हैं! उसने इंसान के लिए हर आवश्यक कार्य किया है : लोगों का शिक्षण, प्रबोधन किया है, उन्हें फटकार लगाई है, और अपने वचनों से उन्हें शुद्ध किया है, साथ ही उन्हें याद दिलाया है, समझाया है, उन्हें सांत्वना दी है, उनका न्याय किया है और उन्हें उजागर किया है। उसका हर कदम लोगों के जीवन के लिए होता है, उन्हें शुद्ध करने के लिए होता है। लोगों की भविष्य की संभावनाओं और नियति को हटा देने के बावजूद, परमेश्वर सब कुछ इंसान के लिए ही करता है। उसका हर कदम उनके अस्तित्व की रक्षा के लिए होता है, ताकि धरती पर लोगों को एक सुंदर गंतव्य प्राप्त हो सके।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, कार्य और प्रवेश
इस भजन के बोल मेरे दिल को छू गये। मैं सोचने लगी, प्रभु यीशु मानवजाति को छुटकारा दिलाने के लिए देह बना है। रोमन सरकार ने उसका पीछा कर उस पर अत्याचार किए, धार्मिक दुनिया ने उसकी निंदा कर उसे अलग-थलग कर दिया, दुनिया ने उसका मजाक उड़ाया और उसे बदनाम किया। इन सबके बावजूद, उसने लोगों को पोषण और भोजन देने के लिए सत्य व्यक्त किया, उन्हें रोग-मुक्त किया और राक्षसों को निकाल बाहर किया, और आखिर में मानवजाति की खातिर शाश्वत पापबलि के रूप में क्रूस पर चढ़कर पूरी मानवता को पाप से छुटकारा दिलाया। जब मैंने मानवजाति के लिए प्रभु यीशु के प्रेम को याद किया और इस भजन के बोलों से उसकी तुलना की जिसमें यह बताया गया था कि कैसे परमेश्वर मनुष्य की खातिर कष्ट सहता है, तो मेरा सुन्न और कठोर दिल पूरी तरह हिल गया और मेरी आँखों से आँसू बहने लगे। “क्या सर्वशक्तिमान परमेश्वर सच में लौटकर आया प्रभु यीशु है? परमेश्वर के सिवाय कौन ऐसे वचन व्यक्त करेगा? इंसान के लिए और कौन ऐसी कीमत चुकाएगा?” इसके बाद, मैंने एक और भजन सुना : “निर्दोष, आखिरकार, सुन्न हो चुके हैं; परमेश्वर क्यों हमेशा उनके लिए चीज़ों को मुश्किल करे? कमज़ोर मनुष्य में दृढ़ता की बहुत कमी होती है; परमेश्वर क्यों हमेशा उसके लिए अदम्य क्रोध रखे? कमज़ोर और निर्बल मनुष्य में थोड़ा-सा भी जीवट नहीं है; परमेश्वर क्यों हमेशा उसके विद्रोहीपन के लिए उसे झिड़के? स्वर्ग में परमेश्वर की धमकियों का कौन सामना कर सकता है? आखिरकार, मनुष्य नाज़ुक है, और हताशा की स्थितियों में है, परमेश्वर ने अपना क्रोध अपने दिल की गहराई में धकेल दिया है, ताकि मनुष्य धीरे-धीरे आत्म-चिंतन कर सके” (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, कार्य और प्रवेश (8))। भजन के बोलों का मुझ पर गहरा असर पड़ा। उनमें मानवजाति के लिए परमेश्वर के गहरे लगाव और देखरेख की बात थी, जो एक माँ का अपने उस अवज्ञाकारी बच्चे को निरंतर पुकारने जैसा है जिसने उसका दिल तोड़ा है, माँ फिर भी उसे इस उम्मीद में पुकारती रहती है कि उसका बच्चा धुंधलके से निकलकर उसके पास लौट आएगा। मुझे लगा ये वचन परमेश्वर की वाणी हैं। मैं उस दौरान अपनी माँ से हुए सभी मतभेदों के बारे में सोचती रही : वह मुझे हर तरह से मनाने की कोशिश करती रही, लेकिन मैं नहीं मानी। जब उसने मेरे लिए परमेश्वर के वचनों के भजन और पाठ चलाये, तो मैंने सुनने से इनकार कर इसका विरोध किया, परमेश्वर के कार्य की छानबीन तक करने की नहीं सोची। क्या मैं ईसाई थी? इसके बाद, माँ जब भी भजन चलाती, तो मैं विरोध नहीं करती थी।
एक दिन, मैंने यह भजन सुना : “यीशु की वापसी उन लोगों के लिए एक महान उद्धार है, जो सत्य को स्वीकार करने में सक्षम हैं, पर उनके लिए जो सत्य को स्वीकार करने में असमर्थ हैं, यह दंडाज्ञा का संकेत है। तुम लोगों को अपना स्वयं का रास्ता चुनना चाहिए, और पवित्र आत्मा के खिलाफ निंदा नहीं करनी चाहिए और सत्य को अस्वीकार नहीं करना चाहिए। तुम लोगों को अज्ञानी और अभिमानी व्यक्ति नहीं बनना चाहिए, बल्कि ऐसा बनना चाहिए जो पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन के प्रति समर्पण करता हो और सत्य के लिए लालायित होकर इसकी खोज करता हो; सिर्फ इसी तरीके से तुम लोग लाभान्वित होगे” (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, जब तक तुम यीशु के आध्यात्मिक शरीर को देखोगे, परमेश्वर स्वर्ग और पृथ्वी को फिर से बना चुका होगा)। इसे सुनकर, मैं अचानक बहुत चिंता में पड़ गई : “अगर सर्वशक्तिमान परमेश्वर सच में लौटकर आया प्रभु यीशु है, तो क्या उसे न स्वीकारने पर मेरी निंदा नहीं होगी? परमेश्वर को नाराज करना एक गंभीर मामला है—यह ऐसा पाप है जिसकी माफी न तो इस जीवन में मिलेगी और न ही आने वाली दुनिया में!” मैंने प्रभु यीशु की यह बात भी याद की : “धन्य हैं वे, जो धार्मिकता के भूखे और प्यासे हैं, क्योंकि वे तृप्त किए जाएँगे” (मत्ती 5:6)। प्रभु यीशु ने हमें सिखाया कि सत्य खोजने और उसे पाने की चाह होने पर ही हमें परमेश्वर से प्रचुर पोषण मिल सकता है। लेकिन अगर मैंने चमकती पूर्वी बिजली की छानबीन की और गुमराह हो गई, तो क्या मेरी इतने बरसों की आस्था बेकार नहीं हो जायेगी? मैं सोचती रही, पर कोई फैसला नहीं कर पाई, तो मैंने प्रभु से प्रार्थना की : “हे प्रभु, मैं बड़ी उलझन में हूँ। ये वचन तुम्हारी वाणी लगते हैं, पर मुझे डर लगता है कि अगर मैंने इसे गलत समझ लिया तो मैं तुम्हें धोखा दे सकती हूँ। प्रभु, मुझे पक्का यकीन नहीं है कि तुम ही सर्वशक्तिमान परमेश्वर के रूप में वापस आये हो। अगर यह सच में तुम्हारा कार्य है, तो मुझे प्रबुद्ध करो। अगर नहीं, तो इसके खिलाफ अडिग रहने में मेरी मदद करो।”
