691 बीमारी की शुरुआत परमेश्वर का प्रेम है
1
सभी चीज़ों का स्वामी, सर्वशक्तिमान परमेश्वर,
राजसी सामर्थ्य का करता है उपयोग अपने सिंहासन से।
करता है शासन हर चीज़ पर, दिखाता है राह हम सबको धरती पर।
आओ उसके रूबरू, पाएं ज्ञान निरंतर।
सब चीज़ें और पदार्थ, इंसान सब, पाते अनुमति परमेश्वर के सिंहासन से।
शिकायती दिल न रखना, वो कृपा न बरसाएगा तुम पर वरना,
आता है जब कोई रोग तो होते हैं उसके पीछे, यकीनन नेक इरादे उसके।
तन को तकलीफ हो तो भी, ख़्याल शैतान के न रखना।
रोग में परमेश्वर की स्तुति करना, न हार मानना, न दिल छोटा करना।
खोजोगे जब तो परमेश्वर तुम्हें अपनी रोशनी देगा, रोशनी देगा।
खोजोगे जब तो परमेश्वर तुम्हें अपनी रोशनी देगा,
रोशनी देगा, अपनी रोशनी देगा।
2
याद करो अय्यूब कितना वफ़ादार था। समर्थ चिकित्सक है परमेश्वर।
बीमारी में रहते हो तो बीमार हो तुम, उमंग में रहते हो तो तंदुरुस्त हो तुम।
साँस लोगे तो तुम्हें मरने न देगा परमेश्वर।
पुनर्जीवित मसीह की ज़िंदगी है हम में,
मगर सचमुच परमेश्वर में आस्था की कमी है हम में।
उसके सब वचनों में मिठास बहुत है, परमेश्वर आस्था पैदा करे हम में।
परमेश्वर के वचन दवा हैं सब के लिये।
परमेश्वर के वचन दवा हैं सब के लिये।
3
लानत है दुष्ट पर, लानत है शैतान पर।
परमेश्वर के वचन बचायेंगे हमारे दिल।
परमेश्वर के वचन ही हैं सहारा हमारा।
हर बुरी चीज़ को भगाते हैं वचन, हर चीज़ को सुकून देते हैं वचन।
आस्था एक कुंदे के पुल की तरह है, कायर उसके पार जा नहीं सकता।
वो मगर कर सकते हैं इस पुल को पार, जिन में समर्पण होता है।
शैतान बनाता है बेवकूफ़ बुज़दिल ख़्यालों से।
शैतान आज़माता है हर तरीका, वो हमें अपने बुरे ख़्याल भेजता है।
अक्सर दुआ करो, परमेश्वर की रोशनी के लिये,
हमारे भीतर जो ज़हर है वो मिटाए उसको।
उसके करीब आओ, उसे करने दो हम पर शासन।
उसके करीब आओ, उसे करने दो हम पर शासन।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, आरंभ में मसीह के कथन, अध्याय 6 से रूपांतरित