291 परमेश्वर जब आता है तब उसे जानने में कौन समर्थ है?

परमेश्वर की नज़रों में, इन्सान का राज है सब चीज़ों पर।

परमेश्वर ने दिए हैं उसे बहुत से अधिकार,

पर्वतों की घास, जंगल के जीव, समुन्दर की मछलियाँ,

सबका प्रबन्धन दिया है इन्सान के हाथों में।


1

लेकिन इन सबसे इन्सान खुश नहीं होता, बल्कि सताती है उसे चिंता।

उसके पूरे जीवन में भरी है, दौड़-धूप और व्यथा।

खालीपन में भरी है मौजमस्ती, कुछ भी नया है नहीं।


कोई भी छुड़ा न सका है, छुड़ा न सका है इस खोखले जीवन से खुद को।

अर्थ भरा जीवन कोई खोज न सका है, असल जीवन का अनुभव ले न सका है।


सभी धर्म, समाज, देश के लोग, जानते हैं संसार के खालीपन को।

राह ताकते परमेश्वर की वापसी की, सभी ढूंढते उसको।

लेकिन परमेश्वर की वापसी पर, कौन जान सकता है उसको?


2

इन्सान जी रहा परमेश्वर की रोशनी तले, पर स्वर्ग के जीवन को जानता नहीं।

परमेश्वर जो न हो दयालु, जो न बचाए वो इन्सान को,

तो इन्सान का संसार में आना व्यर्थ है, जीवन का कोई अर्थ नहीं है।

नहीं है पास कुछ भी गर्व करने को, खाली हाथ लौटना है।


सभी धर्म, समाज, देश के लोग, जानते हैं संसार के खालीपन को।

राह ताकते परमेश्वर की वापसी की, सभी ढूंढते उसको।

लेकिन परमेश्वर की वापसी पर, कौन जान सकता है उसको?


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन, अध्याय 25 से रूपांतरित

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परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

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