कुछ दिन बाद, माँ ने फिर से “वचन देह में प्रकट होता है” निकालकर मुझसे कहा : “सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन अच्छे से पढ़ो, फिर तुम्हें यकीन हो जाएगा वह लौटकर आया प्रभु यीशु है। अगर तुम छानबीन नहीं करोगी तो कैसे पता चलेगा वह लौटकर आया प्रभु है या नहीं? यह एक शानदार प्रीतिभोज जैसा है : अगर तुम सिर्फ देखती रहोगी और खाना चखोगी नहीं, तो कभी उसका स्वाद नहीं जान पाओगी। हम सच्चे परमेश्वर में विश्वास रखते हैं, तो फिर तुम्हें किस बात का डर है? मैं तुम्हारी माँ हूँ—क्या तुम्हें सच में लगता है मैं तुम्हें कोई नुकसान पहुंचाऊँगी?” माँ की बातों में दम था। मैंने सोचा, “यह सच है, मैंने बस पादरियों और एल्डरों की बात मानी है, उन्हीं की बातें ही दोहराई हैं, मैंने कभी सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन नहीं पढ़े या चमकती पूर्वी बिजली के धर्मोपदेश नहीं सुने। तो मुझे कैसे पता चलेगा कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही लौटकर आया प्रभु यीशु है? क्या बाइबल पढ़कर ही मैंने यह पुष्टि नहीं की थी कि प्रभु यीशु ही उद्धारक है?” यह सोचकर, मैंने किताब उठाई और उसे पलटकर देखने लगी। मैंने देखा कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहता है : “शायद, सत्य के मार्ग को सुनकर और जीवन के वचन को पढ़कर, तुम विश्वास करते हो कि इन 10,000 वचनों में से सिर्फ़ एक ही वचन है, जो तुम्हारे दृढ़ विश्वास और बाइबल के अनुसार है, और फिर तुम्हें इन 10,000 वचनों में खोज करते रहना चाहिए। मैं अब भी तुम्हें सुझाव देता हूँ कि विनम्र बनो, अति-आत्मविश्वासी न बनो और अपनी बहुत बड़ाई न करो। परमेश्वर का भय मानने वाले अपने थोड़े-से हृदय से तुम अधिक रोशनी प्राप्त करोगे। यदि तुम इन वचनों की सावधानी से जाँच करो और इन पर बार-बार मनन करो, तब तुम समझोगे कि वे सत्य हैं या नहीं, वे जीवन हैं या नहीं” (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, जब तक तुम यीशु के आध्यात्मिक शरीर को देखोगे, परमेश्वर स्वर्ग और पृथ्वी को फिर से बना चुका होगा)। इस गंभीर उपदेश को पढ़कर, मैं घबराने और डरने लगी, मैंने सोचा : “क्या ये वाकई परमेश्वर के वचन हो सकते हैं? वरना इसमें ऐसा क्यों कहा जाता कि यह जीवन का वचन और सत्य का मार्ग है? क्यों लोगों को लगातार खोज करने को कहा जाता, अगर इसका छोटे-से-छोटा हिस्सा भी उनकी धारणाओं और बाइबल के अनुरूप हो।” मैंने इसकी छानबीन करने का फैसला किया। वरना, मैं प्रभु का स्वागत करने का मौका चूक जाती और फिर पछतावे के लिए बहुत देर हो चुकी होती। इसलिए मैंने पढ़ना जारी रखा और तभी मेरे सामने यह अंश आया : “मुझे उम्मीद है कि परमेश्वर के प्रकटन के आकांक्षी सभी भाई-बहन इतिहास की त्रासदी को नहीं दोहराएँगे। तुम्हें आधुनिक काल के फरीसी नहीं बनना चाहिए और परमेश्वर को फिर से सलीब पर नहीं चढ़ाना चाहिए। तुम्हें सावधानीपूर्वक विचार करना चाहिए कि परमेश्वर की वापसी का स्वागत कैसे किया जाए और तुम्हारे मस्तिष्क में यह स्पष्ट होना चाहिए कि ऐसा व्यक्ति कैसे बना जाए, जो सत्य के प्रति समर्पित होता है। यह हर उस व्यक्ति की जिम्मेदारी है, जो यीशु के बादल पर सवार होकर लौटने का इंतजार कर रहा है। हमें अपनी आध्यात्मिक आँखों को मलकर उन्हें साफ़ करना चाहिए और अतिरंजित कल्पना के शब्दों के दलदल में नहीं फँसना चाहिए। हमें परमेश्वर के वास्तविक कार्य के बारे में सोचना चाहिए और परमेश्वर के व्यावहारिक पक्ष पर दृष्टि डालनी चाहिए। खुद को दिवास्वप्नों में बहने या खोने मत दो, सदैव उस दिन के लिए लालायित न रहो, जब प्रभु यीशु बादल पर सवार होकर अचानक तुम लोगों के बीच उतरेगा और तुम्हें, जिन्होंने उसे कभी जाना या देखा नहीं और जो नहीं जानते कि उसकी इच्छा के अनुसार कैसे चलें, ले जाएगा। अधिक व्यावहारिक मामलों पर विचार करना बेहतर है!” (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, प्रस्तावना)। इसे पढ़कर मैं थोड़ी उलझन में पड़ गई। बाइबल में, स्पष्ट कहा गया है कि प्रभु पूरी भव्यता के साथ बादलों पर लौटेगा, तो इस अंश में ऐसा क्यों कहा गया है : “हमें अपनी आध्यात्मिक आँखों को मलकर उन्हें साफ़ करना चाहिए और अतिरंजित कल्पना के शब्दों के दलदल में नहीं फँसना चाहिए,” और “खुद को दिवास्वप्नों में बहने या खोने मत दो, सदैव उस दिन के लिए लालायित न रहो, जब प्रभु यीशु बादल पर सवार होकर अचानक तुम लोगों के बीच उतरेगा”? क्या प्रभु वाकई बादलों पर वापस नहीं आया? आखिर चल क्या रहा है? मैं बार-बार इस बारे में सोचती रही, पर समझ नहीं पाई। फिर याद आया, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के विश्वासी अक्सर हमारे घर आते रहते हैं, तो मैं उनसे ही पूछकर देख सकती थी कि वे क्या कहते हैं।
