292 लोग परमेश्वर के उद्धार को नहीं जानते
दुनिया में ईश्वर इसलिए आया कि बचाए वो सभी इंसानों को,
लाये उन्हें वापस अपने घर में, और एक करे स्वर्ग और धरती को।
इंसान उनके बीच "संकेत" भेजेगा, क्योंकि यही इंसान का कार्य है।
1
जब ईश्वर ने रचा था इंसानों को, उसने सब तैयार रखा था उनके लिए।
फिर इंसान से अपनी अपेक्षाओं के अनुसार, उसने इंसान को अपना धन लेने दिया।
उसके ही मार्गदर्शन में इंसान आज यहाँ तक आया। और ये सब उसकी योजना है।
2
बहुत-से लोग जीते ईश-प्रेम की सुरक्षा में।
और कई जीते उसकी नफ़रत की ताड़ना में।
भले ही लोग ईश्वर से प्रार्थना और याचना करें,
पर अपने जीवन को बदल न पाएँ।
कोई उम्मीद न बचने पर, वे तो बस ईश्वर की आज्ञा मान सकें, जो हो रहा उसे होने दे सकें।
कई बार ईश्वर ने इंसानों को ताड़ना दी है।
वे उसे एक नज़र देख, अनदेखा करें।
न उस पर ध्यान दें, न सोचें उसके बारे में।
इसलिए बिना दया के ईश्वर उनका न्याय करे।
यह है बस एक तरीका जिससे वो काम करे।
लेकिन ये किया जाए इंसान को बदलने के लिए, ताकि वो ईश्वर से प्रेम करे।
3
इंसान ने असली ज़िंदगी नहीं पायी, न समझ पाया
दुनिया के दुख और अन्याय को।
आने वाली अपदाएँ न होतीं,
तो प्रकृति माँ से लिपटकर, "जीवन" का स्वाद लेता वो।
क्या दुनिया की असली स्थिति ये नहीं?
क्या ये ईश्वर के उद्धार की आवाज़ नहीं?
क्यों किसी ने सच्चा प्रेम न किया ईश्वर से?
क्यों लोग उससे प्यार करें बस परीक्षा और ताड़ना में,
पर उसकी सुरक्षा में नहीं।
कई बार ईश्वर ने इंसानों को ताड़ना दी है।
वे उसे एक नज़र देख, अनदेखा करें।
न उस पर ध्यान दें, न सोचें उसके बारे में।
इसलिए बिना दया के ईश्वर उनका न्याय करे।
यह है बस एक तरीका जिससे वो काम करे।
लेकिन ये किया जाए इंसान को बदलने के लिए, ताकि वो ईश्वर से प्रेम करे।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन, अध्याय 29 से रूपांतरित