784 केवल परमेश्वर के कार्य को जानकर ही तुम अंत तक अनुसरण कर सकोगे

ये मत सोचो ईश्वर का अनुसरण आसान है।

मुख्य बात है उसे और उसके काम को जानो,

कष्ट उठाने, जीवन त्यागने की इच्छा रखो,

उसे तुम्हें पूर्ण बनाने दो। यही दर्शन रखो।


1

सिर्फ़ अनुग्रह का आनंद उठाने की सोच गलत है!

ईश्वर सिर्फ़ अनुग्रह करने, आनंद देने के लिए नहीं है।

गर उसके अनुसरण में जान जोखिम में डाल न सको,

सबकुछ त्याग न सको,

तो तुम निश्चित ही अंत तक उसका अनुसरण कर नहीं सकते!


ये मत सोचो ईश्वर का अनुसरण आसान है।

मुख्य बात है उसे और उसके काम को जानो,

कष्ट उठाने, जीवन त्यागने की इच्छा रखो,

उसे तुम्हें पूर्ण बनाने दो। यही दर्शन रखो।


2

तुममें दर्शनों का आधार हो। मुश्किलों में क्या करोगे तुम?

क्या फिर भी उसका अनुसरण करोगे तुम?

हल्के में जवाब न दो। आँखें खोलकर देखो, क्या समय हो रहा है।

तुम हो सकते हो मदिर के स्तंभ, मगर कीड़े उन्हें कुतर डालेंगे।

मंदिर ढह जाएगा, क्योंकि दर्शनों का अभाव है तुममें।

अपने छोटे संसार में मगन रहते, नहीं जानते खोजने का उचित तरीका।


ये मत सोचो ईश्वर का अनुसरण आसान है।

मुख्य बात है उसे और उसके काम को जानो,

कष्ट उठाने, जीवन त्यागने की इच्छा रखो,

उसे तुम्हें पूर्ण बनाने दो। यही दर्शन रखो।


3

तुम ध्यान नहीं देते दिल में ईश-कार्य के आज के दर्शन पर।

ईश्वर तुम्हें किसी दिन अनजान जगह भेज देगा, सोचा तुमने?

सोचो अगर ईश्वर ने ले लिया सबकुछ तुम्हारा,

तो क्या जोश और आस्था टिकेगी तुम्हारी?

अपने अनुसरण में, उस महानतम दर्शन को जानो जो "ईश्वर" है।


ये मत सोचो ईश्वर का अनुसरण आसान है।

मुख्य बात है उसे और उसके काम को जानो,

कष्ट उठाने, जीवन त्यागने की इच्छा रखो,

उसे तुम्हें पूर्ण बनाने दो। यही दर्शन रखो।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, तुम लोगों को कार्य को समझना चाहिए—भ्रम में अनुसरण मत करो! से रूपांतरित

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