एक दिन सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया से बहन मु यु हमारे घर आईं, तो मैंने उन्हें अपनी उलझन बताई। उन्होंने मुस्कुराकर जवाब दिया : “यह सच है कि बाइबल में प्रभु के बादलों पर लौटने की बात कही गई है, पर इसमें प्रभु के लौटकर आने के तरीके की अन्य भविष्यवाणियाँ भी हैं। ‘जैसे बिजली पूर्व से निकलकर पश्चिम तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य के पुत्र का भी आना होगा’ (मत्ती 24:27)। ‘क्योंकि जैसे बिजली आकाश के एक छोर से कौंध कर आकाश के दूसरे छोर तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य का पुत्र भी अपने दिन में प्रगट होगा। परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दुःख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ’ (लूका 17:24-25)। और, ‘तुम भी तैयार रहो; क्योंकि जिस घड़ी तुम सोचते भी नहीं, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा’ (लूका 12:40)। ‘यदि तू जागृत न रहेगा तो मैं चोर के समान आ जाऊँगा, और तू कदापि न जान सकेगा कि मैं किस घड़ी तुझ पर आ पड़ूँगा’ (प्रकाशितवाक्य 3:3)। ‘देख, मैं चोर के समान आता हूँ’ (प्रकाशितवाक्य 16:15)। ‘आधी रात को धूम मची : “देखो, दूल्हा आ रहा है! उससे भेंट करने के लिये चलो”’ (मत्ती 25:6)। यह भी है, ‘देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूँ; यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूँगा और वह मेरे साथ’ (प्रकाशितवाक्य 3:20)। इन पदों में, प्रभु बार-बार इस पर क्यों जोर दे रहा है, ‘मनुष्य के पुत्र का आना,’ ‘मनुष्य का पुत्र आ जाएगा,’ और ‘मनुष्य का पुत्र अपने दिन में प्रगट होगा’? ‘मनुष्य का पुत्र’ का क्या अर्थ है? इसका अर्थ है परमेश्वर के आत्मा का मनुष्य के पुत्र के रूप में देह बनना। सिर्फ परमेश्वर के आत्मा को मनुष्य का पुत्र नहीं कहा जा सकता। फिर, प्रभु बार-बार यह भी कहता है कि वह ‘चोर के समान’ वापस आएगा, और कहता है ‘आधी रात को धूम मची।’ इससे पता चलता है, जब प्रभु यीशु वापस आएगा, तो वह चुपचाप आएगा, मनुष्य के पुत्र के रूप में देहधारण करेगा, और गुप्त रूप से उतरेगा, किसी को पता भी नहीं चलेगा कि हुआ क्या है। ठीक वैसे ही, जैसे परमेश्वर का आत्मा कार्य करने के लिए देहधारण कर प्रभु यीशु के रूप में प्रकट हुआ था। प्रभु यीशु आम इंसान की तरह दिखता था, और उसने जगह-जगह जाकर उपदेश दिये, लेकिन कोई नहीं पहचान सका कि वह देहधारी परमेश्वर है, मसीह का स्वरूप है। तो, हम यकीन से कह सकते हैं कि जब अंत के दिनों में प्रभु वापस आयेगा, तो वह कार्य करने के लिए देहधारण कर मनुष्य के पुत्र के रूप में प्रकट होगा।” मु यु की यह बात सुनकर मैं चौंक गई। पादरी और एल्डर अक्सर कहते थे, “मनुष्य का पुत्र” का अर्थ है प्रभु यीशु, प्रभु यीशु की वापसी नहीं। मैंने मन ही मन सोचा : “पादरी और एल्डर बाइबल के अच्छे जानकार हैं, तो वे गलत नहीं हो सकते। शायद मु यु बाइबल की जानकार नहीं थी और उसने गलती की थी।” यह एहसास होते ही, मैंने फौरन कहा : “मु यु, पादरी और एल्डर कहते हैं, ‘मनुष्य का पुत्र’ का अर्थ है प्रभु यीशु, लौटकर आया देहधारी प्रभु नहीं।” उन्होंने धैर्य से जवाब दिया : “बहन, इन पदों में स्पष्ट लिखा है कि ये प्रभु यीशु की वापसी की भविष्यवाणियाँ हैं। कोई भी समझने में सक्षम इंसान इसे स्पष्ट समझ सकता है। इसका संबंध प्रभु यीशु से कैसे हो सकता है? क्या पादरी और एल्डर ही प्रभु के वचनों को गलत नहीं समझ रहे हैं? फिर, लूका का सुसमाचार, 17:24-25 देखो : ‘क्योंकि जैसे बिजली आकाश के एक छोर से कौंध कर आकाश के दूसरे छोर तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य का पुत्र भी अपने दिन में प्रगट होगा। परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दुःख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ।’ इन पदों में, प्रभु भविष्यवाणी कर रहा है कि उसकी वापसी पर परिस्थितियाँ कैसी होंगी। अगर प्रभु पूरी भव्यता में बादलों के साथ वापस आएगा, तो निश्चित रूप से सभी लोग डर जाएंगे और जमीन पर गिर पड़ेंगे। फिर कौन प्रभु का विरोध करने और ठुकराने की हिम्मत करेगा? फिर यह भविष्यवाणी, ‘परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दुःख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ’ कैसे पूरी होगी? तो प्रभु के वचनों के अनुसार, इसमें कोई शक नहीं कि वह मनुष्य के पुत्र के रूप में देहधारण करके लौटेगा। अंत के दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर का प्रकटन और कार्य प्रभु यीशु की भविष्यवाणियों को पूरा करते हैं।”
मु यु की संगति सुनकर, मैं बहुत शर्मिंदा हुई। उनकी संगति व्यावहारिक थी, मैं पूरी तरह आश्वस्त हो गयी। आखिरकार मैंने जाना कि जब प्रभु यीशु ने अपनी वापसी की बात की, तब उसने हमेशा “मनुष्य के पुत्र का आना,” “मनुष्य का पुत्र आ जाएगा,” और “मनुष्य का पुत्र अपने दिन में प्रगट होगा” क्यों कहा। उसने बार-बार “मनुष्य के पुत्र” पर जोर दिया ताकि हम जान सकें कि वह देहधारण कर लौटेगा और मनुष्य के पुत्र के रूप में प्रकट होकर कार्य करेगा। मैं हैरान थी कि बाइबल को अच्छी तरह जानने और अक्सर दूसरों को समझाने के बाद भी, मैं नहीं जान सकी कि इसमें स्पष्ट लिखा है वह प्रकट होकर कार्य करने के लिए मनुष्य के पुत्र के रूप में लौटेगा। मैंने बिना सोचे-समझे पादरियों और एल्डरों की बातों पर विश्वास किया था। मेरी आस्था बहुत भ्रमित थी, मेरे इतने सालों का बाइबल का अध्ययन भी बेकार था। मुझे प्रभु के वचनों की जरा भी समझ नहीं थी, मैं अभी भी अहंकार दिखाकर अपने फैसले टाल रही थी। मुझमें जरा भी विवेक नहीं था! मुझे खुशी है कि मैं अपने दिल को शांत कर मु यु की संगति सुन पाई। अगर मैं सिर्फ पादरियों और एल्डरों के शब्द सुनती, तो आज भी प्रभु के उतरने के इंतजार में बादलों को ही घूरती रहती और अंत में, परमेश्वर मुझे त्याग कर हटा देता। मु यु ने अपनी संगति में आगे कहा : “अंत के दिनों में परमेश्वर की वापसी दो चरणों में होती है। पहले, वह गुप्त रूप से देह बनकर आता है, फिर वह सबके सामने बादलों में प्रकट होगा। सर्वशक्तिमान परमेश्वर का प्रकटन और देह में कार्य करना अभी जारी है—यह उसकी वापसी का पहला चरण है जिसमें वह गुप्त रूप से आकर कार्य करता है। वह सत्य व्यक्त करके अपना न्याय का कार्य कर रहा है, ताकि वह मानवजाति को शुद्ध करके बचा सके और मनुष्य पाप के बंधन से पूरी तरह मुक्त हो जाए और पवित्र बन जाए। जो सचमुच परमेश्वर में विश्वास रखते हैं और उसके प्रकटन के लिए तरसते हैं, वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों में परमेश्वर की वाणी पहचान सकेंगे, उन्हें यकीन होगा कि वही लौटकर आया प्रभु यीशु है और वे उसकी ओर मुड़ जाएँगे। ये सभी बुद्धिमान कुंवारियाँ हैं जो परमेश्वर के सिंहासन के सामने लायी गई हैं, अब वे परमेश्वर के वचनों का न्याय और शुद्धिकरण प्राप्त कर रही हैं और उनका अनुभव कर रही हैं। तो हम शायद इस बार प्रभु को बादलों के साथ सबके सामने प्रकट होता नहीं देख सकते। जब परमेश्वर विजेताओं का एक समूह बना लेगा सिर्फ तभी देह में उसका गुप्त कार्य समाप्त होगा। तभी वह मानवजाति पर आपदाएँ लायेगा, अच्छाई को इनाम और बुराई को दंड देगा, और आखिर में वह सभी राष्ट्रों और लोगों के सामने प्रकट होकर बादलों के साथ उतरेगा। उस वक्त, जिन्होंने पहले सर्वशक्तिमान परमेश्वर की निंदा और विरोध किया था वे पछतावे से भरे होंगे। वे आपदाओं में अपनी छाती पीटेंगे, रोयेंगे और अपने दांत पीसेंगे, जब उन्हें पता चलेगा कि वे लौटकर आये प्रभु यीशु का विरोध कर रहे थे। इससे प्रकाशित-वाक्य की यह भविष्यवाणी पूरी होती है : ‘देखो, वह बादलों के साथ आनेवाला है, और हर एक आँख उसे देखेगी, वरन् जिन्होंने उसे बेधा था वे भी उसे देखेंगे, और पृथ्वी के सारे कुल उसके कारण छाती पीटेंगे’ (प्रकाशितवाक्य 1:7)।”
फिर, मु यु ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों का एक अंश पढ़कर सुनाया : “बहुत से लोगों को शायद इसकी परवाह न हो कि मैं क्या कहता हूँ, किंतु मैं ऐसे हर तथाकथित संत को, जो यीशु का अनुसरण करते हैं, बताना चाहता हूँ कि जब तुम लोग यीशु को एक श्वेत बादल पर स्वर्ग से उतरते अपनी आँखों से देखोगे, तो यह धार्मिकता के सूर्य का सार्वजनिक प्रकटन होगा। शायद वह तुम्हारे लिए एक बड़ी उत्तेजना का समय होगा, मगर तुम्हें पता होना चाहिए कि जिस समय तुम यीशु को स्वर्ग से उतरते देखोगे, यही वह समय भी होगा जब तुम दंडित किए जाने के लिए नीचे नरक में जाओगे। वह परमेश्वर की प्रबंधन योजना की समाप्ति का समय होगा, और वह समय होगा, जब परमेश्वर सज्जन को पुरस्कार और कुकर्मी को दंड देगा। क्योंकि परमेश्वर का न्याय मनुष्य के चिह्न देखने से पहले ही समाप्त हो चुका होगा, जब सिर्फ़ सत्य की अभिव्यक्ति होगी। वे जो सत्य को स्वीकार करते हैं और संकेतों की खोज नहीं करते और इस प्रकार शुद्ध कर दिए गए हैं, वे परमेश्वर के सिंहासन के सामने लौट चुके होंगे और सृष्टिकर्ता के आलिंगन में प्रवेश कर चुके होंगे। सिर्फ़ वे जो इस विश्वास में बने रहते हैं कि ‘ऐसा यीशु जो श्वेत बादल पर सवारी नहीं करता, एक झूठा मसीह है’ अनंत दंड के अधीन कर दिए जाएँगे, क्योंकि वे सिर्फ़ उस यीशु में विश्वास करते हैं जो संकेत प्रदर्शित करता है, पर उस यीशु को स्वीकार नहीं करते, जो कड़े न्याय की घोषणा करता है और जीवन और सच्चा मार्ग जारी करता है। इसलिए केवल यही हो सकता है कि जब यीशु खुलेआम श्वेत बादल पर वापस लौटे, तो वह उनके साथ निपटे। वे बहुत हठधर्मी, अपने आप में बहुत आश्वस्त, बहुत अभिमानी हैं। ऐसे अधम लोग यीशु द्वारा कैसे पुरस्कृत किए जा सकते हैं? यीशु की वापसी उन लोगों के लिए एक महान उद्धार है, जो सत्य को स्वीकार करने में सक्षम हैं, पर उनके लिए जो सत्य को स्वीकार करने में असमर्थ हैं, यह दंडाज्ञा का संकेत है। तुम लोगों को अपना स्वयं का रास्ता चुनना चाहिए, और पवित्र आत्मा के खिलाफ निंदा नहीं करनी चाहिए और सत्य को अस्वीकार नहीं करना चाहिए। तुम लोगों को अज्ञानी और अभिमानी व्यक्ति नहीं बनना चाहिए, बल्कि ऐसा बनना चाहिए जो पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन के प्रति समर्पण करता हो और सत्य के लिए लालायित होकर इसकी खोज करता हो; सिर्फ इसी तरीके से तुम लोग लाभान्वित होगे” (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, जब तक तुम यीशु के आध्यात्मिक शरीर को देखोगे, परमेश्वर स्वर्ग और पृथ्वी को फिर से बना चुका होगा)। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन सुनकर मैंने अपना घमंड छोड़ दिया, और आखिरकार देखा कि प्रभु के आगमन के बारे में मैंने अपने मन में बहुत-सी धारणाएँ और कल्पनाएँ पाल रखी थीं। कोई ताज्जुब नहीं कि इतने सालों तक मैंने प्रभु को बादलों पर उतरते देखने का इंतजार ही किया था। उसे पहले देहधारण करके गुप्त रूप से आना था, मानवजाति को बचाने के लिए सत्य व्यक्त करना था, और आपदाएँ शुरू होने से पहले विजेताओं का एक समूह बना लेना था। केवल इसके बाद ही वह बादलों के साथ आएगा और सबके सामने प्रकट होगा। लेकिन पादरी-वर्ग ने मुझे गुमराह किया था, मैं इन अंशों को प्रसंग से बाहर मानकर बाइबल के शब्दों से चिपकी रही। मैं प्रभु का स्वागत करने का मौका खोकर बस परमेश्वर द्वारा बस त्यागी ही जाने वाली थी। वह वाकई खतरनाक होता!
मु यु ने अपनी संगति में आगे कहा : “हम सभी जानते हैं कि 2,000 साल पहले, इस्राएल के सभी लोग मसीहा का इंतजार कर रहे थे, पर जब प्रभु यीशु ने आकर अपना कार्य किया, तो फरीसी बाइबल के शब्दों से चिपके रहे, मसीहा के आगमन को लेकर उनके मन में धारणाएँ भरी हुई थीं। उनका मानना था कि जब परमेश्वर आयेगा, तो वह मसीहा कहलायेगा। उन्हें लगता था कि वह एक अमीर परिवार में जन्म लेगा, उसके पास शाही रुतबा और ताकत होगी, और वह उन्हें रोमन सरकार के शासन से मुक्ति दिलाएगा। मगर जब प्रभु यीशु आया, तो वह मसीहा नहीं कहलाया। उसने एक आम परिवार में, एक तबेले में जन्म लिया। उसे सताया गया और उसका पीछा भी किया गया। इसलिए उन लोगों ने उसे ठुकराया और उसकी निंदा की और अंत में उसे क्रूस पर चढ़ा दिया। ऐसा जघन्य पाप करने पर उन्हें परमेश्वर का शाप और दंड मिला, जिसके कारण 2,000 सालों तक इस्राएलियों का दमन हुआ। यह सचमुच एक खौफनाक सीख है! उनकी नाकामी के मूल कारण पर चिंतन करना सार्थक है। अगर हमें इस बारे में अंतर्दृष्टि नहीं मिली, तो प्रभु के आगमन का इंतजार करने के बड़े मामले में, हम भी शायद उसी परमेश्वर विरोधी मार्ग पर चल पड़ें जिस पर कभी फरीसी चले थे।” मु यु की संगति पूरी होने पर, उसने मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों का एक और अंश दिखाया : “क्या तुम लोग इसकी जड़ जानना चाहते हो कि फरीसियों ने यीशु का विरोध क्यों किया? क्या तुम फरीसियों के सार को जानना चाहते हो? वे मसीहा के बारे में कल्पनाओं से भरे हुए थे। इससे भी ज़्यादा, उन्होंने केवल इस पर विश्वास किया कि मसीहा आएगा, फिर भी जीवन सत्य का अनुसरण नहीं किया। इसलिए, वे आज भी मसीहा की प्रतीक्षा करते हैं क्योंकि उन्हें जीवन के मार्ग के बारे में कोई ज्ञान नहीं है, और नहीं जानते कि सत्य का मार्ग क्या है। तुम लोग क्या कहते हो, ऐसे मूर्ख, हठधर्मी और अज्ञानी लोग परमेश्वर का आशीष कैसे प्राप्त करेंगे? वे मसीहा को कैसे देख सकते हैं? उन्होंने यीशु का विरोध किया क्योंकि वे पवित्र आत्मा के कार्य की दिशा नहीं जानते थे, क्योंकि वे यीशु द्वारा बताए गए सत्य के मार्ग को नहीं जानते थे और इसके अलावा क्योंकि उन्होंने मसीहा को नहीं समझा था। और चूँकि उन्होंने मसीहा को कभी नहीं देखा था और कभी मसीहा के साथ नहीं रहे थे, उन्होंने मसीहा के बस नाम के साथ चिपके रहने की ग़लती की, जबकि हर मुमकिन ढंग से मसीहा के सार का विरोध करते रहे। ये फरीसी सार रूप से हठधर्मी एवं अभिमानी थे और सत्य का आज्ञापालन नहीं करते थे। परमेश्वर में उनके विश्वास का सिद्धांत था : इससे फ़र्क नहीं पड़ता कि तुम्हारा उपदेश कितना गहरा है, इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि तुम्हारा अधिकार कितना ऊँचा है, जब तक तुम्हें मसीहा नहीं कहा जाता, तुम मसीह नहीं हो। क्या यह सोच हास्यास्पद और बेतुकी नहीं है?” (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, जब तक तुम यीशु के आध्यात्मिक शरीर को देखोगे, परमेश्वर स्वर्ग और पृथ्वी को फिर से बना चुका होगा)। मु यु ने संगति करते हुए कहा : “सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने प्रभु यीशु के प्रति फरीसियों के विरोध के सार और मूल कारण का खुलासा किया है। फरीसी अड़ियल और अहंकारी प्रकृति के थे, वे सत्य से विमुख हो चुके थे और उससे नफरत करते थे। उन्होंने तो परमेश्वर के कार्य को भी नहीं समझा और बाइबल के शब्दों से चिपके रहे, अपनी धारणाओं और कल्पनाओं के अनुसार परमेश्वर के प्रकटन और कार्य पर अपने फैसले देते रहे। प्रभु यीशु ने कई सत्य व्यक्त किये और बहुत-से चमत्कार और संकेत दिखाए, मगर उन्होंने सत्य नहीं खोजा या उसे नहीं स्वीकारा। वे अड़ियल बनकर बाइबल के शब्दों को मानते रहे, प्रभु की निंदा और विरोध करने के लिए हर मोड़ पर उससे फायदा उठाने की कोशिश करते रहे और अंत में उसे क्रूस पर चढ़ा दिया। तो अंत के दिनों में प्रभु के आगमन को लेकर हमारे नजरिये में हमें फरीसियों की नाकामी के कठोर सबक से सीख लेकर, अपनी धारणाओं और कल्पनाओं को त्यागना होगा और परमेश्वर के प्रकटन और कार्य की जाँच करनी होगी। केवल ऐसा करके ही, हम प्रभु का स्वागत करने की उम्मीद कर सकते हैं। आज के समय में, धार्मिक दुनिया के पादरी और एल्डर ठीक फरीसियों जैसे ही हैं। लोगों को प्रभु के आगमन की गवाही देते देखकर, वे सत्य की खोज या छानबीन बिल्कुल नहीं करते, अड़ियल बनकर बाइबल के उस अंश से चिपके रहते हैं जिसमें प्रभु के बादलों में आने की बात कही गई है। वे कहते हैं, ‘जो भी खुद को प्रभु यीशु बताता है मगर बादलों पर नहीं आता, वह झूठा मसीह है,’ वे मनमाने ढंग से सर्वशक्तिमान परमेश्वर का विरोध और उसकी निंदा करते हैं, सक्रिय रूप से विश्वासियों को सच्चे मार्ग की छानबीन करने से रोकते हैं। अगर उन्होंने कभी पश्चात्ताप नहीं किया, तो अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य द्वारा उन्हें झूठे विश्वासियों और मसीह-विरोधियों के रूप में उजागर किया जाएगा, और परमेश्वर का उद्धार कार्य पूरा होने पर, वे भयंकर आपदाओं में घिरकर रोएँगे और अपने दांत पीसेंगे।”
यह सुनकर मैं बहुत डर गई और कांपने लगी। मैंने उनकी कही बात की तुलना अपने व्यवहार से की : प्रभु का स्वागत करने के मामले में, मैं बस बाइबल के शब्दों से चिपकी रही, और अपनी धारणाओं के अनुसार विश्वास किया कि प्रभु बादलों के साथ आएगा। जब मैंने लोगों को यह कहते सुना कि प्रभु यीशु वापस आ गया है, तो न सिर्फ मैंने छानबीन नहीं की, बल्कि बिना सोचे-समझे उसका प्रतिरोध और उसकी निंदा करने में पादरियों और एल्डरों का साथ दिया, सर्वशक्तिमान परमेश्वर को कलंकित और बदनाम करने के लिए सभी तरह की अफवाहें फैलाईं, विश्वासियों को गुमराह किया और उन्हें सच्चे मार्ग की छानबीन करने से रोका। मेरे बर्ताव और प्रभु यीशु का विरोध करने वाले फरीसियों के बर्ताव में कोई अंतर नहीं था। मैं आधुनिक जमाने की फरीसी थी, विश्वासियों को सच्चे मार्ग की छानबीन करने से रोकने वाली बाधक थी। अगर परमेश्वर की दया या सत्य पर मु यु की संगति नहीं होती, से जिसके कारण मैं परमेश्वर की वाणी सुन पाई, तो मुझ जैसी अड़ियल और सत्य हठी इंसान को अंत में परमेश्वर त्यागकर हटा देता और शाप देकर दंडित करता। मैं अपनी उलझन दूर करना चाहती थी, तो मैंने मु यु से पूछा : “क्योंकि प्रभु गुप्त रूप से अपना कार्य करने के लिए पहले देह बना है, तो हमें कैसे यकीन होगा कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही देहधारी परमेश्वर यानी अंत के दिनों का मसीह है?” मु यु ने मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों के कुछ और अंश पढ़कर सुनाये : “‘देहधारण’ परमेश्वर का देह में प्रकट होना है; परमेश्वर सृष्टि के मनुष्यों के मध्य देह की छवि में कार्य करता है। चूँकि परमेश्वर देहधारी है, तो उसे सबसे पहले देह बनना होगा, सामान्य मानवता वाली देह; यह सबसे मौलिक पूर्वापेक्षा है। वास्तव में, परमेश्वर के देहधारण का निहितार्थ यह है कि परमेश्वर देह में रह कर कार्य करता है, परमेश्वर अपने सार में देहधारी बन जाता है, वह मनुष्य बन जाता है” (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर द्वारा धारण किये गए देह का सार)। “देहधारी परमेश्वर मसीह कहलाता है और मसीह परमेश्वर के आत्मा द्वारा धारण की गई देह है। यह देह किसी भी मनुष्य की देह से भिन्न है। यह भिन्नता इसलिए है क्योंकि मसीह आत्मा का देहधारण है, मांस तथा खून से बना हुआ नहीं। उसके पास सामान्य मानवता तथा पूर्ण दिव्यता दोनों हैं। उसकी दिव्यता किसी भी मनुष्य द्वारा धारण नहीं की जाती। उसकी सामान्य मानवता देह में उसकी समस्त सामान्य गतिविधियां बनाए रखती है, जबकि उसकी दिव्यता स्वयं परमेश्वर के कार्य को कार्यान्वित करती है” (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, स्वर्गिक परमपिता की इच्छा के प्रति समर्पण ही मसीह का सार है)। “जो देहधारी परमेश्वर है, उसके पास परमेश्वर का सार होगा और जो देहधारी परमेश्वर है, उसके पास परमेश्वर की अभिव्यक्ति होगी। चूँकि परमेश्वर ने देह धारण किया है, इसलिए वह उस कार्य को सामने लाएगा, जो वह करना चाहता है, और चूँकि परमेश्वर ने देह धारण किया है, इसलिए वह उसे अभिव्यक्त करेगा जो वह है और वह मनुष्य के लिए सत्य को लाने, उसे जीवन प्रदान करने और उसे मार्ग दिखाने में सक्षम होगा। जिस देह में परमेश्वर का सार नहीं है, वह निश्चित रूप से देहधारी परमेश्वर नहीं है; इसमें कोई संदेह नहीं। अगर मनुष्य यह पता करना चाहता है कि क्या यह देहधारी परमेश्वर है, तो इसकी पुष्टि उसे उसके द्वारा अभिव्यक्त स्वभाव और उसके द्वारा बोले गए वचनों से करनी चाहिए। इसे ऐसे कहें, व्यक्ति को इस बात का निश्चय कि यह देहधारी परमेश्वर है या नहीं और कि यह सही मार्ग है या नहीं, तो उसे इसकी पहचान उसके सार के आधार पर करनी चाहिए। और इसलिए, यह निर्धारित करने की कुंजी कि यह देहधारी परमेश्वर की देह है या नहीं, उसके बाहरी स्वरूप के बजाय उसके सार (उसका कार्य, उसके कथन, उसका स्वभाव और कई अन्य पहलू) में निहित है। यदि मनुष्य केवल उसके बाहरी स्वरूप की ही जाँच करता है, और परिणामस्वरूप उसके सार की अनदेखी करता है, तो इससे उसके अज्ञ और अज्ञानी होने का पता चलता है” (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, प्रस्तावना)। इस अंश को पढ़कर सुनाने के बाद, मु यु ने संगति की : “सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन स्पष्ट कहते हैं कि देहधारण का मतलब है परमेश्वर का आत्मा देह धारण करके एक साधारण इंसान बन गया है, वह सत्य व्यक्त करने और कार्य करने के लिए दुनिया में आया है। बाहर से, मसीह एक साधारण इंसान की तरह दिखता है, पर उसके अंदर परमेश्वर का आत्मा है—वह परमेश्वर के आत्मा का मूर्त रूप है। तो मसीह में सिर्फ सामान्य मानवता ही नहीं बल्कि पूर्ण दिव्यता भी है, जिसका अर्थ है कि परमेश्वर का निहित स्वभाव, जो वह स्वयं है, उसका अधिकार, उसकी सर्वशक्तिमत्ता, और बुद्धिमत्ता, सब उसकी देह में मौजूद हैं। परमेश्वर ही मसीह है, सृष्टि का प्रभु है। इसलिए, मसीह सत्य व्यक्त कर सकता है और किसी भी पल रहस्यों का खुलासा कर सकता है, परमेश्वर के स्वभाव और जो उसके पास है और जो वह स्वयं है, उसे व्यक्त कर सकता है, वह मानवजाति के छुटकारे और उद्धार का कार्य कर सकता है। ठीक वैसे ही जैसे प्रभु यीशु परमेश्वर का देहधारण था—वह मसीह था। भले ही वह एक साधारण इंसान जैसा दिखता था और धरती पर मनुष्यों के बीच रहता था, पर वह कभी भी सत्य व्यक्त कर स्वर्ग के राज्य के रहस्यों का खुलासा कर सकता था, और उसने मानवजाति को पश्चात्ताप का मार्ग दिया। प्रभु यीशु ने मनुष्य के पापों को माफ करके परमेश्वर का स्नेही और दयालु स्वभाव व्यक्त किया। उसने कई संकेत और चमत्कार भी दिखाए : उसने बीमारों को ठीक किया, राक्षसों को भगाया, मृतक को पुनर्जीवित किया, हवाओं और समुद्र को शांत किया, रोटी के 5 टुकड़ों और 2 मछलियों से 5,000 लोगों का पेट भरा, वगैरह। प्रभु यीशु के वचन और कार्य परमेश्वर के अधिकार और सामर्थ्य की पूर्ण अभिव्यक्ति थे। हम सबने प्रभु यीशु के वचनों और कार्य के आधार पर माना कि वही मसीह और देहधारी परमेश्वर है। तो यह पक्का करते समय कि वह देहधारी परमेश्वर है या नहीं, हमें इस आधार पर नहीं आंकना चाहिए कि वह बाहर से कैसा दिखता है, किस परिवार में पैदा हुआ है, उसके पास रुतबा और ताकत है या नहीं, या दूसरे लोग उसका समर्थन करते हैं या विरोध, बल्कि हमारे आकलन का आधार यह होना चाहिए कि वह सत्य व्यक्त करते हुए परमेश्वर का कार्य कर पाता है या नहीं। यही कुंजी है। अगर वह सत्य व्यक्त करते हुए मानवजाति को बचाने का कार्य कर सकता है, फिर चाहे वह कितना भी मामूली दिखे, और उसकी कितनी भी निंदा और विरोध हो, वह पक्के तौर पर देहधारी परमेश्वर होगा, वही मसीह होगा। अपना कार्य करने के लिए प्रकट होने के समय से ही सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने लाखों वचन व्यक्त किये हैं और परमेश्वर की प्रबंधन योजना के सभी रहस्यों का खुलासा किया है। उसने परमेश्वर की प्रबंधन योजना के मकसद, उसके कार्य के तीन चरणों के पीछे की सच्चाई, परमेश्वर के देहधारण और उसके नामों के रहस्य, और बाइबल की अंदरूनी कहानी का खुलासा किया है। साथ ही, यह भी बताया है कि अंत के दिनों में परमेश्वर का न्याय कार्य कैसे लोगों को शुद्ध करके बचाता है, हर किस्म के इंसान के परिणाम और मंजिल क्या हैं, कैसे मसीह का राज्य धरती पर साकार होता है, वगैरह। इतना ही नहीं, सर्वशक्तिमान परमेश्वर लोगों के परमेश्वर विरोधी, शैतानी प्रकृति और विभिन्न भ्रष्ट स्वभावों का न्याय कर उसे उजागर भी करता है। वह कई अन्य बातों के साथ ही लोगों को पाप से मुक्त होकर बचाये जाने का मार्ग भी दिखाता है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने जिन सत्यों को व्यक्त किया है वे प्रचुर मात्रा में हैं—उसने सत्य के सभी पहलुओं को व्यक्त किया है जो हमारे उधार पाने के लिए जरूरी हैं, इनमें से कोई भी रहस्य या सत्य मनुष्य ने पहले कभी नहीं सुना है। परमेश्वर के चुने हुए लोग अभी उसके वचनों के न्याय और ताड़ना का अनुभव कर रहे हैं, उन सबने अपने भ्रष्ट स्वभावों की थोड़ी-बहुत वास्तविक समझ हासिल की है, और उन्हें परमेश्वर के धार्मिक और प्रतापी स्वभाव का ज्ञान है। धीरे-धीरे पाप के बंधनों और बेड़ियों से मुक्त होकर, वे काफी हद तक अपना जीवन स्वभाव बदल पाये हैं। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन पढ़कर और अंत के दिनों में उसके कार्य का व्यक्तिगत रूप से अनुभव करके ही हम सब यह जान पाए हैं कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही देहधारी परमेश्वर और अंत के दिनों का मसीह है।”
सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन और मु यु की संगति प्रबोधक थी। मैंने देखा कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर देहधारी परमेश्वर है या नहीं, यह तय करना इस बात पर निर्भर है कि क्या वह सत्य व्यक्त कर उद्धार का कार्य कर सकता है, क्या वह परमेश्वर के स्वभाव और जो उसके पास है और जो वह स्वयं है उसे व्यक्त कर पाता है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर सच में देहधारी परमेश्वर यानी लौटकर आया प्रभु यीशु है, वरना, दूसरा कौन पुस्तक और सात मुहरों को खोलकर इन छिपे रहस्यों और सत्यों का खुलासा कर पाता? परमेश्वर के अलावा कौन मानवजाति को पाप के बंधनों और बेड़ियों से मुक्त कर बचा पाता?
मु यु ने आगे कहा : “इस मौजूदा प्रकटन में, परमेश्वर मुख्य रूप से उन लोगों की पहचान करने के लिए वचन व्यक्त कर रहा है जो सचमुच उसके आगमन के लिए तरसते हैं और उसकी वाणी सुन सकते हैं। प्रभु यीशु ने कहा था : ‘मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं; मैं उन्हें जानता हूँ, और वे मेरे पीछे पीछे चलती हैं’ (यूहन्ना 10:27)। परमेश्वर की सभी भेड़ें सत्य के लिए तरसती हैं। जब वे किसी को यह कहते सुनते हैं कि प्रभु लौट आया है, तो सच्चे मार्ग की खोज और छानबीन करते हैं। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन पढ़कर वे परमेश्वर की वाणी पहचान लेते हैं, सर्वशक्तिमान परमेश्वर को स्वीकार कर उसका अनुसरण करते हैं और उद्धार का मौका पाते हैं। जो परमेश्वर की भेड़ें नहीं हैं वे परमेश्वर की वाणी नहीं सुन सकते और वे अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य की आलोचना और निंदा तक करते हैं। अंत में, उन्हें जो दंड मिलना चाहिए वह तो मिलेगा ही। अंत के दिनों में परमेश्वर अपने वचनों से हर किस्म के इंसान को बेनकाब करता है, उनकी किस्म के अनुसार उनकी छंटाई करता है, जिसके बाद वह अच्छाई को इनाम और बुराई को दंड देगा। यह परमेश्वर के धार्मिक स्वभाव की पूर्ण अभिव्यक्ति है।” यह सुनकर, मैंने अपना सिर झुकाया और मेरी आँखों से आँसू बहने लगे। मैं जानती थी मैंने परमेश्वर का खूब विरोध किया था। मैंने उस वक्त के बारे में सोचा जब मैंने पहली बार लोगों को यह प्रचार करते सुना था कि प्रभु लौट आया है। तब मैंने सत्य की खोज या छानबीन नहीं की थी, बिना सोचे-विचारे पादरियों और एल्डरों की बात मानती रही, मैंने झूठ फैलाये, विश्वासियों को सच्चे मार्ग की छानबीन से रोकने के लिए डराया। नतीजतन, मेरा गला खराब हो गया और मैं बोल भी नहीं पा रही थी, मैं बीमार हो गई और मेरी गर्दन की हड्डी तक टूट गई। फिर एल्डर ही की कार भी दुर्घटनाग्रस्त हो गई। मुझे एहसास हुआ कि ये केवल दुर्घटनाएं नहीं थीं। ये सभी परमेश्वर का विरोध करने के दंड और नतीजे थे! मगर मैं इतनी बेवकूफ थी कि यह भी नहीं जानती थी कि मुझे जाग जाना चाहिए। मैं तो परमेश्वर के प्रकटन और कार्य की लगातार निंदा और विरोध करती रही, मुझे लगा मैं प्रभु के मार्ग का बचाव और झुंड की रक्षा कर रही हूँ। मैं बड़ी बेवकूफ थी! मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि चमकती पूर्वी बिजली—जिसकी मैं निरंतर बदनामी, झूठी निंदा और विरोध कर रही हूँ—वह असल में वही प्रभु यीशु है जिसका मुझे लंबे समय से इंतजार था! मुझे बेहद दुख और पछतावा हुआ। इतनी नासमझ और बेवकूफ होने पर मुझे खुद से नफरत हो गई। मैंने परमेश्वर के कार्य को पहचाने बिना ही उसमें विश्वास किया, परमेश्वर का विरोध और उसकी निंदा करने और विश्वासियों को सच्चे मार्ग की छानबीन करने से रोकने में एल्डरों का साथ दिया। अपने बर्ताव के आधार पर, मैं असल में परमेश्वर के दंड की पात्र थी। मगर परमेश्वर ने मेरे अपराधों के आधार पर मुझ पर कार्य नहीं किया, उसने अभी भी मुझे अपनी वाणी सुनने का अवसर दिया। उसने मेरी माँ के जरिये अपने वचनों के भजन मुझे बार-बार सुनाये और मु यु से सत्य पर संगति करवाई, ताकि मेरा सुन्न पड़ा, अड़ियल दिल धीरे-धीरे जागकर अंतर्दृष्टि पा सके, और मैं उसके प्रकटन और कार्य को स्वीकार लूँ। सर्वशक्तिमान परमेश्वर की दया और उद्धार के लिए उसका धन्यवाद!
इसके बाद, मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को खूब खाया-पिया। उसके वचनों से, मैंने हर युग में उसके सभी नामों के अर्थ, बाइबल के पीछे की सच्चाई और इस बात को जाना कि कैसे शैतान ने मानवजाति को भ्रष्ट किया और कैसे परमेश्वर मानवजाति को बचाता है। मैंने यह भी जाना कि मनुष्य के पाप और परमेश्वर के प्रति उसके प्रतिरोध का मूल कारण हमारी शैतानी प्रकृति है, मैंने कई अन्य चीजों के साथ ही खुद को भ्रष्टता से मुक्त कर उद्धार पाने का तरीका भी सीखा। मैंने देखा कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन और कार्य प्रभु यीशु द्वारा कही गई बातों को अच्छे से पूरा करते हैं : “मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा परन्तु जो कुछ सुनेगा वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा” (यूहन्ना 16:12-13)। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों से मेरी कई उलझनें और धारणाएँ दूर हो गईं और मुझे यकीन हो गया कि ये परमेश्वर के निजी कथन ही हैं। सर्वशक्तिमान परमेश्वर वही प्रभु यीशु है जिसका मैं लंबे समय से इंतजार कर रही थी। मैं ऐसे बच्चे की तरह महसूस कर रही थी जो लंबे समय से गुम अपनी माँ से आकर मिला हो। मैंने परमेश्वर के वचनों की किताब को अपने दिल से लगाया और जी भरकर रोई। इतनी नासमझ होने पर मुझे खुद से नफरत हो गई कि मैंने परमेश्वर को नहीं पहचाना, बेवकूफों की तरह उसके अंत के दिनों के कार्य का विरोध और निंदा करती रही, मैं तो सच्चे मार्ग की छानबीन करने वाले विश्वासियों के मार्ग में बाधा बन गई थी, और मैं परमेश्वर का प्रतिरोध करने वाली और उसके खिलाफ लड़ने वाली इंसान बन गई थी। इसका एहसास होने पर, मुझे बहुत पछतावा हुआ, मैंने जल्द से जल्द सुसमाचार फैलाना शुरू करने का संकल्प लिया, ताकि जिन लोगों को मैंने गुमराह और बाधित किया था उन्हें परमेश्वर के समक्ष ला सकूँ और अपने पिछले अपराधों का प्रायश्चित कर परमेश्वर के दिल को सुकून दे सकूँ। इसके बाद, मैं सुसमाचार फैलाने वालों में शामिल हो गई। सुसमाचार फैलाते हुए, मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों का प्रचार किया, परमेश्वर की वाणी सुनने में दूसरों की मदद की, अक्सर लोगों को बताती रही कि कैसे मैं बाइबल के शब्दों से चिपकी रहकर परमेश्वर के विरोध में बुरे कर्म करती थी। मैंने उनसे मेरी पिछली नाकामियों से सबक लेने को कहा। ज्यादा से ज्यादा लोगों को अंत के दिनों में परमेश्वर का कार्य स्वीकार करते देख, मैंने बहुत खुश, विनम्र और शांत महसूस किया।
मैं जिस राह पर चल रही थी उसे याद करूँ, तो परमेश्वर का विरोध करने से लेकर उसके वचनों द्वारा जीते जाने तक, मैं देख सकती हूँ कि परमेश्वर ने मेरे लिए कितनी कड़ी मेहनत की थी। इतनी विद्रोही होने के बाद भी, परमेश्वर ने मुझे त्यागा नहीं, बल्कि अपनी वाणी सुनाकर अपने स्वागत का मौका दिया। यह मेरे लिए परमेश्वर का महान प्रेम और उद्धार था! सर्वशक्तिमान परमेश्वर का धन्यवाद!